Sunday, May 29, 2011

कर्जदार चोर

मनोज राठौर
भोपाल की सबसे बड़ी चोरी
राजधानी के जवाहर चौक क्षेत्र में 12-13 अक्टूबर 2010 की दरमियानी रात माता के जयकारे गूंज रहे थे। माहौल था नवदुर्गों का। रात घनघोर होने के कारण जवाहर चौक रोड स्थित ईव मिरेकल ज्वेलर्स लिमिटेड कंपनी के आॅफिस में सन्नाटा पसरता जा रहा था। जयकारे की गूंज भी गहरे अंधेरे के कारण धीमी होने लगी। इस खामोशी का फायदा उठाकर पांच नकाबपोश चोर एक कार से आए और ईव मिरेकल के आॅफिस का शटर काटकर अंदर प्रवेश किया। उन्होंने सीसीटीवी कैमरों के सामने छतरी लगाई और सभी कनेक्शन काट दिए। इसके बाद अलमारी में रखी चॉबी निकालकर तिजौरी में रखे नकदी समेत दो करोड़ रुपए कीमत के सोने के जेवर चोरी कर ले गए। अगली सुबह कर्मचारी दफ्तर पहुंचे, तो उन्हें चोरी की घटना के बारे में पता चला। इसके बाद देखते ही देखते मौके पर आईजी डॉ. शैलेंद्र श्रीवास्तव, एसएसपी आदर्श कटियार, सीएसपी अमित सक्सेना समेत अन्य पुलिस अधिकारी पहुंच गए। पुलिस ने मामले जांच की, लेकिन महीनेभर बाद भी किसी नतीजे पर नहीं पहुंची।
ऐसे हुआ चोरी का खुलासा
घटना से करीब दो महीने बाद क्राइम ब्रांच के आरक्षक विश्वप्रताप सिंह भदौरिया व सुरेंद्र सिंह को सूचना मिली थी कि ईव मिरेकल की चोरी में पीजीबीटी कॉलेज स्थित कृष्ण कॉलोनी निवासी मुन्ने खुतरा उर्फ अब्दुल करीम का हाथ है। यह बात एएसपी मोनिका शुक्ला को पता चली, तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं था। उन्होंने तत्काल वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर पुलिस और क्राइम ब्रांच की संयुक्त टीम का गठन किया। इसके बाद टीम ने मुन्ना के घर पर दबिश देकर उसे हिरासत में लिया। क्राइम ब्रांच आॅफिस में की गई प्रारंभिक पूछताछ में मुन्ना आनाकानी करने लगा, लेकिन सख्ती से पेश आने पर उसने चोरी करना स्वीकार किया। उसने पुलिस को बताया कि गिरोह का सरगना पुराने शहर का निगरानीशुदा बदमाश फरहान उर्फ फईम बम है। गिरोह के अन्य सदस्य इब्राहिमपुरा निवासी जयप्रकाश जडिया व मनीष वर्मा और लखेरापुरा निवासी नीरज जैन हैं। पुलिस सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है, लेकिन सरगना फईम और मजहर टोपी फरार हो गए। फरार आरोपियों पर 25-25 हजार रुपए का ईनाम है। फईम के पास चोरी का सोना समेत 27 लाख रुपए है। पुलिस मुन्ना जयप्रकाश, मनीष, नीरज और जयप्रकाश व मुन्ना से 670 सोना खरीदने वाले विदिशा निवासी ज्वेलर्स विजय जाधव को गिरफ्तार कर चुकी है। कहानी लिखे जाने तक दोनों आरोपी फरार थे और पुलिस आरोपियों से चोरी में प्रयोग की गई कार (एमपी 04-5937) और करीब चार किलो सोना बरामद किया है।
ऐसे बनाया गिरोह
