Tuesday, October 18, 2011

बच्चों के लिए बना हत्यारा

(चीफ मैनेजर की हत्या का मामला)

मनोज राठौर

25 सितंबर 2011 को शाम 7.30 बज रहे थे। हबीबगंज स्थित शालीमार इंक्लेव कॉलोनी में रोजाना की तरह चहल-पहले थी। कई लोग घर के बाहर टहल रहे, तो कई लोग झुंड बनाकर इधर-उधर गप्पे लगा रहे थे। इस दौरान पंजाब एंड सिंध बैंक के चीफ मैनेजर एके नागपाल (52) कॉलोनी स्थित डायमंड ब्लाक-15 के फर्स्ट फ्लोन, फ्लेट नंबर तीन पर पहुंचे। उन्होंने दरवाजे की हालत देखी, तो वह चकित रहे गए। दरवाजा का ताला टूटा हुआ था। वह जैसी दरवाजा खोलकर अंदर गए, तो उनका सामना एक बदमाश से हो गया। बदमाश की शर्ट के अंदर चोरी का सामान भरा हुआ था। आरोपी भागने की फिराक में था, लेकिन नागपाल ने उसे लपककर पकड़ लिया। बदमाश ने पहचाने जाने की डर पर चाकू से उन पर ताबड़तोड़ वार किए। इसके बाद आरोपी उन्हें घायल अवस्था में छोड़कर खाली हाथ ही भाग निकला। उनकी मौके पर ही मौत हो गई थी। नागपाल मूल रूप से दिल्ली के रहने वाले थे। उनके परिवार में उनकी पत्नी, दो बेटे और एक बेटी है। उनका बड़ा बेटा यूके में नौकरी करता है, जबकि छोटा बेटा वरूण और बेटी अपनी मां के साथ दिल्ली में रहते हैं।

बच्चों के जन्म दिन के लिए चोरी: नागपाल का हत्या गोविंदपुरा स्थित विकास नगर निवासी सुंदर उर्फ शैलेंद्र यादव (32) ने की थी। उसने पुलिस के सामने अपना जुर्म कबूल किया और उसने जो कुछ बताया, उसको सुनकर एएसपी राजेश चंदेल, सीएसपी राजेश सिंह भदौरिया और हबीबगंज टीआई सुरेश दामले चकित रह गए। आरोपी सुंदर ने बताया कि उसके दो जुड़वा बच्चे हैं, जिसका जन्मदिन 27 सितंबर को था। उसके पास बच्चों का जन्मदिन मानने के लिए रुपए नहीं थे। साथ ही वकील को पेशी के लिए पांच हजार रुपए देना थे। उसकी तमन्ना था कि वह जन्मदिन के मौके पर अपने दोनों बच्चों को नए कपड़े खरीदकर दे और उनका धूम-धाम से जन्मदिन बनाए। लेकिन उसके सारे अरमान उसकी एक हरकत की वजह से पानी की तरहा बह गए। वह बच्चों के जन्मदिन के लिए जिस घर में चोरी करने गया था, वहीं उसने घर के मालिक नागपाल की चाकू से गोदकर हत्या कर दी।

भागने की फिराक में था आरोपी: सुंदर शाम करीब सात बजे मैनेजर के घर का ताला तोड़कर अंदर दाखिल हुआ। वह चोरी का सामान शर्ट में भरकर घर से बाहर निकलने ही फिराक में था। इतने में नागपाल ने दरवाजा खोल दिया। आरोपी उन्हें देखकर भागने की कोशिश करने लगा, लेकिन उन्होंने उसे पकड़ लिया। उनका आरोपी से करीब 15 मिनट तक संघर्ष भी हुआ। इस बीच उसने श्री नागपाल पर चाकू से वार किए और उन्हें घसीटता हुए सीढ़ियों तक ले गया। हालांकि, श्री नागपाल के पड़ोसियों के शोर मचाने पर आरोपी चाकू लहराते हुए भाग निकले में सफल हो गया।

