नकली नोट के कारोबारियों के बाद राजधानी में भारतीय सिक्कों को गलाकर उससे निकलने वाली धातुओं को ऊंचे दामों में बेचने वाले सौदागर भी सक्रिय हो गए हैं। क्राइम ब्रांच के हत्थे एक सिक्कों का सौदागर चढ़ा है, जो पिछले चारसालों से सिक्कों की खरीद-फरोख्त में लिप्त था...
मनोज राठौर
2011 अप्रैल महीनें के शुरूआती सप्ताह में एएसपी क्राइम ब्रांच मोनिका शुक्ला को उनके के एक मुखबिर ने सूचना दी कि भोपाल के बाजारों में एक ऐसा गिरोह सक्रिय है, जो मार्केट से भारतीय सिक्कों को ज्यादा दामों में खरीदता और उसे बड़ी संख्या में गलाकर उनसे निकलने वाली धातुओं को ऊंचे दामों पर बेचता है। गिरोह के सदस्य माल को ट्रांसपोर्ट के जरिए महाराष्ट्र भेजते हैं। गिरोह की इस जमाखोरी के चलते बाजार में सिक्कों की कमी होने लगी है। इस सूचना को गंभीरता से लेते हुए श्रीमती शुक्ला ने गिरोह को पकड़ने के लिए उप पुलिस अधीक्षक एसएम जैदी के नेतृत्व में क्राइम ब्रांच और हनुमानगंज थाने के पुलिस कर्मियों व अधिकारियों की एक विशेष टीम बनाई। इस टीम ने दिन-रात एक कर गिरोह के एक सौदागर का सुराग लगा लिया। पुख्ता जानकारी व सबूत एकत्र करने के बाद टीम ने 12 अप्रैल की शाम पांच बजे न्यू कबाडखाना स्थित राजदेव कॉलोनी निवासी कमलेश कुमार जैन पुत्र नंदकुमार जैन (30) के घर पर छापामार कार्रवाई की। पुलिस टीम ने उसके घर से पिघले हुए सिक्कों की धातु वजनी करीब 1.388 किलो तथा भारतीय मुद्रा के रूप में प्रचलित सिक्के नए-पुराने चलन वाले व गैर चलन वाले छोट सिक्के (जिनका वजन 60 किलो 800 ग्राम) व एक इलेक्ट्रॉनिक कांटा बरामद किया। कमलेश के पास इतनी बड़ी संख्या में जमा किए गए भारतीय सिक्कों व पिघले हुए सिक्कों की धातु को अपने पास रखने के संबंध में कोई वैध दस्तावेज नहीं थे और न ही उसके पास सिक्के रखने का कोई पुष्टिकारक कारण था। इस पर हनुमानगंज पुलिस ने आरोपी कमलेश पर छोटे सिक्के (अपराध) अधीनियम 1971 की धारा चार के तहत दंडनीय जुर्म के तहत मुकदमा कायम कर लिया।
सालभर में एक टन सिक्कों का कारोबार गिरोह के तार महाराष्ट्र से जुड़े हुए हैं। आरोपी कमलेश के घर से एक-दो रुपए के 11,007 सिक्के, जिनका वजन करीब 60 किलो और पिघले सिक्कों की करीब 1.388 ग्राम धातु सहित एक इलेक्ट्रॉनिक कांटा मिला था। पूछताछ में कमलेश ने क्राइम ब्रांच को बताया कि वह भोपाल स्थित बाजारों के फुटकर व्यापारियों से एक-दो के सिक्कों को पांच प्रतिशत से ज्यादा मूल्य पर खरीदता था। वह 10-15 दिनों में करीब 100 किलो वजन के सिक्के एकत्र कर लेता था। इस हिसाब से कमलेश सालभर में एक टन सिक्को का कारोबार करता था। कमलेश सिक्कों को 12-15 प्रतिशत से ज्यादा पर खंडवा के व्यापारी रवि सिंधी व अशोक सिंधी को बेचता था। साथ ही वह कुछ माल को गलाकर धातु की सप्लाई सीधे महाराष्ट्र में भी करता था। कमलेश ने 15 मार्च एवं चार अप्रैल को भोपाल के एक ट्रांसपोर्ट के जरिए 1200 किलो सिक्कों को महाराष्ट्र के लिए बुक करवाया था। पुलिस गिरोह से जुड़े खंडवा के व्यापारी रवि व अशोक सहित अन्य आरोपियों की जानकारी जुटा रही है।
महाराष्ट्र भेजा जाता माल सिक्कों की कालाबाजारी करने वाले गिरोह का नेटवर्क प्रदेश सहित दूसरे राज्यों में फैला हुआ है। गिरोह में भोपाल का एजेंट कमलेश था, जबकि खंडवा का कारोबार रवि व अशोक संभालते थे। इसी तरह अन्य जगहों के एजेंटों की जानकारी भी पुलिस जुटा रही है। गिरोह के सदस्य सालभर में टनों से भारतीय सिक्कों को नष्ट कर उससे निकलने वाली धातु को महाराष्ट्र भेजते हैं। महाराष्ट्र की एक फैक्टरी में धातु से सिल्वर, कॉपर सहित अन्य धातुओं को अलग-अलग किया जाता और बाद में उसे ऊंचे दामों पर बेचा जाता।
Saturday, June 18, 2011
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