Thursday, June 30, 2011

खून का बदला खून

ट्रीपल मर्डर (बिलखिरिया)
मनोज राठौर
राजधानी से २५ किलोमीटर दूर स्थित कान्हा सैया गांव निवासी पूर्व सरंपच गोकुल सिंह ठाकुर, उसका बड़ा भाई अर्जुन सिंह और अर्जुन का साला बलवीर सिंह रायसेन की ओर से रिश्तेदारी से १६ मई २०१० की दोपहर एक बजे घर की ओर लौट रहे ो। आदमपुरा गांव की मुख्य सड़क पर मारुति सवार पांच लोगों ने उनकी बाइक को जबरदस्त टक्कर मारी। इससे वह घायल हो गए। इसके बाद आरोपियों ने सड़क पर घायल पड़े अर्जुन, बलवीर और गोकुल पर कुल्हाड़ी तथा डंडे से हमला कर दिया। हमले के दौरान बलीवर जाने बचाकर भागा, लेकिन आरोपी ने कट्टे से फायर कर उसे सड़क से लगे खेत में गिरा दिया और उसकी भी कुल्हाड़ी तथा डंडे से नृंशस हत्या कर दिया। इसके बाद पांचों आरोपी खेत के रास्ते अमजरा नदी की ओर भाग निकले।
कान्हा सैया में रहने वाले हिम्मत उर्फ हन्नू सिंह ठाकुर खेती किसानी करते हैं। उनके चार बेटे अर्जुन(३५), गोकुल(२५), सुर्जन (२८)और तौंफान सिंह (३०) है। गोकुल पूर्व सरपंच था। पिछले साल टयूवबेल लगाने को लेकर रिश्तेदार भगवान सिंह ठाकुर और उनके बीच खूनी संघर्ष हुआ। इस खूनी खेल में भगवान सिंह के बेटे निरंजन उर्फ रंजू की मौत हो गई थी। इसके बाद यह रंजिश भगवान दोनों परिवार के दिलों में घर कर गई। भगवान सिंह का परिवार हिम्मत सिंह के बेटे को मारने की फिराक में घात लगाकर बैठा था। पिछले साल अक्टूबर माह में उसने अपने बेटे दीवान सिंह समेत पांच लोगों के साथ मिलकर गोकुल और अर्जुन पर हथियारों से हमला किया था। इसमें दोनों भाई को गंभीर चोट आई थी। पुलिस ने भगवान समेत पांच लोगों पर हत्या के प्रयास का मुकदमा भी कायम किया था। हालांकि, यह लड़ाई जंग में बदल गई और दोनों परिवार के बीच छोटी-छोटी बातों को लेकर आए दिन झगड़ा होने लगा। १६ मई को गोकुल, अर्जुन और उसका साला बलवीर रायसेन स्थित रिश्तेदार के घर गए थे। वहां से लौटते समय आदमपुर मुख्य सड़क पर कार क्रमांक एमपी ०४ व्ही ०८९५ ने उनकी पल्सर क्रमांक एमपी ०४ एमई ०३०८ को सामने से टक्कर मार दी। टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि पल्सर सवार गोकुल, अर्जुन और बलवीर गंभीर रूप से घायल होकर सड़क किनारे गिर गए। इसके बाद कार से उतरे भगवान सिंह के बेटे दीवान सिंह और उसके चार साथियों ने डंडे और कुल्हाड़ी से हमला कर दिया। इस बीच गोकुल वहां से खेत की ओर भागने लगा, लेकिन उसे थोड़ी दूरी पर गोली मारकर दबोच लिया। उसकी भी कुल्हाड़ी और डंडों से मारपीट की। इसके बाद सभी आरोपी खेत के रास्ते अमजरा नदी की ओर भाग निकले। अर्जुन और उसके साले बलवीर की मौके पर ही मौत हो गई। जबकि गोकुल ने हमीदिया अस्पताल में दम तोड़ दिया।
यह थी पुरानी रंजिश- गत २८ मई २००९ को गांव में लगे एसडीएम के शिविर में पूर्व सरपंच भगवान सिंह ने तत्कालीन सरपंच गोकुल सिंह पर मकान के आंगन में सरकारी हैंडपंप लगाने और टयवबेल से अकेले पानी लेने का आरोप लगाया था। इस बात को लेकर शिविर में दोनों पक्षों के बीच कहासुनी भी हुई। कुछ दिनों बाद ही विधायक जितेन्द्र डागा के शिविर में दौबार भगवान दास ने गोकुल पर आरोप लगाया। इस रंजिश के चलते गत ३१ मई को दानों पक्षों में जमकर डंडे चले। इसमें भगवान सिंह का बेटा निरंजन उर्फ रंजू की मौत हो गई। बेटे की मौत का बदला लेने के एिल भगवान सिंह अक्टूबर माह में पांच लोगों के साथ मिलकर गोकुल और उसके भाई अर्जुन सिंह पर जानलेवा हमला किया था। पुलिस ने आरोयिों के खिलाफ मामला दर्ज भी किया। इसके बाद से भगवान सिंह का परिवार मौके के फिराक में था।
घटना स्थल से भागे लोग- घटना स्थल के पास ही चाय और पंचर बनाने की दुकान है। वहां पर मृतक बलवीर के चाचा मोहन लाल ठाकुर भी मौजूद थे। अचानक दुर्घटना के बाद हुई घटना से वहां दहशत फैल गई। इसके बाद दुकानों पर बैठे लोग जान बचाकर खेत की ओर भाग निकले। मोहन लाल ने पुलिस को बताया कि आरोपियों की कार घटना के पहले आधे घंटे से सड़क पर चक्कर काट रही थी। इसमें दीवान सिंह समेत पांच लोग शामिल थे। उसने बताया कि अचानक तेज रफ्तार से मारुति कार ने पल्सर सवार को सामने से टक्कर मारी और उनकी कुल्हाड़ी और डंडे से हत्या कर दी। इस दौरान आरोपियों ने गोकुल पर कट्टे से गोली भी चलाई थी।
गांव में दहशत- मृतक और आरोपियों के गांव में बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात है। गांव में आधा दर्जन टुकड़िया फैला दी गई, जो लोगों की गतिविधियों पर नजर रखी हुई है। वहां दो बज्र वाहन मृतक और आरोपी के घर के सामने खड़े हुए हैं। वहीं गांव पुलिस छावनी में तब्दील हो गया। इधर, हिम्मत के जवान बेटों की मौत के बाद परिवार का रो-रो कर बुरा हाल है।
आरोपियों का नहीं लगा सुराग- दीवा सिंह और अन्य आरोपियों की धरपकड़ के लिए पुलिस की अलग-अलग टीमें राजधानी के अलावा सीहोर, विदिशा और रायसेन में डेरा डोले हुए हैं। यहां दीवान सिंह और उसके पिता भगवान सिंह के रिश्तेदार रहते हैं।
घटना दर्दनाक थी। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर लिया है। आरोपियों के परिजन से पूछताछ की जा रही है। वहीं सीहोर, विदिशा, रायसेन और राजधानी में आरोपियों की तलाश में पुलिस टीम लगाई गई हैं। जल्द ही आरोपियों को दबोच लिया जाएगा।
योगेश चौधरी, एसपी

Wednesday, June 29, 2011

शराब पीकर बन जाता हैवान

मंडी में रेप (निशातपुरा)

मनोज राठौर

"मेने जिंदगी की सबसे बड़ी गलती की। नहीं पकड़ाता तो, न जाने कितनी मासूमों की जिंदगी बरबाद करता। मेरी गलती की सजा मृत्युदंड है। मैं शराब पीकर दरिंदा और पापी बन जाता हूं। मुझे बीच बाजार में फांसी पर लटका दो, जिससे आगे से कोई भी नशे की हालत में हैवान बनकर मासूम को अपनी हवस का शिकार नहीं बनाए।"

(पूछताछ में पुलिस को आरोपी वृंदावन ने बताया)

3 जून 2010 को दोपहर 2.30 बजे राजधानी के बीच स्थित करोंद कृषि उपज मंडी में व्यापारी, हम्माल और मजदूर दल अपना-अपना काम कर रहे थे। आसमा भी खुले मुंह से धूप बरसा रहा था। वहीं मंडी गेट के बगल वाले अनाज शेड के पास मजदूर परिवारों के पांच बच्चे खेल रहे थे। इस दौरान वहां नशे में धुत विदिशा, ग्राम नावकुंड निवासी वृंदावन पुत्र कोमल आदीवासी (22) पहुंचा। उसने पहले चार बच्चों को डरा धमका कर भगा दिया और 8 साल की मोनिका (परिवर्तित नाम) को दबोच लिया। वह उससे अश्लील हरकत करने लगा। इस पर उसने आरोपी का विरोध भी किया, लेकिन नशे की हालत में हैवान बन चुके वृंदावन उसे पकड़कर खंडर पड़े बाथरूम में ले गया। वहां उसने मासूम के साथ बलात्कार किया था। इसके बाद वह आनन-फानन में मंडी से भाग निकला। मासूम के साथ हुए बलात्कार की सूचना तत्काल मंडी सचिव आरपी चक्रवर्ती ने निशातपुरा थाना प्रभारी जीएल अहरवाल को दी। मौके पर पहुंचे अहरवाल और एसआई अशोक मरावी ने घटना स्थल का मुआयना कर अज्ञात आरोपी के खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज कर लिया था।

कुछ ऐसी है कहानी: ग्राम नावकुंड निवासी कोमल के दो बेटे रामदयाल (18) और वृंदावन (22) हैं। छोटा बेटा रामदयाल गांव में पिता के साथ मेहनत मजूदरी करता है। वहीं वृंदावन गांव में आवारा-गर्दी करता था। गत 8 मार्च को वह गांव की सात वर्षीय सोनम (परिवर्तित नाम) को बहला फुसलाकर अपने साथ जंगल में ले गया। वहां उसने मासूम को अपनी हवस का शिकार बनाया। सोनम वृंदावन को जानती थी, इसलिए उसने डर के कारण उसका गला दबाकर हत्या कर दी और लाश को एक नाले में फेंक दिया। अगले दिन कुरवाई थाना पुलिस ने सोनम के शव को बरामद कर अज्ञात के खिलाफ बलात्कार और हत्या का मामला दर्ज किया था। इस घटना के बाद वृंदावन परिजनों को यह बताकर घर से निकल गया कि वह भोपाल जाकर पैसे कमाएगा। वह भोपाल स्थित शाहजहांनी पार्क के रैन बेसेर में रहने लगा था। वह मजूदरी कर रोजाना 150 रुपए कमाता और उनमें से आधे पैसों की शराब पी जाता था। वृंदावन ने 3 जून की सुबह बैरागढ़ में गाड़ी से र्इंट उतारने का काम किया था। इसके बाद उसने जमकर शराब पी और करोंद मंडी में घुस गया। वहां बच्चों के बीच 8 वर्षीय मोनिका को खेलता देख उसका मन विचलित हो गया और उसने मासूम को अपनी हवस का शिकार बनाया।

ऐसे पकड़ाया आरोपी : मंडी में हुई घटना के बाद पुलिस ने पीड़ित की निशानदेही पर आरोपी का स्केच तैयार कराया। उक्त स्केज को मंडी समेत शहरभर में चस्पा कर दिया गया था। वहीं 15 जुलाई को वृंदावन नशे की हालत में दोबारा करोंद मंडी में आया। उसे संदिग्ध हालत में मंडी परिसर में घूमता देख, किसी ने उसकी सूचना पुलिस को दे दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया। प्रारंभिक पूछताछ में वह आनाकानी करने लगा, लेकिन थाना प्रभारी ने लोहे का पाइप दिखाया, तो वह तोते की तरह बोलने लगा। उसने अपने गांव में मासूम के साथ बलात्कार, हत्या और करोंद मंडी में मासूम से भी बलात्कार करना कबूला था।

टूट चुकी है शादी: वर्ष 2009 में कोमल ने अपने बड़े बेटे वृंदावन की शादी रीना नाम की लड़की से तय की थी। हालांकि, वृंदावन के चालचलन ठीक नहीं होने के कारण रीना के परिजनों ने रिश्ता तोड़ दिया। इसके बाद उसने गांव में आवारा-गर्दी शुरू कर दी थी।

हैवान हो जाता: वृंदावन ने कबूल किया है कि वह शराब पीने के बाद हैवान बन जाता था। नशे की हालत में उसके शरीर में बासना प्रवेश करती है। उसने नावकुंड और मंडी की घटना वाले दिन भी जमकर शराब पी थी।

" वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश और थाना स्टाफ की मदद से आरोपी को पकड़ने में सफलता मिली है। आरोपी पहले भी एक मासूम हो अपनी हवस का शिकार बना चुका है। जुर्म कबूल करने के बाद आरोपी को जेल भेज दिया गया है।"

जीएल अहरवाल, थाना प्रभारी निशातपुरा

Tuesday, June 28, 2011

प्रेमिका के लिए अपनों का खून

युवक ने मां-बहन की हत्या(शाहपुरा)
मनोज राठौर
शाहपुरा स्थित लक्ष्मी परिसर निवासी किरण धाकड़ (40) एनएचडीसी में क्लर्क थी। उनके पति चंद्र प्रकाश की सालों पहले मौत हो गई थी। इसके बाद वह लक्ष्मी परिसर में एकलौते बेटे हर्ष (19) और बेटी वर्षा (22) के साथ रहती थी। हर्ष ने इसी साल 12 वीं की परीक्षा उत्तीर्ण की थी, जबकि वर्षा एमबीए की पढ़ाई पूरी कर एनएचडीसी में ट्रेनिंग कर रही थी। गत 30 मई 2011 की रात करीब 12 बजे किरण और उनकी बेटी वर्षा अपने कमरे में गहरी नींद में सो रही थी। इस दौरान हर्ष ने चोरी-छुपे घर में प्रवेश किया और पलंग पर सो रही बहन पर लोहे के पाइप से हमला कर दिया। इस पर किरण ने हर्ष का हाथ पकड़ लिया और उसे रूकने की कोशिश की, लेकिन उसके सिर पर खून सवार था। सो, उसने मां को भी नहीं बख्शा और उनके सिर पर पाइप दे मारा। मौके पर ही मां-बेटी की मौत हो गई। कूलर की आवाज होने के कारण पड़ोसियों ने मां-बहन की आवाज तक नहीं सुनी। वारदात को अंजाम देन के बाद हर्ष घर के मेन गेट पर ताला लगाकर भाग निकला।
इसलिए की हत्या-हर्ष का उसके स्कूल में पढ़ने वाली एक युवती से लंबे समय से प्रेम-प्रसंग चल रहा था। जब सुबह उसकी मां व बहन अपने-अपने काम पर निकल जाती थी, तो इस बीच हर्ष अपनी प्रेमिका को घर लेकर आता था। एक दिन उसकी मां-बेटी ने घर पर उसे प्रेमिका के साथ पकड़ लिया। इस पर उन्होंने प्रेमिका की पिटाई भी लगाई थी और उसे बेइज्जत कर भगा दिया। इसके बाद मां-बेटी हर्ष से नफरत करने लगी और उसकी गतिविधियों पर नजर रखने लगी। यह बात हर्ष को नगवार गुजरी और उसने प्रेमिका की पिटाई का बदला लेने के लिए मां-बहन की हत्या की साजिश रची।
दोस्त ने दिया साथ-हर्ष की प्लानिंग की जानकारी उसके दोस्त राजन को पता थी। घटना वाले दिन वह कॉलोनी में राजन के साथ घंटों घूमता रहा। मां-बहन के सो जाने के बाद राजन घर के बाहर चौकीदारी करने लगा और हर्ष ने कमरे में जाकर मां-बहन की नृशंस हत्या कर दी। वारदात को अंजाम देने के बाद वह राजन के साथ बाइक से एमपी नगर स्थित एक होटल में गया। वहां उसने खून में लतपत कपड़े व हत्या में प्रयोग किए गए लोहे के पाइप को ठिकाने लगाया और नए कपड़े पहन लिए। इतना ही नहीं उसने होटल में दोस्त के साथ शराब पी थी।
प्रेमिका की नहीं सुनी-घटना से कुछ दिनों पहले ही हर्ष की प्रेमिका ने उसे समझाया था कि यदि मां किसी बात को लेकर डांटती है, तो उसका बुरा नहीं मानना चाहिए। वह बच्चों की भलाई ही चाहती है। इतना ही नहीं दोनों ने भागकर शादी करने की योजना भी बनाई थी, लेकिन इससे पहले ही हर्ष ने मां-बहन की हत्या कर दी। वारदात के बाद आरोपी अपने साथी राजन अग्रवाल के साथ एमपी नगर जोन टू स्थित एक होटल के रूम नंबर 302 में रूक गया। इसके बाद सुबह उसने घर पहुंचकर पुलिस को बाड़ी बरेली स्थित छींद मंदिर जाने की झूठी कहानी सुनाई।
किया बेटे का सामना: हर्ष ने जैसे ही बहन पर लोहे के पाइप से हमला किया, तो उसकी मां ने उसे रोकने का प्रयास किया। लेकिन बेटे की ताकत के आगे उनकी एक नहीं चली। बहन की जान लेने के बाद हर्ष पाइप लेकर मां की तरफ बढ़ा, तो उन्होंने कुछ समय तक बेटे से संघर्षबेटा का कुछ समय तक सामना भी किया। हालांकि, कुछ देर बाद ही हर्ष ने मां की बेरहमी से हत्या कर दी।
फिर शुरू हुई नोटंकी: हर्ष मंगलवार सुबह करीब साढ़े दस बजे घर पहुंचा और मां-बहन की हत्या की सूचना पड़ोसियों को दी। इधर, पड़ोसियों की सूचना पर मौके पर एसपी योगेश चौधरी, एएसपी राजेश चंदेल व सीएसपी राजेश भदौरिया पहुंचे। उन्होंने मां-बेटी के शवों को पीएम के लिए हमीदिया अस्पताल भिजवा दिया। इस दौरान हर्ष नोटंकी करते हुए रो रहा था और उसके कॉलोनी के साथी उसे ढांढस बांधते नजर आए।
पुलिस को किया गुमराह: शुरूवाती पूछताछ में हर्ष पुलिस को गुमराह किया। उसने पुलिस को बताया कि वह सोमवार रात एक दोस्त के साथ छींद मंदिर गया था। पुलिस ने उसके साथी से पूछताछ की, तो उसने छींद जाने से मना कर दिया। इस पर दोनों से अलग-अलग सख्ती से पूछताछ की गई, तो हर्ष ने मां-बहन की हत्या करना स्वीकार कर ली

