Tuesday, October 18, 2011

बच्चों के लिए बना हत्यारा

(चीफ मैनेजर की हत्या का मामला)

मनोज राठौर

25 सितंबर 2011 को शाम 7.30 बज रहे थे। हबीबगंज स्थित शालीमार इंक्लेव कॉलोनी में रोजाना की तरह चहल-पहले थी। कई लोग घर के बाहर टहल रहे, तो कई लोग झुंड बनाकर इधर-उधर गप्पे लगा रहे थे। इस दौरान पंजाब एंड सिंध बैंक के चीफ मैनेजर एके नागपाल (52) कॉलोनी स्थित डायमंड ब्लाक-15 के फर्स्ट फ्लोन, फ्लेट नंबर तीन पर पहुंचे। उन्होंने दरवाजे की हालत देखी, तो वह चकित रहे गए। दरवाजा का ताला टूटा हुआ था। वह जैसी दरवाजा खोलकर अंदर गए, तो उनका सामना एक बदमाश से हो गया। बदमाश की शर्ट के अंदर चोरी का सामान भरा हुआ था। आरोपी भागने की फिराक में था, लेकिन नागपाल ने उसे लपककर पकड़ लिया। बदमाश ने पहचाने जाने की डर पर चाकू से उन पर ताबड़तोड़ वार किए। इसके बाद आरोपी उन्हें घायल अवस्था में छोड़कर खाली हाथ ही भाग निकला। उनकी मौके पर ही मौत हो गई थी। नागपाल मूल रूप से दिल्ली के रहने वाले थे। उनके परिवार में उनकी पत्नी, दो बेटे और एक बेटी है। उनका बड़ा बेटा यूके में नौकरी करता है, जबकि छोटा बेटा वरूण और बेटी अपनी मां के साथ दिल्ली में रहते हैं।

बच्चों के जन्म दिन के लिए चोरी: नागपाल का हत्या गोविंदपुरा स्थित विकास नगर निवासी सुंदर उर्फ शैलेंद्र यादव (32) ने की थी। उसने पुलिस के सामने अपना जुर्म कबूल किया और उसने जो कुछ बताया, उसको सुनकर एएसपी राजेश चंदेल, सीएसपी राजेश सिंह भदौरिया और हबीबगंज टीआई सुरेश दामले चकित रह गए। आरोपी सुंदर ने बताया कि उसके दो जुड़वा बच्चे हैं, जिसका जन्मदिन 27 सितंबर को था। उसके पास बच्चों का जन्मदिन मानने के लिए रुपए नहीं थे। साथ ही वकील को पेशी के लिए पांच हजार रुपए देना थे। उसकी तमन्ना था कि वह जन्मदिन के मौके पर अपने दोनों बच्चों को नए कपड़े खरीदकर दे और उनका धूम-धाम से जन्मदिन बनाए। लेकिन उसके सारे अरमान उसकी एक हरकत की वजह से पानी की तरहा बह गए। वह बच्चों के जन्मदिन के लिए जिस घर में चोरी करने गया था, वहीं उसने घर के मालिक नागपाल की चाकू से गोदकर हत्या कर दी।

भागने की फिराक में था आरोपी: सुंदर शाम करीब सात बजे मैनेजर के घर का ताला तोड़कर अंदर दाखिल हुआ। वह चोरी का सामान शर्ट में भरकर घर से बाहर निकलने ही फिराक में था। इतने में नागपाल ने दरवाजा खोल दिया। आरोपी उन्हें देखकर भागने की कोशिश करने लगा, लेकिन उन्होंने उसे पकड़ लिया। उनका आरोपी से करीब 15 मिनट तक संघर्ष भी हुआ। इस बीच उसने श्री नागपाल पर चाकू से वार किए और उन्हें घसीटता हुए सीढ़ियों तक ले गया। हालांकि, श्री नागपाल के पड़ोसियों के शोर मचाने पर आरोपी चाकू लहराते हुए भाग निकले में सफल हो गया।

ऐसे पकड़ाया हत्यारा: घटना स्थल पर पुलिस को भविष्य निधी कार्यालय में पदस्थ एक ड्राइवर का आईकार्ड और अदालत में होने वाली पेशी की एक पर्ची मिली। इसी आधार पर पुलिस ने अशोका गार्डन क्षेत्र से गोविंदपुरा स्थित विकास नगर निवासी सुंदर उर्फ शैलेंद्र यादव (32) को गिरफ्तार कर लिया। वह 26 सितंबर की सुबह भागने की फिराक में था। प्रारंभिक पूछताछ में वह आनाकानी करने लगा, लेकिन शालीमार इंक्लेव के गार्ड ने उसकी पहचान कर ली। इसके बाद उसने मैनेजर की हत्या करना स्वीकार की। कुछ सालों पहले सुंदर भविष्य निधी कार्यालय में ड्राइवर था, लेकिन उसे करीब दो साल पहले सस्पेंड कर दिया गया था। नौकरी के दौरान ही आरोपी कई बार एक अधिकारी के साथ नागपाल के घर गया था। तभी से वह नागपाल को जानता था। उपुलिस ने उसके पास से हत्या में प्रयोग किए गए चाकू और खून लगी शर्ट बरामद कर ली है।

डॉटर-डे पर दी थी बेटी को बधाई: घटना वाली दोपहर करीब चार बजे नागपाल ने अपने छोटे बेटे वरूण को फोन लगाया। फोन पर उन्होंने सबसे पहले अपनी छोटी बेटी को डॉटर-डे के अवसर पर बधाई दी और उसकी लंबी उम्र की मनोकामना की। वरूण ने पिता से भोपाल के बारे में पूछा, तो उन्होंने बताया कि भोपाल बहुत अच्छा है और यहां रहते हुए ढाई साल कब बीत गए पता ही नहीं चला। उन्होंने दिल्ली आने की इच्छा भी जाहिर की और वरूण से कहा कि वह इसी साल रिटायर्डमेंट के बाद दिल्ली आएंगे।

चाकू से डर गए सिक्युरिटी गार्ड: नागपाल के पड़ोसियों के शोर मचाने पर भाग रहे आरोपी सुंदर को कॉलोनी की एक युवती ने पकड़ लिया, लेकिन वह थोड़ी देर बाद ही उसे धक्का देकर मेन गेट की ओर भागने लगा। इधर, आरोपी को मेन गेट की ओर आता देख सुरक्षा गार्ड बाबूलाल पटेल, रेवती रमन मिश्रा और चिंतामणी ने उसे दबोच लिया। वे उसे गार्ड रूम के पास लेकर आ रहे थे, इसी बीच वह रास्ते में जमीन पर लेट गया। सुरक्षा कर्मियों ने उसे उठाने की कोशिश की, तो उसने अचानक पीठ के पीछे छुपाए एक चाकू को निकाला और उन पर हमला करने लगा। इस पर तीनों गार्ड जैसे ही पीछे हटे, वैसे ही वह भाग निकला।

आरोपी ने तोड़े दो ताले : नागपाल के घर के दरवाजे में दो गेट लगे हैं। एक लोहे की जाली का है, जबकि दूसरा लकड़ी का। आरोपी नागपाल के घर में चोरी की नियत से दाखिल हुआ था। उसने घर में लगे लोहे की जाली वाले और लकड़ी वाले दरवाजे के ताला को एक के बाद एक कर तोड़ा। इसके बाद वह चोरी का सामान शर्ट में भरकर घर से निकलने की फिराक में था, लेकिन इसी बीच नागपाल आ गए।

Thursday, October 13, 2011

एक तरफा प्यार में बना हैवान

गोविंदपुरा में कार से छात्रा को कुचलने का मामला

'एक तरफा प्यार में पागल इंजीनियरिंग छात्र महेंद्र यादव को प्यार में हर बार नाकामी हाथ लगी, तो उसने प्रेमिका को रास्ते से हटाने की योजना बनाई। उसने प्रेमिका सहित उसकी दो सहेलियों पर कार चढ़ा दी। इसमें एक छात्रा की मौत हो गई थी। पुलिस भी प्यार में हैवान बने महेंद्र को वांटेड घोषित कर चुकी है...

मनोज राठौर

करेली, नरसिंहपुर निवासी मोनिका (परिवर्तित नाम) आनंद नगर स्थित एक प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज में बीई सिक्स सेमेस्टर की छात्रा है। वह सहपाठी छात्रा राधिका और सरोज के साथ गोविंदपुरा के संकल्प हॉस्टल में रहती थी। तीनों छात्राएं पढ़ाने में तेज थी और एक साथ कॉलेज आती और जाती थी। उन्हें पूरी क्लास में सिर्फ छात्र महेंद्र यादव से डर लगता था। इसी वजह से तीनों छात्राएं हर बार उससे कन्नी काटती थी।

इधर, महेंद्र मोनिका को पसंद करता था। वह उसके एक तरफा प्यार में दिवाना बन गया। वह वर्ष 2010 से उसे परेशान कर रहा था। महेंद्र को पता था कि मोनिका अपनी सहेली राधिका और सरोज के साथ हॉस्टल आती-जाती हैं। इस पर उसने उनके साथ दोस्ती बढ़ने की कोशिश की, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी। वह एक तरफा प्यार में पागल हो गया था। सालभर में उसे हाव-भाव भी चेंज हो गए। उसने किसी तरह मोनिका को एक गुलाब का फूल देकर अपने प्यार का इजहार कर दिया, लेकिन मोनिका ने उसे समझाया कि वह नरसिंहपुर से पढ़ाई करने आई है। वह भी फालतू चीजों को छोड़कर अपनी पढ़ाई पर ध्यान दे। मगर, महेंद्र कहां मानने वाला था। इसके बाद वह मोनिका और उसकी सहेलियों को कुछ ज्यादा ही परेशान करने लगा। वह अक्सर उनका रास्ता रोकता और उनसे बात करने की कोशिश करता। आखिरकार महेंद्र की हरकतों से परेशान होकर मोनिका ने उसकी शिकायत कॉलेज प्रबंधन से कर दी। इस पर प्रबंधन ने सख्त रवैया अपनाते हुए उसे एक सेमेस्टर के लिए सस्पेंड कर दिया। यह बात महेंद्र ने अपने परिजन को नहीं बताई। उसने दोस्तों से कहा कि यदि मोनिका उसकी नहीं हो सकी, तो किसी की नहीं होगी और उसने मोनिका को रास्ते से हटाने की कसम खा ली।

महेंद्र की हैवानियत-महेंद्र मूल रूप से ग्वालियर का रहने वाला है। उसके पिता रेलवे विभाग में अधिकारी हैं। वह बागसेवनिया के शंकराचार्य नगर स्थित किराए के मकान में अपनी मां के साथ रहता था। महेंद्र ने योजना के तहत 6-7 जून 2011 को दुर्गेश बिहार निवासी ट्रेवल्स संचालक अमित सिंह के पास गया। उसने खुद को 10 वीं फेल बताते हुए उनसे ड्रायवर की नौकरी मांगी। इस पर श्री सिंह ने दया दिखाते हुए उसे नौकरी पर रख लिया। इसके बाद वह 9 जून को ट्रेवल्स की कार क्रमांक एमपी 04 सीई 7792 को लेकर कॉलेज गया और वहां से इंटर्नल एग्जाम देकर कॉलेज की बस से घर जा रही छात्रा मोनिका का पीछा किया। बस ने दोपहर करीब दो बजे मोनिका और उसकी सहपाठी राधिका व सरोज को शक्ति नगर कॉम्प्लेक्स के पास उतारा। वहां से तीनों छात्राएं पैदल हॉस्टल की ओर जाने लगी, तो एक तरफा प्यार में पागल महेंद्र ने डीआरएम आॅफिस के सामने मोनिका पर कार चढ़ाने की कोशिश की। इस दौरान मोनिका बाल-बाल बच गई, लेकिन उसकी दोनों सहेली कार की चपेट में आ गई। इसके बाद भी उसका दिल नहीं भराया, तो उसने कार को रिवर्स कर मोनिका और उसकी सहेलियों पर तीन बार गाड़ी चढ़ाई।

कार छोड़कर भाग निकाला-घायल छात्राओं की चीख सुनने के बाद कुछ लोग उनकी मदद के लिए आगे आने लगे। यह देख महेंद्र मौके पर कार छोड़कर पैदल भाग निकला। लोगों ने कार के नीचे फंसी छात्रा सरोज को बाहर निकाला और सभी को निजी वाहनों से एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया, जहां करीब तीन दिन के इलाज के बाद मोनिका और राधिका को छुट्टी दे दी गई। वहीं सरोज की हालत बिगड़ने पर डॉक्टरों ने उसे पुराने शहर के एक प्राइवेट अस्पताल में रेफर कर दिया। वहां उसकी 29 जून 2011को इलाज के दौरान मौत हो गई।

महेंद्र वांटेड घोषित-पुलिस की दर्जनभर पार्टियों ने फरार महेंद्र की तलाश ग्वालियर, इंदौर, दिल्ली सहित दूसरे राज्यों में की, लेकिन महीनेभर बाद भी उसका सुराग नहीं लगा पाई। पुलिस हत्यारे महेंद्र पर पहले ही 15 हजार रुपए का इनाम घोषित कर चुकी है। वहीं महेंद्र को पकड़ने में नाकाम पुलिस ने गत तीन जून को उसे वांटेड घोषित कर दिया। उसके पोस्टर बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन सहित सार्वजनिक स्थानों पर चस्पा कर दिए।क्या कसूर था मेरी बेटी का...अस्पताल में रीवा निवासी छात्रा सरोज के पिता रोते समय एक ही बात कह रहे थे कि मेरी बेटी आरती का क्या कसूर था, जो महेंद्र ने उसकी जान ले ली। वे तो अपनी सहेलियों के साथ कॉलेज से हॉस्टल लौट रही थी। उन्हें यकीन नहीं हो रहा था कि जिस बेटी को उन्होंने इंजीनियर बनाने के लिए भोपाल भेजा, आज उसकी लाश कंधों पर घर लेकर जाएंगे। अस्पताल में जिसने भी यह दृश्य देखा उसकी आंखे आंसूओं से भर आर्इं।

महेंद्र ने मां से छुपाई बात-तीनों छात्राओं को कार से रौंदने के बाद महेंद्र सीधा बागसेवनिया स्थित अपने किराए के कमरे पर पहुंचा। वहां उसने अपनी मां को बताया कि उसे पुलिस एक झूठे मामले में फंसाना चाहती है और उसे गिरफ्तार करने के लिए कभी-भी घर आ सकती है। इसके बाद वह मां को बाइक पर बैठाकर हबीबगंज रेलवे स्टेशन ले गया। उसने पार्किंग में बाइक पार्क की और ट्रेन से ग्वालियर चला गया। अगले दिन मीडिया में खबर देखकर उसके माता-पिता को बेटे की करतूत के बारे में पता चला। इससे पहले की महेंद्र के परिजन उसे डांट पाते, वह खुद ही घर छोड़कर कहीं फरार हो गया।

Wednesday, October 12, 2011

खुद के घर में कराई लूट

सट्टा खेलने की लत ऐसी लगी कि एक कलयुगी बेटे ने साथियों के जरिए अपने घर में लूट करवा दी। टीटी नगर पुलिस ने मामले की बारीकी से जांच कर आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।
मनोज राठौर
5 जुलाई 2011 को एएसपी राजेश चंदेल पुलिस कंट्रोल रूम स्थित अपने केबिन में बैठकर जरूरी फाइलों में हस्ताक्षर कर रहे थे। इस दौरान उनके पास टीटी नगर सीएसपी अमित सक्सेना का फोन आया और उन्होंने बताया कि साउथ टीटी नगर में छह महीनें पहले सब इंजीनियर महमूद असन (56) के घर में हुई लूट के मामले में उनका एकलौता बेटा हबीब शामिल है। उसने ही सट्टा खेलने के चलते साथियों के साथ घर में लूट की साजिश रची। इस पर चंदेल ने बिना वक्त गवाए सभी आरोपियों को हिरासत में लेने के निर्देश दिए। इसके बाद सीएसपी ने टीटी नगर टीआई एसकेएस तोमर के साथ मिलकर एक के बाद एक सभी आरोपियों को दबोच लिया।
ऐसे की लूटपाट-एफ-44/23, साउथ टीटी नगर निवासी महमूद असन (56) सिंचाई विभाग में सब इंजीनियर हैं। वह घर में एकलौते बेटे हबीब और मानसिक रूप से विक्षिप्त पत्नी नगमा सुल्तान के साथ रहते हैं। हबीब प्रॉपर्टी का काम करता है। इसी साल तीन फरवरी को उनके घर चार युवक पहुंचे। वह खुद को हबीब का दोस्त बता रहे थे। इस पर महमूद ने उनसे कहा कि हबीब बाहर गया है, बाद में आकर उससे मिल लेना। इस दौरान एक युवक ने उनसे पीने के लिए पानी मांग लिया। महमूद भी क्या करते, उन्होंने बेटे के दोस्त समझकर घर के गेट का ताला खोला और उन्हें एक ग्लास में पानी भरकर दे दिया। इससे पहले की महमूद कुछ समझ पाते, चारों युवकों ने उनकी आंखों में मिर्ची झोंक दी और लोहे की पेटी में रखे नकदी 20 हजार रुपए, सोने के टॉप्स, नाक की लोंग , तीन चुड़ियां, दो मोबाइल फोन, एक एयरगन, चांदी की पायल सहित अन्य सामान लूट ले गए।
बेटा निकला साजिशकर्ता-इस मामले में सीएसपी अमित सक्सेना को शुरू से ही महमूद के बेटे हबीब पर शक था। इसके चलते ही उन्होंने पुलिस की एक टीम हबीब की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए बना दी। पुलिस टीम ने महीनों की मेहनत के बाद हबीब के खिलाफ कई महत्वपूर्ण जानकारी जुटाई। इसके बाद पुलिस उसे पूछताछ के लिए थाने लेकर आ गई। प्रारंभिक पूछताछ में वह आनाकानी करने लगा, लेकिन सख्ती बरतने पर उसने लूट की घटना से पर्दा हटाया। उसने पुलिस पूछताछ में बताया कि उसने ही साथियों के साथ मिलकर अपने ही घर में लूट करने की साजिश रची। पुलिस ने उसकी निशानदेही पर उसके नार्थ टीटी नगर में रहने वाले दोस्त रिंकू (परिवर्तित नाम), बाणगंगा निवासी अमजद व मोहन (परिवर्तित नाम) को गिरफ्तार कर लिया, जबकि उनका अन्य साथी मंडीबमोरा निवासी समीर फरार है। पुलिस ने उस पर पांच-पांच हजार रुपए का इनाम घोषित किया है। यह स्टोरी लिखे जाने तक आरोपी पुलिस की गिरफ्त में नहीं आया था।
नाबालिकों को लगाई हथकड़ी-पुलिस अधिकारियों ने नियमों का मजाक उड़ाते हुए नाबालिग रिंकू और मोहन को हथकड़ी लगाकर पुलिस कंट्रोल में पेश किया, जबकि बाल अपराधियों को मीडिया के सामने आना और हथकड़ी लगाकर उनके फोटो कराना गैर-कानूनी है।
इसलिए कराई लूट-हबीब ने इसी साल प्रॉपर्टी का काम शुरू किया था, लेकिन सट्टे की लत ने उसे बर्बाद कर दिया। उसे सट्टा खेलने के लिए 10 हजार रुपए की जरूरत थी। इसके चलते ही उसने दोस्तों से लूट की वारदात कराई। उसने खुद 10 हजार रुपए ले लिए और बाकी के रुपए उन्हें दे दिए। आरोपियों ने पूछताछ में यह भी बताया कि लूट की घटना के बाद उनकों रातों को नींद नहीं आती थी। वे पुलिस की गाड़ी को देखकर डर जाते थे।



