Sunday, June 05, 2011

दोस्ती निभाने की सजा मौत

'दोस्त का साथ देना और प्रेम विवाह में उसकी मदद करना प्रताप सिंह को महंगा पड़ा। यह बात उसके दोस्त के भाई गजेंद्र को नहीं सुहाई और उसने प्रताप से झगड़ा करना शुरू कर दिया। एक दिन बात इतनी ज्याद बड़ी कि उसने प्रताप की नृशंस हत्या कर दी। पुलिस ने हत्यारे को गिरफ्तार कर लिया है।'
मनोज राठौर
पांच साल पहले सागर निवासी प्रताप सिंह दागी पुत्र गंधर्भ (28) भोपाल रेलवे स्टेशन पर टहल रहा था। इस दौरान उसकी मुलाकात अचानक अशोक नगर निवासी जितेंद्र सिंह दांगी पुत्र समेर से हुई। यह चंद मिनटों की पहली मुलाकात गहरी दोस्ती में बदल गई। दोनों की जाति एक थी, फिर उनके बीच दूर-दूर तक कोई रिश्तेदारी नहीं निकली। रेलवे स्टेशन से दोनों बातचीत करते हुए बाहर निकले और एक होटल पर खड़े होकर चाय की चुस्की ली। इस दौरान दोनों ने अपने-अपने परिवार और कुछ अपने बारे में बताया। रेलवे स्टेशन से शुरू हुई दोस्ती मंगलवारा क्षेत्र में सिमट गई, क्योंकि दोनों ही उसी क्षेत्र में रहते और वहां से अपने-अपने काम पर जाते थे।
प्रताप मंगलवारा स्थित एक होटल में नौकरी करता था। वह होटल में ही खाना खाता और वहीं सोता था। इधर, जितेंद्र भी भेल स्थित एक ठेकेदार के पास मजूदरी करने लगा और मंगलवारा में एक किराए के मकान में रहने लगा। उसके तीन भाई गजेंद्र, अनूप, छोटू हैं, जो एक के बाद एक भोपाल आ गए और अलग-अलग किराए के कमरे में रहकर मजदूरी करने लगे। जितेंद्र ने जिगरी दोस्त प्रताप से भाई गजेंद्र के काम के बारे में बातचीत की। आखिर प्रताप अपने दोस्त की बात कहा टालने वाला था, सो उसने तत्काल होटल से मालिक से बातचीत कर उसे अपने साथ काम पर रख लिया। गजेंद्र भी प्रताप के साथ काम करता और होटल में खाना खाता और वहीं सोता। लेकिन कहते हैं कि जब मौत आती है, तो वह किसी भी बहाने आ जाती है। ऐसा ही प्रताप के साथ हुआ। दरअसल, 24 दिसंबर 2010 की रात नौ बजे ट्रांसपोर्ट नगर स्थित शराब की दुकान पर गजेंद्र, जितेंद्र और प्रताप ने मिलकर शराब पी। शराब के नशे में गजेंद्र ने बड़े भाई जितेंद्र के प्रेम विवाह की बात लेकर प्रताप से झगड़ा शुरू कर दिया। बात बढ़ने पर जितेंद्र ने किसी तरह दोनों के बीच समझौता कराया। इसके बाद प्रताप सीधे मंगलवारा स्थित साथी सतेंद्र के कमरे पर गया और वहां सो गया। हालांकि, सतेंद्र किसी काम से बाहर चला गया और थोड़ी देर बाद लौटकर आया, तो कमरे का सामान बिखरा हुआ और प्रताप एक कोने में खून में लतपत पड़ा हुआ था। उसने आनन-फानन में घटना की जानकारी मंगलवारा टीआई उमाशंकर तिवारी को दी। इस पर श्री तिवारी स्टाफ के साथ मौके पर पहुंचे और पंचनामे की कार्रवाई कर शव को पोस्टमार्टम के लिए हमीदिया अस्पताल भिजवा दिया।
ऐसे ही हत्याश्री तिवारी ने बताया कि सतेंद्र के जाने के बाद कमरे पर गजेंद्र आया और उसने प्रताप के साथ बड़े भाई जितेंद्र के प्रेम विवाद में मदद करने की बात को लेकर झगड़ा किया। विवाद बढ़ने पर दोनों के बीच मारपीट हुई। इस मारपीट में गजेंद्र प्रताप पर हावी हो गया और उसने कमरे में रखे लोहे के सरिए से प्रताप पर हमला कर दिया। हमले में उसके सिर में गंभीर चोट आई और खून ज्यादा बह जाने के कारण उसकी मौके पर ही मौत हो गई। श्री तिवारी ने बताया कि वारदात को अंजाम देने के बाद गजेंद्र देर रात तक बस व रेलवे स्टेशन पर घूमता रहा और नशा उतरने के बाद अशोक नगर भाग निकला। पुलिस ने हत्यारे गजेंद्र को अशोक नगर से गिरफ्तार कर लिया है।
यह हत्या की वजहहत्या की वजह जितेंद्र का प्रेम विवाह बन गया। यह बात पुलिस के गले नहीं उतर रही थी। हालांकि, गजेंद्र की गिरफ्तारी होने के बाद हत्या के कारणों का खुलासा भी हो गया। आरोपी गजेंद्र ने पुलिस को बताया कि वह और उसके बाकी के भाई बड़े भाई जितेंद्र की शादी बड़े धूम-धाम से करना चाहते थे। परिजन उसके लिए लड़की तलाश रहे थे। मगर, प्रताप के साथ रहने के कारण जितेंद्र बिगड़ गया और उसने परिवार को बिना बताए अशोक नगर स्थित छोटी कुरूवाई निवासी मोनिका (परिवर्तित नाम) से प्रेम विवाह कर लिया। गजेंद्र का कहना था कि जितेंद्र के प्रेम विवाह में प्रताप का हाथ है। उसने ही प्रेम विवाह करने की सलाह दी, जिसकी बातों में आकर जितेंद्र ने यह कदम उठाया। इसी बात को लेकर गजेंद्र का कईयों बार प्रताप से झगड़ा हुआ, लेकिन 24 दिसंबर की रात यह बात इतनी ज्यादा बिगड़ गई कि उसने लोहे के सरिए से प्रताप की नृशंस हत्या कर दी।
हर काम में साथ देता था प्रतापजितेंद्र हर एक काम में प्रताप की राय लेता था। गहरी दोस्ती होने के कारण वह दोनों अक्कसर रात के समय शराब पीते थे। इसके चलते ही उसने अपनी पे्रमिका के बारे में प्रताप को बता दिया। इधर, बड़े भाई से करीबी दोस्ती होने के कारण गजेंद्र अक्कसर प्रताप से झगड़ा करता था, जबकि प्रताप और गजेंद्र दोनों ही एक ही होटल में काम करते थे।

No comments:

Post a Comment