Sunday, June 26, 2011

दिल्लगी बनी मौत

आॅनर किलिंग का मामला
मनोज राठौर
20 अगस्त 2010 की दोपहर डेढ़ बजे बैरसिया एसडीओपी महावीर मुजालदे अपने आॅफिस में बैठकर जरूरी काम निपटा रहे थे। इस बीच सेमरा गांव निवासी राकेश दांगी और दीपक दांगी पहुंचे। दीपक ने मुजालदे को बताया कि 19 अगस्त को उसकी बहन घर से रहस्मय ढंग से लापता हो गई। उसने संदेह जताया था कि बहन का अपहरण करने में बैरसिया निवासी निक्की उर्फ मिथले गौर और उसके साथी बिट्ट् बैरागी का हाथ है। वहीं राकेश लापता युवती का मामा है। इसके बाद पुलिस ने गुमइंसान कायम कर लिया और सिपाही राकेश और एक अन्य सिपाही को युवती को तलाश करने के लिए दीपक और राकेश दांगी के साथ भेज दिया। अभी यह मामला सुलझा भी नहीं था कि थोड़ी देर बाद मुजालदे के कैबन में निक्की के पिता गया प्रसाद पहुंच गए। उन्होंने बताया कि सुबह सात बजे सेमरा गांव निवासी मनमोहन दांगी ने निक्की को फोन कर बैरसिया के पार्क में मिलने के लिए बुलाया था। इसके बाद उनका बेटा घर नहीं लौटा और उसका मोबाइल फोन भी बंद है। गया प्रसाद ने मुजालदे को यह भी बताया कि भोपाल से उनका बड़ा बेटा सुनील और उसके मौसी का लड़का संतोष बहन को लेकर बैरसिया आ रहे थे। इस दौरान सोनकच्छ पेट्रोल पंप के पास मनमोहन ने आधा दर्जन साथियों के साथ मिलकर बस से सुनील को उतारा और उसका अपहरण कर स्कार्पियो में ले गए। गया प्रसाद को यह बात सुबह घर पहुंची उसकी बेटी और संतोष ने बताई थी। इधर, जैसे ही गया प्रसाद शिकायत कर थाने से गया, तो मुजालदे के मोबाइल फोन की घंटी बजने लगी। उन्हे गुनगा पुलिस ने बताया कि धर्मरा गांव के पास सड़क किनारे एक युवक की लाश पड़ी है। इस पर वह मौके पर पहुंचे और शव को पोस्टमार्टम के लिए हमीदिया अस्पताल भेज दिया। मृतक की शिनाख्त निक्की उर्फ मिथलैस के रूप में हुई थी।
ऐसे शुरू हुई कहानी:निक्की उर्फ मिथलेस पिता गया प्रसाद (२०) की मोबाइल की दुकान है। जबकि उसके पिता बिजली विभाग में पदस्थ हैं। बैरसिया बाजार में करीब तीन साल पहले निक्की का संपर्क मनमोहन की साली मोनिका (परिवर्तित नाम) से हुआ। दोनों की आंखे ऐसे मिली कि बात प्यार तक पहुंच गई। फिर क्या था, दोनों का प्यार परवान चढ़ने लगा और मोनिका व निक्की ने शादी करने का फैसला भी कर दिया। दोनों के प्यार की खबर उनके परिजनों को पता चली गई। इस पर मोनिका के परिजन ने उसका घर से निकलना बंद कर दिया था। इसके बाद दो दिलों को कौन अलग करने वाला था, उन्होंने भागकर शादी करने की ठान ली।
और ऐसे खत्म...: गत १९ अगस्त को निक्की और उसके दोस्त बिट्टू ने मोनिका को भगाने की योजना बनाई। इसके लिए मोनिका ने पहले ही सहमति जता चुकी थी। इसके बाद बिट्टू ने निक्की के पिता गया प्रयाद की मारुति वैन बहन को भोपाल से लाने के बहाने से ले ली। इस काम में निक्की का बड़ा भाई सुनील भी शामिल था। तीनों ने मिलकर मोनिका को गाड़ी में बैठाया और उसे भोपाल में रहने वाले एक रिश्तेदार के घर छोड़ दिया। वे रक्षाबंधन के बाद शादी करने वाले थे। इसके बाद बिट्टू गाड़ी लेकर बैरागढ़ में रहने वाली अपनी बहन के घर चला गया और सुनील भी अयोध्या में रहने वाली अपनी बहन के घर पहुंचा। दूसरी ओर निक्की बाइक से बैरसिया स्थित अपने घर लौट आया था। गत २० अगस्त की सुबह साढ़े नौ बजे मनमोहन ने फोन कर निक्की को बैरसिया पार्क बुलाया और उसे कार में बैठाकर धर्मरा गांव ले गए। डर-सहमे निक्की ने मोनिका को अपने साथ ले जाना कबूल लिया था। मनमोहन के दबाव में आकर उसने बिट्टू को फोन कर बुला लिया। इसके बाद जगंल में मनमोहन और उसके साथियों ने बिट्टू और निक्की की जमकर पिटाई लगाई। इतना ही नहीं जब मनमोहन को यह पता चला कि उसकी साली को भगाने में सुनील का हाथ भी था, तो वह सोनकच्छ स्थित पेट्रोल पंप पहुंचा। वहां जैसे ही सुनील अपने मौसी के लड़के संतोष के साथ बहन को लेकर आ रहा था, तो मनमोहन समेत आधा दर्जन लोगों ने बस से सुनील को उतार लिया और उसे स्कार्पियो में बैठाकर अपने साथ ले गए। इसके बाद उन्होंने निक्की, बिट्टू और सुनील के साथ धर्मरा गांव के जंगल में लोहे की राड और डंडों से मारपीट की। मारपीट में निक्की की मौके पर मौत हो गई। जबकि बिट्टू औ सुनील बेहोश हो गया। उन्होंने निक्की के शव को धर्मरा गांव स्थित सड़क और सुनील व बिट्टू को गांधी नगर चौराहे के पास फेंक दिया। वहीं घायलों को 108 एंबुलेंस ने हमीदिया अस्पताल में भर्ती कराया था, जहां सुनील ने पूरी घटना के बारे में पुलिस को जानकारी दी थी।
सदमे में मोनिका: अपने प्रेमी निक्की की मौत के बाद मोनिका सदमे में है। बैरसिया पुलिस ने उसे बयान के लिए थाने बुलाया, तो उसने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया और वह आंखों में आंसू लिए चुपचाप एक कौने में बैठी रही। लाख समझाइश के बाद भी वह बोलने को तैयार नही थी।
यह हैं साजिशकर्ता: साली मोनिका के भागने से नाराज जीजा मनमोहन ने राकेश, दीपक, पप्पू नाई, राहुल बैरागी, अवध, दीनदयाल उर्फ दीनू, धर्मवीर उर्फ धन्ना और वीरेन्द्र के साथ मिलकर निक्की की हत्या की सजिश रची। इसके बाद उसने बारी-बारी से निक्की, बिट्टू और सुनील को बंधकर बनाकर उनके साथ मारपीट की थी। पुलिस ने सभी साजिशकर्ता के खिलाफ हत्या व अपहरण का मामला दर्ज कर लिया है। कहानी लिखे जाने तक पुलिस ने मोनिका के भाई दीपक को गिरफ्तार कर लिया था, जबकि बाकी के आरोपी फरार हैं।

Friday, June 24, 2011

दिनदहाड़े ननि कर्मचारी पर हमला

नगर निगम में हमला (तलैया)

मनोज राठौर

8 अप्रैल २०१० को दिनदहाड़े नगर निगम मुख्यालय में कर्मचारी लखनलाल यादव पर उसके ममेरे भाई हरीश उर्फ हरिओम ने तलवार और चाकू से हमला कर दिया। वारदात को अंजाम देकर आरोपी भागने लगा, लेकिन मेन गेट पर तैनात सुरक्षाकर्मियों ने उसे दबोच लिया। बरखेड़ी, बड़ा मोहल्ला में रहने वाले लखनलाल यादव (26) नगर निगम में चतुर्थ श्रेणी का कर्मचारी है। उसके घर के पीछे ममेरा भाई हरीश उर्फ हरिओम (25) रहता है। 8 अप्रैल को दोपहर करीब दो बजे हरीश बेटी का जाति प्रमाण बनाने के लिए ननि मुख्यालय (सदर मंजिल) पहुंचा। लखन पहली मंजिल पर काम कर रहा था। वहां से उसे हरीश जाति प्रमाण पत्र बनवाने का कहकर नीचे लेकर आ गया। वह नशे में था। इस पर लखन ने उससे कल आने का कहा। मगर, हरीश कहां जाने वाला ाा। वह पारिवारिक बात को लेकर लखन से झगड़ा करने लगा। दोनों के बीच गाली-गलौज भी हुई। हरीश ने लखन से कहा कि तूझे जान से खत्म कर दूंगा। तू समझता क्या है, सरकारी नौकरी कर रहा है, तो क्या कर लेगा। इसके बाद हरीश ने लखन के बाल पकड़ लिए और उसे घसीटते हुए परिसर से बाहर लाने लगा। दोनों के बीच झूमाझटकी हुई। इस बीच हरीश ने शर्ट में छिपा चाकू निकालकर उसके पेट में घोंप दिया। हमले में लखन की आंते बाहर निकल आई थी। लहूलुहान लखन जान बचाकर शोर मचाते हुए मुख्यालय की गेट की ओर भागा। हरीश भी तलवार और चाकू लेकर उसे पीछे गया और उसे गेट के पास पकड़ लिया। वहां उसने लखन पर तलवार और चाकू से ताबड़-तोड़ वार किए। यह नाजारा देख रहे सुरक्षाकर्मी एजाज खान, रवि, दीपक, राजेश श्रीवास्तव समेत कर्मचारी मुनवर ने हरीश को पकड़ लिया। उसके पास से तलवार और चाकू छीन ली। कर्मचारियों ने घायल लखन को तत्काल स्कूटर से हमीदिया अस्पताल पहुंचाया। हमले में घायल लखन के पेट, हाथ और गर्दन में गंभीर चोट आई है। इधर, आक्रोशित कर्मचारियों ने मिलकर आरोपी की धुनाई लगाना शुरू कर दी। उसे मार-मार का अदमरा कर दिया। यह देख सुरक्षाकर्मियों ने हरीश को भीड़ से बचाकर कार्यालय के एक कमरे में बंद कर दिया। पुलिस कंट्रोल रूम को सूचना मिलने के बाद तलैया थाना पुलिस मौके पर पहुंच गई। पुलिस कर्मियों ने आरोपी हरीश को हिरासत में लेकर उसके हथियार जब्त किए।

यह था विवाद : लखन और हरीश के परिवार के बीच छोटी-छोटी बातों को लेकर आए दिन झगड़े होते रहते थे। घटना से दो दिन पहले (6 अप्रैल की सुबह साढ़े नौ बजे) घर के बाहर बने बाथरूम में लखन स्नान कर रहा था। इस दौरान हरीश के घर की ओर से किसी ने उसपर पत्थर फेंक कर मारा। इससे उसके हाथ में चोट आई थी। इस पर लखन ने उसके परिवार के साथ गाली-गलौज कर दी। विवाद बढ़ गया और बाद में दोनों परिवार के बीच मारपीट भी हुई। हरीश का कहना है कि लखन ने उसकी मांं काशी बाई के साथ मारपीट की थी। मां के साथ हुई मारपीट का बदला लेने के लिए उसने लखन पर तलवार और चाकू से हमला किया है। इस मामले की शिकायत हरीश ने जहांगीराबाद थाने में की थी। पुलिस लखन के घर पहुंची, इसके बाद दोनों परिवार के बीच रोजाना सुबह किसी न किसी बात को लेकर विवाद होता था।

हत्या की नियत से आया था हरीश: यदि सुरक्षाकर्मी हरीश को नहीं पकड़ते तो वह लखन को जान से मार देता। उसने छह अप्रैल को हुए झगड़े का बदला लेने के लिए लखन को जान से मारने की योजना बनाई थी। इधर, नगर निगम मुख्यालय पहुंचे हरीश की नीयत के बारे में लखन को पता नहीं था, वह उसकी मदद करने के लिए उसके साथ नीचे आया। योजना के तहत उसने लखन के पेट पर बार किया था, लेकिन वह बच कर गेट की ओर भाग गया। इसके बाद आरोपी ने उसपर गेट के पास ताबड़-तोड़ वार किए। गंभीर रूप से घायल लखन का इलाज हमीदिया अस्पताल में चल रहा है पुलिस ने बताया कि वारदात को अंजाम देने पहुंचा हरीश नशे में धूत था। वह शराब पीकर लखन के पास गया था। उसका इरादा लखन को जान से मारने का था, लेकिन वक्त रहते सुरक्षाकर्मियों ने उसे दबोच लिया।

मुख्यालय में अफरा-तफरी: नगर निगम मुख्यालय (सदर मंजिल) में लखन के साथ हुई घटना के बाद अफरा-तफरी मच गई। लोगों में दहशत का माहौल था। सभी अधिकारी व कर्मचारी आॅफिस से निकल कर मुख्यालय के गेट के पास एकत्र हो गए। बाहर भी यातायात बाधित होना शुरू हो गया था। आक्रोशित कर्मचारियों ने सुरक्षाकर्मियों से आरोपी हरीश को छीना लिया और उसके साथ मारपीट की।

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लखन और हरीश के बीच पहले भी झगड़ा हुआ था, जिसकी शिकायत जहांगीराबाद थाने में की गई है। पारिवारिक विवाद के चलते दोनों पक्षों के बीच आए दिन झगड़ा होता रहता था। गत आठ अप्रैल को भी लखन और हरीश में अनबन हुई। इसके बाद हरीश सदर मंजिल पहुंचा, जहां उसने चाकू और तलवार से लखन पर हमला कर दिया। घायल और प्रत्यक्षदर्शियों के बयान पर आरोपी के खिलाफ प्राणघातक हमला और शासकीय कार्य में बाधा डालने का मामला दर्ज कर लिया है।

कमला बड़ोले, एसआई थाना तलैया

शोर मचाते हुए लहूलुहान लखन गेट की ओर भागता हुआ आया था। उसके पीछे हरीश चाकू और तलवार लिए था। यह देख हमलावर को सुरक्षाकर्मी रवि, रवि और राजेश की सहायता से पकड़ लिया। उसके पास से हथियार छुड़ा लिए। आक्रोशित कर्मचारियों से बचाकर हरीश को कमरे में बंद किय था।

एजाज खान, सुरक्षाकर्मी

रिश्तों का कत्ल

राजधानी में रिश्तों को ताक पर रखकर कत्ल हो रहे हैं। इस साल अभी तक रिश्तों का तार-तार करते हुए एक दर्जन से ज्यादा हत्याएं की घटनाएं हो चुकी है। कोई पुस्तौनी जमीन के लिए अपनी सगी बहन को मौत के घाट उतार रहा है, तो कोई रोजाना के झगड़े से तंग आकर पत्नी की नृशंस हत्या कर रहा है। इसी कड़ी में एमपी नगर इलाके में एक युवक ने अपनी पत्नी की लोहे के सब्बल से हत्या कर दी।