चोरी का मास्टर मांइड फईम है। वारदात से पहले वह ईव मिरेकल कंपनी का सदस्य बना। वह ढाई महीने से आॅफिस में वारदात करने की योजना बना रहा था, लेकिन उसे कोई भरोसेमंद आदमी नहीं मिला। फईम ने सीसीटीवी कैमरे से लेकर आॅफिस के चौकीदार तक की जानकारी एकत्र कर ली थी। इसके बाद उसने अपने पुराने साथी जयप्रकाश व पुराना शहर के शातिर चोर मुन्ना खुतरा से संपर्क किया। इस तरह जयप्रकाश ने भी अपने साथी नीरज व मनीष को गिरोह में शामिल कर लिया। जयप्रकाश व उसके साथी चौक बाजार स्थित ज्वेलर्स की शॉप पर नौकरी करते थे। सभी आरोपियों ने चोरी की घटना को अंजाम देने से एक दिन पहले रैकी की थी।
कर्जदार हैं चोर
आरोपी मुन्ना व फईम जुआ खेलने के आदी थे। दूसरी तरफ जयप्रकाश, नीरज और मनीष के ऊपर में भारी उधारी थी। सभी कर्जे में गले-गले तक डूबे हुए। एक दिन ऐसा नहीं गुजरता था कि उनके घर कोई व्यक्ति उधारी के पैसे लेने के लिए नहीं आए। कहते हैं कि मरता, क्या नहीं करता। और यही हुआ कि फईम की बातों में आकर जयप्रकाश, मुन्ना, नीरज व मनीष ने चोरी की वारदात को अंजाम दिया।
बीच में आया मजहर टोपी
बदमाश फईम व मुन्ना ने छाते की आड़ लेकर दफ्तर में लगे सीसीटीवी कैमरे के तार काट दिए थे, लेकिन तार काटने से पहले कुछ मिनटों के लिए वे कैमरे में कैद हो गए। पुलिस ने इन तस्वीरों को मीडिया के माध्यम से जारी कराया, जिन्हें देखकर कुख्यात बदमाश मजहर टोपी ने तार काटने वाले फईम और मुन्ना को पहचान लिया। उसने ये बात पुलिस को नहीं बताई, बल्कि खुद ही उन्हें ब्लैकमेल करने लगा। राज खुलने के डर से फईम और मुन्ना उसकी शर्त पर राजी हो गए और उन्होंने माल में से उसे एक किलो सोना दे दिया।
कट्टे की नोक पर हुआ बंटवारा
फईम ने सबसे पहले 27 लाख रुपए से भरा बैग भाई अजहर को दिया, फिर घर की छत पर चोरी के माल का बंटवारा किया। उसने खुद तीन किलो सोना और 8 हजार रुपए, मुन्ना को तीन किलो सोना व 10 हजार रुपए, नीरज, जयप्रकाश और मनीष को 600-600 ग्राम सोना व 5-5 हजार रुपए दिए। जब गिरोह के सदस्यों ने फईम से नोटों से भरे बैग व भेदभावपूर्ण बंटवारे को लेकर नाराजगी जताई, तो उसने कट्टा दिखाकर सभी की जुबान बंद करा दी।
पुलिस से हुई चूक
ईव मिराकल में चोरी के बाद मजहर टोपी को सबसे पहले हनुमानगंज पुलिस ने पूछताछ के लिए दो दिन तक थाने में बैठाकर रखा। इसके बाद उसे टीटी नगर पुलिस को सौंपा दिया गया। इतना ही नहीं क्राइम ब्रांच की टीम ने भी फईम से पूछताछ कर चुकी थी, लेकिन उसने जुबान नहीं खोली। पुलिस की लापरवाही का नतीजा है कि उस पर नजर नहीं रखी गई।

एक बिस्तर, दो पति

जवानी की चढ़ती उम्र में घर से भागी ममता ने न प्रेमी मांगीलाल से शादी की और न ही उसे कभी अपना पति समझा। उसने एक ओर प्रेमी जयप्रकाश से शारीरिक संबंध बनाए, लेकिन एक दिन शराब के नशे में उसने जयप्रकाश के साथ मिलकर मांगीलाल नृशंस हत्या कर दी।
