Tuesday, June 07, 2011

ये कैसी मौत...?

मनोज राठौर

भोपाल निशातपुरा टीआई जीएल अहिरवार 11 फरवरी 2011 की शाम चार बजे इलाके में भ्रमण कर रहे थे। इस दौरान उनके मोबाइल फोन की घंटी बजने लगी। यह फोन किसी अनजान व्यक्ति का नहीं था, बल्कि उनके थाने के एएसआई (सहायक उप निरीक्षक) वीरेंद्र कुशवाह का था। उन्हें फोन पर श्री कुशवाह ने जो बताया, उसे सुनकर टीआई तत्काल निशातपुरा संभाग सीएसपी रश्मि मिश्रा के साथ करोंद चौराहा निवासी राजौरिया के किराएदार यतेंद्र पठारिया के कमरे पर पहुंचे। उसके कमरे के दरवाजे में ताला लगा हुआ था। इस पर यतेंद्र ने सीएसपी को बताया कि उसके बड़े भाई देवेंद्र का दो दिनों से मोबाइल फोन बंद है और ऐसी स्थिति में कमरे पर ताला लगा होना उसे आश्चर्य लग रहा है। पुलिस को भी ताला लागा होने पर शंका होने लगी और उसने मौके पर एफएसएल (फॉरेंसिग साइंस लेबोरटी) की टीम बुलवाया। टीम ने ताला तोड़ दिया, लेकिन दरवाजा अंदर से भी लगा हुआ था। किसी तरह टीम ने पुलिस की सहायता से दरवाजे को तोड़कर अंदर प्रवेश किया। तेज बदबू आने के कारण अधिकांश पुलिसकर्मी उलटे पैर कमरे से बाहर निकल गए। अंधेरा होने के कारण खिड़कियां खोली गई। जब अंधेरे को चीरते हुए उजाला कमरे में आया, तो अंदर का दृश्य जिस किसी ने भी देखा, उसके होश उड़ गए। पुलिस को फांसी के फंदे पर एक लाश झूलती मिली। इस लाश के बारे में यतेंद्र से पूछा गया, तो उसने उसे पहचानने से इंकार कर दिया। इधर, पुलिस भी देवेंद्र को इसलिए पहचान नहीं पाई, क्योंकि उसने लड़की की भेषभूषा धारण की हुई थी। लाश तीन दिन पुरानी होने के कारण उसमें बंदबू आ रही थी, जिससे टीआई को दो बार उलटी भी हो गई। इस पर पुलिस ने आनन-फानन में शव को पोस्टमार्टम के लिए हमीदिया अस्पताल के लिए रवाना कर दिया। पुलिस अधिकारी इस बात को लेकर उलझे हुए थे कि यतेंद्र के कमरे से युवती की लाश बरामद हुई है और उसका बड़ा भाई देवेंद्र भी गायब है।

ऐसे हुआ खुलासाघटना के अगले दिन हमीदिया अस्पताल के मरच्यूरी रूम में डॉक्टरों को पता चला कि उनके पास पोस्टमार्टम के लिए जो युवती की लाश आई है, वह दरअसल युवक है। डॉक्टरों को शव के पास से दो गेंद भी मिली। डॉक्टरों की सूचना पर तत्काल निशातपुरा टीआई अपने साथ यतेंद्र को लेकर मरच्यूरी रूम पहुंचे। वहां यतेंद्र ने लाश को देखा तो उसने कहा कि ये तो मेरा बड़ा भाई है, साहब। इसके बाद वह फूट-फूटकर रोने लगा। इस दृश्य के बाद पुलिस और डॉक्टर के होश उड़ गए। इसलिए नहीं पहचान पाएजब पुलिस व यतेंद्र ने कमरे में प्रवेश किया, तो फांसी पर झूल रहा देवेंद्र का चेहरा दीवार की तरफ था। उसने लड़कियों का सलवार सूट, हाथ-पैर में नाखून पालिश, गले में मंगलसूत्र, माथे पर सिंदूर व दोनों पैरों में लेडिस चप्पल पहनी हुई थी। लाश तीन दिन पुरानी होने के कारण उसमें से बदबू भी आने लगी थी और उसका चेहरा भी काला पड़ गया था। इसके चलते ही यतेंद्र अपने भाई और पुलिस युवक-युवती में पहचान नहीं कर पाई।