ऐसे पकड़ाया हत्यारा: घटना स्थल पर पुलिस को भविष्य निधी कार्यालय में पदस्थ एक ड्राइवर का आईकार्ड और अदालत में होने वाली पेशी की एक पर्ची मिली। इसी आधार पर पुलिस ने अशोका गार्डन क्षेत्र से गोविंदपुरा स्थित विकास नगर निवासी सुंदर उर्फ शैलेंद्र यादव (32) को गिरफ्तार कर लिया। वह 26 सितंबर की सुबह भागने की फिराक में था। प्रारंभिक पूछताछ में वह आनाकानी करने लगा, लेकिन शालीमार इंक्लेव के गार्ड ने उसकी पहचान कर ली। इसके बाद उसने मैनेजर की हत्या करना स्वीकार की। कुछ सालों पहले सुंदर भविष्य निधी कार्यालय में ड्राइवर था, लेकिन उसे करीब दो साल पहले सस्पेंड कर दिया गया था। नौकरी के दौरान ही आरोपी कई बार एक अधिकारी के साथ नागपाल के घर गया था। तभी से वह नागपाल को जानता था। उपुलिस ने उसके पास से हत्या में प्रयोग किए गए चाकू और खून लगी शर्ट बरामद कर ली है।

डॉटर-डे पर दी थी बेटी को बधाई: घटना वाली दोपहर करीब चार बजे नागपाल ने अपने छोटे बेटे वरूण को फोन लगाया। फोन पर उन्होंने सबसे पहले अपनी छोटी बेटी को डॉटर-डे के अवसर पर बधाई दी और उसकी लंबी उम्र की मनोकामना की। वरूण ने पिता से भोपाल के बारे में पूछा, तो उन्होंने बताया कि भोपाल बहुत अच्छा है और यहां रहते हुए ढाई साल कब बीत गए पता ही नहीं चला। उन्होंने दिल्ली आने की इच्छा भी जाहिर की और वरूण से कहा कि वह इसी साल रिटायर्डमेंट के बाद दिल्ली आएंगे।

चाकू से डर गए सिक्युरिटी गार्ड: नागपाल के पड़ोसियों के शोर मचाने पर भाग रहे आरोपी सुंदर को कॉलोनी की एक युवती ने पकड़ लिया, लेकिन वह थोड़ी देर बाद ही उसे धक्का देकर मेन गेट की ओर भागने लगा। इधर, आरोपी को मेन गेट की ओर आता देख सुरक्षा गार्ड बाबूलाल पटेल, रेवती रमन मिश्रा और चिंतामणी ने उसे दबोच लिया। वे उसे गार्ड रूम के पास लेकर आ रहे थे, इसी बीच वह रास्ते में जमीन पर लेट गया। सुरक्षा कर्मियों ने उसे उठाने की कोशिश की, तो उसने अचानक पीठ के पीछे छुपाए एक चाकू को निकाला और उन पर हमला करने लगा। इस पर तीनों गार्ड जैसे ही पीछे हटे, वैसे ही वह भाग निकला।

आरोपी ने तोड़े दो ताले : नागपाल के घर के दरवाजे में दो गेट लगे हैं। एक लोहे की जाली का है, जबकि दूसरा लकड़ी का। आरोपी नागपाल के घर में चोरी की नियत से दाखिल हुआ था। उसने घर में लगे लोहे की जाली वाले और लकड़ी वाले दरवाजे के ताला को एक के बाद एक कर तोड़ा। इसके बाद वह चोरी का सामान शर्ट में भरकर घर से निकलने की फिराक में था, लेकिन इसी बीच नागपाल आ गए।

Thursday, October 13, 2011

एक तरफा प्यार में बना हैवान

गोविंदपुरा में कार से छात्रा को कुचलने का मामला

'एक तरफा प्यार में पागल इंजीनियरिंग छात्र महेंद्र यादव को प्यार में हर बार नाकामी हाथ लगी, तो उसने प्रेमिका को रास्ते से हटाने की योजना बनाई। उसने प्रेमिका सहित उसकी दो सहेलियों पर कार चढ़ा दी। इसमें एक छात्रा की मौत हो गई थी। पुलिस भी प्यार में हैवान बने महेंद्र को वांटेड घोषित कर चुकी है...