Tuesday, October 04, 2011

'जिस्मानी शौक' ने ली जान

(एमआर हत्याकांड)

'ग्वालियर के एमआर को भोपाल में रहकर बच्चों से जिस्मानी शौक पूरा कराना महंगा पड़ा गया। यही बच्चे उनके लिए काल बन गए और एक दिन उनका गला घोंट कर हत्या कर दी। '
मनोज राठौर
ग्वालियर के लश्कर मोहल्ला निवासी उदय इंगले पुत्र एएस इंगले (47) एमआर (मेडिकल रिप्रजेंटेटिव) थे। वह दवाईयों की सप्लाई करने के सिलसिले में भोपाल आते-जाते रहते थे। वह पिछले दो-तीन सालों से भोपाल में आ रहे थे और लक्ष्मी टॉकीज स्थित आदर्श लॉज के कमरा नंबर 19 में रूकते थे। मग, उनकी कुछ गलत हरकत ही उनकी मौत का कारण बन गई। गत 30 जून 2011को इंगले लॉज के कमरा नंबर-19 में रूके थे। उनका लेपटॉप तो उनके पास था, लेकिन दिमाग ओर कहीं था। वह शाम करीब पांच बजे मार्केट का काम निपटाने के बाद लॉज पहुंचे थे कि उनके पास एक युवक का फोन आया और उसने उनसे मिलने की इच्छा जाहिर की। इसके बाद क्या था, एक के बाद एक तीन युवक इंगले के पास पहुंचे और योजना के तहत उनकी गला दबाकर हत्या कर दी। इस घटना के बाद लक्ष्मी टॉकीज क्षेत्र में सनसनी फैल गई। मौके पर पहुंचे एएसपी संतोष सिंह गौर ने शव को देखकर अंदाजा लगा लिया कि इंगले की हत्या उनके किसी परिचित या फिर मिलने-जुलने वाले व्यक्ति ने की है।
मोबाइल से मिला सुराग - एएसपी गौर को इंगले के कमरे से एक लेपटॉप, पन्नी में रखी चाय और तीन डिस्पोजल, दो मोबाइल फोन, एक चाकू, पर्स, बेल्ट सहित अन्य सामान मिला। उन्होंने घटना के अगले दिन शव का पोस्टमार्टम कराने के बाद उसे ग्वालियर से आए इंगले के परिजन को सौंप दिया। इस दौरान हनुमानगंज पुलिस ने इंगले के परिजन से बातचीत की, लेकिन उन्होंने किसी पर शक जाहिर नहीं किया और न ही किसी से कोई व्यक्तिगत दुश्मनी होना बताई। यह कहानी दिन-व-दिन उलझती जा रही थी और एमआर हत्याकांड एएसपी के लिए चुनौती बन गया। मगर, पुलिस स्टाफ को इंगले के मोबाइल फोन की कॉल डिटेल से कुछ अहम सुराग मिल गए। यह बात एएसपी को पता चली, तो उन्होंने कॉल डिटेल को आधार बनाकर एक नए सिरे से मामले की जांच शुरू की। इस दौरान उन्हें पता चला कि घटना वाले दिन इंगले की आखरी बार बात दीप नामक युवक से हुई थी। इस पर दीप को प्रारंभिक पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया। वह पहले तो आनाकानी करने लगा, लेकिन सख्ती बरतने पर उसने एमआर की हत्या का राज खोल दिया।
क्या हुआ था घटना वाले दिन - घटना वाले दिन प्रोफेसर कॉलोनी निवासी दीप कुमार उर्फ दीपू के मोबाइल फोन से श्यामलाहिल्स में रहने वाले उसके दोस्त शाहरुख खान ने इंगले से बातचीत की। शाहरुख ने इंगले से कहा कि वह उससे मिलने चाहता है। इस पर इंगले ने उसे कमरे पर बुला लिया। वहां उनके बीच उधारी रुपए को लेकर कहासुनी हो गई। विवाद बढ़ने पर शाहरुख ने फोन कर दीपू और प्रोफेसर कॉलोनी में रहने वाले एक अन्य साथी शाहवर खान को बुला लिया। इसके बाद दीप कमरे के गेट पर पहरा देने लगा और शाहवर व शाहरुख ने इंगले पर चाकू से हमला किया, लेकिन चाकू दीवार से टकराकर तेढ़ा हो गया। इंगले दोनों छात्रों पर भारी पड़ रहे थे। इस दौरान शाहरुख ने हाथों से इंगले का गला और शाहवर ने मुंह दबा दिया। इंगले की हत्या करने के बाद घबराया शाहरुख कमरे की खिड़की से नीचे उतरते लगा, लेकिन पैर फिसलने से वह तीसरी मंजिल से नीचे गिर गया। कुछ देर के लिए वह सड़क पर बेहोशी की हालत में पड़ा रहा, लेकिन स्थानीय लोगों ने उसे पानी पिलाया, तो वह फुर्ती में जुमेराती मार्केट की ओर भाग निकला। वहीं उसके बाकी के साथी लॉज के रास्ते से नीचे उतरे और लक्ष्मी टॉकीज के पास खड़ी बाइक से भाग निकले।
यह शौक पड़ा महंगा - वैसे पुलिस अधिकारियों का कहना है कि वर्ल्ड कप के दौरान शाहरुख ने इंगले को 10 हजार रुपए उधार दिए थे। हालांकि, रुपए देने में इंगले आनाकानी कर रहा था। इसके चलते शाहरुख ने साथियों के साथ मिलकर उसकी हत्या कर दी। उधर, पुलिस इस बात से भी इंकार नहीं कर रही है कि इंगले समलैगिंग थे। पुलिस जांच में यह बात भी सामने आई है कि इंगले पिछले दो-तीन सालों से भोपाल आ रहे थे। वह महीनें में तीन-चार दिन लॉज में रूकते। इतना ही नहीं वह भोपाल आने से पहले लॉज मैनेजर बाबूखान को फोन कर कमरा बुक करवा लेते थे। इंगले रोजाना सुबह-सुबह बड़े और छोटे तालाब में नहाने के लिए जाते थे। यह नहाना, तो सिर्फ उनका एक बहाना था। इस दौरान उनकी नजर कम उम्र के बच्चों पर रहती। यदि कोई बच्चों उनके साथ चलने के लिए तैयार हो जाता, तो वह उसे लॉज में लेकर आते और उसे लेपटॉप में लोड अश्लील फिल्म दिखाते। इसके बाद वह उसके शरीर पर हाथ फेरने लगते और बच्चे से ऐसा काम करने के लिए बोलते, जिसके लिए उन्हें शादी का इंतजार करना पड़ता है। मगर, बच्चे पैसों के लालच में इंगले की वासना शांत कर देते। ऐसा ही कुछ हो रहा था, शारुख के साथ।
अच्छे परिवार से तालुक - आरोपी छात्रों का तालुक अच्छे परिवार से है। शाहरूख के पिता मोहम्मद सलीम और दीप के पिता गिरिजा शंकर पीडब्ल्यूडी तथा शाहवर का बड़ा भाई सोहेल अपने पिता स्व. सलीम खान की जगह पर बोर्ड आॅफिस नौकरी करते हैं। शाहरूख पढ़ाई के साथ अदालत परिसर की पार्किंग में काम भी करता था।

Sunday, September 18, 2011

जन्मदिन पर मौत का तांडव

जिस के साथ सात फेरे लिए और जीने-मरने की कसम खाई, आज उसी भेल कर्मचारी ने अपनी पत्नी को मौत के घाट उतार दिया। बीच-बचाव करने पर उसने अपनी सगी साली को भी नहीं छोड़ा। पत्नी और साली की हत्या के बाद उसने खुद की जीवन लीला भी समाप्त कर ली।

पिपलानी में पत्नी-बहन की हत्या के बाद खुदकुशी

मनोज राठौर

पिपलानी स्थित 191, डी-सेक्टर निवासी मनोज कोरी पिता जमुना प्रसाद (30) भेल में आर्टिजन थे। उनकी फरवरी 2010 में नरसिंहपुर निवासी सविता (27) से शादी हुई थी। मूल रूप से गाडरवाड़ा निवासी मनोज का छोटा परिवार था। उसके साथ पत्नी और बुर्जुग माता-पिता रहते थे। वह परिवार के साथ बेहर खुश था। वह रोजाना समय पर ड्यूटि जाता और समय पर ही घर वापस आता था। मगर, शादी के कुछ दिनों बाद उसके स्वभाव में बदलाव आ गया था। उसकी पत्नी से पटरी नहीं बैठ रही थी। पत्नी और पति के बीच आए दिन झगड़ा होने लगा।

गत 10 मई 2011 को उसकी साली सरिता बहन से मिलने के लिए कुछ दिनों के लिए घर आईं थी। जब सरिता ने बहन और जीजा के बीच झगड़ा देखा, तो उसने उन्हें समझाने की कोशिश की, लेकिन उसकी एक नहीं चली। इसके चलते ही वह 14 जुलाई को अपने घर वापस जाना चाहती थी, लेकिन उसे पता नहीं था कि बहन के घर में आखरी दिन उसका काल बन जाएगा। उस दिन सुबह करीब साढ़े पांच बजे घर में सिर्फ मनोज, उसकी साली व पत्नी थी। उसके माता-पिता गाडरवाड़ा स्थित एक रिश्तेदार की शादी में गए थे। इस दौरान अपने जन्म दिन ही मनोज का रोजाना की तरह पत्नी से झगड़ा शुरू हो गया। पड़ोसियों ने पति-पत्नी के विवाद को देखा, लेकिन उन्होंने रोजाना का झगड़ा समझकर अनदेखी कर दी। सभी लोग अपने-अपने घरों में चले गए। हालांकि पति-पत्नी में विवाद इतना बड़ा की, मनोज के सिर पर खून सवार हो गया। उसने पत्नी के साथ मारपीट की और घर के पीछे उसकी पत्थर से कुचलकर हत्या कर दी। इस दौरान साली सरिता ने बीच-बचाव करने की कोशिश की, तो मनोज ने उसके बाल पकड़कर सिर फर्श पर दे मारा। इससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। पत्नी और साली को मौत के घाट उतारने के बाद मनोज बाइक से शाहपुरा बावड़िया कला रेलवे फाटक पहुंचा और ट्रेन के सामने आकर खुदकुशी कर ली।

पत्नी par करता था शक - घर में पत्नी और साली की हत्या करने के बाद मनोज ने एक सुसाइड लिखा और बाइक लेकर बावड़िया कला पहुंचा। वहां उसने सड़क किनारे बाइक खड़ी कर ट्रेन के सामने छलांग लगाकर खुदकुशी कर ली। पुलिस को उसके पास से एक सुसाइड नोट मिला, जिसमें उसने लिखा है कि पत्नी के उसके साढू भाई से अवैध संबंध है। वह पत्नी के चरित्र के बारे में अपनी सास को कई बार बता चुका था, लेकिन किसी ने उसकी पत्नी को नहीं समझाया। इससे तस्त्र आकर उसने यह कदम उठाया। इतना ही नहीं उसने सुसाइड नोट में पत्नी और साढू भाई के बीच होने वाली बातचीत के लिए सबूत के तौर पर कुछ मोबाइल नंबर भी लिखे थे।

जन्म दिन का मौका - जिस घर में मनोज के जन्मदिन की खुशियां बनाई जानी थी, वहां घटना वाले सुबह से मातम छा गया। दरअसल, घर में बेटे, बहू सहित तीन की मौत की खबर सुनने के बाद मनोज के माता-पिता तत्काल भोपाल पहुंचे। उन्होंने पीएम के बाद बेटे का शव ले लिया, जबकि बहू और उसकी बहन का शव उसके परिजन अपने साथ नरसिहंपुर ले गए। मनोज ने सुसाइड नोट में इस बात का खुलासा भी किया था कि आज मेरा जन्मदिन है। मैं बेहद दुखी हूं। मेरी पत्नी सरिता का उसके जीजा से अवैध संबंध है। इसके बारे में अपनी सास को भी बताया, लेकिन उन्होंने उसे नहीं समझाया। मैं जिंदगी से त्रस्त हो चुका हूं, इसलिए आज मैं मरने जा रहा हूं। इतना ही नहीं मनोज के जन्मदिन की बात उसके परिजन, दोस्तों सहित आॅफिस के कई लोगों को पता थी, लेकिन पत्नी के चरित्र पर शक के चलते वह सबकुछ भूल गया और घर में खुशियों की जगह मौत का तांडव कर दिया।

खून में लतपथ घर - मनोज के घर की दीवार और इधर-उधर मौजूद खून के निशान यही बयान कर रहे थे कि घटना के समय सविता और सरिता ने अपनी जान बचाने की भरपूर कोशिश की, लेकिन मनोज के आगे उनकी एक नहीं चली। दरअसल, मनोज ने कमरे में सबसे पहले पत्नी के साथ मारपीट शुरू की। इसके बाद उसने उस पर कैंची से जानलेवा हमला किया। हालांकि, सविता पत्नी के ईरादे को भांप गई थी। सो वह अपनी जान बचाकर घर में इधर-उधर भागने लगी। मगर, मनोज ने कसम खा ली थी कि आज वह पत्नी की जीवन लीला समाप्त कर देगा। इसके चलते ही वह पत्नी को मारते हुए घर के बाहर ले गया और वहां से उसे घर के पीछे स्थित पानी की टंकी के पास ले गया। इस बीच मनोज से जान बचाकर भागते समय सविता के खून के निशान दीवार और घर के फर्श पर आ गए।

आए दिन होता था झगड़ा - शादी के कुछ दिनों तक मनोज और उसकी पत्नी के बीच सबकुछ ठीक चला, लेकिन बाद में वह पत्नी से नफरत करने लगा। कारण था, पत्नी के साढू से अवैध संबंध। उसने पत्नी को बहुत समझाने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं मानी। वह रात को फोन पर किसी से बातचीत करती थी। यह बात मनोज को कांटे की तरह चुभती थी। सो उसने पूरे पत्नी की शिकायत अपने ससुराल पक्ष से की। मगर, उसे वहां से संतोषजनक जवाब नहीं मिला, तो उसने पत्नी को खुद ही सुधारने की बात मन में ठान ली। इसके चलते ही उसका रोजाना पत्नी से झगड़ा होता था। यह बात उसके पड़ोसी व मोहल्ले वाले भी जानते थे।

Thursday, August 04, 2011

रोकड़े के लिए जिगरी दोस्त की हत्या

''जावेद ने कुछ समय तक अपने जिगरी दोस्त अनस के साथ मौज-मस्ती की। दोनों ने मिलकर अपने अन्य साथियों के साथ सीहोर स्थित ढाबे पर शराब पी और खाना भी खाया था। इसके बाद वे अपने-अपने घर चले गए। वहीं घर पहुंचने के बाद जावेद को बेचैनी होने लगी और वह कट्टा लेकर अनस के घर आ गया। वह अनस से अपने उधारी के पैसे मांगने लगा। इस बात को लेकर गुस्से में जावेद ने अनस के सीने पर कट्टा अड़ा दिया। इधर, जावेद की इस हरकत को अनस मजाक समझ रहा था, लेकिन जावेद ने टीगर दबाकर उसकी हंसी हमेशा के लिए बंद कर दी।''

