जिंदगी की पहली लूट और वह भी चवन्नी छाप। इसका मलाल चार युवकों को जिंदगी भर रहेगा। उन्होंने चाचा-भतीजों को अपना निशाना बनाया, लेकिन उनसे एक मोबाइल फोन और सात रुपए ही मिले। इस पर बदमाशों ने कहा कि जिंदगी की पहली लूट की और इन फकीरों ने हमे चवन्नी छाप लुटेरा बना दिया।
मनोज राठौर
गांधी नगर थाना प्रभारी नीरज वर्मा 21 मार्च 2011 को रात्रि गश्त पर थे। इस दौरान रात करीब साढ़े तीन पुलिस कंट्रोल रूम से उन्हें वायरलैस सेट पर मैसेज मिला कि चार लुटेरे खजूरी इलाके में एक युवक को लूटने के बाद सफेद रंग की इंडिका से गांधी नगर बायपास की ओर भागे हैं। इस पर श्री वर्मा ने एएसआई वीरेंद्र उईके, आरक्षक राहुल गुरु, सुनील झा, हरीसिंह व वरुण मिश्रा के साथ मिलकर गांधी नगर स्थित गणेश मंदिर के सामने नाकेबंदी कर दी। नाकेबंदी के लिए बेरीकेड्स नहीं मिले, तो उन्होंने थाने की टेबल और कुर्सी तक सड़क पर रख दी। श्री वर्मा अपने स्टाफ के साथ सड़क पर खड़े हो गए और इंडिका के आने का इंतजार करने लगे। इस दौरान उन्हें अपनी ओर आती एक तेज रफ्तार इंडिका दिखी, तो सभी पुलिसकर्मी ने अपना-अपना मोर्चा संभाल लिया और इंडिका को रोक लिया। पुलिस की फौज को देखकर आरोपी समझ गए कि यह जाल उनके लिए ही बिछाया गया है। सो, आरोपी भागने की कोशिश करने लगे, लेकिन पुलिस कर्मियों ने एक भी आरोपी को भागने नहीं दिया। आरोपी की पहचान बैरागढ़ मछली मार्केट निवासी विक्रम उर्फ विक्की पुत्र किसन राजवंश (22), बैरागढ इंद्रा नगर कॉलोनी निवासी संदीप पुत्र बाबूलाल डागोर (20) मुकेश पुत्र रामभरोस यादव (18) और नई बस्ती भैंसाखेड़ी निवासी राजेश पुत्र कांता प्रसाद शर्मा (23) के रूप में हुई। पुलिस ने विक्रम और मुकेश के पास से एक-एक चाकू, राजेश के पास से इंडिका (एमपी 04 टी 7739) और संदीप के पास से एक गुप्ती बरामद की है। उनके पास से लूट का मोबाइल फोन और नकद राशि भी मिली थी।
दूसरी वारदात के चक्कर में धराए: पुराना शहर एसपी अभय सिंह ने बताया कि ग्राम साइस्ताखेड़ी निवासी सुरेंद्र त्यागी और उनके चाचा कैलाश चिरायु अस्पताल में सुरक्षा गार्ड हैं। वह 21 मार्च की रात करीब साढ़े 11 बजे अस्पताल से बाइक पर सवार होकर घर लौट रहे थे। इस दौरान खजूरी इलाके के खामला खेड़ी के पास उनकी बाइक को इंडिका सवार चार बदमाशों ने रोक लिया। इससे पहले की चाचा-भतीजे कुछ समझ पाते, आरोपियों ने उनके साथ मारपीट शुरू कर दी और तलाशी लेते हुए सुरेंद्र की पेंट की जेब से एक मोबाइल फोन निकाल लिया। हालांकि, चाचा-भतीजे के पास नकदी के रूप में केवल सात रूप ही मिले थे। इस दौरान बदमाशों ने आपस में बातचीत करते हुए कहा कि साली, जिंदगी की पहली लूट और इन फकीरों ने हमें चवन्नी छाप लुटेरा बना दिया। मगर इतने पर भी चारों आरोपियों ने हिम्मत नहीं हारी और दूसरी लूट की वारदात को अंजाम देने के लिए फंदा की ओर निकल पड़े। इधर, सुरक्षा गार्ड सुरेंद्र की शिकायत पर खजूरी पुलिस ने शहर के अन्य थाना पुलिस के साथ इंडिका सवार लुटेरों की तलाश शुरू कर दी थी। आरोपी दूसरी वारदात को अंजाम देने से पहले ही गांधी नगर पुलिस के हत्थे चढ़ गए।
शराब पीने के आदी थे आरोपी: लूट का मास्टर माइंट राजेश शर्मा है। उसके पास मिली इंडिका उसके पिता कांताप्रसाद के नाम से रजिस्टर्ड है, जिसे उन्होंने अल्पना तिराहा स्थित गुरुकृपा ट्रेवल्स पर इंदौर-भोपाल रूट लगा रखा था। पूछताछ में राजेश ने पुलिस को बताया कि उनका इरादा किसी के साथ लूटपाट करने का नहीं था, लेकिन घटना वाली रात हालात कुछ ऐसे बन गए कि लूट करना मजबूरी बन गई। घटना वाली रात राजेश अपनी इंडिका को लेकर खजूरी स्थित एक डाबे पर गया था। इस दौरान उसके साथ उसके साथी संदीप, विक्रम और मुकेश भी थे। शराब पीने के लिए पैसे कम पढ़ने पर राजेश ने साथियों के साथ मिलकर राहगीरों को लूटने की योजना बनाई। यह उनकी पहली लूट थी, इसलिए सभी को डर भी लग रहा था।
फरारी काट रहा था विक्रम: आरोपी संदीप, राजेश और मुकेश का कोई आपराधिक रिकार्ड नहीं है। मगर, विक्रम पर बैरागढ़ थाने में नकबजनी, मारपीट और हत्या के प्रयास सहित 13 आपराधिक मामले दर्ज हैं। विक्रम का आपराधिक रिकार्ड को देखते हुए बैरागढ़ पुलिस घटना से सप्ताहभर पहले उस पर जिला बदर का प्रकरण भी तैयार कर चुकी थी। वह बैरागढ़ में हत्या के प्रयास के सहित कई मामलों में फरारी काट रहा था।
Tuesday, June 07, 2011
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