मनोज राठौर
निशातपुरा स्थित पंचवटी फेस-3 निवासी कुंजीला साहू के मकान में ममता गिरी अपने कथित दूसरे पति जयप्रकाश अहिरवार उर्फ जेपी के साथ किराए से रहती थी। उसके पहले कथित पति मांगीलाल गिरी से 11 साल का बेटा शिवम और बेटी सपना थी, जो उसके साथ ही रहते थे। जयप्रकाश मूल रूप से इटारसी के सतलापुर गांव का रहने वाला था और 28 फरवरी 2011 से साहू के मकान में किराए से रह रहा था। इससे पहले वह ममता के साथ पंचवटी कॉलोनी में ही एक अन्य साहू के मकान में रहता था। वह ममता और उसके बच्चों का पालन-पोषण आॅटो चालक करता था।
गत 17 अप्रैल की रात जयप्रकाश और ममता मार्केट से मुर्गा व शराब लेकर घर आए। हालांकि, इस दौरान उनके घर पर उसक पहला पति मांगीलाल पुत्र पंचू गिरी (30) भी आ गया था। ममता ने दोनों पतियों के साथ शराब पी। मगर नशा कम लगने पर मांगीलाल करोंद चौराहे से एक ओर शराब की बोतल लेकर आ गया। इस बोतल ने तीनों को नशे में तर कर दिया था। खाना खाने के दौरान मांगीलाल व जयप्रकाश के बीच ममता को साथ रखने को लेकर झगड़ा हो गया। विवाद बढ़ने पर ममता ने जयप्रकाश का साथ देते हुए मांगीलाल को जमीन पर गिरा दिया और उसके दोनों हाथ पकड़ लिए। इसके बाद जयप्रकाश ने हसिए से मांगीलाल पर ताबड़-तोड़ बार किए। इससे भी उसका जी नहीं भराया, तो उसने हसिए से मांगीलाल का गला रेत दिया। वारदात को अंजाम देने के बाद जयप्रकाश आॅटो में ममता व उसके दोनों बच्चों को लेकर फरार हो गया। अगली सुबह कुंजीलाल कमरे के किराए के संबंध में जयप्रकाश के घर गए, तो कमरे का दृश्य देखकर उनके होश उड़ गए। उन्होंने तत्काल निशातपुरा थाने में सूचना दी कि उनके किराएदार जयप्रकाश के कमरे में एक व्यक्ति की लाश पड़ी है। इस पर तत्काल मौके पर थाना प्रभारी जीएल अहिरवाल सहित थाना स्टाफ पहुंचा। कॉलोनी के लोगों से श्री अहिरवाल को पता चला कि मामला अवैध संबंध का है। वहीं घटना के बाद से जयप्रकाश और उसकी पत्नी भी फरार थी।
यह है ममता की जवानी
ममता मूल रूप से राजगढ़, ग्राम भगौरा की रहने वाली है। वह दिखने में सुंदर और चंचल थी। उसने जवानी की दहलीज पर कदम रखा, तो गांव में उसके हुस्न कई दिवाने हुए। इन दिवानों में से ममता सिर्फ गांव में रहने वाले मांगीलाल पर जान छिड़कती थी। धीरे-धीरे दोनों के प्यार के चर्चे गांव में होने लगे। यह बात जब उनके माता-पिता को पति चली, तो उन्होंने दोनों का मिलना बंद कर दिया। मगर मांगीलाल व ममता जिस उम्र से गुजर रहे थे, उसमें दोनों किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार थे। कुछ ऐसा हुए एक दिन। दोनों ने फैसला किया कि वे भागकर शादी कर लेंगे। इसके बाद क्या था मांगीलाल व ममता ने गांव