मनोज राठौर

पुराने शहर के गौतम नगर निवासी जावेद अली पेश से वकील हैं। उनका बेटा अनस (22) पुल गेम के साथ प्रॉपर्टी का काम भी करता था। दो अगस्त 2010 की रात नौ बजे अनस और शाहजहांनाबाद में रहने वाले उसके जिगरी दोस्त जावेद ने मिलकर सीहोर ढाबे पर खाने व पीने का प्रोग्राम बनाया। इसके बाद अनस अपने साथी फैजल, अनिल मिश्रा और मोनू यादव के साथ कार से सीहोर स्थित ढाबे पहुंच गया। वहीं उनके पीछे जावेद भी अपने दोस्त सौरभ पंड़ित के साथ बाइक से पहुंचा। ढाबे पर सभी लोगों ने मिलकर जमकर शराब पी और खाना खाने के बाद घर की ओर लौटने लगे। इसके बाद सभी युवक शाहजहांनाबाद में एक साथ मिले, जहां से जावेद और सौरभ पंड़ित अपने-अपने घर चले गए और अनस भी कार लेकर अपने घर की ओर रवाना हो गया।

अनस घर के सामने कार की ड्रायविंग सीट पर बैठकर साथियों के साथ सिगरेट पी रहा था। इस बीच वहां सौरभ और जावेद एक आॅटो से पहुंचे। इससे पहले की अनस और उसके साथी कुछ समझ पाते, सौरभ ने चाकू निकालकर फैजल, अनिल और मोनू पर अड़ा दिया। वहीं जावेद ने अनस से कहा कि आज मेरे उधारी के पैसों का हिसाब कर दे। इस पर उसने कल आने का कहकर बात टाल दी। गुस्से में जावेद ने पेंट की जेब से कट्टा निकाला और अनस के सीने पर अड़ा दिया। वह पैसे लेने की बात पर अड़ा हुआ था। यह बात अनस को मजाक लग रही थी। उसने जावेद से कट्टा अलग करने को कहा, लेकिन उसने गोली चला दी। इसके बाद अनस ड्रायविंग सीट से जमीन पर गिर गया। वारदात को अंजाम देने के बाद वह सौरभ के साथ पैदल भाग निकला। इस बीच सौरभ के चाकू से फैजल भी घायल हो गया था। साथियों ने घटना की जानकारी अनस के पिता जावेद को दी। इसके बाद घायल अनस को तत्काल हमीदिया अस्पताल पहुंचाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने जावेद को गिरफ्तार कर उससे कट्टा बरामद कर लिया है। जबकि सौरभ फरार है।

यह थी हत्या की वजय: जावेद टेलीफोन केबल की ठेकेदारी का काम करता है। इससे पहले उसने अनस के साथ मिलकर प्रापर्टी का काम भी किया था। इस दौरान दोनों के बीच पैसों का लेनदेन हो गया। बताया जा रहा है कि जावेद को अनस से पैसे लेने थे। पैसे कितने लेने थे, इसका खुलासा न अनस के परिजन कर पाए और न ही पुलिस कुछ बताने को तैयार है। वहीं घटना के एक दिन पहले भी पैसे की बात को लेकर दोनों के बीच जमकर झगड़ा हुआ था।

सौरभ के पिता वकील: आरोपी सौरभ के पिता रवि पंड़ित सीबीआई के वकील हैं। इसी वर्ष उसने अपनी एमसीए की पढ़ाई पूरी की और नौकरी का तलाश कर रहा था। पुलिस ने बताया कि सौरभ कोर्ट में पेश होने की फिराक में घूम रहा है।

जावेद गया था दुबई: अनस से पार्टनरशीप टूटने के बाद जावेद दुबई चला गया और वहां से पैसा कमाने के बाद भोपाल लौट आया। इसके बाद उसने ठेकेदारी का काम शुरू किया था।

घटना की सूचना मिलने के बाद पुलिस ने हमीदिया अस्पताल में चल रहे हंगामे को शांत कराया। पुलिस ने हत्या के मुख्य आरोपी जावेद को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। वहीं फरार आरोपी की तलाश में पुलिस की टीम जगह-जगह छापेमार कार्रवाई कर रही है।

अभय सिंह, एसपी पुराना शहर

Sunday, July 31, 2011

छात्र की मौत बनी रहस्य

मनोज राठौर
23 नवंबर 2009 को घड़ी की सुईयां दोपहर के एक बजा रही थी। अशोका गार्डन की सूरजा बाई को नहीं पता था कि वक्त दरवाजे पर आकर रूक जाएगा। उनकी भतीजी दुर्गा घबराई हुई घर में दाखिल हुई। वह कुछ कहना चाहती थी, लेकिन जुबान लड़खड़ा रही थी। यह देख सूरजा ने उसे एक गिलास पानी पिलाया। दुर्गा की आंखों से आंसू निकल रहे थे। उसने रोते-रोते बताया कि गौरीशंकर स्कूल में बेहोश हो गया है। यह सुनकर सूरजा के पैरों तले जमीन खिसक गई। वह घबराती हुई पड़ोसी के पास गई, लेकिन जब कोई मदद की आस नजर नहीं आई तो वह नंगे पांव स्कूल की ओर भागी। वहां जाकर पता चला कि गौरीशंकर को बेहोशी हालत में अस्पताल ले गए। इतना सुना ही था कि वह इलाके के पुष्कोम, वर्धमान और चरस अस्पताल पहुंची। लेकिन बेटे का कहीं पता नहीं चला। हारी-थकी सूरजा वापस स्कूल आई, जहां पड़ोसियों ने उसे बताया गौरीशंकर की मौत हो गई।
कहानी यह है कि अशोका गार्डन के शहंशाह गार्डन निवासी गौवर्धन का 15 वर्षीय बेटा गौरीशंकर लक्ष्मी मंडी शासकीय स्कूल में आठवीं कक्षा में पढ़ता था। उसने रोजाना की तरह 23 नंबर 2009 की सुबह करीब 11.30 बजे मां सूरजा के साथ खाना खाया। इसके बाद वह सायकल से अपने साथी फहजान के साथ स्कूल गया। गौरीशंकर स्कूल के मेन गेट के पास खड़ा होकर सहपाठियों से बातचीत कर रहा था। वहीं स्कूल परिसर में जा रही छात्रा दुर्गा की नजर जमीन पर पड़े गौरीशंकर पर पड़ी। दुर्गा ने उसे उठाने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं उठा। वह भागती हुई प्राचार्य एसके पाठक के पास पहुंची और गौरीशंकर के बारे में बताया। इस पर प्राचार्य और स्कूली बेहोशी की हालत में छात्र को क्लास में ले जाकर टेबल पर लेटा दिया। छात्र की ओर किसी का ध्यान नहीं था। प्रार्थना समाप्त होने के बाद सभी बच्चे अपनी-अपनी क्लास में चले गए। इसके बाद दुर्गा एक टीचक के साथ स्कूटी से गौरीशंकर के घर गई और उसकी मां का घटना की जानकारी देकर तुरंत टीचर के साथ स्कूल लौट आई। इधर, स्कूली स्टॉफ ने दुर्गा को सड़क पर आटो लेने के लिए भेजा। इस बीच करीब आधा घंटा गुजर चुका था। किसी तरह दुर्गा एक आटो वाले को लेकर स्कूल पहुंची। स्टॉफ गेट पर आटो का इंतजार कर रहा था। आटो के आने पर गौरीशंकर के साथ दुर्गा और छात्र इमरान को बैठाकर हमीदिया अस्पताल की ओर रवाना किया। पूरा स्टॉफ कुछ समय के लिए दंग रह गया था। मगर, आटो के रवाना होने के बाद क्लास शुरू हो गई। आटो में बच्चों को भेज कर प्राचार्य और एक शिक्षक बाइक से आटो के पीछे-पीछे गए। आटो अस्पताल के गेट के पास रूका। डॉक्टरों ने गौरीशंकर को चेक किया और बाहर आकर प्राचार्य से कहा कि आप गौरीशंकर को मृत अवस्था में लेकर आए हैं। यह खबर सुनकर दुर्गा और इमरान के आखों में आंसू भर आए। स्कूल से मिली सूचना के बाद सूरजा और पड़ोसी सूरेखा व अन्य लोग हमीदिया अस्पताल पहुंचे। वहां छात्रा ने सूरजा को बताया कि गौरीशंकर को सामने वाली बड़ी बिल्ंिडग में ले गए हैं। यह सूनकर सूरजा और पड़ोसी सुरेखा पोस्टमार्टम रूम की ओर दौड़ी। पोस्टमार्टम रूम देखकर सूरजा बेहोश हो गई। उसे नहीं पता था कि जो बेटा पढ़ने के लिए गया, वह शाम को घर लौट कर नहीं आएगा। स्थिति को काबू करने की कोशिश कर रही सूरेखा की आंख से आंसू नहीं रूके। मोहल्ले वालों को भी घटना पर भरोसा नहीं हो रहा था। घटना के अगले दिन स्थानीय लोगों ने शव को प्रभात चौराहे पर रखकर स्कूल प्रबंधक के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। पुलिस की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में आया कि छात्र की मौत संदिग्ध जहरीला पदार्थ खाने से हुई है। बिसरा जांच के लिए सागर भेजा गया है, जिसकी रिपोर्ट अभी तक नहीं आई। इस कहानी का गुत्थी अभी तक नहीं झुलस पाई है। अब गौरीशंकर की मौत रहस्य बन गई है।
दुर्गा की आंखो देखी: स्कूल परिसर में दुर्गा ने देखा कि अरवाज और उसके साथी गौरीशंकर के साथ मारपीट कर रहे हैं। यह देख छात्र इमरान ने बीच-बचाव किया। झगड़े के बीच गौरीशंकर जमीन पर गिर गया। स्कूल आ रही दुर्गा ने जब जमीन पर गौरीशंकर को पड़ा देखा तो उसकी जानकारी प्राचार्य एसके पाठक को दी। स्टॉफ ने गौरीशंकर की ओर एक आंख भी नहीं देखा। इस बीच स्कूल की घंटी बजी। मगर, दुर्गा को गौरीशंकर की फिक्र सता रही थी। वह बार-बार क्लास की ओर टकटकी लगाकर देख रही थी। प्रार्थना समाप्त होने के बाद सभी बच्चे लाइन लगाकर अपनी-अपनी क्लास में चले गए। इसके बाद जाकर स्कूली स्टॉफ का जमीर जागा। उन्होंने स्वयं जिम्मेदारी नहीं समझी और दुर्गा को सड़क पर आटो लेने के लिए भेज दिया।
किसने की मारपीट: पुलिस की माने तो मृतक के साथ मारपीट नहीं हुई। उन्हें बिसरा जांच की रिपोर्ट का इंतजार है। शार्ट पीएम रिपोर्ट के अनुसार गौरीशंकर की मौत संदिग्ध जहरीला पदार्थ खाने से हुई है। पूरे घटना क्रम में 14 साल की मासूम दुर्गा क्या छूट बोल रही है? अरवाज कौन है? मां सूरज से झगड़े की शिकायत गौरीशंकर ने क्यों की? पोस्टमार्टम रिपोर्ट के लिए परिजनों का इंतजार स्कूल प्राचार्य ने क्यों नहीं किया? दुर्गा के बयान नहीं लिए गए? स्कूल की महिला कर्मचारी बयान से क्यों पलटी? दुर्गा और इमरान को आटो में क्यों भेजा? पोस्टमार्टम में जल्दबाजी क्यों? यह सभी सवाल पुलिस की कार्रवाई पर प्रश्न चिह्न लगा रहे हैं।
मारुति से अस्पताल पहुंचाया जा सकता था छात्र को: स्कूल परिसर में प्राचार्य समेत अन्य शिक्षकों की मारुति कार खड़ी थी, लेकिन गौरीशंकर को देखकर किसी का दिल नहीं पसीजा। उन्होंने एक आटो से छात्र को हमीदिया अस्पताल भेजा। वक्त रहते गौरीशंकर को अस्पताल पहुंचा दिया जाता तो शायद उसकी जान बच जाती।
शार्ट पीएम रिपोर्ट में बताया गया है कि बेटे की मौत जहर खाने से हुई है। जो खाना गौरीशंकर ने खाया था, वह मैंने और परिवार के अन्य सदस्यों ने भी खाया था। मगर परिवार में किसी भी सदस्य की मौत नहीं हुई है। सूरजा बाई, मृतक की माता
मेरे बेटे के साथ मारपीट हुई है। पुलिस बिसरा रिपोर्ट आने का कहकर बार-बार टालती है। पुलिस का आरोपी पक्ष से लेनदेन है। इस कारण वह कार्रवाई नहीं कर रही । अब पुलिस मामले को दबाने की कोशिश कर रही है। गौवर्धन, मृतक के पिता
गौरीशंकर मेरे बेटे जैसा था। वह कई दिनों से स्कूल नहीं आ रहा था। इस पर उसके परिजन को नोटिस भी दिया गया। हालांकि, उसकी मौत का दुख मुझे भी है। एसके पाठक, प्राचार्य
शार्ट पीएम रिपोर्ट में संदिग्ध जहर से मौत होना बताया गया है। बिसरा रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के कारणों का खुलासा होगा। एसएल सोलंकी, एएसआई जांचकर्ता

Wednesday, July 27, 2011

जंगल में रेप

ब्लैक मेल कर महिला से सामूहिक बलात्कार
मनोज राठौर
6 मार्च 2009 को रातीबड़ इलाके से लगे सूनसान जंगल में हवाएं रूक गई। बस झाड़ियों के पीछे से आ रही एक महिला की आवाज जंगल में गूंज रही थी। यह आवाज कुशलपुरा गांव में रहने वाली 30 वर्षीय उमा (परिवर्तित नाम) की थी। जिसके साथ गांव का बबलू उर्फ गोवर्धन जबरदस्ती कर रहा था। महिला ने लोगों को मदद के लिए पुकारती रही, लेकिन उसकी आवाज जंगल की खामोशी में दफन हो गई। महिला की इज्जत को तार-तार करने वाले बबलू ने उसे और उसके पति को जान से मारने की धमकी दी थी। सुहाग के खातिर उमा ने पति को अपने साथ हुई के बारे में नहीं बताया। यह सिलसिला यहीं थमा। इसके बाद बबलू और उसके साथी रज्जन ने महिला को अश्लील फोटो का भय दिखाकर उसकी इज्जत से एक साल तक खिलवाड़ किया।15 साल पहले सागर में रहने वाली उमा अपने पति रामसिंह और तीन बेटियों के साथ कुशलपुरा गांव में रोजगार की तलाश में आई। उसके परिवार को गांव में रहने वाले इकबाल मियां ने सहारा दिया। उन्होंने गांव से दूर स्थित अपने खेत में रहने के लिए एक झोपड़ी और रोजगार के लिएदुध बेचने का काम सौंप दिया। पति दुध बेचने के लिए रोजाना शहर जाता और पत्नी केरवा डेम से लगे जंगलों में भैंस चराती थी। उमा खुश थी कि सागर से आने के बाद उसके परिवार को दो जून की रोटी के लिए भटकना नहीं पड़ा। सब कुछ ठीक चल रहा था। मगर, 6 मार्च को उसकी जिंदगी में भूचाल आ गया। सुबह-सुबह रामसिंह दुध बेचने के लिए शहर चला गया। उमा भी घर का कामकाज निपटाकर भैंसों को लेकर जंगल की ओर चली गई। सूनसान जंगल में पत्थर पर बैठी उमा पेड़ों की ऊंचाईयों को देख रही थी। वह डरी और सहमी हुई थी। उसे ऐसा लग रहा था कि कोई उसे छीपकर देख रहा हो। दोपहर का समय था, इस बीच झाड़ियों के पीछे से बबलू निकला और उसने उमा को पकड़ने का प्रयास किया। मगर, उमा उससे दूर भाग गई। बबलू ने झपटकर उसकी साड़ी पकड़ ली और उसे उठाकर झाड़ियों के पीछे ले गया। वहां उसने उमा को अपनी हवस का शिकार बनाया। इसके बाद बबलू ने उसे धमकी दी कि यदि तूने किसी को बताया तो वह उसके परिवार को जान से खत्म कर देगा। शाम होने पर वह भैसों को लेकर घर पहुंची।
वह पति से कुछ कहना चाहती थी, लेकिन बबलू की धमकी से सहम उठती। रात भी गुजारपाना उसके लिए मुश्किल हो गया था, बार-बार उसे बबलू की खिनौनी हरकत याद जाती थी। इतना सबकुछ होने के बाद अगली सुबह बबलू का करीबी दोस्त रज्जन उमा के पास आया। उसने उमा को बताया कि बबलू ने तुम्हारे साथ जंगल में किया है, उसकी मोबाइल से फोटो उतार ली है। यह सुनकर उमा के पैरों तले जमीन खिसक गई। वह डर गई और आंखों से आंसू झलकने लगे। बबलू ने रज्जन के साथ मिलकर उमा को जाल में फंसाया। इसके बाद दोनों ने मिलकर उसके साथ सामूहिक ज्यादती की। यह खिनौना खेल एक साल तक चलता रहा। 10 मार्च 2010 को शैतान बन चुके रज्जन और बबलू ने उमा की 10 साल की बेटी रीना (परिवर्तित नाम) की इज्जत पर हाथ डालने की कोशिश की। उस दिन तो मां ने शैतानों से अपनी बेटी को बचा लिया था, लेकिन वह आरोपियों के इरादे समझ गई थी। बेटी की इज्जत की खातिर उसने अपने साथ हुई घटना की जानकारी पति राम सिंह को दी। इसके बाद दंपति थाने पहुंची और पूरी कहानी थानेदार निरंजन शर्मा को सुनाई। थानेदार ने मामला दर्ज कर आरोपियों को जेल भेज दिया।
बबलू और रज्जन की साजिश: गांव से दूर रह रही उमा पर दोनों आरोपियों की नजर दी। वह अकसर खेत पर जाकर महिला को अश्लील इशारे करते थे। एक दिन गांव में आई उमा का हाथ बबलू ने पकड़ लिया। मगर, किसी तरह उमा उसके चंगुल से छुटकर घर पहुंची और पति रामसिंह अपने साथ हुई घटना के बारे में बताया। इस बात को लेकर रामसिंह और बबलू के बीच झगड़ा हुआ। इसके बाद उसने रज्जन के साथ मिलकर उमा को ब्लैकमेल करने की योजना बनाई थी।
नहीं थे फोटो: उमा पढ़ी-लिखी नहीं थी। उसे नहीं पता था कि आरोपियों के पास अश्लील फोटो नहीं है। वह उसे जबरन मोबाइल फोन दिखाकर डरा रहे थे। पुलिस ने भी आरोपियों के पास से अश्लील फोटो नहीं मिले।
ब्लैकमेल कर पैसे भी हडपे: अश्लील फोटो पूरे गांव के लोगों को दिखाने की धमकी देकर बबलू और रज्जन ने उमा को सामूहिक हवस का शिकार बनाया। अगस्त माह में आरोपियों से छुटकारा पाने के लिए उमा ने उन्हें 30 हजार रुपए नगद, एक चांदी की पायल और मंगलसूत्र दिया। हालांकि, इसके बाद भी उन्होंने उसका पीछा नहीं छोड़ा और उसे प्रताड़ित करते रहे।
आपराधिक प्रवृत्ति के बबलू और रज्जन: थानेदार निरंजन शर्मा ने बताया है कि बबलू और रज्जन आपराधिक प्रवृत्ति के हैं। उनके खिलाफ थाने में मारपीट, अड़ीबाजी समेत दर्जनभर मामले दर्ज हैं। गांव में वे अकसर महिलाओं के साथ छेड़छाड़ करते थे। उनकी शिकायत आए दिन थाने पहुंचती थी।
गांव में रहने वाले रज्जन और बललू ने महिला को साजिश के तहत ब्लैकमेल किया। इसके बाद उसके साथ एक साल तक ज्यादती की। एक दिन आरोपी नशे की हालत में घर में घुस गया और उसने महिला की बेटी की इज्जत पर हाथ डालने की कोशिश की। इसके बाद महिला ने पति को घटना की जानकारी दी। बाद में दोनों आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। थाने में आई शिकायत की जानकारी दोनों आरोपियों को नहीं थी। इस कारण वे भाग नहीं पाए और पुलिस ने देर रात उनके घर पर दबिश देकर दोनों को दबोच लिया।
निरंजन शर्मा, थाना प्रभारी