मनोज राठौर

17 मई 2011 की रात दो बजे एमपी नगर स्थित राजीव नगर की गलियों में सन्नाटा पसरा हुआ था। सिर्फ अकरम कुरैशी पुत्र मुन्ने (38) के घर में कुछ बच्चों की रोने की आवाज आ रही थी। यह आवाज भी थोड़ी देर तक सुनाई थी, इसके बाद मानों चारों तरफ खामोशी का दौर शुरू हो गया। अगली सुबह करीब साढ़े नौ बजे अकरम कुरैशी के घर पर एमपी नगर पुलिस और आसपड़ोस वालों की भीड़ लगी हुई थी। वहीं अकरम के बच्चे भी घर के एक कोने में खड़े होकर रो रहे थे। दरअसल, अकरम की पत्नी फिरोजा बी (36) की किसी ने लोहे के सब्बल से नृशंस हत्या कर दी है। पुलिस ने बच्चों से पूछताछ की, तो उन्होंने बताया कि रात के समय उनके पति का मां से शक हुआ था। उन्होंने ने अपने भाई के साथ मिलकर मां की हत्या कर दी। इधर, पुलिस को मौके पर अकरम भी नहीं मिला। इस पर पुलिस का शक गहरा गया।

इसलिए की हत्या: राजीव नगर निवासी अकरम कुरैशी कबाड़ा खरीदने-बेचने का काम करता है। वह अपनी पत्नी फिरोजा बी (36), बेटा सलमान (10), अमन (8), नाजमा (12) और एक सात माह के बेटे के साथ रहता है। 17 मई की रात पारिवारिक बातों को लेकर अकरम का झगड़ा पत्नी से हो गया। विवाद बढ़ने पर अकरम और उसके सौतेले भाई भूरा ने फिरोजा के साथ मारपीट शुरू कर दी। इस दौरान भूरा ने फिरोजा का मुंह दबा लिया और अकरम ने उसके सिर पर सब्बल से हमला कर दिया। इससे भी भूरा का जी नहीं भराया, तो उसने जमीन पर बेहोश पड़ी फिरोजा के सिर को पत्थर से कुचल दिया। मौके पर ही फिरोजा ने दम तोड़ दिया था। वारदात को अंजाम देने के बाद भूरा और अकरम भाग निकला। पुलिस ने आरोपी भूरा व अकरम पर हत्या का मामला दर्ज कर वारदात में प्रयोग लोहे का सब्बल व पत्थर भी बरामद कर लिया है।

..तो बच जाती जान: जिस समय अकरम भूरा के साथ मिलकर अपनी पत्नी से मारपीट कर रहा था, उस समय उसकी बेटी नाजमा और बेटा भाई सलमान की नींद खुल गई। उन्होंने मां को बचाने के लिए पड़ोसियों से मदद मांगी, लेकिन किसी ने उनकी एक नहीं सुनी। यदि समय रहते कोई पड़ोसी उनकी मदद कर देता, तो शायद फिरोजा की जान बच सकती थी।

अकरम ने बनाई हत्या की योजना: अकरम ने पुलिस को बताया कि उसने ही पत्नी की हत्या की योजाना बनाई थी। इसके तहत उसने घटना से एक दिन पहले सिरोंज निवासी अपने सौतेले भाई भूरा को घर बुला लिया। इसके बाद उसने योजनाबद्ध तरीके से पत्नी की हत्या कर दी।

झगड़े से परेशान था अकरम: पुलिस पूछताछ में अकरम ने बताया कि उसकी पत्नी उससे रोजाना पैसों की मांग करती थी। इसको लेकर उसका आए दिन पत्नी से झगड़ा होता था। इसी रोजाना के झगड़े से परेशान होकर उसने पत्नी की हत्या की योजना बनाई।

ऐसे पकड़ाए आरोपी: वारदात को अंजाम देने के बाद आरोपी अकरम आरोपी इधर-उधर भागता रहा है। लेकिन उसे पता था कि आखिर पुलिस से वह अब तक भागकर लाएगा। इसके चलते उसने भागने का अपना प्लान चैंज किया और घटना के अगले दिन सुबह ही एमपी नगर थाने पहुंच गया और पत्नी की हत्या की जानकारी पुलिस को दी। इधर, घटना स्थल पर पहुंची पुलिस की कार्रवाई अकरम ने थाने पहुंचकर आसान कर दी थी। हालांकि, अभी भी अकरम का सौतेला भाई भूरा फरार है।

कब-कब हुआ रिश्तों का कत्ल (2011)

25 फरवरी: छोला मंदिर इलाके में एक कलयुगी बेटे ने अनुकंपा पाने की गरज से अपने साथी के साथ मिलकर पिता की नृशंस हत्या कर दी।

5 मार्च: क्रिकेट मैच में हुए विवाद को लेकर श्रीराम कॉलोनी, मिसरोद में बाप-बेटों ने अपने दो रिश्तेदारों की हत्या कर दी।

19 मार्च: मिसरोद क्षेत्र में शराब पीने का विरोध करने पर पति ने अपनी पत्नी की पत्थर से कुचलकर हत्या कर दी।

28 मार्च: हबीबगंज इलाके में शराब पीने के लिए पैसों की मांग से नाराज एक युवक ने अपने जीजा को डंडे से पीट-पीटकर हत्या कर दी।

19 अप्रैल: छोला मंदिर, कल्याण नगर निवासी सरोज ने अपने प्रेमी विशाल के साथ पति रामप्रवेश साहू की गला घोंटकर हत्या कर दी।

13 अप्रैल: दमोह में रहने वाले देवी प्रसाद ने पारिवारिक विवाद के चलते पिपलानी स्थित एक निर्माणाधीन भवन से पत्नी चंदाबाई को नीचे फेंक दिया।

02 मई: बागसेवनिया इलाके में स्कूली छात्र हर्ष ने अपनी मां किरण व बहन वर्षा की लोहे के पाइप से नृशंस हत्या कर दी।

14 मई: एमपी नगर स्थित राजीव नगर झुग्गीबस्ती में एक युवक ने अपने सौतेले भाई के साथ मिलकर लोहे के सब्बल से पत्नी की हत्या कर दी।

25 मई: ईश्वर नगर निवासी विजय यादव ने पत्नी प्रेमलता के आए दिन के झगड़े से तंग आकर उसकी पत्थर से नृशंस हत्या कर दी।

14 जून: भेलकर्मी मनोज कोरी ने पत्थर से पत्नी सविता और सरिता की हत्या कर दी थी।

Thursday, June 23, 2011

मामूली विवाद में छात्र की हत्या

मनोज राठौर
14 मई 2011 शाम करीब साढ़े छह बजे भोपाल के जहांगीराबाद क्षेत्र स्थित शब्बन चौराहे पर चहल-पहल थी। लोगों की आवाजाही लगी हुई थी और चौराहे के आसपास ठेले वाले अपना-अपना सामान बेच रहे थे। इस दौरान फिल्मी स्टाइल पर तीन बाइक पर सवार होकर नौ युवक पहुंचे और उन्होंने एक बाइक पर बैठे तीन युवकों को टक्कर मारकर जमीन पर गिरा दिया। इससे पहले की तीनों युवक कुछ समझ पाते, उन्होंने उनके साथ मारपीट शुरू कर दी। इस पर तीनों युवक अपनी-अपनी जान बचाकर भागने लगे, लेकिन आरोपियों के हत्थे एक युवक चढ़ गया। आरोपियों ने बीच चौराहे पर उसके साथ मारपीट की और उसकी चाकू से हत्या कर दी। वारदात को अंजाम देने के बाद आरोपी बाइक लेकर भाग निकले। घायल युवक को उसके दो साथी निजी वाहन की सहायता से हमीदिया अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। मौके पर पहुंची पुलिस को करीब देर शाम सात बजे तक मृतक की पहचान नहीं कर पाई। काफी देर बाद जहांगीराबाद थाना प्रभारी पीएन गोयल को पता चला कि बाइक सवार द्वारा जिस युवक की हत्या की गई है उसकी पहचान स्काय अपार्टमेंट, कोहेफिजा निवासी एनएम खान के रूप में हुई है। इस पर उन्होंने तत्काल मृतक के परिजन के परिजन को घटना की सूचना दी और मृतक के दो साथियों की निशानदेही पर आरोपियों की तलाश शुरू कर दी।
इसलिए कर दी हत्या: स्काय अपार्टमेंट, कोहेफिजा निवासी एनएम खान और उनकी पत्नी शिक्षा विभाग से रिटायर्ड कर्मचारी हैं। उनका एकलौता बेटा अरशद खान(18) था, जो एक निजी कॉलेज में बैचलर आॅफ बिजनेस एडमिनिस्टेÑशन(बीबीए) की पढ़ाई कर रहा था। 14 मई को वह अपने दो दोस्त सरताज और कार्तिक के साथ एक परिचित के रिजर्वेशन के सिलसिले में हबीबगंज रेलवे स्टेशन पहुंचा। वहां काम निपटने के बाद शाम करीब छह बजे तीनों एक ही बाइक पर सवार होकर घर के लिए लौट रहे थे। इस दौरान जेल रोड पर उनकी बाइक एक अन्य युवक की बाइक से टकरा गई। इस पर अरशद और उक्त बाइक सवार युवक के बीच कहासुनी हो गई। विवाद बढ़ने पर कार्तिक और सरताज ने मामलों को शांत करवा दिया। हालांकि, युवक ने अरशद को धमकी दी थी कि शब्बन चौराहे पर मिल, तूझे देख लूंगा। उस वक्त अरशद और उसके साथियों को युवक की धमकी को हल्के में लिया। वे जैसे ही शब्बन चौराहे पर पहुंचे, वैसे ही उक्त युवक उनके पीछे से पहुंच गया। युवक के साथ उसके नौ साथी थे, जो तीन बाइकों पर सवार थे। इसके बाद आरोपियों ने अरशद को घेर लिया और उसके पेट में चाकू घोंप दिया। वारदात को अंजाम देने के बाद सभी आरोपी भाग निकले।
थाना और चेकिंग बेबहस: घटनास्थल से थोड़ी दूरी पर ही जहांगीराबाद थाना है। इतना ही उक्त स्थान पर रोजाना थाने का पुलिस प्वाइंट लगाता है। आश्चर्य की बात है कि नौ आरोपी तीन बाइक पर सवार होकर भीड़भाड़ वाले चौराहे पर पहुंचे और अरशद के साथ मारपीट कर उसकी हत्या कर दी। इसके बावजूद पुलिस को घटना की सूचना मिली। चेकिंग प्वाइंट पर कोई पुलिस कर्मी मौजूद नहीं थी, वहीं थाने का स्टाफ भी गहरी नींद में सो रहा था। यदि समय रहते पुलिस मौके पर पहुंच जाती, तो शायद अरशद की जान बच जाती।
ऐसे पकड़े गए आरोपी: पुलिस ने मृतक के साथी कार्तिक व सरताज से पूछताछ की। उन्होंने पुलिस को बताया कि आरोपी भागते समय अली नामक युवक का नाम पुकार रहे थे। इधर, पुलिस ने मौके पर मौजूद कुछ लोगों से घटना के बारे में पूछताछ की, तो उन्हें पता चला कि अरशद के साथ मारपीट करने वाले लड़के जहांगीराबाद क्षेत्र में ही रहते हैं। वह अक्सर एक झुंड में आते और चौराहे पर खड़े होकर चाय-नाश्ता करते हैं। पुलिस को पता चला कि अरशद की बाइक को जहांगीराबाद निवासी जैद ने अपनी लेडिस गाड़ी से टक्कर मार दी। इस पर उपजे विवाद के बाद जैद ने अपने साथी हारिश खान, जाहिद, माहिर, फुलकान, दाउद, विनय, अली सहित एक अन्य को आरोपी के साथ मिलकर अरशद की हत्या कर दी। आरोपियों में अधिकांश नाबालिग हैं, जबकि एक आरोपी विनय के पिता कृष्ण कुमार शर्मा पुलिसकर्मी हैं, जो डीआरपी लाइन में पदस्थ हैं। वारदात में प्रयोग गई बाइक भी पुलिस ने आरोपी विनय से जब्त की है। पुलिस ने सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।

Wednesday, June 22, 2011

अड़ीबाज छोकरी

'व्यापारी को मोबाइल फोन पर बेटे के अपहरण की धमकी देने वाली अड़ीबाज युवती को आखिरकार तलैया पुलिस ने अपने जाल में फंसा लिया। आरोपी युवती अपने बॉयफैंड के लिए पैसे एकत्र करने के लिए अड़ीबाजी कर रही थी।'
मनोज राठौर
आठ अप्रैल 2011 की सुबह कोतवाली सीएसपी मनु व्यास आॅफिस में बैठकर कुछ गंभीर मामलों की फाइलों के पन्ने पलट रहे थे। इस दौरान उनके पास घबराता हुआ हवा महल निवासी संजीव कुमार जैन पहुंचा। उसने जो कुछ भी बताया, उसे सुनकर श्री व्यास थोड़ी देर के लिए दंग रहे गए। इसके बाद उन्होंने तत्काल तलैया थाना प्रभारी अभय चौधरी को संजीव के साथ हुए घटना के बारे में बताया। श्री व्यास ने टीआई को बताया कि संजीव कुमार जैन की पीरगेट पर पान की दुकान है। उन्हें छह अप्रैल से लगातार मोबाइल फोन पर रूखसाना नामक युवती (परिवर्तित नाम) धमकी दे रही है कि यदि एक लाख रुपए नहीं दिए, तो उसके बेटे का अपहरण हो जाएगा। इस पर टीआई ने श्री व्यास के निर्देशन में एक टीम का गठन किया और योजनाबद्ध तरीके से आरोपी युवती को गिरफ्तार कर लिया।
यह थी पुलिस का जाल: टीआई श्री चौधरी ने अपनी योजना के मुताबिक आठ अप्रैल की दोपहर संजीव से रूखसाना को फोन लगवाया। फोन पर रूखसाना ने बोला कि बोलिए, कब पैसे दोगे। इस पर संजीव ने कहा कि मैंने एक लाख रुपए की व्यवस्था कर ली है, तुम मोती मस्जिद के पास आ जाना और पैसे ले लेना। बातचीत के दौरान रूखसाना ने अपनी पहचान के लिए हुलिया संजीव को बता दिया। इसके बाद निर्धारित समय अनुसार दोपहर एक बजे महिला पुलिसकर्मी सहित अन्य पुलिस अधिकारी मोती मस्जिद के आसपास सादे कपड़ों में तैनात हो गए। दोपहर का समय होने की वजय से सूरज की किरण आसमान को चीरते हुए जमीन को अंगार कर रही थी। इस तेज धूप में रूखसाना मोती मस्जिद के पास पैसे लेने के लिए पहुंची, तो उसने संजीव को इशारा किया और पैसे देने के लिए कहा। जैसे ही रूखसाना ने से पैसों से भरा लिफाफा व्यापारी से लिया, वैसे ही पुलिस कर्मियों ने उसे रंगे हाथों दबोच लिया। हालांकि, इस दौरान बीच सड़क पर रूखसाना शोर मचाने लगी थी, लेकिन महिला पुलिस कर्मियों उसे बलपूर्वक पुलिस वाहन में बैठाया और तलैया थाने लेकर आ गर्इं। पूछताछ के दौरान पुलिस अधिकारियों ने युवती के परिजन को भी थाने बुलाया लिया था।
ऐसे हासिल किया नंबर: पुलिस की पूछताछ में खुलासा हुआ कि रूखसाना संजीव के मोहल्ले में रहती है। वह बैचलर डिग्री कर रही है। उसने संजीव के बेटे की डायरी के जरिए संजीव का मोबाइल फोन नंबर हासिल किया। इसके बाद उसने पहले तो लैडलाइन नंबर से संजीव को मोबाइल फोन पर धमकी दी, लेकिन घर से निकलकर बाहर से फोन लगाने की झंझट से बचने के लिए उसने बाद में खुद के मोबाइल फोन से धमकी देना शुरू कर दिया। पुलिस ने रूखसाना के मोबाइल फोन नंबरों की जांच-पड़ताल भी की थी। इससे पुलिस को उसके नाम व पते की जानकारी मिल चुकी थी।
बॉयफैंड के लिए अड़ीबाजी: तलैया पुलिस ने संजीव की शिकायत पर रूखसाना पर अड़ीबाज का मामला दर्ज किया था। पूछताछ में उसने पुलिस को बताया कि वह अपने बॉयफैंड को 50 हजार रुपए देना चाहती थी, इसलिए उसने व्यापारी से एक लाख रुपए की अड़ीबाजी की। हालांकि, उसने पुलिस को अपने बॉयफैंड का नाम, पता और पैसे देना का कारण नहीं बताया है। रूखसाना का रिश्ता भी तय हो गया है और उसकी जल्दी शादी भी होने वाली है। इसके चलते पुलिस ने उससे सख्ती से पूछताछ नहीं की और मामले को अपनी ओर से जाने दिया।
एक महिला पर डाल चुकी है अड़ी: पुलिस को शुरूआती पूछताछ में यह भी पता चला कि व्यापारी के साथ अड़ीबाजी करने से पहले रूखसाना अपने मोहल्ले में रहने वाली एक महिला से भी अड़ीबाजी कर चुकी है। उसने महिला को धमकी दी कि यदि उसने जल्द ही 50 हजार रुपए नहीं दिए, तो वह उसकी शादी रूकवा देगी। यह बात जब मोहल्ले वालों को पता चली, तो उन्होंने रूखसाना को समझाइश देकर मामला शांत करवा दिया। इसके बाद उसने संजीव से अड़ीबाजी करना शुरू की।
तलैया पुलिस ने व्यापारी संजीव कुमार जैन की शिकायत पर युवती के खिलाफ अड़ीबाजी का मामला दर्ज किया है। व्यापारी ने आकर मोबाइल फोन पर युवती द्वारा धमकी दिए जाने की बात बताई थी। इसके बाद पुलिस ने युवती को हिरासत में लिया।
मनु व्यास, कोतवाली सीएसपी

