मनोज राठौर
जिला सीहोर, छोटी इटारसी सलकनपुर निवासी विक्रम शर्मा टीवी कलाकार हैं। वह एक धारावाहिक में हनुमान जी का किरदार भी अदा कर चुके हैं। पिता के देहांत के बाद परिवार की जिम्मेदारी भी विक्रम के कंधे पर आ गई थीं। उसका भोपाल के मिसरोद व कटारा हिल्स में पेंटिंग कंस्ट्रक्शन का काम चल रहा है। विक्की की अनुपस्थिति में इस काम को उसका छोटा भाई अर्जुन उर्फ निक्की (24) देखता था। वह 13 फरवरी को कंस्ट्रक्शन के काम को छोटे भाई को देकर एक टीवी सीरियल के सिलसिले में बड़ोदरा चले गए। इस दौरान वह निक्की को एक लाख 20 हजार रुपए बैंक में जमा करने के लिए दे गए थे। लेकिन उसने उक्त पैसे बैंक में जमा नहीं किए और उन्हें इधर-उधर खर्च कर दिए। बड़े भाई और परिजन के डर के कारण उसने यह बात किसी को नहीं बताई। घर वालों के डर से उसने अपने अपहरण की झूठी कहानी रची। मगर, पुलिस ने उसके शातिर प्लान को फेल कर दिया और उसे अपने जाल में फंसा लिया।
यह है अपहरण की कहानी: गत 15 फरवरी 2011 को निक्की ने छोटी इटारसी सलकनपुर जाकर अपने स्व. पिता की मासिक पूजा कराई और पंड़ित को खाना भी खिलाया। इसके बाद उसने अपहरण की कहानी को अंजाम देने का मन बना लिया। इस कहानी के तहत वह शाम के समय मिसरोद स्थित अपनी साइट पर पहुंचा। वहां उसने अपने सुपरवाइज से मुलाकात की। इसके बाद वह भोपाल के अरेरा कॉलोनी स्थित अपने घर गया, जहां से शाम करीब सात बजे वह बड़े भाई विक्रम की इंडिका (जीजे-16, के-3854) लेकर बाबड़िया रेलवे क्रासिंग पहुंचा। वहां उसने प्लान के तह सड़क किनारे अपनी गाड़ी पार्क की और सुपरवाइजर राजेंद्र गोहिया को फोन लगाकर बताया कि राजेंद्र मुझे बचाओ, मेरी कार का कुछ बदमाश पीछा कर रहे हैं और वह मेरा अपहरण करना चाहते हैं। इतनी बात करने के बाद उसने अपना मोबाइल फोन बंद कर लिया। राजेंद्र उनका एक छोटा सा कर्मचारी था, तो वह निक्की की बात सुनकर घबरा गया और उसने निक्की की तलाश शुरू कर दी। वह निक्की को ढूंढ़ते-ढूंढ़ते बाबड़िया रेलवे क्रासिंग पहुंचा, जहां उन्हें विक्रम की कार देखी। इसके बाद राजेंद्र ने शाहपुरा पुलिस को घटना के बारे में जानकारी दी। यह मामला टीवी कलाकार के छोटे भाई से जुड़ा हुआ था, तो खुद एएसपी राजेश चंदेल, सीएसपी राजेश सिंह भदौरिया और शाहपुरा थाना प्रभारी मौके पर पहुंचे। पुलिस अधिकारियों के साथ एफएसएल व डॉग स्कवॉड ने घटना स्थल का निरीक्षण किया, लेकिन उन्हें किसी भी प्रकार के संघर्ष के निशान नहीं मिले। पुलिस को शुरू से ही मामला संदिग्ध लग रहा था। इधर, भाई के अपहरण की खबर सुनने के बाद अगले दिन विक्की भी भोपाल आ गया था। पुलिस ने विक्की की शिकायत पर अज्ञात आरोपियों के खिलाफ अपहरण का मामला दर्ज कर लिया था।
ऐसे हुआ खुलासा: निक्की के अपहरण की कहानी शुरू से ही पुलिस अधिकारियों के गले नहीं उतर रही थी। कहानी की सच्चाई का पता लगाने के लिए नया शहर एसपी योगेश चौधरी ने पुलिस की स्पेशल टीम बनाई। इन टीमों को निक्की की तलाश में होशंगाबाद, सलकनपुर, होशंगाबाद और इटारसी भेजा गया। इतना ही नहीं पुलिस ने परिजनों समेत रिश्तेदारों से पूछताछ की। इस दौरान पुलिस को पता चला कि निक्की के खाते से पैसे निकाले जा रहे हैं। यह जानकारी पुलिस के लिए टेंशन भरी