छोड़ दिया और मंडीदीप में एक किराए के मकान में रहने लगे। इधर, ममता के परिजनों ने मांगीलाल पर अपहरण का मामला दर्ज करा दिया था। सो, पुलिस ने उसे सालभर के अंदर ही मंडीदीप स्थित उसके घर से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। यह बात ममता को नगावार गुजरी तथा उसने अदालत में बयान दिए कि वह खुद अपनी मर्जी से मांगीलाल के साथ भागी थी। इस पर अदालत ने मांगीलाल को बरी कर दिया। इस दौरान ममता ने एक बच्ची को जन्म भी दिया था। जेल से रिहा होने के बाद मांगीलाल दोबारा ममता के साथ मंडीदीप में बस गया। उनके एक बेटा और एक बेटी थी।
जयप्रकाश बना दूसरा पति
मांगीलाल के घर के पास ही उसका साथी जयप्रकाश रहता था। लंबे समय तक बतौर पड़ोसी रहने के दौरान जयप्रकाश का मांगीलाल के घर आना-जाना था। इस दौरान उसकी आंखे मांगीलाल की खुबसूरत पत्नी ममता से मिल गई। ममता भी कहां पीछे थी, उसने भी जयप्रकाश पर डोरे डालना शुरू कर दिए। दोनों के बीच नजदीकीया बढ़ने लगी और वे मांगीलाल की अनुपस्थिति में एक-दूसरे के साथ बंद कमरे में समय गुजारने लगे। ममता को यह बात पता था कि जयप्रकाश की शादी शुदा है और उसके चार बच्चे भी हैं। इसके बावजूद उसने जयप्रकाश के साथ जिंदगी गुजराने का फैसला लिया। पहले पति मांगीलाल को दिल से निकालने के बाद ममता जनवरी महीने में जयप्रकाश के साथ भोपाल आ गई और निशातपुरा स्थित भानपुर क्षेत्र में एक किराए के मकान में रहने लगी। यह बात मांगीलाल को पता चली, तो वह पत्नी का पीछा करते हुए उसके पास पहुंच गया। वह भी जयप्रकाश की गैर मौजूदगी में ममता के साथ रात गुजारता था।
ममता ने नहीं की शादी
मांगीलाल शादी शुदा था। उसकी गांव में एक पत्नी और तीन बच्चे रहते थे। इसके बावजूद ममता उसके साथ भागकर मंडीदीप आ गई। हालांकि, मांगीलाल की गिरफ्तारी के बाद ममता के परिजन ने उसे बहुत समझाया और उसकी अच्छी जगह शादी करने के लिए भी कहा, लेकिन उसने परिजन की एक नहीं सुनी और अदालत में बयान देकर मांगीलाल को बरी करवा दिया।
दोनों पतियों के साथ सोने का शौक
जयप्रकाश को यह बात पता चली कि मांगीलाल उसका पीछा करते हुए भानपुर स्थित उसके घर पर पहुंच गया है, तो उसने कमरा बदल लिया एवं ममता के साथ पंचवटी कॉलोनी में साहू के घर में किराए के मकान में रहने लगा। मगर, घर से भागा हुआ मांगीलाल भी कहा जाता। सो, वह भी ममता के पीछे-पीछे पंचवटी पहुंच गया। दोनों पतियों के बीच झगड़ा नहीं हो, इसको लेकर ममता एक बिस्तर पर उनके साथ सोने लगी। यह बात खुद ममता ने पुलिस को बताई है। इधर, मांगीलाल व जयप्रकाश को भी इस बात मलाल नहीं थी। तीनों मिलकर शराब पीते और खुब मौज-मस्ती करते।
कई बार ममता को लेकर भागा