Tuesday, June 21, 2011

जल्लाद भाई

एनआरआई बहन हत्याकांड

मनोज राठौर

बागसेवनिया इलाके के साकेत नगर निवासी मुरलीधर यादव पति शकुंतला यादव बीएचईएल के सेवानिवृत्त इंजीनियरिंग हैं। उनके बेटे दिनेश और दो बेटियों की शादी हो चुकी थी। उनकी मंजली बेटी शोभा उर्फ सोनू और उसका पति कपिल अमेरिका में इंजीनियरिंग थे। वहीं दिनेश की जनरल स्टोर की दुकान थी। दिनेश माता-पिता के साथ ही रहता था, उसके परिवार में पत्नी गायत्री व दो हर्षित व वेदांत है। कुछ दिनों पहले ही वीजा के सिलसिला में शोभा अपने पति कपिल के साथ भोपाल आई थी। वीजा बनने में देरी हुई, तो कपिल पत्नी को दिनेश के घर छोड़कर बैंगलोर चला गया। तीन मई 2011 की सुबह सात बजे शोभा कीचन में कस्तुरबा अस्पताल में भर्ती पिता मुरलीधर व माता के लिए नाश्ता तैयार कर रही थी। इस दौरान सम्पत्ति की लालच में मदहोश दिनेश ने योजनाबद्ध तरीके से पत्नी गायत्री और बच्चों को दूध लेने के लिए घर से बाहर भेज दिया। इसके बाद उसने क्रिकेट बेट से कीचन में नाश्ता तैयार कर रही बहन शोभा पर हमला कर दिया। हमले में शोभा बेहोश होकर फर्श पर गिर गई। इसके बाद भी दिनेश का मन नहीं भरा और उसने सब्जी काटने के चाकू से बहन पर ताबड़तोड़ बार किए। वारदात को अंजाम देने के बाद दिनेश कपड़े बदलकर बाइक से भाग निकला। हालांकि, घर से निकलते समय दिनेश रास्ते में पत्नी गायत्री से टकराया था, लेकिन वह पत्नी से थोड़ी देर में घर आने का कहकर निकल गया। जब गायत्री अपने बच्चों के साथ घर पहुंची, तो कीचन का दृश्य देखकर उसके होश उड़ गए। फर्श पर खून में लतपत शोभा पड़ी हुई थी। उसने पड़ोसियों की मदद से पुलिस को घटना की सूचना दी। मौके पर पहुंची एएसपी मोनिका शुक्ला, एसडीओपी सारिका शुक्ला, बाग सेवनिया टीआई सीपी द्विवेदी ने घटना स्थल की जांच करते हुए फरार दिनेश की तलाश शुरू कर दी। उसकी तलाश में पुलिस ने चार टीमें बनाई और संभावित स्थानों पर छापामार कार्रवाई के लिए उन्हें रवाना भी कर दिया। इधर, शोभा की हत्या के तीन दिन के बाद जल्लाद भाई दिनेश ने क्राइम ब्रांच के सामने सरेंडर कर दिया।

सम्पत्ति के लिए बना हत्यारा: मुरलीधर ने दोनों बेटियों को खूब पढ़ाया और उन्हें अपने-अपने पैरों पर खड़ा कर दिया। उनकी दोनों बेटियां पढ़-लिखकर इंजीनियर बन गई, लेकिन दिनेश ने कोई तरक्की नहीं की। इसके चलते उसके पिता ने उसे एक जनरल स्टोर खुलवा दी। इधर, मुरलीधर ने तीन साल पहले शोभा की शादी कपिल से की। कपिल भी पेश से इंजीनियर था। सो, वह पत्नी को भी अमेरिका ले गया, जहां शोभा भी एक कंपनी में बतौर इंजीनियर के काम करने लगी। हालांकि, एक बात दिनेश को हमेशा खलती थी कि वह जिंदगी में कुछ नहीं कर पाया और उसकी बहनें इंजीनियर बन गई। दिनेश को लग रहा था कि उसके पिता सम्मत्ति में से बेटियों को भी हिस्सा देंगे। यही बात उसने गांठ बांध कर रख ली। इसके बाद उसने बहनों को रास्ते से हटाने की योजना बनाई। एक मई को सम्पत्ति को लेकर दिनेश का झगड़ा पिता मुरलीधर से भी हुआ था। उसने योजना के तहत पहले पिता को तबीयत खराब होने का कहकर कस्तुरबा अस्पताल में भर्ती कराया। इतना ही नहीं उसने उनकी देखरेख करने के लिए मां को भी अस्पताल में भेज दिया। घर पर वह, उसकी पत्नी व बच्चे सहित छोटी बहन शोभा थी। इसका फायदा उठाकर उसने तीन मई की सुबह पत्नी और बच्चों को दूध लेने के लिए बाहर भेज दिया और बहन की नृशंस हत्या कर दी।

काश! मैं अपने साथ ले गया होता: पत्नी शोभा की हत्या की खबर सुनने के बाद अगले ही दिन कपिल बेंगलौर से भोपाल पहुंचा। अंतिम संस्कार के दौरान उसका रो-रोकर बुरा हाल था। वह एक ही बात कह रहा था कि काश मैं शोभा को अपने साथ ले जाता, तो यह नहीं होता। साथ ही जवान बेटी की मौत से मुरलीधर और उनकी पत्नी शकुंतला भी बहुत दुखी थी। उनको भरोसा नहीं हो रहा था कि उनका बेटा सम्पत्ति के लिए इतना बड़ा कदम उठा लेगा।

दो घंटे तक रोया दिनेश: पूछताछ के दौरान दिनेश एसडीओपी सारिका शुक्ला के सामने दो घंटे तक रोता ही रहा। उसने कहा कि उसके पिता उसे बहुत प्यार करते हैं, लेकिन मां और बहने उसे नहीं चाहती थी। मां के बहकावे में आकर पिता भी उससे नफरत करने लगे थे। उसे डर था कि कहीं उसके पिता पूरी संपत्ति दोनों बहनों के नाम न कर दे। उसने पुलिस को बताया कि उसके चाचा उनकी काफी संपत्ति हड़प चुके हैं और बहनों के माध्यम से शेष संपत्ति भी हथियाना चाहते थे। आरोपी दिनेश पुलिस को बताया कि उसने सुनियोजित ढंग से बहन की हत्या की है। उसने बहन के साथ चाचा की हत्या की योजना भी बनाई थी। हालांकि, बहन की हत्या के बाद दिनेश घबरा गया और पुलिस से जान बचाकर इधर-उधर छुपने लगा।

मोबाइल फोन फेंका: हत्या की वारदात को अंजाम देने के बाद दिनेश बाइक से होशंगाबाद रोड पर निकल गया। रास्ते में उसने बाइक खड़ी की और बस पकड़कर हरदा चला गया। हरदा में उसने अपना मोबाइल फोन भी फेंक दिया। इसके बाद वह कामायनी एक्सप्रेस से खंडवा के पास एक स्टेशन पर उतर गया। शाम तक वह वहीं रहा और देर रात वह भोपाल आ गया, जहां उसने क्राइम ब्रांच के सामने सरेंडर कर दिया।

Sunday, June 19, 2011

आशिक के लिए पति को अलविदा

पति को छोड़ आशिक के साथ ज्यादा समय बीताना एक युवती की आदत में सुमार हो गया था। लेकिन एक दिन उसके पति ने उसे आशिक के साथ कम कपड़ों में देख लिया। इसका विरोध करने पर युवती ने प्रेमी के साथ मिलकर पति की गला दबाकर हत्या कर दी।
मनोज राठौर
पुराने शहर के छोला मंदिर थाने में 19 अप्रैल 2011 की रात करीब दस बजे एक युवती ने फोन लगाया। उसने पुलिसकर्मी को अपना नाम सरोज बताया हुए कहा कि मेरे पति की अधिक शराब पीने से मौत हो गई है। उनकी लाश घर में पड़ी हुई है। कोई मदद के लिए नहीं आ रहा है। इस पर थाना स्टाफ सरोज के बताए गए पते कल्याण नगर पहुंचा और वहां 30 वर्षीय रामप्रवेश पुत्र हरदेव साहू की लाश बरामद की। पुलिस ने पंचनामे की कार्रवाई कर लाश को पोस्टमार्टम के लिए हमीदिया अस्पताल भेज दिया था। इस दौरान पुलिस ने कॉलोनी में रहने वाले कुछ लोगों से जानकारी जुटाई, तो उन्हें पता चला कि सरोज के चाल-चलन ठीक नहीं थे। उसके घर पर एक युवक का आना-जाना था। इसी को लेकर अक्कसर पति-पत्नी के बीच झगड़ा होता था। यह जानकारी थाना स्टाफ ने टीआई आरबी कटियार को बताई, तो उन्होंने बिना समय गवाते हुए सरोज को महिला पुलिस की सहायता से हिरासत में ले लिया और उससे पूछताछ की। प्रारंभिक पूछताछ में वह आनाकानी करने लगी, लेकिन सख्ती बरतने पर उसने अपने प्रेमी विशाल के साथ पति रामप्रवेश की गला दबाकर हत्या करना स्वीकार की।
ऐसी की हत्या: कल्याण नगर निवासी रामप्रवेश मूल रूप से ग्राम भौंरी गोपालगंज (बिहार) का रहने वाला था। वह दो साल पहले ही बिहार से भोपाल में आकर रहने लगा। वह मिस्त्री का काम कर पत्नी सरोज (28) और तीन बच्चों का पालन-पोषण करता था। घटना से छह दिन पहले की बात है। रामप्रवेश ने पत्नी से कहा कि तू जल्दी अपने चाल-चलन सुधार ले, वरना किसी दिन बहुत बुरा होगा। इस दौरान उसने दोस्त विशाल (18) के घर में आने को लेकर भी एतराज जताया था। इस पर सरोज बिगड़ गई और उसने कहा कि तुम मेरे चरित्र पर शक करते हो। इसके बाद तो पति-पत्नी के बीच जमकर विवाद हुआ। आखिर में रामप्रवेश बिहार भाग जाने के लिए धमकी देकर घर से चला गया और कई दिनों तक लौटकर घर नहीं आया। इधर, पति के घर से चले जाने का दुख सरोज को नहीं था, क्योंकि उसकी सभी जरूरतें विशाल पूरी जो कर रहा था। मगर 19 अप्रैल 2011 की रात साढ़े नौ बजे रामप्रवेश अचानक घर पर आ धमका। उसने दरवाजा खटखटाया और सरोज को आवाज लगाई, लेकिन किसी ने गेट नहीं खोला। इस पर वह चोरी-छुपे दीवार के सहारे छत पर चढ़ गया। किसी तरह वह घर के आंगन में पहुंचा, तो उसने देखा कि उसके कमरे का दरवाजा अंदर से बंद है। सो, रामप्रवेश फिर छत पर चढ़ गया और छत पर चढ़ी लोहे की चादर को ऊपर कर कमरे में झांक कर देखने लगा। कमरे के अंदर का दृश्य को देखकर उसके होश उड़ गए। वह खुद को रोक नहीं पाया और चादर को हटाकर कमरे के अंदर कूद गया। पलंग पर उसकी पत्नी सरोज और साथी विशाल सो रहा था। उनके शरीर पर कपड़े न के बराबर थे। पत्नी को ऐसी हालत में देखकर उसका खून खोल गया और उसने विशाल के साथ मारपीट शुरू कर दी। इधर, प्रेमी विशाल को पिटता देखक सरोज खुद को रोक नहीं पाई और उसने पति के दोनों हाथ पकड़कर उसे पलंग पर पटक दिया। इसी बीच विशाल ने रामप्रवेश के दोनों पैर पकड़ लिए थे। फिर क्या था, प्रेमी के प्यार के नशे में चूर सरोज ने अपने ही पति का गला दबाकर उसकी हत्या कर दी और घर से विशाल को भागा दिया। इसके बाद सरोज ने छोला मंदिर थाने में पति के मृत अवस्था में पड़े होने की सूचना दी।
आए दिन होता था झगड़ा: इस मामले की जांच कर रहे लालजी त्रिपाठी ने बताया कि अवैध संबंध की बात को लेकर रामप्रवेश और उसकी पत्नी सरोज के बीच आए दिन झगड़ा होता था। झगड़े के दौरान पत्नी को सबक सीखाने के उद्देश्य से अक्सर रामप्रवेश कुछ दिनों के लिए घर छोड़कर बाहर चला जाता था। इसका फायदा उसका साथी विशाल उठाता था। वह मौके पाकर सरोज के घर पहुंच जाता और उसके साथ लंबा समय गुजराता था। दरअसल, विशाल रामप्रवेश के गांव का रहने वाला है। इसके चलते ही सालों से विशाल का रामप्रवेश के घर पर आना-जाना था। इस आने-जाने के दौरान विशाल की नजर उसकी पत्नी सरोज पर पड़ गई और उसने कम उम्र में उससे शारीरिक संबंध बना लिए। काम में व्यस्त होने के कारण उसे पत्नी के बारे में पता नहीं चला। वहीं दो साल पहले ही रामप्रवेश पत्नी और बच्चों को लेकर भोपाल आ गया। इधर, विशाल भी खुद को रोक नहीं पाया और वह भी भोपाल आ गया। विशाल दिन के समय सरोज के पास चला जाता था और शाम को रामप्रवेश के काम से लौटने से पहले भाग निकलता। सालों से सरोज और विशाल के बीच में चल रही रास-लीला की चर्चा कॉलोनी में आम होने लगी थी। यह बात किसी ने रामप्रवेश को बताई, तो उसने विशाल के घर पर आने पर अपत्ति जताना शुरू कर दी। हालांकि, यह बात सरोज का न गबार गुजरी और उसने पति का विरोध करना शुरू कर दिया। इसके चलते ही पति-पत्नी के बीच आए दिन झगड़े होने लगे। सरोज का आरोप था कि पति शराब पीकर उसके साथ मारपीट करता था।

Saturday, June 18, 2011

सिक्कों का सौदागर

नकली नोट के कारोबारियों के बाद राजधानी में भारतीय सिक्कों को गलाकर उससे निकलने वाली धातुओं को ऊंचे दामों में बेचने वाले सौदागर भी सक्रिय हो गए हैं। क्राइम ब्रांच के हत्थे एक सिक्कों का सौदागर चढ़ा है, जो पिछले चारसालों से सिक्कों की खरीद-फरोख्त में लिप्त था...

