Sunday, January 22, 2012

कच्ची उम्र में प्यार...अंजाम मौत

मनोज राठौर

कच्ची उम्र में प्यार करने का अंजाम शायद 15 वर्षीय जीत और आयूषी को पता नहीं था। उनकी यही नादानी उनकी मौत का कारण बन गई। परिजन ने उन्हें कुछ पलों के लिए जूदा क्या किया, उन्होंने मन में मौत को गले लगाने की ठान ली। जीत परिजन से अपने दोस्त से मिलने का कहकर घर से निकला और आयूषी भी बहाना बनाकर अपने चाचा के घर से बाहर आ गई। इसके बाद क्या था, दोनों ने अपने मन की सुनी और ट्रेन के सामने आकर खुदकुशी कर ली। दोनों ने कच्ची उम्र में इतना बड़ा कदम तो उठा लिया, लेकिन उनके परिजन अभी भी इस सदमें से उभर नहीं पाए हैं। वे उनकी याद करते हुए रो-पड़ते हैं।12/7 ओल्ड सुभाष नगर निवासी नंदकिशोर यादव रेलवे विभाग में लोको पायलट हैं। उनका 15 वर्षीय बेटा जीत यादव एक प्राइवेट स्कूल में 10 वीं का छात्र था। परिजन जीत को सबसे ज्यादा प्यार करते थे। वे उसकी हर जिद को पूरा करते थे। मगर, नंदकिशोर को यह पता नहीं था कि जीत की एक जिद को पूरा नहीं करने पर वह खुदकुशी जैसा इतना बड़ा कदम उठा लेगा। आखिर यही हुआ और जीत ने अपनी नाबालिग प्रेमिका के साथ ट्रेन के सामने आकर जान दे दी। दरअसल, जीत कच्ची उम्र में प्यार के मायाजाल में फंस गया था। वह पड़ोस में रहने वाली आयूषि (15) से प्यार करने लगा था। आयूषि भी 10 वीं की छात्र थी, लेकिन वह जीत के साथ नहीं पड़ती थी। आयूषि और जीत का घर पास-पास होने की वजह से उनके बीच दिनों-दिन नजदीकियां बढ़ती जा रही थी। दोनों अपने-अपने घरों के सामने खड़े होकर एक-दूसरे को निहारते थे। अलग-अलग स्कूल में पढ़ने के बावजूद उनका मिलना-जूलना कम नहीं हुआ। इस दौरान परिजन ने भी उन्हें इसलिए नहीं टोका, क्योंकि उनकी उम्र पढ़ाई करने की थी, न की प्यार करने की। मगर, धीरे-धीरे आयूषि और जीत एक-दूसरे को अपनी जाने से भी ज्यादा प्यार करने लगे थे। वे स्कूल जाने के दौरान चोरी-छुपे मिलते थे। आखिर दोनों की प्यार की कहानी मोहल्ले वालों और उनके दोस्तों से कहा छुपने वाली थी। सभी को उनके प्रेम प्रसंग के बारे में पता था। हालांकि, उनके प्रेम प्रसंग की बात उनके परिजन को पता चली, तो उन्होंने अपने-अपने बच्चों को प्यार से समझाया। मगर परिजन को पता नहीं था कि बात बहुत आगे तक पहुंच चुकी है। दोनों एक-दूसरे को देखे बिना नहीं रहते थे। एक-दो दिन तो वे परिजन के डर के कारण नहीं मिले, लेकिन बाद में उनका मिलना-जुलना शुरू हो गया।

परिजन को नगावार गुजरा: इधर, आयूषी और जीत के परिजन उन्हें बार-बार समझाइश दे रहे थे कि अभी उनकी उम्र पढ़ाई-लिखाई की है। इस उम्र में कोई प्यार नहीं करता है। बालिग होने के बाद सभी लोगों की शादी होती है। मगर, परिजन की इन बातों को उन पर कोई खास असर नहीं पड़ा। पानी जब सिर से ऊपर निकल गया, तो अपने परेशान आकर घटना से कुछ दिनों पहले आयूषी के परिजन ने उसे नेहरू नगर में रहने वाले उसके चाचा के घर छोड़ दिया। इधर, जीत के परिजन ने भी उस पर नजर रखना शुरू कर दी और उसके घर से निकलने पर पाबंदी लगा दी। यह थी आखरी मुलाकात: आयूषी के नेहरू नगर जाने की बात जीत को पता चली, तो वह उससे मिलने के बहाने ढूंढने लगा। उनके बीच मुलाकात भी हुई और इसी दौरान उन्होंने एक साथ जीने और मरने की कस्म खा ली। उन्हें यह लगने लगा कि उनके परिजन उन्हें कभी भी नहीं मिलने देंगे। साथ ही बड़े होने पर उनकी शादी भी इधर-उधर कर देंगे। यह बातें मन में लेकर दोनों ने 18 अक्टूबर 2011 को एक साथ मरने की ठान ली। इसके बाद सुबह करीब 11 बजे जीत परिजन से एक दोस्त से मिलने का कहकर घर से निकाला। उधर, आयूषी भी उससे मिलने के लिए नेहरू नगर से निकल गई थी। दोनों ने ऐशबाग क्षेत्र में आखरी बार मुलाकात की और एक-दूसरे का हाथ पकड़कर रात करीब 11 बजे सुभाष नगर अंडर ब्रिज के ऊपर से गुजरी रेलवे ट्रेक पर चलने लगे। उन्होंने अपनी आखरी सांस तक एक-दूसरे का हाथ नहीं छोड़ा। मगर,भोपाल रेलवे स्टेशन की तरफ से आ रही नर्मदा एक्सप्रेस ने दोनों को हमेशा-हमेशा के लिए एक-दूसरे से जूदा कर दिया। ट्रेन से टकराने के बाद दोनों के शरीर के कई हिस्से हो गए। रेलवे कर्मचारियों की सूचना के बाद मौके पर पहुंची ऐशबाग पुलिस ने जीत और आयूषी के शवों को बरामद कर उन्हें पोस्टमार्टम के लिए हमीदिया अस्पताल भेज दिया।

शादी करना चाहते थे: जीत और आयूषी के बीच करीब छह महीनों से प्रेम प्रसंग चल रहा था। घर वालों का पहरा भी उन पर कोई खास असर नहीं छोड़ पाया। उन्होंने एक-दूसरे से मिलना-जुलना नहीं छोड़ा। उनके बीच दिनों-दिन नजदीकियां बढ़ती जा रहीं थी। हालांकि, उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं था कि उनका छह महीनें का शादी की राह तक पहुंच जाएगा। दोनों एक-दूसरे से बहुत प्यार करते थे और इसी प्यार को अमर करने के लिए वे शादी भी करना चाहते थे। लेकिन नाबालिग होने की वजह से परिजन ने उनकी भावनाओं को गंभीरता से नहीं लिया और उनहें अलग-अलग कर दिया।

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