Sunday, January 22, 2012

बिजनेस के लिए बने बैंक लुटेरे

बागसेवनिया में आंध्रा बैंक लूट

दो युवकों अपना बिजनेस खोलने के लिए इतने ज्यादा पागल हो गए कि उन्होंने बागसेवनिया स्थित आंध्रा बैंक से 15 लाख रुपए लूट लिए....

मनोज राठौर

भोपाल क्राइम ब्रांच पिछले तीन महीनों से आंध्रा बैंक में हुई 15 लाख रुपए की लूट की जांच कर रही थी, लेकिन उसके हाथ कोई ठोस सबूत नहीं लगे। उसे कुछ लोगों पर शक था, लेकिन सबूत के नहीं होने के कारण कोई कार्रवाई नहीं कर पाई। मगर, क्राइम ब्रांच ने हार नहीं मानी और अपनी जांच जारी रखी। एक दिन 20 दिसंबर 2011 को मुखबिर ने क्राइम ब्रांच को बताया कि बीमाकुंज, कोलार में किराए के मकान में रहने वाले दो युवकों की गतिविधियां संदिग्ध हैं और वे विलासितापूर्ण जीवन व्यतीत कर रहे हैं। उनके पास इससे पहले इतना ज्यादा पैसा कभी नहीं था। साथ ही वे पिछले कई दिनों से तंगी में जीवन यापन कर रहे थे। उन पर कई लोगों की उधारी थी। मुखबिर की सूचना पर क्राइम ब्रांच ने स्थानीय पुलिस की मदद से दोनों युवकों को हिरासत में ले लिया। उनकी पहचान ग्राम सुपेला, सीधी निवासी देवेंद्र पटेल (21) और मसूर, मेरठ निवासी अजय जाटव के रूप में हुई।

कबूली लूट की वारदात: अजय और देवेंद्र ने पुलिस की पूछताछ में बताया कि आंध्रा बैंक में लूट करना स्वीकार किया। इसके बाद उनके पास से दो लाख 13 हजार 200 रुपए, दो एयर पिस्टल, दो मोबाइल फोन, एक बाइक, कम्प्यूटर, फर्नीचर सहित अन्य सामान जब्त कर लिया गया। एसएसपी योगेश चौधरी ने बताया कि अजय ने कम्प्यूटर में डीसीए किया है। उसके पिता सुशील सशस्त्र सेना बल से रिटायर हुए हैं। दूसरा आरोपी देवेंद्र एमपी नगर स्थित जेटलिंक कंपनी में कोचिंग कर चुका है और चित्रांश कॉलेज के छात्रों के साथ रहता था। दोनों बेरोजगार थे। आरोपियों ने आंध्रा बैंक को निशाना इसलिए बनाया, क्योंकि वहां सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं थे।

इसलिए की बैंक लूट: आरोपी अलग-अलग कंपनियों से अनुबंध कर डाटा एंट्री करने के लिए कम्प्यूटर की एक फर्म शुरू करना चाहते थे। इस काम के लिए उन्हें लाखों रुपए की जरूरत थी। उन्होंने शहर की कई बैंकों से लोन लेने का प्रयास किया। किसी भी बैंक से लोन नहीं मिला, तो आरोपियों ने आंध्रा बैंक को लूटने की योजना बनाई। एसपी ने बताया कि लूट की वारदात के पहले आरोपियों ने आंध्रा बैंक की दो बार रैकी की। इसके बाद उन्होंने 3 सितंबर को दिनदहाड़े बैंक में घुसकर सुरक्षा गार्ड की आंखों में मिर्ची झोंकी और बैंक अधिकारी-कर्मचारियों पर पिस्टल अड़ाकर 14 लाख 92 हजार रुपए लूट लिए।

कोई आपराधिक रिकार्ड नहीं: पुलिस की जांच में यह भी सामने आया कि आरोपियों का कोई आपराधिक रिकार्ड नहीं था। इसके चलते ही उन तक पहुंचने में पुलिस को तीन महीने का लंबा समय लग गया। समय रहते उनके बारे में कोई सुराग भी नहीं लगा था, लेकिन कम समय में लाखों रुपए के निवेश को करने से उन्हें जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा दिया।

एयर पिस्टल का इस्तेमाल: अजय ने घटना से एक दिन पहले मार्केट से चार-चार सौ रुपए कीमत के दो एयर पिस्टल खरीदे थे। बैंक लूटने के बाद आरोपी बैंक मैनेजर की बाइक लेकर फरार हो गए और बाइक को जवाहर चौक बस स्टैंड पर लावारिस छोड़कर आॅटो में बैठकर घर चले गए।

लूट की राशि से शुरू की फर्म: बैंक में लूटी गई राशि से आरोपी अजय ने कई कंपनियों से अनुबंध कर डाटा एंट्री करने वाली प्राइरिटी सिस्टम नाम की फर्म खोल ली। इसके लिए उसने आशीर्वाद कॉलोनी और कोलार रोड किराए की दुकान ली थी। लूट की राशि से 12 कम्प्यूटर, अन्य उपकरण, आॅफिस का फर्नीचर खरीदने और फर्म के विज्ञापन पर खर्च किया। आरोपियों को इसी महीने कंपनियों से डाटा एंट्री के काम का पैसा भी मिलने वाला था।

आर्थिक तंगी से जूझ रहा था अजय: आरोपी अजय ने सालभर पहले प्रेम विवाह किया था। इसके बाद वह घर से भागकर भोपाल आ गया। बेरोजगारी के कारण उसका बैंक बैलेंस खत्म हो चुका था और वह आर्थिक तंगी से जूझ रहा था। इसके चलते उसने दोस्त देवेंद्र के साथ मिलकर फर्म खोलने की योजना बनाई।

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