Wednesday, July 20, 2011

पति बनकर आबरू लूटी

10 साल तक किया दैहिक शोषण
"सात जन्मों का साथ निभाने का वादा कर एक युवक ने प्रेमिका को 10 वर्षों तक अपनी हवस का शिकार बनाया। शादी की बात आने पर वह नौकरी लगने का बहाना बना लेता था। वहीं प्यार में पागल युवती को नहीं पता चला कि उसने प्रेमी के साथ 10 साल गुजार दिए। आखिर में धोखेबाज प्रेमी ट्रेनिंग का बहाना बनाकर भोपाल से जबलपुर गया और वहां उसने दूसरी शादी कर ली। "
मनोज राठौर
29 जून 2010 की दोपहर 3 बजे राज्य महिला आयोग कार्यालय में सदस्य उपमा राय बैठकर जरूरी काम कर रही थी। इस दौरान उनके पास इब्राहिमगंज निवासी 28 वर्षीय मोनिका (परिवर्तित नाम) पहुंची। उसके हाथ में एक मंगलसूत्र रखा था। इससे पहले की राय उससे कुछ पूछ पाती, उसने मंगलसूत्र उनके हाथ में रख दिया। मोनिका ने रोते हुए राय को बताया कि मेरा सब कुछ लुट गया। प्रेमी मनीष अग्रवाल उर्फ बिट्टू ने 10 सालों तक पत्नी की तरह रखा और बाद में टेÑनिंग का बहना बनाकर दूसरी शादी कर ली। मुझे न्याय चाहिए।
ऐसे शुरू हुई प्रेम कहानी: इब्राहिमगंज निवासी मनीष अग्रवाल उर्फ बिट्टू पिता चंद्रप्रकाश नर्मदा भवन में कम्प्यूटर आॅपरेटर था। उसके पड़ोस में मोनिका रहती थी। घर पास-पास होने के कारण अक्सर मनीष और मोनिका की निगाहे चार हो जाती थी। इसके बाद क्या था, यह निगाहे ऐसी मिली कि दो दिलों में प्यार हो गया। इसके बाद वे चोरी छिपे मिलने लगे। दोनों ही प्यार में इस कदर पागल हो गए थे कि उन्हें जमाने की परवा नहीं थी। उनकी यह प्रेम कहानी वर्ष 2000 को शादी तक पहुंच गई। दोनों ने मिलकर शादी करने का फैसला कर लिया। तलैया स्थित कालीघाट मंदिर में भगवान को साक्षी मानकर मनीष ने मांग में सिंदूर और गले में मंगलसूत्र पहनाकर मोनिका से शादी की। उस समय आसमान में धु्रव तारा, तो नहीं निकला था, लेकिन साकक्षी के रूप में मनीष के दोस्त, नारियल खेड़ा लक्ष्मी नगर निवासी विनय ठाकुर उर्फ कल्लू और चौकसे नगर निवासी संजू पंथी मौजूद थे। हालांकि, यह शादी चोरी-छिपके की गई थी, जिसकी जानकारी न ही मनीष और न ही मोनिका के परिजनों को थी। अक्सर मनीष मोनिका को दोस्तों के घर पर ले जाता और वहां उससे शारीरिक संबंध बनाता था। यह सिलसिला 10 सालों तक चला। इसके बाद गत 13 जून 2010 को उसने मोनिका को बताया कि वह 10 दिनों की ट्रैनिंग के लिए जबलपुर जा रहा है। उसने वादा किया कि वहां से आने के बाद परिजनों से बातचीत कर मोनिका से विधिवत शादी कर लेगा। गत 25 जून को मनीष घर तो लौटा, लेकिन उसके साथ एक युवती थी। मोनिका को उस युवती के बारे में पता चला, तो उसके पैरो तले जमीन घिसक गई। यह युवती मनीष की दूसरी पत्नी थी। मोनिका का विरोध करने पर मनीष और उसके परिजनों ने उसके साथ मारपीट और उसे जान से मारने की धमकी दी। इसके बाद उसने आरोपी पति मनीष के खिलाफ हनुमानगंज थाने में बलात्कार और हरिजन एक्ट के तहत प्रकरण दर्ज कराया।
यह था बहना: काफी लंबे समय से चल रहे प्रेम प्रसंग के दौरान मोनिका ने कईयों बार मनीष से शादी करने के लिए कहा था। लेकिन वह मौका देखकर शादी की बात पिता से करने का कहकर टाल देता। वहीं मनीष परिवार चलाने के लिए नौकरी लगने की बात भी बार-बार कहता था।
दो बार कराया गर्भपात: अक्सर मनीष मोनिका को अपने साथियों के घर ले जाता और वहां उससे शारीरिक संबंध बनाता था। इस दौरान मोनिका दो वार गर्भवती भी हुई, लेकिन मनीष ने हर बार उसका गर्भपात कर दिया।
पैसे देने का दबाव बनाया: पीड़ित ने पुलिस को बताया कि मोनिका की मां बेटे से पिछा छुड़ाने के लिए उसपर दबाव बना रही थी। उसने कई बार मोनिका को पैसे देने की कोशिश भी की।

Tuesday, July 19, 2011

कार से घूमकर घरों को बनाते निशाना

मनोज राठौर

6 जून 2010 की सुबह करीब 11 बजे भोपाल क्राइम ब्रांच एएसपी मोनिका शुक्ला आॅफिस में बैठकर फाइलें पलट रही थी। इस दौरान उनका फोन बजने लगा। उन्होंने फोन पर बात की, तो उनके मुखबिर ने सूचना दी कि सलामतपुर से बदमाशों ने एक इंडिका कार लूटी है। आरोपी कार लेकर शाहजहांनाबाद इलाके के टीबी अस्पताल के आसपास घूम रहे हैं। इधर, फोन रखने के तुरंत बाद एएसपी ने एसएसपी आदर्श कटियार और एसपी योगेश चौधरी को घटना की जानकारी दी। वरिष्ठ अधिकारियों की सलाह पर शाहजहांनाबाद थाना प्रभारी पंकज दीक्षित और क्राइम ब्रांच की संयुक्त टीम का गठन किया गया। इसके बाद टीम ने मौके पर जाकर घेराबंदी की और आरोपियों की कार को टीबी अस्पताल के पास रोक लिया। पुलिस को देख कार से उतर कर दो आरोपी भागने लगे, लेकिन पुलिस कर्मियों ने उन्हें भागने नहीं दिया। थोड़ी दूरी पर दोनों आरोपी को दबोच लिया गया। कार में चार लोग सवार थे। उनकी पहचान उज्जैन निवासी इकबाल उर्फ वाकर खान, न्यू आरिफ नगर निवासी भूरा पठान, करोंद पीपल चौराहा निवासी शेरू पठान और इंदौर सिंकदराबाद निवासी शरीफ के रूप में हुई। प्रारंभिक पूछताछ में सभी आरोपी पुलिस को गुमराह कर रहे थे, लेकिन सख्ती बरतने पर उन्हें लूट और चोरी की वारदातों का खुलासा किया। इस कार्रवाई में आरक्षक राजेश जामलिया, राघवेन्द्र पाण्डेय, निरीक्षक उमेश तिवारी, सउनि मेर सिंह चौधरी, विश्वनाथ शुक्ला, प्रधान आरक्षक गोविंद पटेल जयप्रकाश सिंह, हेमंत चौरे, मुरली कुमार, अनंत सोमवंशी, मुन्ना लाल, दुलीचंद, हरि बाबू, भवानी सिंह, संतोष प्रसाद, सुरेन्द्र सिंह , विश्वप्रताप सिंह, अजय वाजपेयी, जावेद खान, मोनिका ऐब्रियो, डिम्पल सिंह और पार्वती यादव ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

उज्जैन निवासी इकबाल उर्फ वाकर गिरोह का सदस्य है। वह इंदौर के खजराना क्षेत्र स्थित ससुराल में रहता था। उसने इंदौर में 20 चोरी की वारदात को अंजाम देकर लाखों का माल उड़ाया। वह सूने घरों के ताले तोड़कर अकेले ही चोरी की वारदातों को अंजाम देता था। हालांकि, इंदौर पुलिस की निगरानी में आने के बाद वह पकड़ा जाने के डर से अपनी पत्नी के साथ भोपाल आ गया और करोंद स्थित विश्वकर्मा नगर में रहने लगा। लेकिन कहावत है कि कानून के हाथ लंबे होते हैं। इसके बाद क्या था, इंदौर पुलिस उसका सुराग लगाते हुए भोपाल पहुंची और उसे चोरी के मामलों में गिरफ्तार कर लिया। वर्ष 2007 में उसे अदालत ने दो साल सजा सुनाई। जेल में दो साल की सजा काटने के बाद वह वर्ष 2009 में रिहा हुआ। इसके बाद उसने भोपाल में एक नया गिरोह तैयार कर लिया। उसके गिरोह में भोपाल के न्यू आरिफ नगर निवासी भूरा पठान, करोंद पीपल चौराहा निवासी शेरू पठान और इंदौर, सिंकदराबाद निवासी शरीफ खान शामिल हुए। इसके बाद चार सदस्यीय गिरोह ने सलामतपुर से दो कार किराये पर ली। उन्होंने कार के चालक के हाथ-पैर बांधकर उसे सूनसान इलाके में फेंक दिया और कार लेकर भोपाल आ गए।

ऐसे करते थे चोरी:गिरोह के सदस्य दो टुकड़ियों में कार से शहर में घूमकर मल्टीप्लेक्स बिल्डिंगों के सूने घरों को अपना निशाना बनाते थे। वह पहले सूने घरों की दो दिनों तक निगरानी करते और बाद में घर का ताला तोड़कर वहां से जेवर और नकदी चोरी करते। गिरोह के सदस्य चोरी के माल को आपस में बराबर-बराबर बांटते थे। इस कारण उनके बीच कभी झगड़ा नहीं हुआ। मगर, कार लूट की वारदात के कारण वे भोपाल पुलिस के हत्थे चढ़ गए।

7 महीनों में 11 चोरी: आरोपियों ने सात महीनों में 11 चोरी की वारदात को अंजाम दिया। यह चोरी उन्होंने भोपाल के शाहजहांनाबाद, शाहपुरा, कोहेफिजा, बैरागढ़ और हबीबगंज इलाके के सूने घरों में की। वहीं गिरोह ने सलामतपुर से दो कार को लूटा था। रिमांड के दौरान पुलिस ने आरोपियों से ढ़ाई किलो चांदी, आधा किलो सोना, दो लूट की इंडिका कार, एक टीवी, मोबाइल फोन, हाथ घड़िया व आर्टिफिशियल जेवर समेत करीब 17 लाख रुपए का सामान बरामद कर लिया।

गिरोह का एक सदस्य पहले ही जेल में: इकबाल के गिरोह में इंदौर, ऋषि पैलेस निवासी मुन्ना लूनीया भी शामिल था, जो आबकारी के एक मामले में इंदौर जेल में सजा काट रहा है। आरोपी मुन्ना भोपाल में हुई चोरी की एक ही वारदात में शामिल था, जिसके बाद उसे आबकारी के एक मामले में सजा हो गई।

क्राइम ब्रांच और शाहजहांनाबाद पुलिस की संयुक्त कार्रवाई के द्वारा गिरोह का खुलासा हुआ है। गिरोह के सरगना ने भोपाल में रहकर गैंग बनाई। वह चोरी के सामान को आपस में बांट लेते थे। आरोपियों चोरी का ज्यादा माल खर्च नहीं कर पाए। उनसे करीब 17 लाख रुपए का सामान जब्त किया है।मोनिका शुक्ला, क्राइम ब्रांच एएसपी

Sunday, July 17, 2011

चाकू मारकर करते थे लूट

राजधानी पुलिस ने ऐसे एक लुटेरे को दबोचा है, जो लोगों को चाकू से घायल कर लूटपाट करता था। लुटेरा 35 लूट के मामले में जेल की हवा भी खा चुका है। गत 31 जुलाई और 4 अगस्त को खजूरी सड़क पर उसने दो बिजली कर्मचारियों को लूटा था। उसे पकड़ने पर खजूरी पुलिस को काफी पापड़ बेलने पडे...
35 लूट की वारदात (खजूरी)
मनोज राठौर
खजूरी सड़क निवासी जगदीश सिंह लाइनमेन हैं। वह गत चार अगस्त की रात साढ़े नौ बजे अपना काम निपटाने के बाद घर जा रहे थे। इस बीच बकानिया गांव के पास उनकी बाइक को बदमाश रफीक काला और उसके साथी छोटू उर्फ माजिद ने रोक ली। रफीक काला ने पहले चाकू से हमला कर जगदीश को घायल कर दिया और उसे 17 हजार रुपए व एक मोबाइल फोन छीनकर अपनी बाइक से गांधी नगर बायपास की ओर भागने लगे। इसी तरह 31 जुलाई को आरोपियों ने खजूरी सड़क निवासी लाइनमेन चैन सिंह के साथ भी लूटपाट की थी।
ऐसे पकड़ाए आरोपी: जगदीश के साथ लूट करने के बाद भाग रहे रफीक को रास्ते में याद आया कि झूमाझटकी के दौरान उसका मोबाइल फोन घटना स्थल पर ही रह गया है। इस पर वह दोबारा छोटू के साथ घटना स्थल पर पहुंचा, जहां पहले से घायल जगदीश के पास बकानिया गांव निवासी विनोद खड़ा हुआ था। उसने आओ देखा न ताओ और विनोद को भी चाकू मारकर घायल कर दिया और अपना मोबाइल फोन लेकर रफूचक्कर हो गया। इधर, घायल विनोद व जगदीश किसी तरह बकानिया रेलवे फाटक पहुंचे। वहां से उन्होंने गेटमेन की सहायता से 108 एंबुलेंस को फोन लगाकर घटना की सूचना दी। मौके पर एंबुलेंस के साथ खजूरी थाना प्रभारी आलोक श्रीवास्तव, एएसआई स्वरूप सिंह व प्यारेलाल स्टाफ के साथ पहुंच गए थे। जगदीश द्वारा बताए गए आरोपियों के हुलिए और बाइक की जानकारी पुलिस ने तत्काल वायरलैस सेट पर शहर के सभी थाना को दे दी। इसके बाद पूरे शहर में पुलिस ने नाकेबंदी कर दी। रफीक की किस्मत खराब थी। उसकी बाइक बायपास स्थित गुरूद्वारे के पास पंचर हो गई। वहीं लूट की घटना के बाद बायपास पर पुलिस का मुवमेंट शुरू हो गया था। सड़क पर पुलिस की गाड़ियों को देखकर रफीक और छोटू बाइक को लेकर गुरूद्वारे के पीछे छुप गए। इसके बाद रफीक ने अपने मोबाइल फोन से जहांगीराबाद के पैंदीपुरा में रहने वाले जीजा अब्बदुल गफ्फार को बताया कि उसका बायपास स्थित गुरूद्वारे के पास एक्सीडेंट हो गया है। तत्काल दूसरी बाइक लेकर आ जाओ। जब गफ्फार अपने बेटे समीम के साथ मौके पर पहुंच गया। इसके बाद बायपास पर गफ्फार, रफीक, समीम और छोटू एक साथ खड़े होकर बातचीत कर रहे थे, तो उसकी समय अपनी ओर पुलिस की गाड़ी को आता देख सभी पैदल भागने लगे। इस दौरान पुलिस ने आरोपियों की बाइक और गफ्फार को दबोच लिया। वहीं रफीक व छोटू गफ्फार की बाइक लेकर भाग निकले थे।
गफ्फार से मिली जानकारी के अनुसार रफीक औबेदुल्लागंज का निगरानी शुदा बदमाश है। उसने इसी वर्ष वहां से एक बाइक भी खरीदी थी, जिसका उसने लूट की वारदात में प्रयोग किया था। पुलिस हिरासत से आजाद होने के बाद गफ्फार और रफीक के बीच मोबाइल फोन पर बातचीत हुई। इसके बाद गत 11 अगस्त को रफीक ने जहांगीराबाद स्थित शब्बन चौराहे पर जीजा से बुर्खा मंगाया था। इस पर उसका भांजा अनवर बुर्खा लेकर चौराहे पर पहुंचा, तो वहां सादे कपड़ों में तैनात पुलिस ने आरोपी छोटू को पकड़ लिया। आरोपी रफीक इतना शातिर था कि वह कपड़े लेने के लिए खुद नहीं आया था। जब रफीक ने कपड़ों के लिए छोटू से मोबाइल फोन पर संपर्क किया, तो वह उसे जिंसी चौराहे पर बुलाने लगा। हालांकि, जिंसी चौराहे पर भी उसने अपनी प्रेमिका कला बाई को आॅटो से भेज दिया, जहां से वह कपड़े लेकर एमपी नगर की ओर जाने लगी। तभी स्लाटर हाउस के पास छुपा रफीक अचानक बाहर निकला और आॅटो में बैठ गया। इधर, आॅटो का पीछा कर रही पुलिस ने घेराबंदी कर आरोपी रफीक को दबोच लिया। पूरे घटनाक्रम में रफीक को पुलिस से छुपाने में मदद करने वाली उसकी प्रेमी को भी आरोपी बनाया गया है।
क्यो बुलाया था बुर्खा: सात अगस्त को रफीक की भांजी की शादी थी, जिसमें शामिल होने के लिए वह 31 जुलाई को औबेदुल्लागंज से भोपाल आया था। पैसों की जरूरत होने पर उसने खजूरी सड़क पर 31 जुलाई की रात लाइन मेन चैन सिंह और जगदीश सिंह को लूटा था। वारदात करने के बाद वह अपनी भांजी से मिलना चाहता था, लेकिन पुलिस का पेहरा होने के कारण वह कला बाई के घर से निकल भी नहीं पा रहा था, इसलिए उसने जीजा गफ्फार से बुर्खा मांगाया था, जिसकी सहायता से वह भांजी से मिलना चाहता था।
रफीक ने 35 लूट कबूली: रफीक ने रायसेन, औबेदुल्लागंज, सीहोर होशंगाबाद, बैतूल और भोपाल में अलग-अलग साथियों के साथ मिलकर लोगों को घायल कर 35 लूट की वारदातों को अंजाम दिया है। पुलिस ने उस पर पांच हजार रुपए और उसके छोटू पर दो हजार रुपए का इनाम घोषित किया था। वह लूट के मामलों में सजा भी काट चुका है।
पुलिस पर कर चुका है हमला: वर्ष 1994 में रफीक ने हनुमानगंज थाने के आरक्षक महेन्द्र तिवारी पर चाकू से हमला कर दिया था। हमले में आरक्षक के सीने में गंभीर चोट आई थी। इस मामले में उसे जेल भी हो चुकी है।
रफीक काला शातिर लुटेरा है। उसको पकड़ने के लिए पुलिस को खासी मशक्कत करनी पड़ी, लेकिन खजूरी पुलिस की दिन-रात की मेहनत के कारण रफीक और उसका साथी छोटू पुलिस के हत्थे चढ़ पाए।
अभय सिंह, पुराना शहर एसपी