सालभर से रह रहा था किराए से देवेंद्र मूल रूप से इटारसी का रहने वाला था। उसके पिता नारायण पठारिया फायर बिग्रेड में नौकरी करते हैं। वह अपने छोटे भाई यतेंद्र के साथ अपनी कॉलेज की पढ़ाई करने के लिए सालभर से करोंद चौराहा स्थित किराए के मकान में रह रहा था। देवेंद्र बीई थर्ड इयर तथा यतेंद्र पॉलीटेक्निक कॉलेज से फार्मेसी का डिप्लोमा कर रहा है। परीक्षा समाप्त होने के बाद यतेंद्र गत छह फरवरी को कुछ दिनों के लिए इटारसी चला गया। वहां से 11 फरवरी को लौटा, तो कमरे में ताला लगा हुआ और बडेÞ भाई का मोबाइल फोन भी बंद था। इस पर उसने पुलिस को घटना के बारे में बताया।

अंदर से बंद किया था दरवाजा देवेंद्र के कमरे में दो दरवाजे हैं। उसने पहले मेन गेट पर ताला लगाया और बाद में पीछे वाले गेट से कमरे में प्रवेश किया तथा अंदर से दोनों गेट की कुंडी लगा ली। इसके बाद उसने फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली।

मिली अश्लील सामग्रीपुलिस को देवेंद्र की खुदकुशी के बारे में पता चला, तो उसने दोबारा उसके कमरे की बारीकी से तलाशी ली। इस दौरान उन्हें कमररे में से कुछ अश्लील मैंगजीन व देवेंद्र का मोबाइल फोन मिला। उसके मोबाइल फोन में अश्लील वीडियो और फोटो सैफ थे।नहीं देता था चाबीइस पूरे घटनाक्रम में यतेंद्र ने बताया कि कमरे में एक सूटकेस रखा रहता था। यह सूटकेस की चाबी हमेशा देवेंद्र के पास रहती थी। पुलिस को इस सूटकेस में लड़कियों के कपड़े mile.कमरे से मिली एक किताब है, पुरूष से स्त्री बनने की बात लिखी हुई है। इसमें कई तरीके ऐसे भी बताए गए हैं, जिससे अकेले रहकर सैक्स का सुख प्राप्त किया जा सकता है। पुस्तम में अश्लील चित्रों की भरमार हैं। यह चित्र सैक्स की संतुष्ट करने की विधियां बताते हैं। साथ ही पुस्तक में जम्मू के एक प्रोफेसर समेत कई लोगों के उदाहरण भी दिया गया है।

पुलिस हुई घनचक्करइस मामले में निशातपुरा पुलिस के अधिकारी घनचक्कर हो गए। उन्होंने घटना वाले दिन ही देवेंद्र की अनुपस्थिति के चलते यह अंदाजा लगा किया था कि यह केस प्रेम प्रंसग से जुड़ा हुआ है। साथ ही घटना के बाद से देवेंद्र भी गायब है। पुलिस ने आनन-फानन में देवेंद्र की तलाश करने के लिए कई टीमें भी बना दी थी। संदेही के आधार पर यतेंद्र को थाने में बैठा लिया था। उसे फरार घोषित कर दिया और ी।उसकी लाश में कई स्थानों पर टीम भेज दी। साथ ही यतेंद्र को थाने में बैठा लिया। इतना ही नहीं पुलिस ने देवेंद्र के दोस्त, कॉलेज प्रबंधन समेत उसके मिलने-जूलने वालों से संपर्क भी किया।

परिजन आश्चर्य में...देवेंद्र के परिजन थाने बयान दर्ज कराने के लिए पहुंचे, तो उन्होंने चुप्पी साद ली। वह समझ नहीं पा रहे थे, आखिरकार उनके बेटे ने यह क्या किया। पुलिस पूछताछ में देवेंद्र के पिता ने बताया कि उन्हें आश्चर्य हो रहा है कि उनका बेटा इस तरह से फांसी लगाकर झूल सकता है। इससे पहले उसे लड़की के भेष में कभी नहीं देखा। यदि उसकी मानसिक स्थिति के बारे पता चलता, तो उसका जरूर इलाज करवाते।

हो सकता है यह रोग इस मामले में मनोचिकित्सम डॉक्टर आरएन साहू ने बताया कि जिन परिस्थितियों में देवेंद्र ने फांसी लगाई है। इससे लगता है कि उसे ट्रांस वेस्टिज्म रोग होगा। इस तरह के रोग में युवक सैक्स की संतुष्टि को पूरा करने के लिए युवतियों की भेषभूषा का प्रयोग करते हैं। यदि इस भेष में कोई उन्हें देख लेता है, तो वह डिप्रेशन में आकर खुदकुशी करने से भी नहीं चुकते हैं।

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