मनोज राठौर

करेली, नरसिंहपुर निवासी मोनिका (परिवर्तित नाम) आनंद नगर स्थित एक प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज में बीई सिक्स सेमेस्टर की छात्रा है। वह सहपाठी छात्रा राधिका और सरोज के साथ गोविंदपुरा के संकल्प हॉस्टल में रहती थी। तीनों छात्राएं पढ़ाने में तेज थी और एक साथ कॉलेज आती और जाती थी। उन्हें पूरी क्लास में सिर्फ छात्र महेंद्र यादव से डर लगता था। इसी वजह से तीनों छात्राएं हर बार उससे कन्नी काटती थी।

इधर, महेंद्र मोनिका को पसंद करता था। वह उसके एक तरफा प्यार में दिवाना बन गया। वह वर्ष 2010 से उसे परेशान कर रहा था। महेंद्र को पता था कि मोनिका अपनी सहेली राधिका और सरोज के साथ हॉस्टल आती-जाती हैं। इस पर उसने उनके साथ दोस्ती बढ़ने की कोशिश की, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी। वह एक तरफा प्यार में पागल हो गया था। सालभर में उसे हाव-भाव भी चेंज हो गए। उसने किसी तरह मोनिका को एक गुलाब का फूल देकर अपने प्यार का इजहार कर दिया, लेकिन मोनिका ने उसे समझाया कि वह नरसिंहपुर से पढ़ाई करने आई है। वह भी फालतू चीजों को छोड़कर अपनी पढ़ाई पर ध्यान दे। मगर, महेंद्र कहां मानने वाला था। इसके बाद वह मोनिका और उसकी सहेलियों को कुछ ज्यादा ही परेशान करने लगा। वह अक्सर उनका रास्ता रोकता और उनसे बात करने की कोशिश करता। आखिरकार महेंद्र की हरकतों से परेशान होकर मोनिका ने उसकी शिकायत कॉलेज प्रबंधन से कर दी। इस पर प्रबंधन ने सख्त रवैया अपनाते हुए उसे एक सेमेस्टर के लिए सस्पेंड कर दिया। यह बात महेंद्र ने अपने परिजन को नहीं बताई। उसने दोस्तों से कहा कि यदि मोनिका उसकी नहीं हो सकी, तो किसी की नहीं होगी और उसने मोनिका को रास्ते से हटाने की कसम खा ली।

महेंद्र की हैवानियत-महेंद्र मूल रूप से ग्वालियर का रहने वाला है। उसके पिता रेलवे विभाग में अधिकारी हैं। वह बागसेवनिया के शंकराचार्य नगर स्थित किराए के मकान में अपनी मां के साथ रहता था। महेंद्र ने योजना के तहत 6-7 जून 2011 को दुर्गेश बिहार निवासी ट्रेवल्स संचालक अमित सिंह के पास गया। उसने खुद को 10 वीं फेल बताते हुए उनसे ड्रायवर की नौकरी मांगी। इस पर श्री सिंह ने दया दिखाते हुए उसे नौकरी पर रख लिया। इसके बाद वह 9 जून को ट्रेवल्स की कार क्रमांक एमपी 04 सीई 7792 को लेकर कॉलेज गया और वहां से इंटर्नल एग्जाम देकर कॉलेज की बस से घर जा रही छात्रा मोनिका का पीछा किया। बस ने दोपहर करीब दो बजे मोनिका और उसकी सहपाठी राधिका व सरोज को शक्ति नगर कॉम्प्लेक्स के पास उतारा। वहां से तीनों छात्राएं पैदल हॉस्टल की ओर जाने लगी, तो एक तरफा प्यार में पागल महेंद्र ने डीआरएम आॅफिस के सामने मोनिका पर कार चढ़ाने की कोशिश की। इस दौरान मोनिका बाल-बाल बच गई, लेकिन उसकी दोनों सहेली कार की चपेट में आ गई। इसके बाद भी उसका दिल नहीं भराया, तो उसने कार को रिवर्स कर मोनिका और उसकी सहेलियों पर तीन बार गाड़ी चढ़ाई।