Saturday, July 16, 2011

रात होते ही सड़कों पर उतरा हुस्न


आॅटो में लूट (गांधी नगर)
मनोज राठौर
7 जून 2010 की रात गांधी नगर थाना प्रभारी अनुराग पांडे और प्रधान आरक्षक विजेन्द्र निगम इलाके में घूम रहे थे। इस दौरान पांडे की नजर बायपास रोड स्थित बड़वाई जोड़ पर पड़ी, जहां आधा दर्जन युवक-युवतियां शराब पी रहे थे। पुलिस को देख वे भागने की कोशिश करने लगे, लेकिन पुलिस ने उन्हें दबोच लिया और थाने लेकर आ गई। उनकी पहचान काजल, गुड्डी जान, काजल जान, मनोज, फैजान और सौरभ के रूप में हुई। यह गिरोह आॅटो में यात्रियों को बैठाकर उनके साथ लूटपाट करता था। काजल (24), गुड्डी जान (23) और काजल जान (22) किन्नर हैं। उनके गिरोह में आरिफ नगर और जेपी नगर निवासी फैजान, मनोज और सौरभ भी शामिल थे, जिनकी उम्र करीब 18-20 साल के बीच है। सभी युवक आॅटो चलाने के साथ गिरोह के साथ देर रात लोगों को लूटने का काम भी करते थे। किन्नर लड़कियां बनकर राजधानी की सड़कों पर आॅटो में घूमती। इसके बाद वे सूनसान सड़क पर उतर कर लोगों को अपनी मोहजाल में फांसती थी। गत 4 मई की रात न्यूमार्केट स्थित अंबेडकर नगर निवासी सुरेश कुमार (30) डिपो चौराहे से पैदल घर की ओर जा रहे थे। इस बीच उसे आॅटो चालक फैजान ने रोक लिया। आटो में गुड्डी जान बैठी थी, उसने सुरेश को अपने मोहजाल में फंसाया और वहां से उसे आटो में बैठाकर गांधी नगर स्थित अब्बास नगर ले गई। गुड्डी ने रास्ते में उसके साथ अश्लील हरकतें भी की। वहीं अब्बास नगर में पहले से मौजूद मनोज, सौरभ, काजल जान, काजल ने सुरेश से शराब पीने के लिए पैसे मांगे। पैसे नहीं देने पर उसके साथ गिरोह के सदस्यों ने जमकर मारपीट की और उसकी पेंट की जेब से 700 रुपए निकाल लिए। अपने साथ हुई घटना की जानकारी सुरेश ने गांधी नगर पुलिस को दी। इस पर पुलिस ने अज्ञात आधा दर्जन लोगों के खिलाफ अड़ीबाजी और मारपीट का मामला दर्ज किया था। वहीं सुरेश के साथ हुई घटना का खुलासा गिरोह के सदस्यों ने पुलिस रिमांड के दौरान किया। उन्होंने सुरेश से मारपीट और 700 रुपए छीनना कबूला। सभी आरोपियों को अदालत में पेश कर जेल भेज दिया गया है।
यहां सक्रिय था गिरोह: रात होते ही गिरोह के सदस्य अयोध्या बायपास, करोंद बायपास, हमीदिया रोड, भारत टॉकीज, लिली टॉकीज, बस स्टैण्ड, भोपाल रेलवे स्टेशन समेत सूनसान सड़कों पर सक्रिय हो जाते थे। किन्नर सड़क किनारे खड़े होकर लोगों को मोहजाल में फंसाकर उन्हें आटो में सूनसान इलाके में ले जाते थे।
नहीं आते सामने पीड़ित: गिरोह ने कई लोगों को अपना निशाना बनाया है, लेकिन इज्जत बचाने के लिए मरता, क्या नहीं करता। इज्जत के डर के कारण पीड़ित लोग पुलिस में शिकायत नहीं करते। वह पैसे देकर अपने रास्ते चले जाते हैं।
आधा दर्जन वारदात कबूली: प्रारंभिक पूछताछ में गिरोह के सदस्य पुलिस को गुमराह कर रहे थे, लेकिन सख्ती बरतने पर उन्होंने सुरेश समेत आधा दर्जन लोगों के साथ लूटपाट करना कबूला। किन्नर लड़कियों के भेष में सड़कों पर उतरते थे। वे सेक्सी कपड़े पहनकर राहगीर को अपनी ओर आकर्षित करते। शिकार फंसने पर गिरोह के सदस्य उसे किसी सूनसान इलाके में ले जाते और वहां पैसे छीनकर उसे भगा दिया जाता था।
अय्याशी में उड़ाते थे पैसे: पुलिस ने बताया कि गिरोह के सभी सदस्य अय्याशी में पैसे उड़ाते थे। वे लोगों को शिकार बनाने के बाद अधिकांश पैसों की शराब पी जाते। वहीं गिरोह के सदस्य दिन में फिल्म देखते थे।

भतीजी से कराता मुजरा

मनोज राठौर
नया गाना लगा और नाच। नहीं नाचेगी तो तूझे और तेरी मां को जान से मार दूंगा। शराब का नशा इतना ज्यादा सिर पर सवार था कि एक कलयुगी चाचा शैतान बन गया। उसे नहीं पता था कि जिसे वह नाचने के लिए कह रहा है, वह उसकी सगी भतीजी है। उसे तो नशे के साथ भतीजी से मुजरा करने की लत पड़ गई। वर्ष 2007 में अशोका गार्डन निवासी हेमा (परिवर्तित नाम) के पति की एक सड़क हादसे में मौत हो गई। वह अपनी दो बेटियों के सहारे अपनी जिंदगी गुजार रही थी। होली की काली रात हेमा की जिंदगी में भूचाल की तरह आई। उसके छोटे देवर दिनेश कुमार सक्सेना उर्फ डीके ने सभी मानवीय सीमाएं लांघ दी। वह मोहल्ले की नागिन सी पसरी गलियों से होते हुए घर पहुंचा। उसने घर की घंटी बजाई और बजाता चला गया। घंटी की आवाज सुनकर हेमा घबराकर उठी। उसे ऐसा महसूस हुआ कि वह कोई डरावना सपना देख रही थी। दरवाजा खोलने के बाद देवर लड़खड़ाते हुए कमरे में चला गया। वह मन ही मन कुछ गुनगुना रहा था। कमरे में जाते ही उसने बिना धून के नाचने शुरू कर दिया। चाचा की हरकतें देख भतीजी सहमी हुई थी। उसे पता था कि चाचा उससे डांस करने के लिए कहेगा। मगर, उस रात अपना आपा खो चुके दिनेश ने भाभी के सामने ही भतीजा का हाथ पकड़ लिया और उसके साथ झूमकर डांस करने लगा। उसकी मस्ती में अश्लीलता झलक रही थी। यह नजारा देख हेमा ने बेटी को देवर के चंगुल से छुड़ाया। इसके बाद किशोरी और उसकी मां अपने-अपने कमरे में सोने के लिए चली गई। दिनेश भी शोर मचाते हुए सो गया। देर रात करीब एक बजे उसका नशा तो उतर गया, लेकिन उसके अंदर बैठा शैतान जाग गया। दिनेश के मन में भतीजी का मुजरा देखने की जिज्ञासा थी। रोजाना डांस देखने वाली चाचा आज का दिन कैसे छोड़ता। थोड़ी देर बाद ही वह भतीजी के कमरे में घुस गया। चुपके से बिस्तर पर लेटकर उसने किशोरी के साथ अश्लील हरकत करना शुरू कर दी। उसे दबोचकर और उसका मुंह दबा दिया। इस पर बेवस किशोरी ने शोर मचाया और अपनी मां को आवाज लगाई। बेटी की आवाज सुनकर मां की नींद टूट गई। वह सीधे बेटी के कमरे की ओर भागी। इधर, बेटी के साथ जोर जबरदस्ती कर रहे देवर को पकड़कर हेमा ने कमरे से बाहर निकाल दिया। मगर, दिनेश कहा मानने वाला था। उसने दौबारा भतीजी को पकड़ने का प्रयास किया, लेकिन उसकी सुरक्षा के लिए मां दीवार की तरह खड़ी थी। देवर को यह बात नगाबारा गुजरी। इसके बाद उसने आओ देखा न ताओ और भाभी के बाल पकड़ कर उन्हें फर्श पर गिरा दिया। उसने भाभी के साथ मारपीट शुरू कर दी। घर से मोहल्ले के बाहर जा रही चीखपुकार सुनकर मदद के लिए कुछ लोग आगे आए। छत से लोगों को कमरे की ओर आता देख दिनेश का भूत उतर गया और वह नंगे पांव दूसरे दरवाजे से भाग निकला। लोगों की समझाइश पर हेमा थाने पहुंच गई और देवर के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस ने अगले दिन आरोपी दिनेश को गिरफ्तार कर उसे जेल की सलाखों के पीछे डाल दिया।
चाचा जी, मेरी परीक्षा है-मासूम को नहीं पता था कि जिस शराबी चाचा के सामने डांस कर रही है। वह उसे एक दिन अपनी हवस का शिकार बनाने का प्रयास करेगा। आए दिन दिनेश शराब पीकर घर पहुंचता था। वह भतीजी से डांस करवाता था। मासूम अपनी मस्ती में डांस करती और बाद में कमरे में चली जाती। घर में इतना सबकुछ चल रहा था, लेकिन हेमा को देवर के इरादे को नहीं समझ पाई। घटना वाले दिन किशोरी ने चाचा को बताया था कि परीक्षा प्रारंभ होने वाली है और मुझे पढ़ाई करनी है। मगर, कलयुगी चाचा कहा सुनने वाला था। उसने सभी मर्यादा पार कर पत्नी और भाभी के सामने ही भतीजी से अश्लील हरकत करना शुरू कर दी थी।
भाभी को जलाने का प्रयास-हेमा ने बेटी को देवर के चंगुलस से छुड़ाया। हालांकि, यह बात देवर को नगाबारा गुजरी और उसने भाभी के साथ मारपीट की। दिनेश ने रसोई घर में रखा केरोसिन भाभी पर उड़ेल दिया। वह मां के सामान भाभी को जिंदा जलाना चाहता था। मां के साथ हो रही मारपीट को देख दोनों बेटियां जोर-जोर से रोने लगी। मासूमों ने चाचा से हाथ जोड़कर कहा कि हमारी मां को मत मारो, उन्हें छोड़ दो। चीखपुकार सुनकर मोहल्ले वाले सहायता के लिए आगे आए। यह देख दिनेश वहां से रफूचक्कर हो गया।
लाखों की सम्पत्ति पर थी नजर-हेमा और उनके पति सरकारी विभाग में अच्छे पद पर पदस्थ थे। मगर, कुदरत को ओर कुछ मंजूर था। वर्ष 2007 में हुए एक सड़क हादसे में हेमा के पति की मौत हो गई। दो बेटियों के सहारे हेमा को पूरी जिंदगी गुजारना था। कुछ दिनों बाद ही हेमा का छोटा देवर दिनेश घर आ गया। उसकी आंखों से झल के आंसू टपक रहे थे। उसने भाभी को दिलाशा देते हुए कहा कि भईया नहीं है तो क्या, मैं हूं। दोनों भतीजी की शादी बड़ी धूम-धूम से करूंगा। झूठे वादे और अपने पन का भाव दिखाकर देवर ने भाभी को अपने झांसे में लिया।अगले दिन बाद ही वह पत्नी और दो बच्चों के साथ भाभी के घर रहने के लिए आ गया। वह टेलर की दुकान से रोजाना शराब पीकर घर लौटता था। शातिर दिमाग वाला दिनेश पूरी योजना के साथ भाभी के घर रहने आया था। हेमा के अशोका गार्डन में दो मकान है, जिनकी वर्तमान कीमत लाखों में है। इन मकानों और भाभी द्वारा बनाई गई लाखों की सम्पत्ति पर दिनेश की नजर थी। वह लाखों का माल हड़पना चाहता था। उसकी मंशा खराब थी। सम्पत्ति के साथ दिनेश की नियत भतीजी को देखकर खराब हो गई।
महिला की शिकायत थी कि देवर दिनेश ने उसकी 16 वर्षीय बेटी के साथ ज्यादती का प्रयास किया। विरोध करने पर उसे पर देवर द्वारा जलने का प्रयास किया गया था। पुलिस ने घटना स्थल का निरीक्षण किया। लोगों के बयान भी दर्ज किए गए। पूरे मामले की गहनता से तप्तीश करने के बाद आरोपी दिनेश के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। फरार आरोपी को गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया, जहां से उसे जेल भेजा गया।
एसएन सोलंकी, विवेचना अधिकारी
पति की मौत होने के बाद उसके साथ देवर-देवरानी रहने लगे थे। इन लोगों के बीच मकान को लेकर विवाद की बात सामने आई थी। घटना स्थल का मुआयना कर आरोपी पर मुकदमा कायम किया गया। राजेश जोशी, विवेचना सहायक

Thursday, July 14, 2011

धोखा मिला,कर दी हत्या

"जिस्म की भूख इतनी बढ़ गई कि अनुराधा ने अपने दूसरे पति लक्ष्मण को छोड़ दिया। लेकिन लक्ष्मण भी कहां मानने वाला था, उसने पत्नी की तलाश में जमीन-आसमान को एक कर दिया। आखिर उसने अनुराधा को एक गैरमर्द के घर से ढूंढ निकाला और सब कुछ भूलकर दोबारा नए सिरे से जिंदगी की शुरूवात करने लगा। पर अनुराधा को पति का जिस्म एक नजर भी नहीं भाया और एक रात गांव छोड़कर भागने लगी, लेकिन इस बार लक्ष्मण ने उसके इरादे को भांप लिया और उसकी कुल्हाड़ी से निशंस हत्या कर दी...