मनोज राठौर
2011 अप्रैल महीनें के शुरूआती सप्ताह में एएसपी क्राइम ब्रांच मोनिका शुक्ला को उनके के एक मुखबिर ने सूचना दी कि भोपाल के बाजारों में एक ऐसा गिरोह सक्रिय है, जो मार्केट से भारतीय सिक्कों को ज्यादा दामों में खरीदता और उसे बड़ी संख्या में गलाकर उनसे निकलने वाली धातुओं को ऊंचे दामों पर बेचता है। गिरोह के सदस्य माल को ट्रांसपोर्ट के जरिए महाराष्ट्र भेजते हैं। गिरोह की इस जमाखोरी के चलते बाजार में सिक्कों की कमी होने लगी है। इस सूचना को गंभीरता से लेते हुए श्रीमती शुक्ला ने गिरोह को पकड़ने के लिए उप पुलिस अधीक्षक एसएम जैदी के नेतृत्व में क्राइम ब्रांच और हनुमानगंज थाने के पुलिस कर्मियों व अधिकारियों की एक विशेष टीम बनाई। इस टीम ने दिन-रात एक कर गिरोह के एक सौदागर का सुराग लगा लिया। पुख्ता जानकारी व सबूत एकत्र करने के बाद टीम ने 12 अप्रैल की शाम पांच बजे न्यू कबाडखाना स्थित राजदेव कॉलोनी निवासी कमलेश कुमार जैन पुत्र नंदकुमार जैन (30) के घर पर छापामार कार्रवाई की। पुलिस टीम ने उसके घर से पिघले हुए सिक्कों की धातु वजनी करीब 1.388 किलो तथा भारतीय मुद्रा के रूप में प्रचलित सिक्के नए-पुराने चलन वाले व गैर चलन वाले छोट सिक्के (जिनका वजन 60 किलो 800 ग्राम) व एक इलेक्ट्रॉनिक कांटा बरामद किया। कमलेश के पास इतनी बड़ी संख्या में जमा किए गए भारतीय सिक्कों व पिघले हुए सिक्कों की धातु को अपने पास रखने के संबंध में कोई वैध दस्तावेज नहीं थे और न ही उसके पास सिक्के रखने का कोई पुष्टिकारक कारण था। इस पर हनुमानगंज पुलिस ने आरोपी कमलेश पर छोटे सिक्के (अपराध) अधीनियम 1971 की धारा चार के तहत दंडनीय जुर्म के तहत मुकदमा कायम कर लिया।
सालभर में एक टन सिक्कों का कारोबार गिरोह के तार महाराष्ट्र से जुड़े हुए हैं। आरोपी कमलेश के घर से एक-दो रुपए के 11,007 सिक्के, जिनका वजन करीब 60 किलो और पिघले सिक्कों की करीब 1.388 ग्राम धातु सहित एक इलेक्ट्रॉनिक कांटा मिला था। पूछताछ में कमलेश ने क्राइम ब्रांच को बताया कि वह भोपाल स्थित बाजारों के फुटकर व्यापारियों से एक-दो के सिक्कों को पांच प्रतिशत से ज्यादा मूल्य पर खरीदता था। वह 10-15 दिनों में करीब 100 किलो वजन के सिक्के एकत्र कर लेता था। इस हिसाब से कमलेश सालभर में एक टन सिक्को का कारोबार करता था। कमलेश सिक्कों को 12-15 प्रतिशत से ज्यादा पर खंडवा के व्यापारी रवि सिंधी व अशोक सिंधी को बेचता था। साथ ही वह कुछ माल को गलाकर धातु की सप्लाई सीधे महाराष्ट्र में भी करता था। कमलेश ने 15 मार्च एवं चार अप्रैल को भोपाल के एक ट्रांसपोर्ट के जरिए 1200 किलो सिक्कों को महाराष्ट्र के लिए बुक करवाया था। पुलिस गिरोह से जुड़े खंडवा के व्यापारी रवि व अशोक सहित अन्य आरोपियों की जानकारी जुटा रही है।
महाराष्ट्र भेजा जाता माल सिक्कों की कालाबाजारी करने वाले गिरोह का नेटवर्क प्रदेश सहित दूसरे राज्यों में फैला हुआ है। गिरोह में भोपाल का एजेंट कमलेश था, जबकि खंडवा का कारोबार रवि व अशोक संभालते थे। इसी तरह अन्य जगहों के एजेंटों की जानकारी भी पुलिस जुटा रही है। गिरोह के सदस्य सालभर में टनों से भारतीय सिक्कों को नष्ट कर उससे निकलने वाली धातु को महाराष्ट्र भेजते हैं। महाराष्ट्र की एक फैक्टरी में धातु से सिल्वर, कॉपर सहित अन्य धातुओं को अलग-अलग किया जाता और बाद में उसे ऊंचे दामों पर बेचा जाता।

Monday, June 13, 2011

शराब बनी मौत की वजह

अब्दुल रहीम शराब के लिए इतना पागल हो गया कि वह उसका नशा करने के लिए ससुराल पक्ष से पैसे की मांग करने लगा। उसकी इस हरकत से तंग आकर उसके साले शमीन ने उसकी डंटे से पिटकर हत्या नृशंस कर दी।

मनोज राठौर

हबीबगंज सीएसपी राजेश सिंह भदौरिया 28 मार्च 2011 की शाम करीब साढ़े पांच बजे इलाके में भ्रमण कर रहे थे। इस दौरान उन्हें मोबाइल फोन पर सूचना मिली कि हबीबगंज इलाके बिटटन हार्ट बाजार में एक व्यक्ति की नृशंस हत्या कर दी गई है। इस पर वह तत्काल हबीबगंज थाना टीआई सुरेश दामले सहित पुलिस स्टाफ के साथ मौके पर पहुंचे। वहां एफएसएल की टीम भी पहुंच चुकी थी। एफएसएल टीम फिंगर सहित अन्य सबूत कलेक्ट कर रही थी, तभी श्री दामले ने सीएसपी को बताया कि व्यक्ति की हत्या उसके ही सगे साले ने की है। इसके तत्काल बाद ही पुलिस की एक टीम ने फरार हत्यारे को गिरफ्तार कर लिया। मृतक की शिनाख्त जिंसी निवासी अब्दुल रहीम उर्फ चुन्नू (40) के रूप में हुई। वहीं उसकी हत्या करने वाला उसका ही सगा साला अहमद कॉलोनी निवासी मोहम्मद शमीम पुत्र मोहम्मद वसीर (38) था।

यह है हत्या की वजह अहमद कॉलोनी में रहने वाला मोहम्मद शमीम फल व्यापारी है। वह बिट्टन हाट बाजार में फुटकर फल बेचता था। पूछताछ के दौरान उसने जो कुछ भी सीएसपी और टीआई को बताया, वह चौंकाने वाला था। शमीम ने अधिकारियों को बताया कि जीजा रहीम अक्कसर शराब पीने के लिए उससे तथा उसके परिजनों से पैसे मांगता था। कई बार तो उसे पैसे दिए गए, लेकिन उसकी आदत बिगड़ती जा रही थी। अब रहीम पैसे मांगने के लिए साले की बिट्टन हाट बाजार स्थित फल की दुकान पर जाने लगा। एक-दो बार उसे पैसे भी मिल गए, लेकिन शमीम ने इस कहानी का अंत 28 मार्च की शाम साढ़े पांच बजे कर दिया। उक्त समय पर रहीम साले की दुकान पर पहुंचा और शराब पीने के लिए पैसों की मांग करने लगा। इस पर शमीम ने जीजा को बताया कि अभी-अभी उसने दुकान खोली है और दुकान पर एक भी ग्राहक नहीं आया है। ऐसी स्थिति में पैसे कहां से दूंगा। इसके बाद भी शमीम नहीं मना और पैसों की बात को लेकर अड़ गया। शमीम तीन मर्तबा जीजा को समझाते हुए मिनी बस स्टाप तक छोड़कर आया, लेकिन वह वापस उसकी दुकान पर आ गए। इसको लेकर दोनों के बीच गाली-गलौच भी हुई। मगर, विवाद बढ़ने पर शमीन ने रहीम के सिर पर डंडे से हमला कर दिया। हमले में घायल रहीम बेहोश होकर जमीन पर गिर गया। उसे स्थानीय लोगों की सहायता से एक निजी अस्पताल पहुंचाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

आर्थिक तंगी से जुझ रहा था शमीम जिंसी निवासी अब्दुल रहीम उर्फ चुन्नू (40) प्राइवेट काम करता था। उसके दो बेटे हैं। रहीम की पत्नी की दो साल पहले टीवी की बीमारी के चलते मौत हो गई थी। उसने पत्नी के इलाज में काफी पैसा भी खर्च किया, लेकिन डॉक्टर उसे नहीं बचा सके। पत्नी की मौत के बाद रहीम गुमसुम और अकेला रहने लगा। इस दौरान उसने शराब पीना शुरू कर दी थी। नशे की लत के चलते वह आर्थिक रूप से कमजोर हो गया और एक-एक रुपए को तरसने लगा। इसके बावजूद उसने शराब नहीं छोड़ी। वह अक्कसर अपनी ससुराल चला जाता और ससुर सहित अन्य सदस्यों से शराब पीने के लिए पैसे ले लेता। जब ससुराल पक्ष ने उसे पैसे देना बंद कर दिए, तो वह बिटटन हाट बाजार स्थित अपने साले शमीम की फल की दुकान पर जाने लगा। शमीम ने जीजा को कुछ दिन तक पैसे भी दिए, लेकिन वह जीजा की रोजाना की पैसे मांगने की आदत से परेशान आया गया था।




Tuesday, June 07, 2011

चवन्नी छाप लुटेरे

जिंदगी की पहली लूट और वह भी चवन्नी छाप। इसका मलाल चार युवकों को जिंदगी भर रहेगा। उन्होंने चाचा-भतीजों को अपना निशाना बनाया, लेकिन उनसे एक मोबाइल फोन और सात रुपए ही मिले। इस पर बदमाशों ने कहा कि जिंदगी की पहली लूट की और इन फकीरों ने हमे चवन्नी छाप लुटेरा बना दिया।
मनोज राठौर
गांधी नगर थाना प्रभारी नीरज वर्मा 21 मार्च 2011 को रात्रि गश्त पर थे। इस दौरान रात करीब साढ़े तीन पुलिस कंट्रोल रूम से उन्हें वायरलैस सेट पर मैसेज मिला कि चार लुटेरे खजूरी इलाके में एक युवक को लूटने के बाद सफेद रंग की इंडिका से गांधी नगर बायपास की ओर भागे हैं। इस पर श्री वर्मा ने एएसआई वीरेंद्र उईके, आरक्षक राहुल गुरु, सुनील झा, हरीसिंह व वरुण मिश्रा के साथ मिलकर गांधी नगर स्थित गणेश मंदिर के सामने नाकेबंदी कर दी। नाकेबंदी के लिए बेरीकेड्स नहीं मिले, तो उन्होंने थाने की टेबल और कुर्सी तक सड़क पर रख दी। श्री वर्मा अपने स्टाफ के साथ सड़क पर खड़े हो गए और इंडिका के आने का इंतजार करने लगे। इस दौरान उन्हें अपनी ओर आती एक तेज रफ्तार इंडिका दिखी, तो सभी पुलिसकर्मी ने अपना-अपना मोर्चा संभाल लिया और इंडिका को रोक लिया। पुलिस की फौज को देखकर आरोपी समझ गए कि यह जाल उनके लिए ही बिछाया गया है। सो, आरोपी भागने की कोशिश करने लगे, लेकिन पुलिस कर्मियों ने एक भी आरोपी को भागने नहीं दिया। आरोपी की पहचान बैरागढ़ मछली मार्केट निवासी विक्रम उर्फ विक्की पुत्र किसन राजवंश (22), बैरागढ इंद्रा नगर कॉलोनी निवासी संदीप पुत्र बाबूलाल डागोर (20) मुकेश पुत्र रामभरोस यादव (18) और नई बस्ती भैंसाखेड़ी निवासी राजेश पुत्र कांता प्रसाद शर्मा (23) के रूप में हुई। पुलिस ने विक्रम और मुकेश के पास से एक-एक चाकू, राजेश के पास से इंडिका (एमपी 04 टी 7739) और संदीप के पास से एक गुप्ती बरामद की है। उनके पास से लूट का मोबाइल फोन और नकद राशि भी मिली थी।
दूसरी वारदात के चक्कर में धराए: पुराना शहर एसपी अभय सिंह ने बताया कि ग्राम साइस्ताखेड़ी निवासी सुरेंद्र त्यागी और उनके चाचा कैलाश चिरायु अस्पताल में सुरक्षा गार्ड हैं। वह 21 मार्च की रात करीब साढ़े 11 बजे अस्पताल से बाइक पर सवार होकर घर लौट रहे थे। इस दौरान खजूरी इलाके के खामला खेड़ी के पास उनकी बाइक को इंडिका सवार चार बदमाशों ने रोक लिया। इससे पहले की चाचा-भतीजे कुछ समझ पाते, आरोपियों ने उनके साथ मारपीट शुरू कर दी और तलाशी लेते हुए सुरेंद्र की पेंट की जेब से एक मोबाइल फोन निकाल लिया। हालांकि, चाचा-भतीजे के पास नकदी के रूप में केवल सात रूप ही मिले थे। इस दौरान बदमाशों ने आपस में बातचीत करते हुए कहा कि साली, जिंदगी की पहली लूट और इन फकीरों ने हमें चवन्नी छाप लुटेरा बना दिया। मगर इतने पर भी चारों आरोपियों ने हिम्मत नहीं हारी और दूसरी लूट की वारदात को अंजाम देने के लिए फंदा की ओर निकल पड़े। इधर, सुरक्षा गार्ड सुरेंद्र की शिकायत पर खजूरी पुलिस ने शहर के अन्य थाना पुलिस के साथ इंडिका सवार लुटेरों की तलाश शुरू कर दी थी। आरोपी दूसरी वारदात को अंजाम देने से पहले ही गांधी नगर पुलिस के हत्थे चढ़ गए।
शराब पीने के आदी थे आरोपी: लूट का मास्टर माइंट राजेश शर्मा है। उसके पास मिली इंडिका उसके पिता कांताप्रसाद के नाम से रजिस्टर्ड है, जिसे उन्होंने अल्पना तिराहा स्थित गुरुकृपा ट्रेवल्स पर इंदौर-भोपाल रूट लगा रखा था। पूछताछ में राजेश ने पुलिस को बताया कि उनका इरादा किसी के साथ लूटपाट करने का नहीं था, लेकिन घटना वाली रात हालात कुछ ऐसे बन गए कि लूट करना मजबूरी बन गई। घटना वाली रात राजेश अपनी इंडिका को लेकर खजूरी स्थित एक डाबे पर गया था। इस दौरान उसके साथ उसके साथी संदीप, विक्रम और मुकेश भी थे। शराब पीने के लिए पैसे कम पढ़ने पर राजेश ने साथियों के साथ मिलकर राहगीरों को लूटने की योजना बनाई। यह उनकी पहली लूट थी, इसलिए सभी को डर भी लग रहा था।
फरारी काट रहा था विक्रम: आरोपी संदीप, राजेश और मुकेश का कोई आपराधिक रिकार्ड नहीं है। मगर, विक्रम पर बैरागढ़ थाने में नकबजनी, मारपीट और हत्या के प्रयास सहित 13 आपराधिक मामले दर्ज हैं। विक्रम का आपराधिक रिकार्ड को देखते हुए बैरागढ़ पुलिस घटना से सप्ताहभर पहले उस पर जिला बदर का प्रकरण भी तैयार कर चुकी थी। वह बैरागढ़ में हत्या के प्रयास के सहित कई मामलों में फरारी काट रहा था।