कार छोड़कर भाग निकाला-घायल छात्राओं की चीख सुनने के बाद कुछ लोग उनकी मदद के लिए आगे आने लगे। यह देख महेंद्र मौके पर कार छोड़कर पैदल भाग निकला। लोगों ने कार के नीचे फंसी छात्रा सरोज को बाहर निकाला और सभी को निजी वाहनों से एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया, जहां करीब तीन दिन के इलाज के बाद मोनिका और राधिका को छुट्टी दे दी गई। वहीं सरोज की हालत बिगड़ने पर डॉक्टरों ने उसे पुराने शहर के एक प्राइवेट अस्पताल में रेफर कर दिया। वहां उसकी 29 जून 2011को इलाज के दौरान मौत हो गई।

महेंद्र वांटेड घोषित-पुलिस की दर्जनभर पार्टियों ने फरार महेंद्र की तलाश ग्वालियर, इंदौर, दिल्ली सहित दूसरे राज्यों में की, लेकिन महीनेभर बाद भी उसका सुराग नहीं लगा पाई। पुलिस हत्यारे महेंद्र पर पहले ही 15 हजार रुपए का इनाम घोषित कर चुकी है। वहीं महेंद्र को पकड़ने में नाकाम पुलिस ने गत तीन जून को उसे वांटेड घोषित कर दिया। उसके पोस्टर बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन सहित सार्वजनिक स्थानों पर चस्पा कर दिए।क्या कसूर था मेरी बेटी का...अस्पताल में रीवा निवासी छात्रा सरोज के पिता रोते समय एक ही बात कह रहे थे कि मेरी बेटी आरती का क्या कसूर था, जो महेंद्र ने उसकी जान ले ली। वे तो अपनी सहेलियों के साथ कॉलेज से हॉस्टल लौट रही थी। उन्हें यकीन नहीं हो रहा था कि जिस बेटी को उन्होंने इंजीनियर बनाने के लिए भोपाल भेजा, आज उसकी लाश कंधों पर घर लेकर जाएंगे। अस्पताल में जिसने भी यह दृश्य देखा उसकी आंखे आंसूओं से भर आर्इं।

महेंद्र ने मां से छुपाई बात-तीनों छात्राओं को कार से रौंदने के बाद महेंद्र सीधा बागसेवनिया स्थित अपने किराए के कमरे पर पहुंचा। वहां उसने अपनी मां को बताया कि उसे पुलिस एक झूठे मामले में फंसाना चाहती है और उसे गिरफ्तार करने के लिए कभी-भी घर आ सकती है। इसके बाद वह मां को बाइक पर बैठाकर हबीबगंज रेलवे स्टेशन ले गया। उसने पार्किंग में बाइक पार्क की और ट्रेन से ग्वालियर चला गया। अगले दिन मीडिया में खबर देखकर उसके माता-पिता को बेटे की करतूत के बारे में पता चला। इससे पहले की महेंद्र के परिजन उसे डांट पाते, वह खुद ही घर छोड़कर कहीं फरार हो गया।