मनोज राठौर
बैरसिया टीआई राकेश जैन छह अक्टूबर 2010 की सुबह साढ़े आठ बजे थाने पहुंचे ही थे, कि उनके पास तरवाली गांव निवासी कमल सिंह राजपूत आया। उसने श्री जैन को जो बताया, वह चौंकाने वाला था। दरअसल, कमल ने दबे स्वर में कहा था कि उसके भाई लक्ष्मण ने अपनी पत्नी अनुराधा की कुल्हाड़ी से हत्या कर दी। इसके बाद श्री जैन ने आनन-फानन में घटना की जानकारी मोबाइल फोन पर एसडीओपी महावीर सिंह मुजालदे को दी और तत्काल गाड़ियों से तरावली गांव पहुंच गए, जहां लक्ष्मण के घर से उसकी पत्नी की लाश बरामद कर उसे पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भेजा और मर्ग कायम कर मामले की जांच शुरू कर दी।
यह है अनुराधा की दास्ता:शमशाबाद निवासी करण सिंह राजपूत पत्नी शीला बाई की तीन बेटे और दो बेटियां हैं। उन्होंने सात साल पहले अपनी बड़ी बेटी अनुराधा की शादी गुलाबगंज के इमलाबता गांव निवासी संतोष से की थी। सालभर तक पति-पत्नी के बीच सबकुछ ठीक चला, लेकिन पारिवारिक अनबन के कारण अनुराधा ने पति को छोड़ दिया और मायके में रहने लगी। इधर, करण सिंह को बेटी के घर बैठने की चिंता सताने लगी और उन्होंने सालभर बाद ही अनुराधा की शादी तरावली गांव निवासी लक्ष्मण सिंह के साथ कर दी। लक्ष्मण तरवाली वाली माता मंदिर के पास मनहारी की दुकान लगाता था। उसके चार भाई खेती किसानी करते हैं।
लक्ष्मण अनुराधा के चाल-चलन से वाकिफ था, लेकिन वह उसके यौवन पर इस कदर फिदा था कि उसे छोड़ने को तैयार नहीं था। हालांकि, शादी के तीन साल तक पति-पत्नी के बीच आए दिन अनबन होती थी। इनकी ढाई साल की बेटी प्रिया भी है। जुलाई महीने में अनुराधा का लक्ष्मण से जोरदार झगड़ा हुआ है और वह गुस्से में मायके चली गई। मायके में सप्ताहभर रहने के बाद अनुराधा के पिता करण सिंह उसे ससुराल छोड़ने के लिए घर से रवाना हुए, लेकिन बैरसिया के पास अनुराधा ने पिता को घर लौटा दिया और अकेले सुसराल जाने की जिद की। इधर, करण अपने घर पहुंच गए, लेकिन उनकी बेटी ससुराल नहीं पहुंची। इस पर लक्ष्मण और उसके परिजन ने बहू की तलाश शुरू की, तो उन्हें करीब दो महीने बाद (सितंबर) अनुराधा भोपाल स्थित एक व्यक्ति के घर मिली। ससुराल पक्ष के गुस्से को शांत करने के लिए करण अपनी बेटी अनुराधा को लेकर शमशाबाद आ गए। इसके बाद मामला शांत होने पर एक अक्टूबर को लक्ष्मण का भाई ईश्वर भाभी को मायके से तरावली लेकर आ गया।
मैंने की हत्या...लक्ष्मण पुराने गिले-सिखवे भूलाकर अनुराधा को अपने साथ रखने के लिए तैयार हो गया था। लेकिन अनुराधा के मन में कुछ अलग की चल रहा था, वह दोबारा भोपाल भाग जाने की योजना बना रही थी, जिसके लिए वह अक्कसर लक्ष्मण से पैसे की मांग करती। छह अक्टूबर की रात लक्ष्मण सोयाबीन बेचकर घर पहुंचा। उस दिन वह पत्नी के लिए उसके द्वारा मांगाया गया सामान भी लेकर आया था। अनुराधा ने सामान तो खुशी-खुशी लिया, लेकिन वह पति से पैसे मांगने लगी। लक्ष्मण के पैसे नहीं देने पर अनुराधा घर छोड़कर भागने लगी। किसी तरह लक्ष्मण ने उसे मना तो लिया, लेकिन उसके इरादे नैक नहीं थे। उसने देर रात लक्ष्मण के साथ खाना खाया। इसके बाद लक्ष्मण सोने की तैयारी कर रहा था। इस दौरान अनुराधा ने उस पर कुल्हाड़ी से हमला कर दिया। मगर, यह उसकी जिंदगी की सबसे बड़ी गलती थी। किसी तरह लक्ष्मण ने खुद को बचाया और अनुराधा से कुल्हाड़ी छीनकर उस पर ताबड़-तोड़ बार कर लिए। पलटकर लक्ष्मण द्वारा किए गए हमले में अनुराधा की जान चली गई। पत्नी की हत्या करने के बाद लक्ष्मण गांव छोड़कर भाग गया। हालांकि, पुलिस ने उसे घटना के दूसरे दिन दबोच लिया था। उसने कबूल किया कि हर बार पत्नी से धोखा मिलने पर, उसने उसकी हत्या कर दी।

Wednesday, July 13, 2011

भाड़े के लुटेरे

50 लूट का खुलासा (पिपलानी)

मनोज राठौर

राजधानी पुलिस ने चेन लूट करने वाले आधा दर्जन बदमाशों को गिरफ्तार कर अभी तक की सबसे बड़ी सफलता हासिल की है। इस छह सदस्यीय गिरोह ने शहरभर में आतंक मचा रखा था। गिरोह का सरगना फ्लैट खरीदने के लिए अपने बाकी के सदस्यों से लूट की वारदात करवाता था। वह लूट के माल को ठिकाने लगाने के बाद कुछ हिस्सा बाकी के साथियों में बांट देता था। गिरोह ने 50 लूट की वारदात करना कबूली हैं। उनके पास से 400 ग्राम सोने की चेन, एक बाइक और एक कट्टा मिला है।गत 26 अगस्त 2010 की रात गोविंदपुरा सीएसपी एचएन गुरु, पिपलानी टीआई आरआर बंसल व गोविंदपुरा टीआई जयराम रघुवंशी अपने-अपने इलाकों में पेट्रोलिंग कर रहे थे। इस दौरान सीएसपी को वायरलेस सेट पर कंट्रोल से सूचना मिली कि कल्पना नगर स्थित जैन मंदिर के पास एक लाल रंग की पल्सर सवार तीन बदमाश एक महिला के गले से सोने की चेन झपटकर कर भाग रहे हैं। इस पर लोकेशन पाकर सीएसपी ने अपने ड्राइवर रंजीत भाटी और गनमैन नंदकिशोर के साथ लुटेरों का पीछा किया। इस दौरान ड्राइवर ने जीप से आरोपियों की बाइक को टक्कर मार दी। इससे वे गिर गए और इससे पहले की पुलिस जीप से उतरकर उन्हें दबोच पाती, दो आरोपी भाग निकले। पुलिस ने मौके से बाइक समेत एक आरोपी को दबोच लिया था। इधर, सीएसपी ने तत्काल वायरलेस सेट पर पिपलानी टीआई को सूचना दी। इस पर उन्होंने अपने सिपाही मोहन सिंह के साथ इलाके में घेराबंदी कर उक्त दो आरोपियों को भी पकड़ लिया था। तीनों आरोपियों को पिपलानी थाने में ले जाकर एएसपी एके पांडे ने लंबी पूछताछ की। इसके बाद सिलसिले-बार 50 लूट की वारदातों का खुलासा हुआ। पकड़े गए आरोपियों की निशानदेही पर पुलिस ने उनके तीन अन्य साथियों को भी गिरफ्तार कर लिया था। आरोपी की पहचान ऐशबाग निवासी जावेद उर्फ जुम्मन (25), आचार्य नरेंद्रदेव नगर निवासी छोटू उर्फ महेंद्र सूरवाड़े (२२), झील नगर निवासी केसरी राजपूत (25), उधमपुर, जम्मू निवासी राजकुमार शर्मा उर्फ राजू पंडित (25), मंडीदीप निवासी गुलजार राजपूत (22) व सिमराई निवासी दीपक विश्वकर्मा (24) के रूप में हुई।

जेल में हुई थी मुलाकात: गिरोह का सरगना जावेद और छोटू एक ही इलाके में रहते थे। गिरोह के बनने से पहले वे दोनों की शहर में चेन लूट की वारदात को अंजाम देते थे। मार्च में छोटू एक बच्चे के साथ दुष्कृत्य के मामले में सजा काट रहा था। जेल में उसकी मुलाकात राजू पंडित से हुई, जो धारा 151 की धारा(अबारागर्दी) में सजा काट रहा था। जेल में एक ही लॉकप में रहने से छोटू और राजू के बीच दोस्ती हो गई। जेल से रिहा होने के बाद छोटू ने राजू की मुलाकात जावेद से कराई। इसी तरह राजू ने अपने दोस्त केसरी, दीपक और गुजजार राजपूत को जावेद से मिलवाया और इसके बाद छह सदस्यीय लुटेरा गिरोह तैयार हो गया था।

जावेद भाड़े पर रखा था सदस्यों को: जावेद ने लूट की चेन को ठिकाने लगाने के बाद कोलार रोड पर साढ़े 11 लाख रुपए का एक फ्लैट बुक कराया था। इसके लिए वह एक लाख 11 हजार रुपए एडवांस भी दे चुका था। जावेद फ्लैट खरीदने के लिए गिरोह के सदस्यों से भाड़े पर वारदात करवाता था। वह सिर्फ लूट के माल को ठिकाने लगाने का काम करता था। उसकी ऐशबाग में एक मीट की दुकान भी है। लूट की वारदात करने के बाद जावेद कुछ हिस्सा ही अपने साथियों को देता था, बाकी के पैसों से वह फ्लैट को खरीदने के लिए जमा कर रहा था।

यह पुलिस के लिए बड़ी सफलता है। इससे लोगों में बाइक सवार लुटेरों का खौफ खत्म होगा। हमेशा पुलिस विभाग का प्रयास रहता है कि राजधानी में शांति का माहौल बना रहे, इसके लिए पुलिस बदमाशों और लुटेरों गिरोह का सफाया करने में लगी हुई है।

डॉ. शैलेन्द्र श्रीवास्तव, आईजी भोपाल

Sunday, July 10, 2011

जमीन के लिए पति का कत्ल

जिंदगी भर जीने-मरने की कसमें खाने वाली सगीरा ने सवा दो एकड़ जमीन के लिए अपने पति शेहराज की भाड़े के बदमाशों से हत्या करवा दी। उसने पति की हत्या के लिए एक आरोपी को दो-दो लाख रुपए देने का सौदा किया था। इस मामले की गुत्थी निशातपुरा पुलिस ने घंटेभर में ही सुलझा ली...

मनोज राठौर

हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी निवासी शेहराज खान पुत्र सुलेमान (35) चौक बाजार स्थित एक ज्वेलर्स की दुकान पर नौकरी करता था। उसकी 15 साल पहले सगीरा से शादी हुई थी, जिनके तीन बच्चें भी हैं। शेहराज मूल रूप से गांधी नगर इलाके के ग्राम परेवा खेड़ा का रहने वाला था। गांव में उसकी सवा दो एकड़ पैतृक भूमि है, जिसकी वर्तमान में कीमत करोड़ों रुपए बताई जा रही है। इस जमीन को बेचने के लिए सगीरा पिछले कई सालों से पति पर दवाब बना रही थी। वह जमीन बेचकर एक आलीशान बंगला और कार खरीदकर ऐशो-आराम की जिंदगी गुजारना चाहती थी, लेकिन शेहराज भी पैतृक जमीन को किसी भी हाल में बेचने को तैयार नहीं था। इस बात को लेकर पति-पत्नी के बीच आए दिन झगड़ा होता था। कई बार विवाद बढ़ने पर शेहराज सगीरा के साथ मारपीट भी करता था। इससे नाराज होकर अक्कसर सगीरा अपने मायके चली जाती थी। हालांकि, बाद में शेहराज के परिजन की समझाइश से सगीरा वापस घर आ जाती थी। यह तामाशा पिछले एक साल से चल रहा था। मगर कहते हैं कि यदि औरत किसी बात की जिद पकड़ ले, तो उसे पूरा करके ही मानती है। इससे पहले उसे चैन नहीं आता। ऐसा ही कुछ 19 सितंबर 2010 को सगीरा के दिमाग में चल रहा था और उसने अपनी जिद को पुरा करने की ठान ली। वह सुबह मोहल्ले में रहने वाली अपनी बहन शबाना के घर पहुंची। उसने शबाना और उसके पति शानू को अपने दिल की बात बताई कि वह शेहराज की गांधी नगर स्थित सवा दो एकड़ जमीन बेचना चाहती है, लेकिन उसके रास्ते में शेहराज पहाड़ की तरह खड़ा हुआ है। इस पर शबाना व शानू ने सगीरा को सलाह दी कि यदि शेहराज रास्ते से हट जाए, तो वह उस जमीन की मालकिन बन जाएगी और उसे आसानी से बेच सकती है। यह सुनकर उसकी खुशी का ठिकाना नहीं था। उसने आनन-फानन में पति की हत्या करने का फैसला ले लिया। इसके बाद सगीरा ने शानू से कहा कि यदि वह शेहराज का कत्ल कर देगा, तो वह उसे दो लाख रुपए देगी। हालांकि, शानू ने उसे बताया कि यह काम वह अकेला नहीं कर पाएगा। इसके लिए उसे दो आदमी की जरूरत पड़ेगी। इधर, सगीरा की आंखों में केवल जमीन बेचने का सपना झूल रहा था, तो उसने शानू से तत्काल कहा कि वह दो लोगों को भी पैसे देने को तैयार है, लेकिन शेहराज की हत्या होने के बाद। इसके बाद शानू ने शेहराज की हत्या की साजिश रची।

ऐसे की हत्या:साजिश के तहत शानू ने रविवार रात आठ बजे शेहराज को फोन कर करोंद चौराहा स्थित शराब की दुकान पर बुलाया था। वहां पहले से छोला रोड निवासी उसके साथी इमरान व तौसीफ भी मौजूद थे। इस दौरान शानू ने कहा कि उसे करोंद कृषि उपज मंडी परिसर में एक व्यक्ति से उधारी के तीन हजार रुपए लेना है। इस पर चारों करीब साढ़े 10 बजे करोंद मंडी में पहुंच गए। वहां शानू आने-जाने वाले लोगों की निगारानी करने लगा और इमरान ने शेहराज के दोनों हाथ पकड़ लिए। इसके बाद तौसीफ ने चाकू निकालकर उसका गला रेत दिया। हत्या की वारदात को अंजाम देने के बाद तीनों वहां से भाग निकले। सोमवार सुबह एक राहगीर ने मंडी परिसर में शेहराज की लाश पड़ी होने की सूचना निशातपुरा पुलिस को दी।

ऐसे पकड़ाए आरोपी: घटना स्थल पर पहुंचे मृतक के परिजन ने पुलिस को बताया कि जमीन बेचने की बात को लेकर उनके बेटे शेहराज से बहू सगीरा आए दिन झगड़ा करती थी। झगड़े के दौरान सगीरा पति को जान से मारने की धमकी भी देती थी। इधर, पुलिस ने मृतक के मोबाइल फोन पर रविवार रात आठ बजे शानू का मोबाइल फोन नंबर भी देखा। इस पर पुलिस ने सबसे पहले सगीरा को हिरासत में लिया। प्रारंभिक पूछताछ में वह आनाकानी कर रही थी, लेकिन सख्ती बरतने पर उसने पूरे घटनाक्रम का खुलासा कर दिया। पुलिस ने सगीरा की निशानदेही पर शानू, शबाना, इमरान और तौसीफ को गिरफ्तार कर लिया था।

मृतक के परिजन की निशानदेही पर सगीरा को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया था। पूछताछ के दौरान उसने शेहराज की हत्या का राज खोल दिया। आरोपी सगीरा, शानू, शबाना, इमरान और तौसीफ जेल की सलाखों के पीछे हैं। व्हीके कुशवाह, निशातपुरा थाना, एएसआई विवेचक

