Friday, June 03, 2011

प्रेमी के लिए पति का कत्ल

मनोज राठौर

निशातपुरा इलाके के नवीबाग में रहने वाली 24 वर्षीय मोनिका (परिवर्तित नाम) के लिए जुलाई का महीना कुछ अलग-सा था। इस दौरान वह खूब सजती और सिंगरती थी। उसके चेहरे की चंचलता यही बयान कर रही थी कि मानों किसी ने उसे जिंदगी की सारी खुशियां दे दी हों।

मोनिका दिखने में शांत स्वभाव व खूबसूरत थी। उसके दिवाने तो कई थे, लेकिन उसकी आंखे कॉलोनी निवासी महेंद्र मीणा से मिल गई और दोनों के बीच प्यार का दौर शुरू हुआ। इस प्यार की शुरूआत महेंद्र की ओर से हुई। हुआ यूं कि महेंद्र कॉलोनी में टैंकर से पानी की सप्लाई करता था। इस दौरान पानी भरने के लिए अन्य महिलाओं के साथ भी मोनिका भी आती थी। जब वह पानी भरती थी, तो महेंद्र की आंख एक पल के लिए भी उससे नहीं हटती। कभी धोखे से उसकी साड़ी का पल्लू नीचे गिर जाता, तो कभी उसकी हंसी महेंद्र को दिवाना कर देती। एक दिन पानी भरते समय भीग जाने से मोनिका के कपड़े शरीर से चिपकने लगे और शरीर की खूबसूरत बनावट ने महेंद्र इस कदर पागल किया कि वह खुद को रोक नहीं पाया और उसने मोनिका के सामने अपने प्यार का इजहार कर दिया। अब दोनों के बीच दूरियां कम होने लगी और मोनिका अपने नए-नवले प्रेमी को चोरी-छुपे घर बुलाने लगी। इसके चलते ही महेंद्र अपने कामों को छोड़कर मोनिका के घर पर डटा रहता। मोनिका का पति रामबाबू पुरविया (34) पेशे से ट्रक ड्रायवर था और अक्सर भोपाल से बाहर रहता था। वह सप्ताह में एक-दो बार ही घर आ पता था। इसका फायदा भी महेंद्र ने भरपूर उठाया। रामबाबू के परिवार में उसकी पत्नी के अलावा एक पांच साल का बेटा भी है। धीरे-धीरे इलाके में मोनिका व महेंद्र के प्यार खबर फैलने लगी थी। यह बात जब रामबाबू को पता चली, तो उसने महेंद्र को बुरा-भला कहा और मोनिका की स्वतंत्रता पर पाबंदी लगा दी। मगर, रामबाबू को हर वक्त एक ही चिंता सताती थी कि यदि वहभोपाल से बाहर काम करेगा, तो उसकी पत्नी फिर प्रेमी के साथ रंगरलियां मनाऐगी। इसके चलते उसने नवंबर महीने में ड्रायवरी छोड़ दी। इसके बाद वह ज्यादातर समय घर में गुजारने लगा। पति का इस तरह का बरताव मोनिका को नगावार गुजरा। इसके चलते उसने पति को रास्ते से हटाने की ठान ली।

पति की हत्या की साजिश साजिश में उसने प्रेमी और उसके साथी निशातपुरा, पूजा कॉलोनी निवासी रंजीत सिंह (22) को शामिल किया। मोनिका के इशारे पर महेंद्र व रंजीत ने 27 नवंबर 2010 की रात कॉलोनी में टहल रहे रामबाबू को बाइक पर बैठाया और उसे करोंद चौराहे ले गए। यहां पर तीनों ने मिलकर जमकर शराब पी। इसके बाद मोनिका के प्यान के तहत दोनों रामबाबू को छोला मंदिर इलाके के दामखेड़ा स्थित सीवेज तालाब पर ले गए, जहां उन्होंने उससे कहा कि तुम्हारा अंतिम समय आ गया, अब मरने के लिए तैयार हो जाओ। इसके बाद रंजीत व महेंन्द्र ने उसपर चाकू से ताबड़-तोड़ बार किए। रामबाबू की घटना स्थल पर ही मौत हो गई थी। वारदात को अंजाम देने के बाद दोनों आरोपी अपने-अपने घर पहुंचे। उन्होंने अगले दिन रामबाबू की मौत की खबर मोनिका को दी, तो उसके चेहरे पर जरा सी शिख्न नहीं थी। हालांकि, पति की हत्या करवाने के बाद मोनिका बेफ्रिक हो गई और उसने महेंद्र को अपना जीवन साथी मान लिया।