Wednesday, October 12, 2011

खुद के घर में कराई लूट

सट्टा खेलने की लत ऐसी लगी कि एक कलयुगी बेटे ने साथियों के जरिए अपने घर में लूट करवा दी। टीटी नगर पुलिस ने मामले की बारीकी से जांच कर आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।
मनोज राठौर
5 जुलाई 2011 को एएसपी राजेश चंदेल पुलिस कंट्रोल रूम स्थित अपने केबिन में बैठकर जरूरी फाइलों में हस्ताक्षर कर रहे थे। इस दौरान उनके पास टीटी नगर सीएसपी अमित सक्सेना का फोन आया और उन्होंने बताया कि साउथ टीटी नगर में छह महीनें पहले सब इंजीनियर महमूद असन (56) के घर में हुई लूट के मामले में उनका एकलौता बेटा हबीब शामिल है। उसने ही सट्टा खेलने के चलते साथियों के साथ घर में लूट की साजिश रची। इस पर चंदेल ने बिना वक्त गवाए सभी आरोपियों को हिरासत में लेने के निर्देश दिए। इसके बाद सीएसपी ने टीटी नगर टीआई एसकेएस तोमर के साथ मिलकर एक के बाद एक सभी आरोपियों को दबोच लिया।
ऐसे की लूटपाट-एफ-44/23, साउथ टीटी नगर निवासी महमूद असन (56) सिंचाई विभाग में सब इंजीनियर हैं। वह घर में एकलौते बेटे हबीब और मानसिक रूप से विक्षिप्त पत्नी नगमा सुल्तान के साथ रहते हैं। हबीब प्रॉपर्टी का काम करता है। इसी साल तीन फरवरी को उनके घर चार युवक पहुंचे। वह खुद को हबीब का दोस्त बता रहे थे। इस पर महमूद ने उनसे कहा कि हबीब बाहर गया है, बाद में आकर उससे मिल लेना। इस दौरान एक युवक ने उनसे पीने के लिए पानी मांग लिया। महमूद भी क्या करते, उन्होंने बेटे के दोस्त समझकर घर के गेट का ताला खोला और उन्हें एक ग्लास में पानी भरकर दे दिया। इससे पहले की महमूद कुछ समझ पाते, चारों युवकों ने उनकी आंखों में मिर्ची झोंक दी और लोहे की पेटी में रखे नकदी 20 हजार रुपए, सोने के टॉप्स, नाक की लोंग , तीन चुड़ियां, दो मोबाइल फोन, एक एयरगन, चांदी की पायल सहित अन्य सामान लूट ले गए।
बेटा निकला साजिशकर्ता-इस मामले में सीएसपी अमित सक्सेना को शुरू से ही महमूद के बेटे हबीब पर शक था। इसके चलते ही उन्होंने पुलिस की एक टीम हबीब की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए बना दी। पुलिस टीम ने महीनों की मेहनत के बाद हबीब के खिलाफ कई महत्वपूर्ण जानकारी जुटाई। इसके बाद पुलिस उसे पूछताछ के लिए थाने लेकर आ गई। प्रारंभिक पूछताछ में वह आनाकानी करने लगा, लेकिन सख्ती बरतने पर उसने लूट की घटना से पर्दा हटाया। उसने पुलिस पूछताछ में बताया कि उसने ही साथियों के साथ मिलकर अपने ही घर में लूट करने की साजिश रची। पुलिस ने उसकी निशानदेही पर उसके नार्थ टीटी नगर में रहने वाले दोस्त रिंकू (परिवर्तित नाम), बाणगंगा निवासी अमजद व मोहन (परिवर्तित नाम) को गिरफ्तार कर लिया, जबकि उनका अन्य साथी मंडीबमोरा निवासी समीर फरार है। पुलिस ने उस पर पांच-पांच हजार रुपए का इनाम घोषित किया है। यह स्टोरी लिखे जाने तक आरोपी पुलिस की गिरफ्त में नहीं आया था।
नाबालिकों को लगाई हथकड़ी-पुलिस अधिकारियों ने नियमों का मजाक उड़ाते हुए नाबालिग रिंकू और मोहन को हथकड़ी लगाकर पुलिस कंट्रोल में पेश किया, जबकि बाल अपराधियों को मीडिया के सामने आना और हथकड़ी लगाकर उनके फोटो कराना गैर-कानूनी है।
इसलिए कराई लूट-हबीब ने इसी साल प्रॉपर्टी का काम शुरू किया था, लेकिन सट्टे की लत ने उसे बर्बाद कर दिया। उसे सट्टा खेलने के लिए 10 हजार रुपए की जरूरत थी। इसके चलते ही उसने दोस्तों से लूट की वारदात कराई। उसने खुद 10 हजार रुपए ले लिए और बाकी के रुपए उन्हें दे दिए। आरोपियों ने पूछताछ में यह भी बताया कि लूट की घटना के बाद उनकों रातों को नींद नहीं आती थी। वे पुलिस की गाड़ी को देखकर डर जाते थे।



