Wednesday, January 18, 2012

आर्थिक तंगी ने बनाया लुटेरा

मनोज राठौर
बरखेड़ा पठानी निवासी गोपीलाल मेहरा शाहजहांनाबाद स्थित रजिस्ट्रार आॅफिस में नौकरी करते हैं। वह रोजाना की तरह 15 जून 2011 को आॅफिस से पंजीयन शुल्क के 15 लाख 46 हजार 325 रुपए लेकर सुल्तानिया रोड स्थित स्टेट बैंक की शाखा में जमा करने के लिए जा रहे थे। बेनजीर गेट के सामने बाइक सवार तीन बदमाशों ने उन पर क्रिकेट बैट से जानलेवा हमला कर बाइक लूट ली। बदमाशों ने शाहजहांनाबाद क्षेत्र में बाइक को लावारिस हालत में पटक दिया और उसकी डिग्गी में रखे 15 लाख 46 हजार 325 निकाल लिए। इस मामले में एएसपी संतोष सिंह गौर ने गोपीलाल और उसके करीबियों पर शक दायर किया था। इसके चलते पुलिस ने उनके बेटे सहित अन्य लोगों से पूछताछ भी की, लेकिन कोई सुराग नहीं लगा। इसके बाद पुलिस की शक की सुई रजिस्ट्रार आॅफिस के कर्मचारियों पर आकर रूक गई। एएसपी गौर ने सभी कर्मचारियों का रिकार्ड निकाला और उसकी जांच पड़ताल की। पड़ताल में उन्हें पता चला कि स्थायी कर्मचारियों के अलावा भी कुछ लोग कभी-कभी आॅफिस में काम करने के लिए आते हैं। इस पर एएसपी ने अस्थायी कर्मचारियों की लिस्ट तैयार की और उन पर नजर रखने के लिए पुलिस की एक टीम बनाई। इस टीम ने सप्ताहभर के अंदर एएसपी को कुछ महत्वपूर्ण जानकारी लगाकर दी। यह जानकारी आरोपियों तक पहुंचने के लिए पर्याप्त थी। इसके बाद क्या था, एएसपी ने बिना वक्त गवांए लुटेरों को दबोच लिया।
आर्थिक तंगी के चलते लूट- पुलिस से ठोस सबूतों के आधार पर कबीटपुरा निवासी याकूब खान, उसके भांजे नासिर और जहांगीराबाद में रहने वाले दोस्त उबेश, शहजाद व आमिर को दबोच लिया। आरोपी याकूब और नासिर रजिस्ट्रार कार्यालय में बाइंडिंग का काम करते थे। इस दौरान उनका परिचय गोपीलाल से हो गया। उनका बाइंडिंग की कमाई से ठीक तरीके से गुजारा नहीं हो पा रहा था। वे आर्थिक तंगी से गुज रहे थे। इसके चलते ही याकूब ने गोपीलाल के साथ लूट करने की योजना बनाई। उसे पता था कि गोपीलाल रोजाना लाखों रुपए लेकर बैंक में जाम करना चाहता था। उसने अपनी लूट की योजाना में भांजे नासिर, दोस्त उबेश, शहजाद और आमिर को शामिल किया।
ऐसी की लूट- याकूब की योजना के मुताबिक उबेश, शहजाद और आमिर बाइक से बेनजरी गेट पहुंचे और पता पहुंचने के बहाने गोपीलाल को रोक लिया। जैसे ही वह रूके, वैसे ही आरोपियों ने क्रिकेट बैट से उन पर जानलेवा हमला कर दिया। इसके बाद आरोपी भागकर उवेश के घर पहुंचे और लूट की राशि को कचरे में छुपा दिया। इधर, घायल गोपीलाल को एक निजी अस्पताल में इलाज के दौरान होश आया। उन्होंने पुलिस को बताया था कि यदि आरोपी उनके सामने आ जाएगें, तो वह उन्हें पहचान लेंगे। घटना के चार दिन के बाद याकूब ने 307000, नासिर ने 407000, उबेश ने 407000, आमिर ने 407000 और शहजाद ने 18325 रुपए आपस में बांट लिए। पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार कर उनके पास से लूट के रुपए से खरीदी गई एक बाइक और 12 लाख रुपए नकदी बरामद कर लिए ।बाइक खरीदी- उवेश ने लूट के रुपए में से एक लाख सात हजार रुपए की एक बाइक खरीद ली थी। वह नई बाइक को लेकर मोहल्ले में गया, तो कुछ लोगों पर उसे संदेह हुआ। इसकी जानकारी पुलिस को मिली, तो उस पर नजर रखी जाने लगी। इसके बाद पर्याप्त साक्ष्य एकत्र कर पुलिस ने उसे दबोच लिया।
पहचान के डर से दोस्तों का सहारा- याकूब ने पहचाने जाने की डर से अपने दोस्त उबेश, आमिर और शहजाद का सहारा लिया। उसे पता था कि यदि वह लूट की वारदात को अंजाम देगा, तो उसे गोपीलाल पहचान लेगा। इसके चलते वह भांजे नासिर के साथ बेनजीर गेट से थोड़ी दूरी पर छुप गया और गोपीलाल के आने पर साथियों को इशारा कर दिया।

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