कर्जदार लुटेरे

मनोज राठौर
भोपाल के तलैया थाने में गत 14 मार्च 2011 की रात पुलिसकर्मी अपना-अपना काम निपटाने में व्यस्थ थे। इस दौरान सिपाही हरिशंकर मिश्रा को सूचना मिली कि दो संदिग्ध युवक शाहजहांनी पार्क के पास केवड़ा बाग रोड पर अंधेरे में खड़े हैं। इतना ही नहीं मुखबिर ने उन्हें यह भी बताया कि उक्त युवक लूटपाट करने के इरादे से खड़े हुए हैं। इस पर बिना समय गवाए श्री मिश्रा ने संदिग्ध युवकों की जानकारी अपने टीआई अभय चौधरी को दी। टीआई साहब ने भी समझदारी का परिचय देते हुए सीएसपी मनु व्यास को घटना से अवगत कराया। इस पर श्री व्यास ने टीआई के नेतृत्व में एक टीम गठित की और तुरंत मौके पर पहुंचकर संदिग्ध युवकों को हिरासत में लेने के लिए कहा। टीआई के नेतृत्व में मौके पर पहुंचे एएसआई डीएस दुबे, हवलदार कलीमउद्दीन, साबिर खान, ओमप्रकाश, लखन लाल, सिपाही एहसान खान, मोहन लाल, सुदीप व राजकुमार ने केवड़ा बाग रोड के चारों तरफ से घेराबंदी कर बाइक सहित दोनों युवकों को दबोच लिया। प्रारंभिक पूछताछ में दोनों युवकों ने पुलिस को गुमराह किया, लेकिन बाद में पुलिस अधिकारियों द्वारा सख्ती बरतने पर आरोपियों ने तलैया इलाके में एक व्यापारी के साथ लूटपाट करना स्वीकार किया। उन्होंने पुलिस को बताया कि वे केवड़ा रोड पर लूटपाट करने के इरादे से खड़े थे, लेकिन कोई शिकार नहीं मिलने के कारण उन्हें वहां अधिक समय बीताना पड़ा। उन्होंने लूटपाट के पीछे जो कारण बताया, उसे सुनकर टीआई और सीएसपी भी थोडेÞ समय के लिए दंग रह गए। आरोपियों ने बताया कि वे कर्जदार हैं और इस कर्जे को चुकाने के लिए उन्होंने लूटपाट की घटनाओं को अंजाम देने की योजना बनाई थी। आरोपी की पहचान निशातपुरा इलाके के शिवनगर कॉलोनी निवासी टिंकू उर्फ श्याम नामदेव पुत्र स्व. रामगोपाल (23) और छोला मंदिर थाना क्षेत्र स्थित हनुमान मंदिर के पास रहने वाले करन महावर पुत्र अशोक (25) के रूप में हुई है। पुलिस ने आरोपियों को व्यापारी से लूट करने के मामले में सेंट्रल जेल भी भेज दिया है।
पहली लूट व्यापारी के साथ: हवा महल रोड निवासी प्रहलाद दास अग्रवाल (60) की आजाद मार्केट में अग्रवाल नाम से कपड़ों की दुकान है। उनके पड़ोस में उनके रिश्तेदार मुकेश की कपड़ों की दुकान भी है। वह एक मार्च की रात करीब साढ़े 11 बजे दुकान बंद कर मुकेश की बाइक पर सवार होकर घर पहुंचे। मुकेश ने जैसे ही श्री अग्रवाल को घर के सामने उतारा, वैसे ही बाइक सवार नकाबपोश टिंकू और उसके साथी करन ने उनसे नोटों से भरा बैग छीन लिया। बैग में करीब 29 हजार रुपए से ज्यादा की राशि थी। इस दौरान मुकेश ने अपनी बाइक से आरोपियों का पीछा रॉयल मार्केट, शाहजहांनाबाद, मिलेट्री गेट और टीला जमालपुरा तक किया था, लेकिन आरोपी बाइक लेकर टीला जमालपुरा स्थित इंद्रा नगर की तंग गलियों में भाग निकले। पुलिस पूछताछ में टिंकू ने यह खुलासा किया है कि पांच साल पहले वह व्यापारी श्री अग्रवाल के दुकान पर सेल्समेन का काम करता था। मगर, किसी कारणवश श्री अग्रवाल ने उसे नौकरी से निकाल दिया था। सालभर नौकरी करने के चलते उसे श्री अग्रवाल हर एक पल की खबर थी। इसके चलते ही उसनेकरन के साथ व्यापारी का दुकान से पीछा किया और उनके घर के पास उनसे बैग छीनकर भाग निकले।
बाइक पर कीचड़ लगाकर लूट: टिंकू ने पिछले साल ही नई पल्सर खरीदी थी। उसने पहली लूट करने के दौरान पल्सर की नंबर प्लेट पर कीचड़ लगाई थी, जिससे कोई गाड़ी का नंबर नहीं पढ़ सके। दूसरी बार भी पुलिस को नंबर प्लेट पर कीचड़ लगी मिली। पुलिस ने बताया कि आरोपी टिंकू व करन पर निशातपुरा और तलैया थाने में आपराधिक मामले दर्ज हैं।
इसलिए बन गए लुटेरे: सीएसपी मनू व्यास ने बताया कि टिंकू और करन शराब पीने व जुआ खेलने के आदी थे। इसी लत के चलते वे अनाफ-सनाफ रुपए खर्च करते थे। हालांकि, सालभर पहले टिंकू ने निशातपुरा स्थित एक शराब की दुकान में अहाता का ठेका एक लाख 20 हजार रुपए में लिया था, लेकिन शराब व अय्याशी की लत के कारण उन्होंने इस धंधे से एक रुपए भी नहीं जोड़ा और उलटा एक लाख 80 हजार रुपए का घटा हो गया। करन हम्माली करने के साथ दोस्त टिंकू के काम में हाथ बंटाता था। टिंकू के साथ वह भी कर्जे की मार छेल रहा था। पैसों की तंगी और कर्जदारों का बोझ टिंकू और करन पर भारी पड़ रहा था। अपने कर्जे को चुकाने के लिए टिंकू ने करन के साथ मिलकर लूटपाट करने की योजना बनाई। मगर, वे पहली की लूट की वारदात को अंजाम देने के बाद तलैया पुलिस के हत्थे चढ़ गए।

पत्नी के लिए बना डकैत

मनोज राठौर
भोपाल के गौतम नगर टीआई एमआर खान और हनुमानगंज सीएसपी घनश्याम मालवीय 14-15 मार्च 2011 की दरमियानी रात दो बजे इलाके में गश्त कर रहे थे। इस दौरान पुलिस कंट्रोल रूम से उन्हें वायरलैस पर सूचना मिली कि एक सफेद रंग की इंडिका में सवार बदमाश टीटी नगर क्षेत्र में एक महिला के साथ लूट की कोशिश कर पुराने शहर की ओर भागे हैं। उनकी लॉकेशन टीला जमालपुरा और गौतम नगर इलाके में मिली हैं। इतना सुनने के बाद श्री खान और श्री मालवीय ने तत्काल वायरलैस से थाना स्टाफ को सूचना दी और मुख्य चौराहे पर प्वाइंट लगाकर नाकेबंदी करने के लिए कहा। इधर, टीआई श्री खान, सब इंस्पेक्टर व्हीएस परमार और एएसआई एनएस सेंगर व सीएस राठौर अलग-अलग पुलिस कर्मियों की टीमों के साथ इलाके में फैल गए। इस दौरान पुलिस टीमों को चौकसे नगर की ओर एक तेज रफ्तार इंडिका जाती दिखी, जिसमें कई संदिग्ध युवक बैठे थे। इस पर सभी टीमें ण्क के बाद एक करके मौक्े पर इकट्ठी हो गई और मिलकर चौकसे नगर स्थित कुए के पास घेराबंदी कर इंडिका को रोक लिया। पुलिस को देख ड्रायवर इंडिका को लेकर मुख्य सड़क की ओर भागने लगा, लेकिन सड़क पर खुदाई का काम चलने के कारण उनकी गाड़ी का एक पहिया गढ्डे में फंस गया और पुलिस ने चारों तरफ से घेराबंदी कर कार में सवार पांच आरोपियों को दबोच लिया। इस दौरान दो आरोपी पिस्टल व कट्टा छोड़कर भागने का प्रयास करने लगे, लेकिन पुलिस कर्मियों ने उन्हें थोड़ी दूरी पर दबोच लिया। इंडिका (एमपी 04 सीजी 3355) को जब्त कर पुलिस सभी आरोपियों को पूछताछ के लिए गौतम नगर थाने लेकर आ गई। वहां खुद श्री मालवीय व श्री खान ने आरोपियों से पूछताछ की। आरोपी की पहचान चौकसे नगर निवासी दानिश खान पुत्र आबिद खान (28), मो. राशिद उर्फ टीपू पुत्र मो. यामीन (19), अजीम पुत्र मो. शफीक (18) तथा पीजीबीटी कॉलेज स्थित कृष्णा कॉलोनी निवासी मो. नईम पुत्र शरीफ (25) व शाहबाज खान पुत्र इलियास अब्बास (18) के रूप में हुई। दानिश अपनी पत्नी के साथ चौकसे नगर में रहने वाले अनीस के मकान में किराए से रहता था। पुलिस ने मौके से दानिश के पास से एक पिस्टल और पांच कारतूस, नईम व राशिद के पास से एक-एक कट्टा सहित एक-एक कारतूस तथा शाहबाज व अजीम के पास से एक-एक चाकू बरामद किया।
घर और बाहर वाली ने बनाया डकैत: चौकसे नगर में रहने वाले व्यापारी के घर डकैती की योजना का मुख्य सूत्रधार दानिश है। उसने पुलिस पूछताछ में इस बात का खुलासा किया है कि उसकी दो पत्नियां है, जिसमें एक घरवाली और दूसरी बाहरवाली है। वह घरवाली पत्नी सादिया के साथ चौकसे नगर में रहता था, जबकि उसने बाहर वाली रौनक (परिवर्तित नाम) को अशोका गार्डन इलाके में एक किराए के मकान में रखा था। दानिश ने करीब पांच साल पहले सादिया से शादी की थी। वहीं दूसरी ओर वह रौनक के साथ पिछले दो सालों से रह रहा था। इधर, दानिश की दूसरी पत्नी की जानकारी सादिया को थी। इस बात को लेकर उनके बीच आए दिन झगड़ा भी होता था, लेकिन अय्याशी और शराब की लत के चलते उस पर पत्नी की बातों का कोई असर नहीं होता था। यदि उसकी सादिया से लड़ाई हो जाती, तो वह दूसरी पत्नी के पास चला जाता। सादिया दानिश से परेशान थी और एक अस्पताल में नौकरी करती थी। सादिया ने यूनानी का कोर्स किया है। घर में खाने-पीने के सामान को लेकर रौनक व सादिया का झगड़ा आए दिन पति दानिश से होता था। हालांकि, वह अपनी शराब और अय्याशी की लत के कारण घरवाली व बाहरवाली की आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर पा रहा था। रोजाना की पत्नियों की हाय-तौबा से तंग आकर उसने एक साथ लाखों रुपए हासिल करने की योजना बनाई। सबसे पहले उसने कोहेफिजा इलाके से एक इंडिका चोरी की। जब उक्त चोरी की कार नहीं बिकी, तो उसने साथियों के साथ मिलकर चौकसे नगर के एक व्यापारी के घर डाका डालने की योजना बनाई। उसे पता था कि व्यापारी के घर से उसे मोटी रकम मिली थी। उसका मानना था कि इस रकम से उसकी पत्नियों की आवश्यकता पूरी होगी और वह भी चैन से रह सकेगा। मगर, घरवाली और बाहरवाली के चक्कर में दानिश डकैत बन गया।
व्यापारी के घर डकैती की योजना: दानिश चौकसे नगर में किराए के मकान में रहता था। इस कॉलोनी में एक प्रतिष्ठित व्यापारी रहते है, जिन्हें वह जानता था। कुछ दिनों से दानिश उक्त व्यापारी की गतिविधियों पर नजर रखा हुआ था। उसको पता था कि व्यापारी के घर में नकदी सहित लाखों रुपए कीमत की सोने-चांदी के जेवर रखे हुए हैं। इस पर उसने पैसों के लालच में आकर अपने साथी नईम, राशिद, शाहबाज व अजीम के साथ मिलकर व्यापारी के घर डागा डालने की योजना बनाई। योजना के तहत ही दानिश चोरी की इंडिका से साथियों को लेकर चौकसे नगर पहुंचा था, लेकिन पुलिस ने डकैती की वारदात करने से पहले ही उन्हें दबोच लिया।
न्यूजीलैंड जाना चाहता था दानिश: दानिश के माता-पिता और एक भाई न्यूजीलैंड में रहते हैं। वह भोपाल में पत्नि सादिया के साथ रहता था और उसके पास कोई रोजगार भी नहीं था। इसके चलते ही उसके माता-पिता उसे हर महीने तीन-चार हजार रुपए भेज देते थे, लेकिन वह रुपए शराब अय्याशी में उड़ा देता था। वह पहले भी कई बार न्यूजीलैंड जा चुका है, लेकिन उसकी गलत आदतों की वजह से मां-बाप ने उसे वहां नहीं रखा। इस महीने उसने न्यूजीलैंड जाने की प्लानिंग भी की थी। हालांकि, उसके पास पैसे नहीं थे और दूसरी ओर वह अपनी पत्नियों से परेशान भी था। न्यूजीलैंड जाने और पत्नियों की आवश्यकता की पूर्ति करने के लिए उसने डकैती की नाकाम योजना बनाई।
इसलिए
फंस गया दानिश:
दानिश एक ही झटके में कई वारदातें कर लाखों रुपए हासिल करना चाहता था। इसके चलते उसने 14 मार्च की रात करीब 11 बजे टीटी नगर स्थित अपेक्स बैंक के सामने एक महिला को लूटने का प्रयास किया, लेकिन महिला के शोर मचाने पर आरोपी इंडिका से भाग निकले। इधर, उनकी इसी गलती ने पुलिस को उनतक पहुंचने का रास्ता दिया। सफेद रंग की इंडिका में सवार बदमाशों द्वारा एक महिला के साथ लूट का प्रयास करने का मैसिज पुलिस कंट्रोल के जरिए शहरभर में तेजी से फैल चुका था। इस पर रात करीब साढ़े 12 बजे वीआईपी रोड पर एक सिपाही ने बदमाशों की इंडिका को रोकने का प्रयास किया, लेकिन आरोपी ने उस पर चाकू से हमला किया और तेज रफ्तार से लालघाटी की ओर भाग निकले। चाकू पुलिसकर्मी के रायफल के बट पर लगा था। सिपाही सूचना पर कोहेफिजा पुलिस ने बदमाशों को पकड़ने लिए प्वाइंट लगाए, लेकिन तब तक आरोपी इंडिका लेकर गौतम नगर की ओर जा चुके थे। पहले से अपने इलाके में मुस्तैद से तैनात गौतम नगर पुलिस कर्मियों ने आरोपियों को चौकसे नगर में दबोच लिया।

शक के चलते पिता की हत्या

मनोज राठौर

भोपाल के पुराना शहर स्थित छोला मंदिर थाना प्रभारी आरबी कटियार 25 फरवरी 2011 की दोपहर डेढ़ बजे थाने में बैठक एक आपराधिक मामले में फरियादी से बातचीत करने में व्यस्थ थे। इस दौरान उन्हें थाना स्टाफ ने बताया कि साहब, कल्याण नगर में एक रेलवे कर्मचारी की हत्या हो गई है। यह सुनकर तत्काल श्री कटियार, एसआई लालजी त्रिपाठी व अन्य थाना स्टाफ के साथ कल्याण नगर में रहने वाले रेलवे कर्मचारी खेत सिंह ठाकुर (55) के घर पहुंचे। वहां पहले से स्थानीय लोगों की भीड़ लगी हुई थी और पलंग पर खून में लतपत पड़ी खेत सिंह की लाश के पास उनकी पत्नी श्यामबाई विलाप कर रही थी। कमरे के एक कौने पर मृतक का बेटा ब्रजेंद्र ठाकुर खड़ा था। इस दौरान कटियार समझ गए कि मामला हत्या का है और किसी ने वजनी वस्तु से खेत सिंह के सिर पर हमला किया है। इस पर उन्होंने तत्काल ब्रजेंद्र से घटना के बारे में पूछताछ शुरू कर दी। प्रारंभिक पूछताछ में ब्रजेंद्र्र ने बताया कि घटना के समय वह बाथरूम में था, जबकि मां श्यामबाई आंगन में बर्तन साफ कर रही थी। इस दौरान अज्ञात बदमाश घर में आए और पलंग पर सो रहे पिता की हत्या कर भाग निकले। पुलिस को शव के पास से एक सफेद रंग का गमझा भी मिला था। ऐसे उठा मामला से पर्दा: घटना के अगले दिन दोबारा श्री कटियार खेत सिंह के घर पहुंचे और आसपास के लोगों के बयान दर्ज किए। बयान में अधिकांश रहवासियों ने बताया कि उन्होंने किसी को खेत सिंह के घर में आते-जाते नहीं देखा है। इस पर श्री कटियार को शक हुआ और उन्होंने खेत सिंह के अंतिम संस्कार के तत्काल बाद ब्रजेंद्र को हिरासत में ले लिया। इधर, एएसआई त्रिपाठी भी मृतक के संबंध में कई महत्वपूर्ण जानकारी एकत्र कर चुके थे, जिसमें उन्हें पता चला कि सालभर पहले भी खेत सिंह पर हमला हो चुका है। उस दौरान किसी ने उन्हें गोली मारी थी, लेकिन वह बाल-बाल बच गए। इस हमले में पुलिस को ब्रजेंद्र्र पर संदेह जाहिर किया था। मगर, पर्याप्त साक्ष्य नहीं होने के कारण उस पर कार्रवाई नहीं की गई। हालांकि, प्रारंभिक पूछताछ में ब्रजेंद्र आनाकानी कर रहा था, लेकिन पुलिस सख्ती से पेश आई, तो वह टूट गया। उसने पुलिस को जो बताया, वह मानवता को शर्मसार करने वाला था। पुलिस पूछताछ में उसने बताया कि उसे पिता खेत सिंह के अपनी पत्नी संगीता से अवैध संबंध होने की अशंका थी। उसका यह भी मनाना था कि इसके चलते ही वर्ष 2008 में संगीता ने आत्मदाह कर खुदकुशी कर ली। हालांकि, ब्रजेंद्र की यह बात पुलिस के गले नहीं उतरी रही थी। श्री कटियार और सीएसपी रश्मि मिश्रा के दिमाग में एक ही बात बार-बार घूम रही थी कि आखिर पत्नी की मौत के दो साल के बाद ब्रजेंद्र को अवैध संबंध की बात कहां से याद आ आई। वह बीच में भी पिता की हत्या भी कर सकता था। इसके बाद ब्रजेंद्र ने पुलिस को आगे बताया कि पत्नी की मौत के बाद ससुराल पक्ष ने देहगांव जिला रायसेन में उसके तथा उसके माता-पिता के खिलाफ दहेज हत्या का मामला दर्ज करवा दिया था। यह मामला बेगमगंज न्यायालय में विचारधीन है। वहीं बेरोजगारी के चलते ब्रजेंद्र दर-दर की ठोंकर खा रहा था।