ऐसे हुआ खुलासा रामबाबू मूल रूप से बैरसिया का रहने वाला था और नवीबाग में ससुराल पक्ष द्वारा दिए गए मकान में पत्नी मोनिका व पांच साल की बेटे के साथ रहता था। घटना के सप्ताहभर बाद रामबाबू के परिजन ने अपने बेटे के बारे में मोनिका से पूछा, तो उसने यह कहकर बात टाल दी कि वह अभी ट्रक चलाने के लिए भोपाल से बाहर गए हुए हैं। जब उस पर परिजनों का दबाव बढ़ने लगा, तो उसने 31 जनवरी 2011 को निशातपुरा थाने में पति के लापता होने की रिपोर्ट दर्ज कराई। इस दौरान पुलिस ने उसे दामखेड़ा स्थित सीवेज तालाब से मिली रामबाबू की लाश के फोटो दिखाए, लेकिन उसने पहचानने से इंकार कर दिया। इधर, बेटे की लापता होने की बात पता चलने पर बैरसिया निवासी रामबाबू के परिजनों ने निशातपुरा थाना प्रभारी जीएल अहिरवार से संपर्क किया। उन्होंने बताया कि रामबाबू पिछले दो महीनों से घर से गायब है और उसकी पत्नी संतोषजनक जबाव नहीं दे रही है। इस पर श्री अहिरवार को मोनिका पर संदेह हुआ और उन्होंने दोबारा रामबाबू के परिजनों को लाश के फोटो दिखाए, तो उन्होंने उसकी पहचान कर ली। इसके बाद रामबाबू हत्याकांड की शक की सुई मोनिका की तरह जाकर रूक गई। वह इसलिए पुलिस के शक के घेरे में आई, क्योंकि उसने अपने पति का फोटो पहचानने से मना कर दिया था।

इसके बाद बिना वक्त गवाएं श्री अहिरवार ने एएसपी प्रशांत खरे को पूरे घटना से अवगत कराया। श्री खरे ने श्री अहिरवार, छोला मंदिर थाना प्रभारी आरबी कटियार, एएसआई लालजी त्रिपाठी, वीरेंद्र कुशवाह, महेश गंधर्व, कुंजीलाल, हवलदार दिनेश प्रताप सिंह, रामसिंह, इरशाद, सिपाही हरीनारायण, सुनील पटेल, आशीष बैस, मुजफ्फर, दिनेश खूरिया और हरी कटाारिया की एक टीम बनाई। टीम के वरिष्ठ अधिकारियों ने मोनिका से पूछताछ की, तो वह पुलिस को घूमाने लगी। सख्ती बरतने पर उसने पति की हत्या की साजिश रचना स्वीकार कर ली। मोनिका ने पुलिस को बताया कि पति रामबाबू उसके साथ आए दिन मारपीट करता था। साथ ही उसके महेंद्र से लंबे समय से अवैध संबध्ां थे।

आठ महीने पहले रिहा आरोपी महेंद्र और रंजीत आठ महीने पहले ही सेंट्रल जेल से रिहा हुए थे। वे बलात्कार के मामले में सजा काट रहे थे। आरोपी महेंद्र नवीबाग क्षेत्र में टैंकर से पानी सप्लाई करने का काम करता है, जबकि रंजीत बेरोजगार है। जेल से रिहा होने के बाद ही उसने मोनिका को अपने प्यार के जाल में फंसा लिया।

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