मांगीलाल से बचकर कई बार जयप्रकाश ने अपना कमरा बदला। इतना ही नहीं वह कुछ दिनों तक पीथमपुर में जाकर भी रहा। इधर ममता भी दो मुंह वाली छूरी थी। वह लगातार मोबाइल फोन पर मांगीलाल के संपर्क में रहती थी और उसे खुद फोन कर बुलाती थी। एक बार तो ममता ने ही जयप्रकाश को छोड़ दिया तथा मांगीलाल के साथ रहने लगी थी। ममता की इच्छा को मांगीलाल और जयप्रकाश बखुबी समझ चुके थे। इसके चलते ही दोनों कथित पति ममता के साथ पिछले तीन महीने से एक साथ रह रहे थे।
हत्या का कोई अफसोस नहीं
घटना के दूसरे दिन निशातपुरा पुलिस ने आरोपी जयप्रकाश को जाटखेड़ी स्थित उसके परिचत के घर से गिरफ्तार कर लिया था। दूसरे पति की गिरफ्तारी पर ममता ने भी थाने में सरेंडर कर दिया था। पूछताछ में ममता ने आनाकानी नहीं की और हस्ते हुए पुलिस को घटनाक्रम के बारे में बारी-बारी से बता दिया। उसे पहले पति मांगीलाल के हत्या का कोई अफसोस नहीं था।

डर के चलते दंपति की हत्या

मनोज राठौर
भोपाल का बहुचर्चित मेहता दंपति हत्याकांड
यह घटना आठ साल पुरानी है। हबीबगंज थाने से आधा कि.मी. दूरी स्थित अरेरा कॉलोनी ई-3, एमआईजी/19 निवासी सुरेंद्र मेहता उद्योगपति थे। वह घर पर पत्नी ऊषा के साथ रहते थे। उनका बेटा ज्वलंत मेहता पूना इंफोसिस कंपनी के काम से अमेरिका में रहता था। वहीं उनकी बेटी रौनक इंदौर एयरटेल कंपनी में कार्यरत थी, जो प्रतिदिन भोपाल अपने माता-पिता से फोन पर बातचीत कर हालचाल पूछती थी। गत 9-10 अक्टूबर, 2002 की रात श्री मेहता ने पत्नी के साथ खाना गया और घर के पास टहलने लगे। इस दौरान उन्हें अजीब से बैचेनी हो रही थी। उनकी यह बैचेनी बेटी से फोन पर बातचीत करने के बाद खत्म हुई। इसके बाद मेहता दंपति ने घर को अंदर से लॉक किया और सभी कमरों की लाइट बंद कर सो गए।
अगले दिन उनकी बेटी रौनक ने फोन पर माता-पिता से बातचीत करने की कोशिश, तो किसी ने फोन नहीं उठाया। रौनक ने कई बार नंबर लगाया, घंटी लगातार बच रही थी। इस पर रौनक को संदेह हुआ और उसने तत्काल साकेत नगर में रहने वाले रिश्तेदार विपुल कुमार जैन को फोन कर बताया कि मम्मी-पापा फोन रिसीव नहीं कर रहे हैं। पता नहीं क्या बात है, आप घर जाकर देख लीजिए। इस पर श्री जैन तत्काल मेहता दंपति के घर पहुंचे। उन्होंने मेन गेट पर लगी घंटी बार-बार बजाई, लेकिन न ही गेट खुला और न ही अंदर से कोई आवाज आया। दूसरी ओर सुबह का अखबर भी गेट के बाहर पड़ा हुआ था। इसके बाद वह किसी तरह मेन गेट को फांदकर अंदर पहुंचे, जहां घर का गेट खुला और कमरों का सामान बिखरा पड़ा हुआ था। यह स्थिति देखकर श्री जैन घबरा गए और मेहता दंपति के बेडरूम में आए, तो उनकी आंखे फटी के फटी रह गई। दरअसल, मेहता दंपति की लाश बिस्तर पर खून में लतपथ पड़ी हुई थी। इसके बाद श्री जैन ने घटना की जानकारी हबीबगंज पुलिस को दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने प्रारंभिक कार्रवाई कर हत्या का मामला दर्ज किया, लेकिन कई संदिग्धों से पूछताछ के बाद भी आरोपियों का सुराग नहीं लगा पाई।