इसलिए रचि साजिश: ब्रजेंद्र चाहता था कि उस पर लगा दहेज हत्या का केस खत्म हो जाए और एक अच्छी सी नौकरी मिल जाए। इसके चलते उसने द्वारका नगर निवासी जीतू उर्फ जीतेंद्र व रविकांत के साथ मिलकर पिता खेत सिंह की हत्या करने की साजिश रची दी। वह एक तीर से दो निशाना करना चाहता था। उसने सोचा कि यदि पति की हत्या के आरोप में वह ससुराल पक्ष को झूठे मामले में फंसाने की धमकी देगा, तो शायद ससुराल पक्ष उससे समझौता कर ले और उस पर लगा केस खत्म हो जाए। दूसरी ओर पिता की मौत के बाद उनकी सरकारी (रेलवे विभाग में नौकरी) नौकरी उसे अनुकंपा नियुक्ति के जरिए मिल जाए। उसके प्लान के तहत ही 25 फरवरी को जीतू और रविकांत ब्रजेंद्र के घर पहुंचे और उन्होंने मिलकर पलंग पर सो रहे खेत सिंह के सिर पर कुल्हाड़ी से हमला कर उनकी नृशंस हत्या कर दी।

ऐसे पकड़ाए आरोपी: पुलिस को कहीं से पता चला कि घटना के समय ब्रजेंद्र के साथी जीतू को कुल्हाड़ी के साथ कॉलोनी में देखा गया था। यह पता चलने के बाद पुलिस ने ब्रजेंद्र पर शिंकजा कस दिया और उसने हत्या की कहानी पुलिस बताई। इसके बाद पुलिस ने जीतू और रविकांत के मोबाइल फोन के टॉवर लोकेशन के आधार पर उन्हें धौलपुर, राजस्थान से गिरफ्तार कर लिया। हत्या में प्रयोग की गई कुल्हाड़ी भी पुलिस ने एक नाले से बरामद कर ली है। सभी आरोपी जेल में सजा काट रहे हैं।

पैसों के लालच में आए: पुलिस पूछताछ में ब्रजेंद्र ने बताया कि उसने जीतू व रविकांत को लालच दिया था कि पिता की मौत के बाद उसे पिता के बीमे से लाखों रुपए मिलेंगे। इन पैसों में उसने साथियों को तीन लाख रुपए देने का वादा किया था। पैसों के लालच में आकर जीतू व रविकांत ने दोस्त का साथ दिया। ब्रजेंद्र ने पिता की हत्या की साजिश एक महीने पहले रची थी। उसने एक लौहार से कुल्हाड़ी बनाई थी, जिसे धार कराने के लिए उसने एक दुकान पर डाल रखा था। वारदात को अंजाम देने के लिए जीतू और रविकांत धारदार कुल्हाड़ी दुकान से लेकर आए थे।

बड़ा 'कलाकार' निकला छोटा भाई

मनोज राठौर
जिला सीहोर, छोटी इटारसी सलकनपुर निवासी विक्रम शर्मा टीवी कलाकार हैं। वह एक धारावाहिक में हनुमान जी का किरदार भी अदा कर चुके हैं। पिता के देहांत के बाद परिवार की जिम्मेदारी भी विक्रम के कंधे पर आ गई थीं। उसका भोपाल के मिसरोद व कटारा हिल्स में पेंटिंग कंस्ट्रक्शन का काम चल रहा है। विक्की की अनुपस्थिति में इस काम को उसका छोटा भाई अर्जुन उर्फ निक्की (24) देखता था। वह 13 फरवरी को कंस्ट्रक्शन के काम को छोटे भाई को देकर एक टीवी सीरियल के सिलसिले में बड़ोदरा चले गए। इस दौरान वह निक्की को एक लाख 20 हजार रुपए बैंक में जमा करने के लिए दे गए थे। लेकिन उसने उक्त पैसे बैंक में जमा नहीं किए और उन्हें इधर-उधर खर्च कर दिए। बड़े भाई और परिजन के डर के कारण उसने यह बात किसी को नहीं बताई। घर वालों के डर से उसने अपने अपहरण की झूठी कहानी रची। मगर, पुलिस ने उसके शातिर प्लान को फेल कर दिया और उसे अपने जाल में फंसा लिया।
यह है अपहरण की कहानी: गत 15 फरवरी 2011 को निक्की ने छोटी इटारसी सलकनपुर जाकर अपने स्व. पिता की मासिक पूजा कराई और पंड़ित को खाना भी खिलाया। इसके बाद उसने अपहरण की कहानी को अंजाम देने का मन बना लिया। इस कहानी के तहत वह शाम के समय मिसरोद स्थित अपनी साइट पर पहुंचा। वहां उसने अपने सुपरवाइज से मुलाकात की। इसके बाद वह भोपाल के अरेरा कॉलोनी स्थित अपने घर गया, जहां से शाम करीब सात बजे वह बड़े भाई विक्रम की इंडिका (जीजे-16, के-3854) लेकर बाबड़िया रेलवे क्रासिंग पहुंचा। वहां उसने प्लान के तह सड़क किनारे अपनी गाड़ी पार्क की और सुपरवाइजर राजेंद्र गोहिया को फोन लगाकर बताया कि राजेंद्र मुझे बचाओ, मेरी कार का कुछ बदमाश पीछा कर रहे हैं और वह मेरा अपहरण करना चाहते हैं। इतनी बात करने के बाद उसने अपना मोबाइल फोन बंद कर लिया। राजेंद्र उनका एक छोटा सा कर्मचारी था, तो वह निक्की की बात सुनकर घबरा गया और उसने निक्की की तलाश शुरू कर दी। वह निक्की को ढूंढ़ते-ढूंढ़ते बाबड़िया रेलवे क्रासिंग पहुंचा, जहां उन्हें विक्रम की कार देखी। इसके बाद राजेंद्र ने शाहपुरा पुलिस को घटना के बारे में जानकारी दी। यह मामला टीवी कलाकार के छोटे भाई से जुड़ा हुआ था, तो खुद एएसपी राजेश चंदेल, सीएसपी राजेश सिंह भदौरिया और शाहपुरा थाना प्रभारी मौके पर पहुंचे। पुलिस अधिकारियों के साथ एफएसएल व डॉग स्कवॉड ने घटना स्थल का निरीक्षण किया, लेकिन उन्हें किसी भी प्रकार के संघर्ष के निशान नहीं मिले। पुलिस को शुरू से ही मामला संदिग्ध लग रहा था। इधर, भाई के अपहरण की खबर सुनने के बाद अगले दिन विक्की भी भोपाल आ गया था। पुलिस ने विक्की की शिकायत पर अज्ञात आरोपियों के खिलाफ अपहरण का मामला दर्ज कर लिया था।
ऐसे हुआ खुलासा: निक्की के अपहरण की कहानी शुरू से ही पुलिस अधिकारियों के गले नहीं उतर रही थी। कहानी की सच्चाई का पता लगाने के लिए नया शहर एसपी योगेश चौधरी ने पुलिस की स्पेशल टीम बनाई। इन टीमों को निक्की की तलाश में होशंगाबाद, सलकनपुर, होशंगाबाद और इटारसी भेजा गया। इतना ही नहीं पुलिस ने परिजनों समेत रिश्तेदारों से पूछताछ की। इस दौरान पुलिस को पता चला कि निक्की के खाते से पैसे निकाले जा रहे हैं। यह जानकारी पुलिस के लिए टेंशन भरी थी, क्योंकि पुलिस को लगने लगा कि निक्की का अपहरण करने वाले लोग उससे खाते से जबरिया पैसा निकाल रहे हैं। मगर, पुलिस की यह टेंशन भी कुछ दिनों बाद ही खत्म हो गई। दरअसल, पुलिस की टीम में शामिल प्रधान आरक्षक संजय सिंह, आरक्षक हरिकृष्ण बैरागों ने भोपाल क्षेत्र के एटीएम बूथों, एएसआई रामबदन यादव, आरक्षक शैतान सिंह ने सलकनपुर क्षेत्र तथा एसआई हितेश पाटिल व आरक्षक पवन पाठक ने होशंगाबाद, नागपुर व पुणे क्षेत्र की एटीएम बूथों के वीडियो फुटैज एकत्र किए। यह वहीं बूथ थे, जिसमें से निक्की के खाते से पैसे निकाले गए थे। हालांकि वीडियो फुटैज में पैसे निकालने वाला ओर कोई व्यक्ति नहीं था, बल्कि निक्की खुद स्पष्ट नजर आ रहा था। इन सबूतों के बाद पुलिस अधिकारियों ने राहत की सांस ली।
खुद पर ब्लेड से हमला किया: एएसपी राजेश चंदेल ने बताया कि निक्की अपनी झूठी कहानी के अनुसार होशंगाबाद, नागपुर व पुणे गया। इन स्थानों पर उसने एटीएम बूथों से पैसे भी निकले। इसके बाद वह पुणे से इंदौर और वहां से कुरावर पहुंचा, जहां उसने खुद को ब्लेड से घायल किया और कपड़े भी काट लिए। ऐसा हुलिया बनाने के बाद निक्की तीज बलड़ी फॉरेस्ट चौकी के पहुंचा और वनकर्मियों को अपने अपहरण की कहानी सुनाई। निक्की की मदद करते हुए कुरावर पुलिस ने पहले उसका मेडिकल कराया और बाद में उसे भोपाल के हवाले कर दिया।आखिरी समय तक विश्वास नहीं हुआ: जब पुलिस ने निक्की के अपहरण की झूठी कहानी उसके बड़े भाई विक्की को सुनाई, तो उसे पुलिस की बातों पर रत्ती भर भी विश्वास नहीं हुआ। वहीं निक्की भी थाने पहुंचने पर बड़े भाई से लिपटकर रोने लगा। भाई के इमोशनल में फंसकर विक्की पुलिस की बातों को सुनने के लिए तैयार नहीं था। उसने आखिरी वक्त तक भाई की झूठी बातों पर विश्वास किया। मगर, पुलिस अधिकारी भी कहां चुप बैठने वाले थे। सो, उन्होंने निक्की के बैंक अकांउट की डिटेल की जानकारी के अनुसार एटीएम बूथों से निकाले वीडियो फुटैज विक्की को दिखाए। इस दौरान निक्की भी पुलिस के साथ था। उसने वीडियो में खुद को पाया, तो वह टूट गया और उसने पुलिस को बताया कि उसने एक लाख 20 हजार रुपए के चक्कर में यह अपहरण की झूठी कहानी रची। इतना ही नहीं उसने पुलिस अधिकारियों के साथ अपने भाई से भी माफी मांगी।
यह बाते आर्इं संदेह के दायरे में: पुलिस अधिकारियों ने घटना स्थल का मुआयना किया, तो उन्हें वहां कोई संघर्ष के निशान नहीं मिले। साथ ही घटना स्थल पर हर वक्त लोगों की आवाजाही रहती है और किसी ने अपहरण की इतनी बड़ी घटना को नहीं देखा। पुलिस ने कई लोगों के बयान भी दर्ज किए, जिन्होंने अपहरण की घटना होने से इंकार कर दिया। वहीं दूसरी ओर अपहरण करने वाले ने निक्की के भाई या उसके परिजन को फोन कर फिरौती की मांग भी नहीं की। साथ ही विरोधाभासी बयान के चलते भी निक्की पुलिस के जाल में फंसता चला गया।
लिफ्ट से पहुंचा होशंगाबाद: अपहरण की कहानी के मुताबिक निक्की कार बाबड़िया रेलवे क्रासिंग स्थित सड़क किनारे खड़ी कर एक गाड़ी से लिफ्ट लेकर होशंगाबाद चला गया। इसके बाद वह वहां से नागपुर होते हुए पुणे चला गया। इन स्थानों पर उसने जमकर पैसा खर्च किया।

अय्याशी ने बनाया लुटेरा

मनोज राठौर
21 फरवरी 2011 की शाम भोपाल क्राइम ब्रांच एएसपी मोनिका शुक्ला आॅफिस में बैठकर फाइलें पलट रही थी। इस दौरान उन्हें मोबाइल फोन पर सूचना मिली कि हबीबगंज स्थित छह नंबर बस स्टाप पर एक लुटेरों का गिरोह वारदात को अंजाम देने की फिराक में घूम रहा है। इस पर बिना वक्त गवांए एएसपी ने स्टाफ को लोकेशन देकर रवाना किया। मौके पर पहुंची क्राइम ब्रांच व हबीबगंज थाने की पुलिस ने घेराबंदी कर तीन मोटर सायकिलों सवार तीन युवकों को गिरफ्तार कर लिया। आरोपी की पहचान गोविंदपुरा, विकास नगर निवासी बाबू होसमठ पुत्र बिरैया कुमार (22), जो मूलत: हरियाणा के पलवल कैलाश नगर का रहने वाला, होशंगाबाद सीआईएफएफ काम्प्लेक्स निवासी कमलदीप सिंह उर्फ सनी पुत्र स्व. काबुल सिंह (22), जो मूलत: ग्राम बसी जलाल, जिला होशियारपुर पंजाब और सुनील के रूप में हुई। तत्वरित जांच में तीनों के पास मिली बाइक चोरी की पाई गई। पुलिस द्वारा शुरू की गई प्रारंभिक पूछताछ में आरोपी आनाकानी करने लगे, लेकिन सख्ती बरतने पर उन्होंने शहर में लूट व चोरी की वारदातें करना स्वीकार की।
ऐसे बनाई गैंग: लूट व चोरी की वारदातों का मुख्य सरगना बाबू होसमठ है। इसके पिता बिरैया पूर्व में सीआईएसएफ गोविंदपुरा में आरक्षक के पद पर कार्यरत थे। कम उम्र में उसे अय्याशी की लत लग गई और घर से पैसे नहीं मिलने पर वह चोरी और लूट की वारदात करने लगा। बाबू पिछले साल पिपलानी इलाके में एक लूट के मामले में सजा काट रहा था। इस दौरान जेल में उसकी दोस्ती सनी से हो गई। दोनों आरोपी जनवरी से अगस्त 2010 तक एक साथ जेल में रहे। इसके बाद सिंतबर महीने में बाबू व सनी जेल से रिहा हुए और बाहर आते ही एक गैंग बनाने की योजना बनाई। उन्होंने अपनी गैंग में परिचित सुनील को शामिल कर लिया। इसके बाद तीनों ने मिलकर सबसे पहले बाइक चोरी करना शुरू किया। वे गाड़ियों को शहर के अलग-अलग स्थानों से मास्टर चाबी की सहायता से चोरी करते थे और उन्हें उन्हें अस्पताल व रेलवे स्टेशन की पार्किंग में खड़ा कर देते थे। जैसे ही उन्हें गाड़ी का ग्राहक मिलता, वे वैसे ही उसे औनेपौने दामों पर ठिकाने लगा देते थे।
एटीएम तोड़कर चोरी का प्रयास: गिरोह के सदस्य पिछले साल नवंबर महीने से लगातार चोरी व लूट की वारदातों को अंजाम दे रहे थे। इसी कड़ी में उन्होंने होशंगाबाद स्थित एक एटीएम बूथ का कांच तोड़कर चोरी का प्रयास किया, लेकिन एक बाइक सवार के आने पर वे अपनी चोरी की बाइक छोड़कर भाग निकले।
अय्याशी में उड़ाते थे पैसे: कम उम्र से ही बाबू व सनी को शराब पीने, महंगे कपड़े पहनने, नई-नई गाड़ियों में घूमने और लड़कियों पर पानी की तरह पैसे खर्च करने की आदत लगी हुई थी। उनके साथ रहने के बाद सुनील भी बिगड़ गया। तीनों आरोपियों ने अपनी अय्याशी को पूरा करने के लिए लूट व चोरी की घटनाओं को अंजाम देना शुरू किया। उन्होंने सबसे पहले पिछले साल एक जनवरी को छह नंबर बस स्टाप पर सांची पार्लर के एजेंट से करीब डेढ़ लाख रुपए लूटे थे। इन पैसों से आरोपियों ने जमकर शराब पी और वाहनों को किराए पर लेकर अय्याशी की।
दोस्त के पास मिली बाइक: होशंगाबाद स्थित एटीएम बूथ में असफल चोरी का प्रयास करने के बाद बाबू, सनी व सुनील पुलिस की नजरों में चढ़ गए थे। इसके चलते ही कुछ दिनों के लिए बाबू दिल्ली और सुनील व सनी होशंगाबाद में जाकर रहने लगे। मगर, अय्याशी की लत जल्दी ही उन्हें भोपाल की ओर खींच लाई। उन्होंने नए शहर में आते ही एक के बाद एक पल्सर समेत अन्य बाइक चोरी की और उन्हें अपने साथी गोविंद के पास रख दी। पुलिस ने गोविंद के पास से कई चोरी की बाइक बरामद की है। गोविंद पर गोविंदपुरा थाने में एक लूट का मामला दर्ज है। आरोपी सनी पर पिपलानी थाने में चार लूट व एक वाहन चोरी का प्रकरण दर्ज हैं, जबकि बाबू पर पिपलानी थाने में चार लूट और चार चोरी के मामले हैं।
इनकी अहम भूमिका: दरअसल, गिरोह के लिए चोरी की बाइक बेचना मुश्किल हो रहा था। उन्हें ग्राहकों का लंबे समय तक इंतजार करना पड़ रहा था। इसके चलते ही उनकी अय्याशी पर ब्रेक लग गया था। अय्याशी की लत ने उन्हें लूट की वारदात को करने के लिए मजबूर किया और गिरोह अलग-अलग बाइकों पर सवार होकर हबीबगंज क्षेत्र में लूट की वारदात को अंजाम देने की फिराक में घूमने लगे। मगर, इस बार उनकी किस्मत खराब थी, क्योंकि पुलिस उनके शहर में निकलने का इंतजार कर रही थी। एक मुखबिर ने क्राइम ब्रांच के आरक्षक मुरली कुमार व ऐहतेशाम को उनके छह नंबर बस स्टाप पर घूमने की सूचना दे दी। फिर क्या था, एएसपी के निर्देश पर क्राइम ब्रांच व हबीबगंज थाने की संयुक्त टीम ने मौके पर पहुंचकर घेराबंदी कर आरोपियों को रंगे हथों दबोच लिया।

ये कैसी मौत...?