Friday, July 08, 2011

बहन की मौत लिया बदला

(अशोका गार्डन में आॅनर किलिंग )
चाचा-चाची की बदसूलकी से तंग आकर रानी ने जहर खाकर खुदकुशी कर ली। रानी की मौत से दुखी भाई राजीव ने चाचा-चाची को सबक सिखाने के लिए उनके आंखों के तारे निकेत की नृशंस हत्या कर दी। पुलिस ने हत्या के आरोपी राजीव और उसके साथी अख्तर को सलाखों के पीछे भेज दिया है।
मनोज राठौर
चांदबड़ निवासी राजीव लखेरा (21) के सिर से पिता गौरीशंकर और मां का साया बचपन में ही उठ गया था। उसके माता-पिता की एक हादसे में मौत हो गई थी। इसके बाद राजीव व उसकी बहन रानी (परिवर्तित नाम) अपने चाचा सीताराम लखेरा के पास रहने लगे। सीताराम के दो बेटे में बड़ा चेतन (23) और छोटा निकेत उर्फ निक्की (20) थे, लेकिन घर में राजीव और रानी के आ जाने से उनकी जिम्मेदारी तीन बेटे और एक बेटी के प्रति हो गई। वह कपड़ा मिल पर नौकरी कर परिवार का भरण-पोषण करते थे। इधर, राजीव और रानी का बचपन का सफर हस्ते-हस्ते गुजर गया। जब रानी ने जवानी की दहलीज पर कदम रखा, तो उस पर तरह-तरह के आरोप लगने लगे। वह सुंदर और शांत स्वभाव की थी। सितंबर महीने में रानी के चाचा सीताराम और चाची ने उसके चरित्र पर छिंटाकसी और अभद्रता की। चाचा-चाची की इस हरकत से परेशान रानी ने सोचा कि यदि उसके माता-पिता मौजूद होते, तो शायद उसके साथ ऐसा व्यवहार कभी नहीं होता। उसके चरित्र पर गैरों ने नहीं, बल्कि अपनों ने ही उंगली उठाई थी। यह बात वह बर्दाश्त नहीं कर पाई और उसने जहरीला पदार्थ खा लिया। तबीयत खराब होने पर सीताराम और राजीव ने उसे एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया, जहां उसकी इलाज के दौरान मौत हो गई। बहन रानी की मौत के बाद राजीव को आस-पड़ोस वालों से पता चला कि जिस दिन रानी ने जहर खाया था, उस दिन उससे चाचा-चाची ने बुरा भला कहा था। यह पता होने के बाद राजीव के दिल में बदले की भावना पैदा हो गई और उसने ठान ली कि वह अपनी बहन का मौत का बदल लेगा।
निकेत को चाय के बहाने बुलाया :24 अक्टूबर 2010 की रात 10 बजे राजीव ने निकेत से कहा कि चलो, प्रभात चौराहे से चाय पीकर आते हैं। इस पर निकेत राजीव के साथ चलने को तैयार हो गया। राजीव के साथ उसका साथी अख्तर भी था। तीनों एक स्कूटर पर सवार होकर प्रभात चौराहे के लिए रवाना हुए, लेकिन रास्ते में अख्तर ने स्कूटर अशोका गार्डन इलाके की गलियों में डाल दी। इसके बाद एकतापुरी मैदान में जाकर उनकी स्कूटर रुकी और उन्होंने निकेत को नीचे उतारकर उस पर तलवार और चाकू से हमला कर दिया। हमले में निकेत की गर्दन और पेट में गंभीर चोट आई। घटना की सूचना मिलने के बाद मौके पर पहुंची अशोका गार्डन पुलिस ने उसे एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया, जहां उसकी अगले दिन इलाज के दौरान मौत हो गई। पुलिस ने घटना वाले दिन ही आरोपी राजीव और उसके साथी अख्तर को गिरफ्तार कर लिया था।
बोझ नहीं बनना चाहता था राजीव: राजीव चाचा-चाची पर बोझ नहीं बनना चाहता था, इसलिए उसने छोटी सी उम्र में ही काम करना शुरू कर दिया। वह दुकानों पर प्राइवेट नौकरी करता था।
रानी बनाती थी अख्तर को भाई: चांदबड़ निवासी अख्तर खान पैसे से मैकेनीक है और उसकी क्षेत्र में एक दुकान भी है। इस दुकान पर अक्कसर राजीव आता-जाता रहता था। थोड़े ही दिनों में अख्तर और राजीव में गहरी दोस्ती हो गई। अख्तर ने रक्षाबंधन के दिन रानी से राखी बंधवाई और उसे अपनी बहन माना। अख्तर ने भी रानी की मौत का बदला लेने की कसम खाई थी। इसके बाद उसने राजीव के साथ योजना बनाई कि जिस तरह से चाचा-चाचा ने उनकी एकलौती बहन को उनसे छीन लिया है, वैसे ही वह भी उनके घर के चिराग निकेत को छीन लेंगे।

Wednesday, July 06, 2011

अय्याशी ने ली जान

"यह कैसी अय्याशी, जो रिश्तों के आड़े आ जाती है और आदमी सबकुछ भूलकर दरिंदा बन जाता है। ऐसा ही एक मामला निशातपुरा थाना क्षेत्र का है, जहां शराब के नशे में मुन्नालाल कुशवाह ने रिश्तों को तार-तार करने की कोशिश की। हालांकि, पानी सिर से गुजर जाने के बाद सगे भाई ने ही उसकी हत्या कर दी। "

मनोज राठौर

20 अक्टूबर 2010 की दोपहर एक बजे निशातपुरा थाना प्रभारी जीएल अहरवाल आॅफिस में बैठकर जरूरी काम निपटा रहे थे। तभी उनके मोबाइल पर एक फोन आया और सामने वाले व्यक्ति ने बताया कि टीआई साहब विश्वकर्मा नगर में एक व्यक्ति की हत्या हो गई है, जल्दी आ जाओ। इस पर तत्काल टीआई थाना स्टाफ के साथ घटना स्थल पर पहुंचे। वहां घर के पास खून से सनी हुई मुन्नालाल कुशवाह (35) की लाश पड़ी हुई थी। लाश के पास मृतक का पिता बैनी प्रसाद और अन्य परिवार के सदस्य खड़े हुए थे, लेकिन उनकी आंखों में न ही आंसू और न ही चेहरे पर शोक का भाव था। यह दृश्य देखकर श्री अहरवाल समझ गए कि मामले को सुलझाने में देरी नहीं लगेगी। सो, उन्होंने बैनी प्रसाद को बुलाया और बेटे की मौत के बारे में पूछताछ की। पूछताछ में श्री अहरवाल को पता चला कि मुन्नालाल को मारने वाला ओर कोई नहीं, उसका छोटा भाई कल्लू है। पुलिस ने बिना देरी किए निशातपुरा क्षेत्र में घेराबंदी कर आरोपी कल्लू को पकड़ लिया।

ऐसे हुई हत्या: विश्वकर्मा नगर निवासी बैनी प्रसाद कुशवाह के तीन बेटे मुन्नालाल, प्रेम व कल्लू और दो बेटियां हैं। मुन्नालाल घर में सबसे बड़ा था। वह एक बिल्डर के पास मुंशी का काम, छोटा भाई कल्लू मिस्त्री का काम और प्रेम मजदूरी करता। गत 20 अक्टूबर की दोपहर करीब एक बजे मुन्नालाल घर के पास शराब के नशे में धुत खड़ा हुआ था। इस बीच वहां से कल्लू काम पर से लौट रहा था। तभी उसे मुन्नालाल ने रोक लिया। दोनों भाईयों के बीच किसी बात को लेकर तू-तू मैं-मैं हुई। बाद में विवाद इतना अधिक बढ़ गया कि कल्लू ने झोले में रखा हथौड़ा निकालकर भाई के सिर पर ताबड़-तोड़ बार किए। हमले में मुन्नालाल अचेत होकर जमीन पर गिर गया और कल्लू वहां से भाग खड़ा हुआ। हादसा इतना दर्दनाक था कि उसकी मौके पर ही मौत हो गई। मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए हमीदिया अस्पताल भिजवा दिया और हत्या में इस्तेमाल किए गए हथौड़े बरामद कर लिया।

हरकतों से परेशान थे परिजन:मुन्नालाल आए दिन बाहरी औरतों को लेकर घर आता और छत पर जाकर खुलेआम परिजनों के सामने अय्याशी करता। इतना ही नहीं कभी-कभी शराब के नशे में वह अपनी मां-बहनों से भी अश्लीलता करने से नहीं चुकता। इस हरकत के चलते रोजाना कल्लू और मुन्नालाल के बीच झगड़ा होता और बात मारपीट तक पहुंच जाती। हर बार कल्लू ने ही मुन्नालाल का विरोध किया। लेकिन इससे पिता और भाई प्रेम को कोई मतलब नहीं था। घटना वाले दिन भी मुन्नालाल ने कल्लू से गाली-गलौज की और उसे घर से भागने के लिए कहा। इस बात को लेकर उसने भाई को मौत के घाट उतार दिया।

बाप-बेटे पीते थे शराब: बैनी के घर में हर कभी बेटों केसाथ शराब पीता था। इस दौरान नशा अधिक हो जाने पर बाप-बेटे आपस में झगड़ा भी करते। रोजाना के बाप-बेटों के बीच झगड़े से कॉलोनी के लोग भी परेशान थे घर के सामने ही जवान बेटे की लाश पड़ी हुई थी, लेकिन नशे में धुत बैनी प्रसाद का दिल नहीं पसीजा। उसकी आंखो में आंसू नहीं थे और वह आराम से सड़क किनारे खड़े होकर सिगरेट पी रहा था।

नहीं थी परिवार की चिंता: परिवार में सबसे बड़ा होने के बाद भी मुन्नालाल ने कभी अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई। वह पूरे पैसे शराब और अय्याशी में उड़ाता, जबकि उसके घर में दो जवान बहन थी, जो शादी की दहलीज पर पहुंच चुकी थी। हालांकि, घर के माहौल और भाईयों की हरकतों के कारण बहनों के लिए रिश्ते भी नहीं आ रहे थे। वहीं खुद मुन्नालाल और उसके दो भाईयों की शादी नहीं हुई थी।

Tuesday, July 05, 2011

दहेज के लिए हत्या

जब दस साल बाद भी दिल से दहेज का जिन नहीं निकला, तो डोरीलाल और उसके बेटे चेतराम ने बातचीत के दौरान बहू किरण के चाचा चोखेलाल पर चाकू से हमला कर दिया। हमले में घायल चोखेलाल की मौके पर ही मौत हो गई। पुलिस ने आरोपी बाप-बेटे को गिरफ्तार कर उन्हें जेल भेज दिया है...
मनोज राठौर
19 अक्टूबर 2010 को बिलखिरिया स्थित ग्राम छावनी नाका निवासी किरण केवट पति श्रीराम की खुशी का ठिकाना नहीं था। जिस चाचा चोखेलाल केवट का हाथ उसने बचपन में खेलते समय छोड़ दिया था, वह करीब 25 साल बाद उसकी ससुराल लौट रहे थे। लेकिन उसकी यह खुशियां पलक झपकते ही आंखों से औझल हो गईं। हुआ यंू कि चोखेलाल दोपहर करीब तीन बजे छावनी पठार स्थित अपने बहनोई धनसिंह के घर पहुंचा। वहां शाम करीब छह बजे किरण का ननदोई डोरीलाल और उसका बेटा चेतराम आ गए। किरण की शादी में दहेज नहीं मिलने पर डोरीलाल ने धनसिंह से कहा कि अब, तो लड़की का चाचा भी आ गया है। जल्दी से शादी के दौरान किए गए अपने वादे को पूरा करो। इस बात को लेकर धनसिंह और डोरीलाल के बीच कहासुनी हो गई। विवाद बढ़ने पर डोरीलाल ने धनसिंह के गाल पर तमाचा मार दिया। जब चोखेलाल बीच-बचाव करने की कोशिश करने लगा, तो डोरीलाल व चेतराम ने मिलकर उसके साथ मारपीट शुरू कर दी। इस दौरान उस पर चाकू से हमला भी किया गया। हमले में चोखेलाल के सीने और पेट में गंभीर चोट आई थी। धनसिंह का बेटा गंगा घायल चोखेलाल को बाइक से अस्पताल ले जा रहा था। लेकिन रास्ते में ही चोखेलाल की सांसे रूक गई। घटना की सूचना मिलने के बाद मौके पर सीएसपी एचएन गुरू, थाना प्रभारी ललित डागुंर, एएसआई अयोध्या प्रसाद, हवलदार अमर सिंह और सिपाही संतोष कुमार पहुंचे। पुलिस ने घटना के दूसरे दिन आरोपी डोरीलाल और चेतराम पर हत्या का मामला दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया। सभी आरोपी जेल में सजा काट रहे हैं।
किरण की दुखभरी दास्तां-करीब 25 साल पहले उदयपुर, ग्राम तुखान निवासी चोखेलाल पुत्र दामोदर केवट (35) की एक गाय को गांव के व्यक्ति ने डंडे से पीटकर जख्मी कर दिया था। इस बात को लेकर चोखेलाल ने अपने बडेÞ भाई गोविंद व छोटे भाई के साथ मिलकर उस व्यक्ति की हत्या कर दी। हत्या के मामले में तीनों भाईयों को 20 साल की सजा हो गई। भाईयों के जेल जाने के बाद उनका पूरा परिवार बिखर गया। इधर, गोविंद के जेल जाने पर उसकी पत्नी अपनी दस साल की बेटी किरण को गांव में अकेला छोड़कर भाग गई। जब यह खबर चोखेलाल के बहन यशोदा बाई और बहनोई धनसिंह को लगी, तो वह किरण को अपने साथ छावनी पठार ले गए। जहां उन्होंने किरण की अपनी बेटी की तरह परवरिश की। जब किरण समझदार हो गई, तो धनसिंह ने उसकी शादी गांव से लगे छावनी नाका निवासी हरिचरण के बेटे श्रीराम से कर दी।
दशहरे पर हुआ था झगड़ा-दशहरे के दिन धनसिंह और डोरीलाल का परिवार जंबूरी मैदान स्थित दशहरा देखने के लिए गया था। इस दौरान किरण की शादी के दहेज की मांग को लेकर डोरी लाल और धनसिंह के बीच विवाद हो गया। विवाद बढ़ने पर दोनों के बीच मारपीट भी हुई, लेकिन परिवार के अन्य सदस्यों ने मौके पर ही मामले को शांत करा दिया था। इसके बाद उसने घटना की जानकारी चोखेलाल को दी और उसे जल्द ही गांव आने के लिए कहा। इस पर चोखेलाल श्रीराम के परिजन से बातचीत करने के लिए 19 अक्टूबर को धनसिंह के घर पहुंचा था।
भागने के फिराक में थे आरोपी बाप-बेटे-चोखेलाल की हत्या करने के बाद आरोपी डोरी लाल और चेतराम पिपरिया स्थित अपने रिश्तेदार के घर भाग गए थे। मुखबिर की सूचना पर पुलिस की एक टीम ने आरोपी चेतराम को पिपरिया से गिरफ्तार कर लिया, लेकिन डोरीलाल वहां से भाग निकला। इधर, घटना के दूसरे दिन जब हवलदार अमर सिंह बाइक से थाने की ओर जा रहा था, तो रास्ते में उसे एक बाइक पर डोरीलाल जाते हुए दिखा। इस पर श्री सिंह ने उसकी बाइक का पीछा किया और उसे दबोच लिया।

Sunday, July 03, 2011

छात्र की हत्या

"नशे की हालत में व्यक्ति कितना नीचे गिर सकता है, इसका उदाहरण भोपाल के बिलखिरिया थाना क्षेत्र में देखने को मिला है, जहां भूरा उर्फ बलराम ने नशे की हालत में अपने साथी गोलू को हवस का शिकार बनाया और बदनामी के डर से उसका मुंह दबाकर हत्या कर दी। इस मामले में पुलिस ने ग्रामीणों की निशानदेही पर आरोपी भूरा को एक फार्म हाउस से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।"
नशे में हैवान (बिलखिरिया)
मनोज राठौर
रायसेन स्थित ग्राम कालदा निवासी हरि सिंह खेती-किसानी करते हैं। उनके दो बेटे और एक बेटी है। चार साल पहले हरि सिंह ने अपने 10 वर्षीय बेटे गोलू उर्फ गोपाल को पढ़ाई के लिए बिलखिरिया गांव में रहने वाले साढू भाई रमेश सिंह के पास भेज दिया था। गोलू गांव के सरकारी स्कूल में पांचवी का छात्र था। वह पढ़ाई के साथ कभी-कभी जंगल में मवेशी चराने के लिए भी चला जाता था। इस दौरान उसकी दोस्ती भूरा उर्फ बलराम पिता लक्ष्मीनारायण गुर्जर (22) से हो गई। भूरा भी मवेशी चराने की नौकरी करता था।
ऐसा घेरा मौत ने...13 सितंबर की रात नौ बजे गोलू ने घर में खाना खाया और मौसा रमेश से कहा कि वह गांव में गणेश जी की झांकी देखने के लिए जा रहा है। घर लौटने में देरी हो जाएगी। इसके बाद वह गांव की सूनसान गलियों से होता हुआ र्इंट के एक भट्टे के पास पहुंच गया, जहां उसे भूरा उर्फ बलराम मिला। पहले दोनों ने आपस में एक-दूसरे का हालचाल पहुंचा और बाद में भूरा ने शराब पीने की पेशकश की। इसके बाद दोनों र्इंट के भट्टे के पास पहुंच गए, जहां उसने गोलू को जबरन शराब पीला दी। अधिक मात्रा में शराब पीने के कारण भूरा ने अपना आपा खो दिया और गोलू को हवस की निगाहों से पकड़ लिया। पहले उसने गलत काम के लिए उस पर दवाब बनाया था, लेकिन उसके राजी नहीं होने पर उसने गोलू को भट्टे के पास एक गढ्ढे में पटक दिया और उसे अपनी हवस का शिकार बनाया। इस दौरान जब गोलू ने अपने साथ हुई घटना की जानकारी परिजन को बताने की बात कही, तो भूरा बौखला गया और बदनामी के डर से उसका मुंह दबाकर उसकी हत्या कर दी। गोलू की हत्या करने के बाद आरोपी वहां से भाग निकला।
ऐसे पकड़ाया आरोपी...14 सितंबर की सुबह गांव वालों ने गोलू की लाश र्इंट के भट्टे के पास पड़ी देखी, तो उन्होंने बिलखिरिया पुलिस को घटना की सूचना दी। इस पर तत्काल थाना पुलिस मौके पर पहुंची और लाश को पोस्टमार्टम के लिए हमीदिया अस्पताल भिजवा दिया। पुलिस की प्रारंभिक जांच में सामने आया कि गांव के कुछ लोगों ने रात को गोलू को भूरा के साथ देखा था। इसके बाद पुलिस ने शक के आधार पर भूरा की तलाश शुरू की। इधर, मुखबिर ने पुलिस को सूचना दी कि आरोपी भूरा सांची स्थित देहली गांव के एक फार्म हाउस छुपा हुआ है। इस पर पुलिस की एक टीम तत्काल मौके पर पहुंची और उसने आरोपी के घर का दरवाजा खटखटाया, लेकिन उसने करीब एक घंटे तक दरवाजा नहीं खोला था। हालांकि, पुलिस ने भी उसके घर के सामने ढेरा डाल दिया था। बाद में जैसे ही भूरा दरवाजा खोलकर बाहर निकला, तो पुलिस की टीम ने उसे दबोच लिया।
भूरा था घूमकड़-भूरा मूल रूप से गांव बिलखिरिया थाना अंतर्गत गांव बावड़िया खुर्द का रहने वाला है। उसके पिता लक्ष्मीनारायण ने दूसरी शादी कर ली थी, जिससे उनके दो बच्चे हैं। इनमें भूरा उनका बड़ा बेटा है। हालांकि, बाद में लक्ष्मीनारायण और उनकी पत्नी के बीच अनवन होने लगी और उसकी पत्नी भूरा को लेकर उमरावगंज स्थित अपने घर चली गई। वहां भी भूरा की मां ने दूसरी शादी कर ली। इसके बाद भूरा बेघर हो गया और राजधानी के आसपास के गांव में मेहनत मजदूरी कर पेट पालने लगा।
मवेशी चराता था भूरा-इसी साल भूरा बिलखिरिया गांव में पहुंचा और वहां गांव के गणेश राम गुर्जर के पास मवेशी चराने का काम करने लगा। सितंबर महीने में किसी बात को लेकर उसका विवाद लल्लू नामक युवक से हो गया। विवाद बढ़ने पर वह गांव छोड़कर भाग निकला। इसके बाद वह सांची स्थित ग्राम देहरी के एक फार्म हाउस पर चौकीदारी की नौकरी करने लगा था।