Tuesday, October 04, 2011

'जिस्मानी शौक' ने ली जान

(एमआर हत्याकांड)

'ग्वालियर के एमआर को भोपाल में रहकर बच्चों से जिस्मानी शौक पूरा कराना महंगा पड़ा गया। यही बच्चे उनके लिए काल बन गए और एक दिन उनका गला घोंट कर हत्या कर दी। '
मनोज राठौर
ग्वालियर के लश्कर मोहल्ला निवासी उदय इंगले पुत्र एएस इंगले (47) एमआर (मेडिकल रिप्रजेंटेटिव) थे। वह दवाईयों की सप्लाई करने के सिलसिले में भोपाल आते-जाते रहते थे। वह पिछले दो-तीन सालों से भोपाल में आ रहे थे और लक्ष्मी टॉकीज स्थित आदर्श लॉज के कमरा नंबर 19 में रूकते थे। मग, उनकी कुछ गलत हरकत ही उनकी मौत का कारण बन गई। गत 30 जून 2011को इंगले लॉज के कमरा नंबर-19 में रूके थे। उनका लेपटॉप तो उनके पास था, लेकिन दिमाग ओर कहीं था। वह शाम करीब पांच बजे मार्केट का काम निपटाने के बाद लॉज पहुंचे थे कि उनके पास एक युवक का फोन आया और उसने उनसे मिलने की इच्छा जाहिर की। इसके बाद क्या था, एक के बाद एक तीन युवक इंगले के पास पहुंचे और योजना के तहत उनकी गला दबाकर हत्या कर दी। इस घटना के बाद लक्ष्मी टॉकीज क्षेत्र में सनसनी फैल गई। मौके पर पहुंचे एएसपी संतोष सिंह गौर ने शव को देखकर अंदाजा लगा लिया कि इंगले की हत्या उनके किसी परिचित या फिर मिलने-जुलने वाले व्यक्ति ने की है।
मोबाइल से मिला सुराग - एएसपी गौर को इंगले के कमरे से एक लेपटॉप, पन्नी में रखी चाय और तीन डिस्पोजल, दो मोबाइल फोन, एक चाकू, पर्स, बेल्ट सहित अन्य सामान मिला। उन्होंने घटना के अगले दिन शव का पोस्टमार्टम कराने के बाद उसे ग्वालियर से आए इंगले के परिजन को सौंप दिया। इस दौरान हनुमानगंज पुलिस ने इंगले के परिजन से बातचीत की, लेकिन उन्होंने किसी पर शक जाहिर नहीं किया और न ही किसी से कोई व्यक्तिगत दुश्मनी होना बताई। यह कहानी दिन-व-दिन उलझती जा रही थी और एमआर हत्याकांड एएसपी के लिए चुनौती बन गया। मगर, पुलिस स्टाफ को इंगले के मोबाइल फोन की कॉल डिटेल से कुछ अहम सुराग मिल गए। यह बात एएसपी को पता चली, तो उन्होंने कॉल डिटेल को आधार बनाकर एक नए सिरे से मामले की जांच शुरू की। इस दौरान उन्हें पता चला कि घटना वाले दिन इंगले की आखरी बार बात दीप नामक युवक से हुई थी। इस पर दीप को प्रारंभिक पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया। वह पहले तो आनाकानी करने लगा, लेकिन सख्ती बरतने पर उसने एमआर की हत्या का राज खोल दिया।
