Friday, January 20, 2012

...सौतेली मां की हत्या

मनोज राठौर


मोहल्ले वालों के रोज-रोज के तानों से आकर अमन ने अपनी सौतेली मां की जान ले ली। उसे मां के चरित्र पर शक था, जिसके चलते ही लोग उसपर ताने कसते थे। उसने मां को घर में आने के लिए मना भी किया था, लेकिन वह सप्ताहभर बाद घर में आ आई और अमन ने उसकी चाकू से गोदकर हत्या कर दी।शर्मा कॉलोनी, शाहजहांनाबाद निवासी प्रदीप घौंसले (40) प्राइवेट काम करते हैं। उनके तीन बेटे हैं, जिसमें सबसे छोटा बच्ची उर्फ हरीश उर्फ अमन (17) है। बाकी के दो बेटे भी मेहनत-मजदूरी करते हैं। अमन भी कभी-कभार काम पर जाता था। उसका अधिकांश समय कॉलोनी में रहने वाले दोस्तों के साथ गुजराता था। उसकी मां की करीब नौ साल पहले मौत हो गई थी। इसके बाद प्रदीप ने बेटों की परवरिश के लिए शाहजहांनाबाद निवासी लक्ष्मी बाई (35) को पत्नी बनाकर रख लिया। कुछ सालों तक उनके बीच सबकुछ ठीक चला, लेकिन बाद में उनके बीच अनबन शुरू हो गई। लक्ष्मीबाई के कारण बाप-बेटों में आए दिन झगड़ा होने लगा। मगर, यह झगड़ा 27 अक्टूबर 2011 की दोपहर साढ़े तीन बजे हमेशा के लिए समाप्त हो गया। हुआ यूं कि दोपहर 3.30 बजे लक्ष्मीबाई अपनी बहन के घर से सौतेल पति प्रदीप के घर पहुंची। वहां किसी बात को लेकर उसका प्रदीप से झगड़ा हो गया। इस दौरान अमन सौतेली मां लक्ष्मीबाई को घर में दाखिल नहीं होने नहीं दे रहा था। इधर, बात बढ़ने पर प्रदीप और लक्ष्मीबाई के बीच मारपीट शुरू हो गई और प्रदीप ने पत्नी को जमीन पर पटक दिया। इसी दौरान अमन घर में गया और चाकू लेकर आ गया। इससे पहले की प्रदीप कुछ समझ पाता, उसने सौतेली मां के पेट पर ताबड़ तोड़ वार कर दिए। इसमें लक्ष्मी बाई घायल होकर सड़क पर गिर गई और घटना से घबराए बाप-बेटे फरार हो गए। कॉलोनी के लोगों की सूचना पर मौके पर पहुंची पुलिस ने लक्ष्मीबाई को 108 एंबुलेंस से हमीदिया अस्पताल पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।


इसलिए की हत्या: पुलिस की गिरफ्त में आए अमन ने पूछताछ के दौरान बताया कि कॉलोनी के लोग और दोस्त उसे ताना देते थे कि उसके मां का चरित्र ठीक नहीं है। दोपहर के समय उनके घर गैर मर्दाें का आना-जाना लगा रहता है। लोगों ने यह भी कहा कि इससे कॉलोनी का माहौल खराब हो रहा है। इतना ही नहीं इसके चलते ही अमन के दो भाईयों की शादी भी नहीं हो रही थी और रिश्तेदार उन पर ताने कसते थे। रोजाना के तानों से परेशान आकर अमन ने अपनी मां की करतूतों को आंखों से देख भी लिया। इसके बाद उसने निर्णय कि वह अपने घर में सौतेली मां लक्ष्मीबाई को नहीं आने देगाा। घटना से छह-साल दिन पहले अमन और उसकी सौतेले मां लक्ष्मीबाई के बीच झगड़ा हुआ। इस दौरान अमन ने उसे डांट कर भगा दिया और वापस घर में नहीं आने के धमकी दी। इस पर लक्ष्मीबाई भी सप्ताहभर शाहजहांनाबाद में रहने वाली बहन के घर में रही। मगर, उसने आखिरकार घर आने की गलती कर दी और अमन ने उसकी जान ले ली।


होती थी मारपीट: घर में छोटा होने के कारण लक्ष्मीबाई अमन से आए दिन मारपीट करती थी। कॉलोनी के लोगों ने घटना वाले दिन अमन को जो रूप देखा, उससे देखकर वे भी दंग रह गए। प्रदीप और लक्ष्मीबाई के बीच झगड़ा चल रहा था, उस समय अमन घर के दरवाजे पर खड़ा था। उसकी मां ने उसे भी गाली देना शुरू की, तो वह इसका विरोध करने के लिए मां के पास पहुंचा। वहां लक्ष्मीबाई ने उसके गाल पर दो तमाचे चढ़ दिया। इससे नाराज अमन गाली-गलौच करते हुए घर में गया और चाकू लेकर आ गया।

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