आरोपी भूरा हत्या की वारदात को अंजाम देने के बाद भोपाल से बाहर भागने की फिराक में था, लेकिन पुलिस ने तत्परता के साथ आरोपी को देहली गांव स्थित एक फार्म हाउस से गिरफ्तार कर जेल भेज दिय था। ललित डांगुर, बिलखिरिया थाना प्रभारी

Saturday, July 02, 2011

पैसों के लेनदेन में हत्या

"बाप-बड़ा न भईया सबसे बड़ा रुपया। इसी रुपये की पीछे छोला मंदिर थाना स्थित समता नगर निवासी रामदेव शर्मा ने अपने साथी आरिफ उर्फ छोटू खान की कुल्हाडी से नृशंस हत्या कर दी। पुलिस ने आरोपी रामदेव और उसकी पत्नी संध्या को झांसी से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।"
मनोज राठौर
छोला मंदिर थाना स्थित समता नगर निवासी रामदेव शर्मा पिता विद्याराज (38) पेशे से ड्राइवर है। वह मूल रुपए मुरैना में रहता है। उसके परिवार में पत्नी संध्या (35) और एक बेटा व बेटी है। उसके पड़ोस में उसका साथी आरिफ उर्फ छोटू रहता था। 16 नबंवर 2010 की रात आरिफ रामदेव के घर पहुंचा और वहां दोनों ने मिलकर जमकर शराब पी। इस दौरान रामदेव साथी से अपने उधारी के पैसें मांगे लगा, तो दोनों के बीच कहासुनी हो गई। बंद कमरे में टीवी की तेज आवाज होने के कारण झगड़े की भनक तक पड़ोसियों को नहीं लगी। पहले आरिफ रामदेव पर हावी हो गया, लेकिन मौका मिलने पर रामदेव ने कमरे में रखी कुल्हाड़ी से आरिफ पर हमला कर दिया। सिर में गंभीर चोट आने के कारण उसकी मौके पर ही मौत हो गई। विवाद में कमरे में रखी टीवी भी क्षतिग्रस्त हो गई थी। साथी की मौत हो जाने के बाद उसके होश उड़ गए और उसने आनन-फानन में अपनी पत्नी और दोनों बच्चों को छोला मंदिर में रहने वाले साढू राजकुमार के पास भेज दिया। रामदेव की हिम्मत नहीं हो रही थी कि वह आरिफ की लाश कहीं ठिकाने लगा सके। इस कारण उसने दो दिनों तक आरिफ के शव को कमरे में रखा, लेकिन उसे पता था कि वह शराब के नशे में कुछ भी काम कर सकता है। इसके चलते ही उसने दोबारा शराब पी और 17-18 नबंवर की दरमियानी रात लाश कॉलोनी स्थित एक नाले में फेंक दी। इसके बाद वह पत्नी और बच्चों को लेकर झांसी स्थित एक रिश्तेदार की शादी में शामिल होने के लिए चला गया।
शादी कार्ड से पकड़ाई दंपति%पुलिस को रामदेव के साढू छोला मंदिर निवासी राजकुमार से एक शादी कार्ड मिला। यह कार्ड रामदेव की पत्नी संध्या के झांसी स्थित मायके पक्ष के एक रिश्तेदार का था, जिसकी शादी 23 नबंवर को थी। इस कार्ड की मदद से एएसआई लालजी त्रिपाठी के नेतृत्व में एक टीम झांसी गई और रामदेव व उसकी पत्नी संध्या को गिरफ्तार कर लिया।
मुरैना भागने की फिराक में थी दंपति-झांसी में एक रात रूकने के बाद शुक्रवार को आरोपी शर्मा दंपति मुरैना भागने की फिराक में थी, लेकिन पुलिस ने उसे शुक्रवार तड़के ही दबोच लिया।ऐसे हुई दोस्ती-आरिफ भी पेशे से ड्राइवर था। इस बजह से उसके और रामदेव के बीच गहरी दोस्त हो गई। जरूरत पड़ने पर वह एक दूसरे की आर्थिक मदद करते थे। वह एक-दूसरे के घर भी आते-जाते थे।
यह है हत्या की वजह-करीब नौ साल पहले आरिफ का जिंसी चौराहे पर एक्सीडेंट हो गया था। आरिफ से दोस्ती होने के कारण रामदेव ने उसके इलाज का पूरा खर्चा उठाया। इसके बाद दोनों के बीच पैसों का लेनदेन शुरू हुआ। घटना वाले दिन में दोनों के बीच पैसों को लेकर कहासुनी हुई थी।

Friday, July 01, 2011

फंस गया झूठे प्यार के जाल में...

व्यापारी से फिरौती मांगी (पिपलानी)

मनोज राठौर

पिपलानी स्थित सिद्धार्थ लेक सिटी निवासी भगवानदास खामरा जमीन की खरीद-फरोख्त और भवन निर्माण का ठेका लेने का काम करते हैं। वह गत 10 अक्टूबर 2010 की सुबह रोजाना की तरह चाय पी रहे थे। इस दौरान उनके मोबाइल फोन की घंटी बजने लगी। जब उन्होंने मोबाइल की स्क्रीन पर देखा, तो कोई अंजान नंबर (9770283903) आया था। जैसे ही खामरा ने मोबाइल फोन रिसीव किया, तो फोन करने वाले व्यक्ति ने कहा कि तुम्हारे इकलौते बेटे को जान से खत्म कर दूंगा। जल्दी से10 लाख रुपए की व्यवस्था कर लो। खामरा ने फोन करने वाले से उसका नाम पूछा, तो वह भड़क गया और उनसे अभद्रता करने लगा। फोन काटते समय आरोपी ने कहा कि मैं आने वाले समय का डॉन हूं और नाम है जावेद। इस फोन के बाद खामरा की रातों की नींद उड़ गई। अगले दिन उन्होंने अपने मन की बात बिजनेस पार्टनर छोटेलाल को बताई। दोनों ने काफी विचार विमर्श कर घटना की पिपलानी पुलिस को देने की ठान ली। इसके बाद उन्होंने मामले की लिखित शिकायत थाने में कर दी। मामला व्यापारी से जुड़ा होने के कारण थाना प्रभारी आरआर बंसल ने घटनाक्रम की गुत्थी सुलझाने में एएसपी एके पांडे की मदद ली। श्री पांडे ने शिकायत को गंभीरता से लेते हुए तत्काल आरोपी के मोबाइल नंबर की कॉल डिटेल निकवाई। कॉल डिटेल में कई लोगों के नंबर आए, जिसको देखकर पुलिस की परेशानी ओर अधिक बढ़ गई, लेकिन श्री पांडे ने हार नहीं मानी और समझबूझ का परिचय देते हुए घटना समय से लेकर करीब पांच दिनों तक की नंबरों की सूची तैयार की। इसके बाद एक के बाद नंबर की जांच की गई। हालांकि उक्त नंबरों में से एक नंबर पुराना शहर में रहने वाली एक युवती को लग गया और पुलिस ने उससे आरोपी को पकड़वाने के लिए मदद मांगी। युवती की मदद से पुलिस को पता चला कि फोन करने वाला आनंद नगर निवासी मैकेनीक बलदेव उर्फ बल्लू पिता राजेंद्र सिंह ठाकुर है।

यह था पुलिस का जाल: बलदेव जिस मोबाइल फोन से खामरा को धमकी दे रहा था। उसमें पहले से कई लड़कियों के नंबर फीड़ थे। उसने फोन पर पांच-छह लड़कियों से अपने इश्क का इजहार भी किया, लेकिन किसी ने उसे घास नहीं डाली। हालांकि, उसका एक नंबर पुराने शहर में रहने वाली मोनिका (परिवर्तित) नाम को लगा। उस समय बलदेव ने खुद का नाम जावेद बताया था। इधर, पुलिस के पास आरोपी के मोबाइल फोन नंबर की कॉल डिटेल थी, जिसमें मोनिका का नंबर भी था। पुलिस ने किसी तरह मोनिका से संपर्क किया और बलदेव को झूठे प्यार में फंसाने के लिए तैयार कर लिया। पुलिस के कहने पर मोनिका ने बलदेव को अपने झूठे प्यार में फंसा लिया। इसके बाद क्या था, पुलिस ने बलदेव की मोबाइल फोन की लोकेशन के आधार पर उसे आनंद नगर से दबोच लिया।

करोड़पति बनने के सपने: बलदेव पेशे से मैकेनीक था। उसके गैरेज पर लोग चमचमाती कार लेकर आते-जाते रहते थे। यह चमचमाती कार उसके दिमाग पर चढ़ गई और उसने करोड़पति बनने की ठान ली। वह करोड़पति बनने के सपनों बुन ही रहा था कि उसे संयोग से गैरेज से घर जाते समय रास्ते में एक मोबाइल फोन पड़ा मिल गया। मोबाइल आने के बाद उसका शातिर दिमाग चलने लगा। खामरा का बेटा जयप्रकाश अपनी बाइक सुधरवाने के लिए अक्कसर बलदेव के गैरेज पर जाता था। इस दौरान आरोपी ने उससे खामरा का मोबाइल फोन नंबर हासिल कर लिया। इसके बाद उसने खामरा को फोन कर उनसे 10 लाख की मांग की।

दिवाली के दिन गोली मारने की धमकी: खामरा ने बताया कि आखिरी बार आरोपी बलदेव ने फोन कर उन्हें बताया था कि यदि रुपए समय पर नहीं मिले, तो दिवाली के दिन पटाखों की आवाज में वह उनके बेटे जयप्रकाश को गोली मार देंगे और किसी को पता भी नहीं चलेगा।

Thursday, June 30, 2011

खून का बदला खून

ट्रीपल मर्डर (बिलखिरिया)
मनोज राठौर
राजधानी से २५ किलोमीटर दूर स्थित कान्हा सैया गांव निवासी पूर्व सरंपच गोकुल सिंह ठाकुर, उसका बड़ा भाई अर्जुन सिंह और अर्जुन का साला बलवीर सिंह रायसेन की ओर से रिश्तेदारी से १६ मई २०१० की दोपहर एक बजे घर की ओर लौट रहे ो। आदमपुरा गांव की मुख्य सड़क पर मारुति सवार पांच लोगों ने उनकी बाइक को जबरदस्त टक्कर मारी। इससे वह घायल हो गए। इसके बाद आरोपियों ने सड़क पर घायल पड़े अर्जुन, बलवीर और गोकुल पर कुल्हाड़ी तथा डंडे से हमला कर दिया। हमले के दौरान बलीवर जाने बचाकर भागा, लेकिन आरोपी ने कट्टे से फायर कर उसे सड़क से लगे खेत में गिरा दिया और उसकी भी कुल्हाड़ी तथा डंडे से नृंशस हत्या कर दिया। इसके बाद पांचों आरोपी खेत के रास्ते अमजरा नदी की ओर भाग निकले।
कान्हा सैया में रहने वाले हिम्मत उर्फ हन्नू सिंह ठाकुर खेती किसानी करते हैं। उनके चार बेटे अर्जुन(३५), गोकुल(२५), सुर्जन (२८)और तौंफान सिंह (३०) है। गोकुल पूर्व सरपंच था। पिछले साल टयूवबेल लगाने को लेकर रिश्तेदार भगवान सिंह ठाकुर और उनके बीच खूनी संघर्ष हुआ। इस खूनी खेल में भगवान सिंह के बेटे निरंजन उर्फ रंजू की मौत हो गई थी। इसके बाद यह रंजिश भगवान दोनों परिवार के दिलों में घर कर गई। भगवान सिंह का परिवार हिम्मत सिंह के बेटे को मारने की फिराक में घात लगाकर बैठा था। पिछले साल अक्टूबर माह में उसने अपने बेटे दीवान सिंह समेत पांच लोगों के साथ मिलकर गोकुल और अर्जुन पर हथियारों से हमला किया था। इसमें दोनों भाई को गंभीर चोट आई थी। पुलिस ने भगवान समेत पांच लोगों पर हत्या के प्रयास का मुकदमा भी कायम किया था। हालांकि, यह लड़ाई जंग में बदल गई और दोनों परिवार के बीच छोटी-छोटी बातों को लेकर आए दिन झगड़ा होने लगा। १६ मई को गोकुल, अर्जुन और उसका साला बलवीर रायसेन स्थित रिश्तेदार के घर गए थे। वहां से लौटते समय आदमपुर मुख्य सड़क पर कार क्रमांक एमपी ०४ व्ही ०८९५ ने उनकी पल्सर क्रमांक एमपी ०४ एमई ०३०८ को सामने से टक्कर मार दी। टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि पल्सर सवार गोकुल, अर्जुन और बलवीर गंभीर रूप से घायल होकर सड़क किनारे गिर गए। इसके बाद कार से उतरे भगवान सिंह के बेटे दीवान सिंह और उसके चार साथियों ने डंडे और कुल्हाड़ी से हमला कर दिया। इस बीच गोकुल वहां से खेत की ओर भागने लगा, लेकिन उसे थोड़ी दूरी पर गोली मारकर दबोच लिया। उसकी भी कुल्हाड़ी और डंडों से मारपीट की। इसके बाद सभी आरोपी खेत के रास्ते अमजरा नदी की ओर भाग निकले। अर्जुन और उसके साले बलवीर की मौके पर ही मौत हो गई। जबकि गोकुल ने हमीदिया अस्पताल में दम तोड़ दिया।
यह थी पुरानी रंजिश- गत २८ मई २००९ को गांव में लगे एसडीएम के शिविर में पूर्व सरपंच भगवान सिंह ने तत्कालीन सरपंच गोकुल सिंह पर मकान के आंगन में सरकारी हैंडपंप लगाने और टयवबेल से अकेले पानी लेने का आरोप लगाया था। इस बात को लेकर शिविर में दोनों पक्षों के बीच कहासुनी भी हुई। कुछ दिनों बाद ही विधायक जितेन्द्र डागा के शिविर में दौबार भगवान दास ने गोकुल पर आरोप लगाया। इस रंजिश के चलते गत ३१ मई को दानों पक्षों में जमकर डंडे चले। इसमें भगवान सिंह का बेटा निरंजन उर्फ रंजू की मौत हो गई। बेटे की मौत का बदला लेने के एिल भगवान सिंह अक्टूबर माह में पांच लोगों के साथ मिलकर गोकुल और उसके भाई अर्जुन सिंह पर जानलेवा हमला किया था। पुलिस ने आरोयिों के खिलाफ मामला दर्ज भी किया। इसके बाद से भगवान सिंह का परिवार मौके के फिराक में था।
घटना स्थल से भागे लोग- घटना स्थल के पास ही चाय और पंचर बनाने की दुकान है। वहां पर मृतक बलवीर के चाचा मोहन लाल ठाकुर भी मौजूद थे। अचानक दुर्घटना के बाद हुई घटना से वहां दहशत फैल गई। इसके बाद दुकानों पर बैठे लोग जान बचाकर खेत की ओर भाग निकले। मोहन लाल ने पुलिस को बताया कि आरोपियों की कार घटना के पहले आधे घंटे से सड़क पर चक्कर काट रही थी। इसमें दीवान सिंह समेत पांच लोग शामिल थे। उसने बताया कि अचानक तेज रफ्तार से मारुति कार ने पल्सर सवार को सामने से टक्कर मारी और उनकी कुल्हाड़ी और डंडे से हत्या कर दी। इस दौरान आरोपियों ने गोकुल पर कट्टे से गोली भी चलाई थी।
गांव में दहशत- मृतक और आरोपियों के गांव में बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात है। गांव में आधा दर्जन टुकड़िया फैला दी गई, जो लोगों की गतिविधियों पर नजर रखी हुई है। वहां दो बज्र वाहन मृतक और आरोपी के घर के सामने खड़े हुए हैं। वहीं गांव पुलिस छावनी में तब्दील हो गया। इधर, हिम्मत के जवान बेटों की मौत के बाद परिवार का रो-रो कर बुरा हाल है।
आरोपियों का नहीं लगा सुराग- दीवा सिंह और अन्य आरोपियों की धरपकड़ के लिए पुलिस की अलग-अलग टीमें राजधानी के अलावा सीहोर, विदिशा और रायसेन में डेरा डोले हुए हैं। यहां दीवान सिंह और उसके पिता भगवान सिंह के रिश्तेदार रहते हैं।
घटना दर्दनाक थी। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर लिया है। आरोपियों के परिजन से पूछताछ की जा रही है। वहीं सीहोर, विदिशा, रायसेन और राजधानी में आरोपियों की तलाश में पुलिस टीम लगाई गई हैं। जल्द ही आरोपियों को दबोच लिया जाएगा।
योगेश चौधरी, एसपी