मनोज राठौर

भोपाल निशातपुरा टीआई जीएल अहिरवार 11 फरवरी 2011 की शाम चार बजे इलाके में भ्रमण कर रहे थे। इस दौरान उनके मोबाइल फोन की घंटी बजने लगी। यह फोन किसी अनजान व्यक्ति का नहीं था, बल्कि उनके थाने के एएसआई (सहायक उप निरीक्षक) वीरेंद्र कुशवाह का था। उन्हें फोन पर श्री कुशवाह ने जो बताया, उसे सुनकर टीआई तत्काल निशातपुरा संभाग सीएसपी रश्मि मिश्रा के साथ करोंद चौराहा निवासी राजौरिया के किराएदार यतेंद्र पठारिया के कमरे पर पहुंचे। उसके कमरे के दरवाजे में ताला लगा हुआ था। इस पर यतेंद्र ने सीएसपी को बताया कि उसके बड़े भाई देवेंद्र का दो दिनों से मोबाइल फोन बंद है और ऐसी स्थिति में कमरे पर ताला लगा होना उसे आश्चर्य लग रहा है। पुलिस को भी ताला लागा होने पर शंका होने लगी और उसने मौके पर एफएसएल (फॉरेंसिग साइंस लेबोरटी) की टीम बुलवाया। टीम ने ताला तोड़ दिया, लेकिन दरवाजा अंदर से भी लगा हुआ था। किसी तरह टीम ने पुलिस की सहायता से दरवाजे को तोड़कर अंदर प्रवेश किया। तेज बदबू आने के कारण अधिकांश पुलिसकर्मी उलटे पैर कमरे से बाहर निकल गए। अंधेरा होने के कारण खिड़कियां खोली गई। जब अंधेरे को चीरते हुए उजाला कमरे में आया, तो अंदर का दृश्य जिस किसी ने भी देखा, उसके होश उड़ गए। पुलिस को फांसी के फंदे पर एक लाश झूलती मिली। इस लाश के बारे में यतेंद्र से पूछा गया, तो उसने उसे पहचानने से इंकार कर दिया। इधर, पुलिस भी देवेंद्र को इसलिए पहचान नहीं पाई, क्योंकि उसने लड़की की भेषभूषा धारण की हुई थी। लाश तीन दिन पुरानी होने के कारण उसमें बंदबू आ रही थी, जिससे टीआई को दो बार उलटी भी हो गई। इस पर पुलिस ने आनन-फानन में शव को पोस्टमार्टम के लिए हमीदिया अस्पताल के लिए रवाना कर दिया। पुलिस अधिकारी इस बात को लेकर उलझे हुए थे कि यतेंद्र के कमरे से युवती की लाश बरामद हुई है और उसका बड़ा भाई देवेंद्र भी गायब है।

ऐसे हुआ खुलासाघटना के अगले दिन हमीदिया अस्पताल के मरच्यूरी रूम में डॉक्टरों को पता चला कि उनके पास पोस्टमार्टम के लिए जो युवती की लाश आई है, वह दरअसल युवक है। डॉक्टरों को शव के पास से दो गेंद भी मिली। डॉक्टरों की सूचना पर तत्काल निशातपुरा टीआई अपने साथ यतेंद्र को लेकर मरच्यूरी रूम पहुंचे। वहां यतेंद्र ने लाश को देखा तो उसने कहा कि ये तो मेरा बड़ा भाई है, साहब। इसके बाद वह फूट-फूटकर रोने लगा। इस दृश्य के बाद पुलिस और डॉक्टर के होश उड़ गए। इसलिए नहीं पहचान पाएजब पुलिस व यतेंद्र ने कमरे में प्रवेश किया, तो फांसी पर झूल रहा देवेंद्र का चेहरा दीवार की तरफ था। उसने लड़कियों का सलवार सूट, हाथ-पैर में नाखून पालिश, गले में मंगलसूत्र, माथे पर सिंदूर व दोनों पैरों में लेडिस चप्पल पहनी हुई थी। लाश तीन दिन पुरानी होने के कारण उसमें से बदबू भी आने लगी थी और उसका चेहरा भी काला पड़ गया था। इसके चलते ही यतेंद्र अपने भाई और पुलिस युवक-युवती में पहचान नहीं कर पाई।

सालभर से रह रहा था किराए से देवेंद्र मूल रूप से इटारसी का रहने वाला था। उसके पिता नारायण पठारिया फायर बिग्रेड में नौकरी करते हैं। वह अपने छोटे भाई यतेंद्र के साथ अपनी कॉलेज की पढ़ाई करने के लिए सालभर से करोंद चौराहा स्थित किराए के मकान में रह रहा था। देवेंद्र बीई थर्ड इयर तथा यतेंद्र पॉलीटेक्निक कॉलेज से फार्मेसी का डिप्लोमा कर रहा है। परीक्षा समाप्त होने के बाद यतेंद्र गत छह फरवरी को कुछ दिनों के लिए इटारसी चला गया। वहां से 11 फरवरी को लौटा, तो कमरे में ताला लगा हुआ और बडेÞ भाई का मोबाइल फोन भी बंद था। इस पर उसने पुलिस को घटना के बारे में बताया।

अंदर से बंद किया था दरवाजा देवेंद्र के कमरे में दो दरवाजे हैं। उसने पहले मेन गेट पर ताला लगाया और बाद में पीछे वाले गेट से कमरे में प्रवेश किया तथा अंदर से दोनों गेट की कुंडी लगा ली। इसके बाद उसने फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली।

मिली अश्लील सामग्रीपुलिस को देवेंद्र की खुदकुशी के बारे में पता चला, तो उसने दोबारा उसके कमरे की बारीकी से तलाशी ली। इस दौरान उन्हें कमररे में से कुछ अश्लील मैंगजीन व देवेंद्र का मोबाइल फोन मिला। उसके मोबाइल फोन में अश्लील वीडियो और फोटो सैफ थे।नहीं देता था चाबीइस पूरे घटनाक्रम में यतेंद्र ने बताया कि कमरे में एक सूटकेस रखा रहता था। यह सूटकेस की चाबी हमेशा देवेंद्र के पास रहती थी। पुलिस को इस सूटकेस में लड़कियों के कपड़े mile.कमरे से मिली एक किताब है, पुरूष से स्त्री बनने की बात लिखी हुई है। इसमें कई तरीके ऐसे भी बताए गए हैं, जिससे अकेले रहकर सैक्स का सुख प्राप्त किया जा सकता है। पुस्तम में अश्लील चित्रों की भरमार हैं। यह चित्र सैक्स की संतुष्ट करने की विधियां बताते हैं। साथ ही पुस्तक में जम्मू के एक प्रोफेसर समेत कई लोगों के उदाहरण भी दिया गया है।

पुलिस हुई घनचक्करइस मामले में निशातपुरा पुलिस के अधिकारी घनचक्कर हो गए। उन्होंने घटना वाले दिन ही देवेंद्र की अनुपस्थिति के चलते यह अंदाजा लगा किया था कि यह केस प्रेम प्रंसग से जुड़ा हुआ है। साथ ही घटना के बाद से देवेंद्र भी गायब है। पुलिस ने आनन-फानन में देवेंद्र की तलाश करने के लिए कई टीमें भी बना दी थी। संदेही के आधार पर यतेंद्र को थाने में बैठा लिया था। उसे फरार घोषित कर दिया और ी।उसकी लाश में कई स्थानों पर टीम भेज दी। साथ ही यतेंद्र को थाने में बैठा लिया। इतना ही नहीं पुलिस ने देवेंद्र के दोस्त, कॉलेज प्रबंधन समेत उसके मिलने-जूलने वालों से संपर्क भी किया।

परिजन आश्चर्य में...देवेंद्र के परिजन थाने बयान दर्ज कराने के लिए पहुंचे, तो उन्होंने चुप्पी साद ली। वह समझ नहीं पा रहे थे, आखिरकार उनके बेटे ने यह क्या किया। पुलिस पूछताछ में देवेंद्र के पिता ने बताया कि उन्हें आश्चर्य हो रहा है कि उनका बेटा इस तरह से फांसी लगाकर झूल सकता है। इससे पहले उसे लड़की के भेष में कभी नहीं देखा। यदि उसकी मानसिक स्थिति के बारे पता चलता, तो उसका जरूर इलाज करवाते।

हो सकता है यह रोग इस मामले में मनोचिकित्सम डॉक्टर आरएन साहू ने बताया कि जिन परिस्थितियों में देवेंद्र ने फांसी लगाई है। इससे लगता है कि उसे ट्रांस वेस्टिज्म रोग होगा। इस तरह के रोग में युवक सैक्स की संतुष्टि को पूरा करने के लिए युवतियों की भेषभूषा का प्रयोग करते हैं। यदि इस भेष में कोई उन्हें देख लेता है, तो वह डिप्रेशन में आकर खुदकुशी करने से भी नहीं चुकते हैं।

Sunday, June 05, 2011

दोस्ती निभाने की सजा मौत

'दोस्त का साथ देना और प्रेम विवाह में उसकी मदद करना प्रताप सिंह को महंगा पड़ा। यह बात उसके दोस्त के भाई गजेंद्र को नहीं सुहाई और उसने प्रताप से झगड़ा करना शुरू कर दिया। एक दिन बात इतनी ज्याद बड़ी कि उसने प्रताप की नृशंस हत्या कर दी। पुलिस ने हत्यारे को गिरफ्तार कर लिया है।'
मनोज राठौर
पांच साल पहले सागर निवासी प्रताप सिंह दागी पुत्र गंधर्भ (28) भोपाल रेलवे स्टेशन पर टहल रहा था। इस दौरान उसकी मुलाकात अचानक अशोक नगर निवासी जितेंद्र सिंह दांगी पुत्र समेर से हुई। यह चंद मिनटों की पहली मुलाकात गहरी दोस्ती में बदल गई। दोनों की जाति एक थी, फिर उनके बीच दूर-दूर तक कोई रिश्तेदारी नहीं निकली। रेलवे स्टेशन से दोनों बातचीत करते हुए बाहर निकले और एक होटल पर खड़े होकर चाय की चुस्की ली। इस दौरान दोनों ने अपने-अपने परिवार और कुछ अपने बारे में बताया। रेलवे स्टेशन से शुरू हुई दोस्ती मंगलवारा क्षेत्र में सिमट गई, क्योंकि दोनों ही उसी क्षेत्र में रहते और वहां से अपने-अपने काम पर जाते थे।
प्रताप मंगलवारा स्थित एक होटल में नौकरी करता था। वह होटल में ही खाना खाता और वहीं सोता था। इधर, जितेंद्र भी भेल स्थित एक ठेकेदार के पास मजूदरी करने लगा और मंगलवारा में एक किराए के मकान में रहने लगा। उसके तीन भाई गजेंद्र, अनूप, छोटू हैं, जो एक के बाद एक भोपाल आ गए और अलग-अलग किराए के कमरे में रहकर मजदूरी करने लगे। जितेंद्र ने जिगरी दोस्त प्रताप से भाई गजेंद्र के काम के बारे में बातचीत की। आखिर प्रताप अपने दोस्त की बात कहा टालने वाला था, सो उसने तत्काल होटल से मालिक से बातचीत कर उसे अपने साथ काम पर रख लिया। गजेंद्र भी प्रताप के साथ काम करता और होटल में खाना खाता और वहीं सोता। लेकिन कहते हैं कि जब मौत आती है, तो वह किसी भी बहाने आ जाती है। ऐसा ही प्रताप के साथ हुआ। दरअसल, 24 दिसंबर 2010 की रात नौ बजे ट्रांसपोर्ट नगर स्थित शराब की दुकान पर गजेंद्र, जितेंद्र और प्रताप ने मिलकर शराब पी। शराब के नशे में गजेंद्र ने बड़े भाई जितेंद्र के प्रेम विवाह की बात लेकर प्रताप से झगड़ा शुरू कर दिया। बात बढ़ने पर जितेंद्र ने किसी तरह दोनों के बीच समझौता कराया। इसके बाद प्रताप सीधे मंगलवारा स्थित साथी सतेंद्र के कमरे पर गया और वहां सो गया। हालांकि, सतेंद्र किसी काम से बाहर चला गया और थोड़ी देर बाद लौटकर आया, तो कमरे का सामान बिखरा हुआ और प्रताप एक कोने में खून में लतपत पड़ा हुआ था। उसने आनन-फानन में घटना की जानकारी मंगलवारा टीआई उमाशंकर तिवारी को दी। इस पर श्री तिवारी स्टाफ के साथ मौके पर पहुंचे और पंचनामे की कार्रवाई कर शव को पोस्टमार्टम के लिए हमीदिया अस्पताल भिजवा दिया।
ऐसे ही हत्याश्री तिवारी ने बताया कि सतेंद्र के जाने के बाद कमरे पर गजेंद्र आया और उसने प्रताप के साथ बड़े भाई जितेंद्र के प्रेम विवाद में मदद करने की बात को लेकर झगड़ा किया। विवाद बढ़ने पर दोनों के बीच मारपीट हुई। इस मारपीट में गजेंद्र प्रताप पर हावी हो गया और उसने कमरे में रखे लोहे के सरिए से प्रताप पर हमला कर दिया। हमले में उसके सिर में गंभीर चोट आई और खून ज्यादा बह जाने के कारण उसकी मौके पर ही मौत हो गई। श्री तिवारी ने बताया कि वारदात को अंजाम देने के बाद गजेंद्र देर रात तक बस व रेलवे स्टेशन पर घूमता रहा और नशा उतरने के बाद अशोक नगर भाग निकला। पुलिस ने हत्यारे गजेंद्र को अशोक नगर से गिरफ्तार कर लिया है।
यह हत्या की वजहहत्या की वजह जितेंद्र का प्रेम विवाह बन गया। यह बात पुलिस के गले नहीं उतर रही थी। हालांकि, गजेंद्र की गिरफ्तारी होने के बाद हत्या के कारणों का खुलासा भी हो गया। आरोपी गजेंद्र ने पुलिस को बताया कि वह और उसके बाकी के भाई बड़े भाई जितेंद्र की शादी बड़े धूम-धाम से करना चाहते थे। परिजन उसके लिए लड़की तलाश रहे थे। मगर, प्रताप के साथ रहने के कारण जितेंद्र बिगड़ गया और उसने परिवार को बिना बताए अशोक नगर स्थित छोटी कुरूवाई निवासी मोनिका (परिवर्तित नाम) से प्रेम विवाह कर लिया। गजेंद्र का कहना था कि जितेंद्र के प्रेम विवाह में प्रताप का हाथ है। उसने ही प्रेम विवाह करने की सलाह दी, जिसकी बातों में आकर जितेंद्र ने यह कदम उठाया। इसी बात को लेकर गजेंद्र का कईयों बार प्रताप से झगड़ा हुआ, लेकिन 24 दिसंबर की रात यह बात इतनी ज्यादा बिगड़ गई कि उसने लोहे के सरिए से प्रताप की नृशंस हत्या कर दी।
हर काम में साथ देता था प्रतापजितेंद्र हर एक काम में प्रताप की राय लेता था। गहरी दोस्ती होने के कारण वह दोनों अक्कसर रात के समय शराब पीते थे। इसके चलते ही उसने अपनी पे्रमिका के बारे में प्रताप को बता दिया। इधर, बड़े भाई से करीबी दोस्ती होने के कारण गजेंद्र अक्कसर प्रताप से झगड़ा करता था, जबकि प्रताप और गजेंद्र दोनों ही एक ही होटल में काम करते थे।