क्या हुआ था घटना वाले दिन - घटना वाले दिन प्रोफेसर कॉलोनी निवासी दीप कुमार उर्फ दीपू के मोबाइल फोन से श्यामलाहिल्स में रहने वाले उसके दोस्त शाहरुख खान ने इंगले से बातचीत की। शाहरुख ने इंगले से कहा कि वह उससे मिलने चाहता है। इस पर इंगले ने उसे कमरे पर बुला लिया। वहां उनके बीच उधारी रुपए को लेकर कहासुनी हो गई। विवाद बढ़ने पर शाहरुख ने फोन कर दीपू और प्रोफेसर कॉलोनी में रहने वाले एक अन्य साथी शाहवर खान को बुला लिया। इसके बाद दीप कमरे के गेट पर पहरा देने लगा और शाहवर व शाहरुख ने इंगले पर चाकू से हमला किया, लेकिन चाकू दीवार से टकराकर तेढ़ा हो गया। इंगले दोनों छात्रों पर भारी पड़ रहे थे। इस दौरान शाहरुख ने हाथों से इंगले का गला और शाहवर ने मुंह दबा दिया। इंगले की हत्या करने के बाद घबराया शाहरुख कमरे की खिड़की से नीचे उतरते लगा, लेकिन पैर फिसलने से वह तीसरी मंजिल से नीचे गिर गया। कुछ देर के लिए वह सड़क पर बेहोशी की हालत में पड़ा रहा, लेकिन स्थानीय लोगों ने उसे पानी पिलाया, तो वह फुर्ती में जुमेराती मार्केट की ओर भाग निकला। वहीं उसके बाकी के साथी लॉज के रास्ते से नीचे उतरे और लक्ष्मी टॉकीज के पास खड़ी बाइक से भाग निकले।
यह शौक पड़ा महंगा - वैसे पुलिस अधिकारियों का कहना है कि वर्ल्ड कप के दौरान शाहरुख ने इंगले को 10 हजार रुपए उधार दिए थे। हालांकि, रुपए देने में इंगले आनाकानी कर रहा था। इसके चलते शाहरुख ने साथियों के साथ मिलकर उसकी हत्या कर दी। उधर, पुलिस इस बात से भी इंकार नहीं कर रही है कि इंगले समलैगिंग थे। पुलिस जांच में यह बात भी सामने आई है कि इंगले पिछले दो-तीन सालों से भोपाल आ रहे थे। वह महीनें में तीन-चार दिन लॉज में रूकते। इतना ही नहीं वह भोपाल आने से पहले लॉज मैनेजर बाबूखान को फोन कर कमरा बुक करवा लेते थे। इंगले रोजाना सुबह-सुबह बड़े और छोटे तालाब में नहाने के लिए जाते थे। यह नहाना, तो सिर्फ उनका एक बहाना था। इस दौरान उनकी नजर कम उम्र के बच्चों पर रहती। यदि कोई बच्चों उनके साथ चलने के लिए तैयार हो जाता, तो वह उसे लॉज में लेकर आते और उसे लेपटॉप में लोड अश्लील फिल्म दिखाते। इसके बाद वह उसके शरीर पर हाथ फेरने लगते और बच्चे से ऐसा काम करने के लिए बोलते, जिसके लिए उन्हें शादी का इंतजार करना पड़ता है। मगर, बच्चे पैसों के लालच में इंगले की वासना शांत कर देते। ऐसा ही कुछ हो रहा था, शारुख के साथ।
अच्छे परिवार से तालुक - आरोपी छात्रों का तालुक अच्छे परिवार से है। शाहरूख के पिता मोहम्मद सलीम और दीप के पिता गिरिजा शंकर पीडब्ल्यूडी तथा शाहवर का बड़ा भाई सोहेल अपने पिता स्व. सलीम खान की जगह पर बोर्ड आॅफिस नौकरी करते हैं। शाहरूख पढ़ाई के साथ अदालत परिसर की पार्किंग में काम भी करता था।