थी, क्योंकि पुलिस को लगने लगा कि निक्की का अपहरण करने वाले लोग उससे खाते से जबरिया पैसा निकाल रहे हैं। मगर, पुलिस की यह टेंशन भी कुछ दिनों बाद ही खत्म हो गई। दरअसल, पुलिस की टीम में शामिल प्रधान आरक्षक संजय सिंह, आरक्षक हरिकृष्ण बैरागों ने भोपाल क्षेत्र के एटीएम बूथों, एएसआई रामबदन यादव, आरक्षक शैतान सिंह ने सलकनपुर क्षेत्र तथा एसआई हितेश पाटिल व आरक्षक पवन पाठक ने होशंगाबाद, नागपुर व पुणे क्षेत्र की एटीएम बूथों के वीडियो फुटैज एकत्र किए। यह वहीं बूथ थे, जिसमें से निक्की के खाते से पैसे निकाले गए थे। हालांकि वीडियो फुटैज में पैसे निकालने वाला ओर कोई व्यक्ति नहीं था, बल्कि निक्की खुद स्पष्ट नजर आ रहा था। इन सबूतों के बाद पुलिस अधिकारियों ने राहत की सांस ली।
खुद पर ब्लेड से हमला किया: एएसपी राजेश चंदेल ने बताया कि निक्की अपनी झूठी कहानी के अनुसार होशंगाबाद, नागपुर व पुणे गया। इन स्थानों पर उसने एटीएम बूथों से पैसे भी निकले। इसके बाद वह पुणे से इंदौर और वहां से कुरावर पहुंचा, जहां उसने खुद को ब्लेड से घायल किया और कपड़े भी काट लिए। ऐसा हुलिया बनाने के बाद निक्की तीज बलड़ी फॉरेस्ट चौकी के पहुंचा और वनकर्मियों को अपने अपहरण की कहानी सुनाई। निक्की की मदद करते हुए कुरावर पुलिस ने पहले उसका मेडिकल कराया और बाद में उसे भोपाल के हवाले कर दिया।आखिरी समय तक विश्वास नहीं हुआ: जब पुलिस ने निक्की के अपहरण की झूठी कहानी उसके बड़े भाई विक्की को सुनाई, तो उसे पुलिस की बातों पर रत्ती भर भी विश्वास नहीं हुआ। वहीं निक्की भी थाने पहुंचने पर बड़े भाई से लिपटकर रोने लगा। भाई के इमोशनल में फंसकर विक्की पुलिस की बातों को सुनने के लिए तैयार नहीं था। उसने आखिरी वक्त तक भाई की झूठी बातों पर विश्वास किया। मगर, पुलिस अधिकारी भी कहां चुप बैठने वाले थे। सो, उन्होंने निक्की के बैंक अकांउट की डिटेल की जानकारी के अनुसार एटीएम बूथों से निकाले वीडियो फुटैज विक्की को दिखाए। इस दौरान निक्की भी पुलिस के साथ था। उसने वीडियो में खुद को पाया, तो वह टूट गया और उसने पुलिस को बताया कि उसने एक लाख 20 हजार रुपए के चक्कर में यह अपहरण की झूठी कहानी रची। इतना ही नहीं उसने पुलिस अधिकारियों के साथ अपने भाई से भी माफी मांगी।
यह बाते आर्इं संदेह के दायरे में: पुलिस अधिकारियों ने घटना स्थल का मुआयना किया, तो उन्हें वहां कोई संघर्ष के निशान नहीं मिले। साथ ही घटना स्थल पर हर वक्त लोगों की आवाजाही रहती है और किसी ने अपहरण की इतनी बड़ी घटना को नहीं देखा। पुलिस ने कई लोगों के बयान भी दर्ज किए, जिन्होंने अपहरण की घटना होने से इंकार कर दिया। वहीं दूसरी ओर अपहरण करने वाले ने निक्की के भाई या उसके परिजन को फोन कर फिरौती की मांग भी नहीं की। साथ ही विरोधाभासी बयान के चलते भी निक्की पुलिस के जाल में फंसता चला गया।
लिफ्ट से पहुंचा होशंगाबाद: अपहरण की कहानी के मुताबिक निक्की कार बाबड़िया रेलवे क्रासिंग स्थित सड़क किनारे खड़ी कर एक गाड़ी से लिफ्ट लेकर होशंगाबाद चला गया। इसके बाद वह वहां से नागपुर होते हुए पुणे चला गया। इन स्थानों पर उसने जमकर पैसा खर्च किया।
Tuesday, June 07, 2011
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