ऐसे की हत्या: मेहता दंपति ने 2002, अक्टूबर महीने में ग्राम पुरानी बस्ती करेली, जिला नरसिंहपुर निवासी चंदन ओझा पुत्र आनंदीलाल (28) से घर की पुताई कराई थी। इस दौरान चंदन ने पूरे घर का मुआयना कर लिया था। उसे पता था कि मेहता दंपति अकेली रहती हैं और अलमारी में लाखों रुपए रखे होंगे। चोरी की नियत से 9-10 अक्टूबर 2002 की दरमियानी करीब 12 बजे चंदन मेहता दंपति के घर की खिड़की का कांच हटाकर ग्राम बिजावर, जिला छतरपुर निवासी सज्जू उर्फ सहजाद पुत्र मोहम्मद हनीफ (28), नयापुरा कोलार निवासी पप्पू उर्फ अजय पुत्र जवाहर लाल और ग्राम अंबार, जिला विदिशा निवासी गणेश उइके पुत्र कमल (28) के साथ अंदर प्रवेश किया। कमरे में रखी अलमारी को बलपूर्वक तोड़ते समय मेहता दंपति की नींद खुल गई। चंदन डर गया कि वे उसे पहचान लेगें। इसके चलते उसने साथियों के साथ मिलकर डंडे से उनकी नृशंस हत्या कर दी। इसके बाद वे अलमारी तोड़कर नकदी 23 हजार रुपए समेत सोने-चांदी के जेवर लूट ले गए। इसके बाद सभी आरोपी पुलिस से बचकर चोरी छुपे वारदात को अंजाम दे रहे थे। इस मामले में आरोपी पप्पू फरार चल रहा है।
हत्यारों का ऐसे लगा सुराग: इसी साल हबीबगंज पुलिस ने भोपाल के बरकतउल्ला विश्वविद्यालय (बीयू) में चोरी की वारदात को अंजाम देने वाले आरोपी चंदन ओझा को गिरफ्तार किया था। उसने बीयू में 21 चोरियों करना कबूली थी। रिमांड के दौरान चंदन ने आज से आठ साल पहले अपने दोस्त पप्पू, गणेश व सज्जू के साथ मिलकर मेहता दंपति की हत्या करना स्वीकार किया। पुलिस को एक आरोपी के फिंगर प्रिंट भी मिल गए हैं।
अपराध दर अपराध: आरोपी चंदन अपनी ससुराल ग्राम उकासघाट जिला नरसिंहपुर में रहता था, जो भोपाल आकर चोरी और लूटपाट की वारदात को अंजाम देता था। पुलिस अधीक्षक ने चंदन पर पांच हजार रुपए का ईनाम भी घोषित किया था। दूसरे आरोपी सज्जू कोलार में अपना नाम बदल कर रह रहा था, जिस पर चोरी समेत अन्य आपराधिक मामले दर्ज हैं। वहीं पप्पू पर भी चोरी व लूट के मामले दर्ज हैं। पुलिस ने आरोपियों से सोने की दो चेन, एक अंगूठी, एक जोड़ कान के टॉप्स, एक जोड चांदी की पायल, एक बाइक समेत करीब एक लाख 60 हजार रुपए का माल बरामद किया है।
इन्होंने लगाया हत्यारों का सुराग: मेहता दंपति की हत्या की गुत्थी सुलझाना राजधानी पुलिस के लिए चुनौती थी, लेकिन हबीबगंज सीएसपी राजेश भदौरिया, टीआई सुरेश दामले, एएसआई अशोक उपाध्याय व व्हीडी मिश्रा, एसआई व्हीएस चौहान, हवलदार मानसिंह और सिपाही रामविलास व देवेंद्र प्रजापति की विवेचना के चलते अंधे कत्ल का खुलासा हो गया।