भोपाल के पुराना शहर स्थित छोला मंदिर थाना प्रभारी आरबी कटियार 25 फरवरी 2011 की दोपहर डेढ़ बजे थाने में बैठक एक आपराधिक मामले में फरियादी से बातचीत करने में व्यस्थ थे। इस दौरान उन्हें थाना स्टाफ ने बताया कि साहब, कल्याण नगर में एक रेलवे कर्मचारी की हत्या हो गई है। यह सुनकर तत्काल श्री कटियार, एएसआई लालजी त्रिपाठी व अन्य थाना स्टाफ के साथ कल्याण नगर में रहने वाले रेलवे कर्मचारी खेत सिंह ठाकुर (55) के घर पहुंचे। वहां पहले से स्थानीय लोगों की भीड़ लगी हुई थी और पलंग पर खून में लतपत पड़ी खेत सिंह की लाश के पास उनकी पत्नी श्यामबाई विलाप कर रही थी। कमरे के एक कौने पर मृतक का बेटा ब्रजेंद्र ठाकुर खड़ा था। इस दौरान कटियार समझ गए कि मामला हत्या का है और किसी ने वजनी वस्तु से खेत सिंह के सिर पर हमला किया है। इस पर उन्होंने तत्काल ब्रजेंद्र से घटना के बारे में पूछताछ शुरू कर दी। प्रारंभिक पूछताछ में ब्रजेंद्र्र ने बताया कि घटना के समय वह बाथरूम में था, जबकि मां श्यामबाई आंगन में बर्तन साफ कर रही थी। इस दौरान अज्ञात बदमाश घर में आए और पलंग पर सो रहे पिता की हत्या कर भाग निकले। पुलिस को शव के पास से एक सफेद रंग का गमझा भी मिला था। ऐसे उठा मामला से पर्दा: घटना के अगले दिन दोबारा श्री कटियार खेत सिंह के घर पहुंचे और आसपास के लोगों के बयान दर्ज किए। बयान में अधिकांश रहवासियों ने बताया कि उन्होंने किसी को खेत सिंह के घर में आते-जाते नहीं देखा है। इस पर श्री कटियार को शक हुआ और उन्होंने खेत सिंह के अंतिम संस्कार के तत्काल बाद ब्रजेंद्र को हिरासत में ले लिया। इधर, एएसआई त्रिपाठी भी मृतक के संबंध में कई महत्वपूर्ण जानकारी एकत्र कर चुके थे, जिसमें उन्हें पता चला कि सालभर पहले भी खेत सिंह पर हमला हो चुका है। उस दौरान किसी ने उन्हें गोली मारी थी, लेकिन वह बाल-बाल बच गए। इस हमले में पुलिस को ब्रजेंद्र्र पर संदेह जाहिर किया था। मगर, पर्याप्त साक्ष्य नहीं होने के कारण उस पर कार्रवाई नहीं की गई। हालांकि, प्रारंभिक पूछताछ में ब्रजेंद्र आनाकानी कर रहा था, लेकिन पुलिस सख्ती से पेश आई, तो वह टूट गया। उसने पुलिस को जो बताया, वह मानवता को शर्मसार करने वाला था। पुलिस पूछताछ में उसने बताया कि उसे पिता खेत सिंह के अपनी पत्नी संगीता से अवैध संबंध होने की अशंका थी। उसका यह भी मनाना था कि इसके चलते ही वर्ष 2008 में संगीता ने आत्मदाह कर खुदकुशी कर ली। हालांकि, ब्रजेंद्र की यह बात पुलिस के गले नहीं उतरी रही थी। श्री कटियार और सीएसपी रश्मि मिश्रा के दिमाग में एक ही बात बार-बार घूम रही थी कि आखिर पत्नी की मौत के दो साल के बाद ब्रजेंद्र को अवैध संबंध की बात कहां से याद आ आई। वह बीच में भी पिता की हत्या भी कर सकता था। इसके बाद ब्रजेंद्र ने पुलिस को आगे बताया कि पत्नी की मौत के बाद ससुराल पक्ष ने देहगांव जिला रायसेन में उसके तथा उसके माता-पिता के खिलाफ दहेज हत्या का मामला दर्ज करवा दिया था। यह मामला बेगमगंज न्यायालय में विचारधीन है। वहीं बेरोजगारी के चलते ब्रजेंद्र दर-दर की ठोंकर खा रहा था।
इसलिए रचि साजिश: ब्रजेंद्र चाहता था कि उस पर लगा दहेज हत्या का केस खत्म हो जाए और एक अच्छी सी नौकरी मिल जाए। इसके चलते उसने द्वारका नगर निवासी जीतू उर्फ जीतेंद्र व रविकांत के साथ मिलकर पिता खेत सिंह की हत्या करने की साजिश रची दी। वह एक तीर से दो निशाना करना चाहता था। उसने सोचा कि यदि पति की हत्या के आरोप में वह ससुराल पक्ष को झूठे मामले में फंसाने की धमकी देगा, तो शायद ससुराल पक्ष उससे समझौता कर ले और उस पर लगा केस खत्म हो जाए। दूसरी ओर पिता की मौत के बाद उनकी सरकारी (रेलवे विभाग में नौकरी) नौकरी उसे अनुकंपा नियुक्ति के जरिए मिल जाए। उसके प्लान के तहत ही 25 फरवरी को जीतू और रविकांत ब्रजेंद्र के घर पहुंचे और उन्होंने मिलकर पलंग पर सो रहे खेत सिंह के सिर पर कुल्हाड़ी से हमला कर उनकी नृशंस हत्या कर दी।
ऐसे पकड़ाए आरोपी: पुलिस को कहीं से पता चला कि घटना के समय ब्रजेंद्र के साथी जीतू को कुल्हाड़ी के साथ कॉलोनी में देखा गया था। यह पता चलने के बाद पुलिस ने ब्रजेंद्र पर शिंकजा कस दिया और उसने हत्या की कहानी पुलिस बताई। इसके बाद पुलिस ने जीतू और रविकांत के मोबाइल फोन के टॉवर लोकेशन के आधार पर उन्हें धौलपुर, राजस्थान से गिरफ्तार कर लिया। हत्या में प्रयोग की गई कुल्हाड़ी भी पुलिस ने एक नाले से बरामद कर ली है। सभी आरोपी जेल में सजा काट रहे हैं।
पैसों के लालच में आए: पुलिस पूछताछ में ब्रजेंद्र ने बताया कि उसने जीतू व रविकांत को लालच दिया था कि पिता की मौत के बाद उसे पिता के बीमे से लाखों रुपए मिलेंगे। इन पैसों में उसने साथियों को तीन लाख रुपए देने का वादा किया था। पैसों के लालच में आकर जीतू व रविकांत ने दोस्त का साथ दिया। ब्रजेंद्र ने पिता की हत्या की साजिश एक महीने पहले रची थी। उसने एक लौहार से कुल्हाड़ी बनाई थी, जिसे धार कराने के लिए उसने एक दुकान पर डाल रखा था। वारदात को अंजाम देने के लिए जीतू और रविकांत धारदार कुल्हाड़ी दुकान से लेकर आए थे।
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