मनोज राठौर
बागसेवनिया इलाके के साकेत नगर निवासी मुरलीधर यादव पति शकुंतला यादव बीएचईएल के सेवानिवृत्त इंजीनियरिंग हैं। उनके बेटे दिनेश और दो बेटियों की शादी हो चुकी थी। उनकी मंजली बेटी शोभा उर्फ सोनू और उसका पति कपिल अमेरिका में इंजीनियरिंग थे। वहीं दिनेश की जनरल स्टोर की दुकान थी। दिनेश माता-पिता के साथ ही रहता था, उसके परिवार में पत्नी गायत्री व दो हर्षित व वेदांत है। कुछ दिनों पहले ही वीजा के सिलसिला में शोभा अपने पति कपिल के साथ भोपाल आई थी। वीजा बनने में देरी हुई, तो कपिल पत्नी को दिनेश के घर छोड़कर बैंगलोर चला गया। तीन मई 2011 की सुबह सात बजे शोभा कीचन में कस्तुरबा अस्पताल में भर्ती पिता मुरलीधर व माता के लिए नाश्ता तैयार कर रही थी। इस दौरान सम्पत्ति की लालच में मदहोश दिनेश ने योजनाबद्ध तरीके से पत्नी गायत्री और बच्चों को दूध लेने के लिए घर से बाहर भेज दिया। इसके बाद उसने क्रिकेट बेट से कीचन में नाश्ता तैयार कर रही बहन शोभा पर हमला कर दिया। हमले में शोभा बेहोश होकर फर्श पर गिर गई। इसके बाद भी दिनेश का मन नहीं भरा और उसने सब्जी काटने के चाकू से बहन पर ताबड़तोड़ बार किए। वारदात को अंजाम देने के बाद दिनेश कपड़े बदलकर बाइक से भाग निकला। हालांकि, घर से निकलते समय दिनेश रास्ते में पत्नी गायत्री से टकराया था, लेकिन वह पत्नी से थोड़ी देर में घर आने का कहकर निकल गया। जब गायत्री अपने बच्चों के साथ घर पहुंची, तो कीचन का दृश्य देखकर उसके होश उड़ गए। फर्श पर खून में लतपत शोभा पड़ी हुई थी। उसने पड़ोसियों की मदद से पुलिस को घटना की सूचना दी। मौके पर पहुंची एएसपी मोनिका शुक्ला, एसडीओपी सारिका शुक्ला, बाग सेवनिया टीआई सीपी द्विवेदी ने घटना स्थल की जांच करते हुए फरार दिनेश की तलाश शुरू कर दी। उसकी तलाश में पुलिस ने चार टीमें बनाई और संभावित स्थानों पर छापामार कार्रवाई के लिए उन्हें रवाना भी कर दिया। इधर, शोभा की हत्या के तीन दिन के बाद जल्लाद भाई दिनेश ने क्राइम ब्रांच के सामने सरेंडर कर दिया।
सम्पत्ति के लिए बना हत्यारा: मुरलीधर ने दोनों बेटियों को खूब पढ़ाया और उन्हें अपने-अपने पैरों पर खड़ा कर दिया। उनकी दोनों बेटियां पढ़-लिखकर इंजीनियर बन गई, लेकिन दिनेश ने कोई तरक्की नहीं की। इसके चलते उसके पिता ने उसे एक जनरल स्टोर खुलवा दी। इधर, मुरलीधर ने तीन साल पहले शोभा की शादी कपिल से की। कपिल भी पेश से इंजीनियर था। सो, वह पत्नी को भी अमेरिका ले गया, जहां शोभा भी एक कंपनी में बतौर इंजीनियर के काम करने लगी। हालांकि, एक बात दिनेश को हमेशा खलती थी कि वह जिंदगी में कुछ नहीं कर पाया और उसकी बहनें इंजीनियर बन गई। दिनेश को लग रहा था कि उसके पिता सम्मत्ति में से बेटियों को भी हिस्सा देंगे। यही बात उसने गांठ बांध कर रख ली। इसके बाद उसने बहनों को रास्ते से हटाने की योजना बनाई। एक मई को सम्पत्ति को लेकर दिनेश का झगड़ा पिता मुरलीधर से भी हुआ था। उसने योजना के तहत पहले पिता को तबीयत खराब होने का कहकर कस्तुरबा अस्पताल में भर्ती कराया। इतना ही नहीं उसने उनकी देखरेख करने के लिए मां को भी अस्पताल में भेज दिया। घर पर वह, उसकी पत्नी व बच्चे सहित छोटी बहन शोभा थी। इसका फायदा उठाकर उसने तीन मई की सुबह पत्नी और बच्चों को दूध लेने के लिए बाहर भेज दिया और बहन की नृशंस हत्या कर दी।
काश! मैं अपने साथ ले गया होता: पत्नी शोभा की हत्या की खबर सुनने के बाद अगले ही दिन कपिल बेंगलौर से भोपाल पहुंचा। अंतिम संस्कार के दौरान उसका रो-रोकर बुरा हाल था। वह एक ही बात कह रहा था कि काश मैं शोभा को अपने साथ ले जाता, तो यह नहीं होता। साथ ही जवान बेटी की मौत से मुरलीधर और उनकी पत्नी शकुंतला भी बहुत दुखी थी। उनको भरोसा नहीं हो रहा था कि उनका बेटा सम्पत्ति के लिए इतना बड़ा कदम उठा लेगा।
दो घंटे तक रोया दिनेश: पूछताछ के दौरान दिनेश एसडीओपी सारिका शुक्ला के सामने दो घंटे तक रोता ही रहा। उसने कहा कि उसके पिता उसे बहुत प्यार करते हैं, लेकिन मां और बहने उसे नहीं चाहती थी। मां के बहकावे में आकर पिता भी उससे नफरत करने लगे थे। उसे डर था कि कहीं उसके पिता पूरी संपत्ति दोनों बहनों के नाम न कर दे। उसने पुलिस को बताया कि उसके चाचा उनकी काफी संपत्ति हड़प चुके हैं और बहनों के माध्यम से शेष संपत्ति भी हथियाना चाहते थे। आरोपी दिनेश पुलिस को बताया कि उसने सुनियोजित ढंग से बहन की हत्या की है। उसने बहन के साथ चाचा की हत्या की योजना भी बनाई थी। हालांकि, बहन की हत्या के बाद दिनेश घबरा गया और पुलिस से जान बचाकर इधर-उधर छुपने लगा।
मोबाइल फोन फेंका: हत्या की वारदात को अंजाम देने के बाद दिनेश बाइक से होशंगाबाद रोड पर निकल गया। रास्ते में उसने बाइक खड़ी की और बस पकड़कर हरदा चला गया। हरदा में उसने अपना मोबाइल फोन भी फेंक दिया। इसके बाद वह कामायनी एक्सप्रेस से खंडवा के पास एक स्टेशन पर उतर गया। शाम तक वह वहीं रहा और देर रात वह भोपाल आ गया, जहां उसने क्राइम ब्रांच के सामने सरेंडर कर दिया।
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