Friday, January 20, 2012

पत्नी के इशारे पर करता था चोरी

मनोज राठौर
हबीबगंज सीएसपी राजेश सिंह भदौरिया 25 नवंबर 2011 को आॅफिस में बैठे हुए थे। इस दौरान उन्हें एक मुखबिर ने फोन पर बताया कि साईं बोर्ड 11 नंबर स्टॉप के पास पुराने कम्प्यूटर और मोबाइल फोन बेचने की फिराक में दो युवक घूम रहे है। इस पर भदौरिया ने बीना वक्त गवाए पुलिस की एक टीम तैयार की और उसे मौके पर रवाना कर दिया। मौके पर पहुंची पुलिस ने घेराबंदी कर दोनों युवकों को दबोच लिया। एक युवक भागने की कोशिश कर रहा था, लेकिन पुलिस के घेरे से वह बच नहीं सका। उनके पास से कम्प्यूटर और मोबाइल फोन भी बरामद किए। प्रारंभिक पूछताछ में दोनों युवक खुद को कबाड़ी बता रहे थे। उन्होंने पुलिस को बताया कि वह पुराने कम्प्यूटर लोगों से कबाड़े में खरीदकर लाए हैं, जिससे वह बेचना चाहते हैं। संदेह होने पर पुलिस ने उनसे सख्ती से पूछताछ की, तो वे दोनों टूट गए। उनकी पहचान अरेरा कॉलोनी, झुग्गीबस्ती निवासी सलमान खान पिता छुट्टन खान (20) और देवा जाधव पिता भीखा जाधव (23) के रूप में हुई। पूछताछ में आरोपियों ने कबूल किया कि उन्होंने शहर के शिवाजी नगर, रविशंकर मार्केट, बघीरा अपार्टमेंट, अरेरा कॉलोनी सहित मिसरोद क्षेत्र में अभी तक चोरी की नौ वारदात की हैं। सलमान और देवा अपने साथी अस्सू खान, रहमान, परमपाल, शंकर और जीतू उर्फ जितेंद्र के साथ वारदात को अंजाम देते थे। उनकी निशानदेही पर पुलिस ने जाल बीछाकर हबीबगंज क्षेत्र से अस्सू को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस को रहमान, परमपाल, शंकर और जीतू की तलाश है। आरोपियों ने साढ़े तीन लाख रुपए कीमत के कम्प्यूटर मॉनीटर, सीपीयू, प्रिंटर, घाड़ियां इंवेर्टर की बैटरी, सोने-चांदी के जेवर सहित अन्य सामान बरामद किया है।
रैकी के बाद वारदात को अंजाम: गिरोह का सरगना देवा जाधव है। वह कई सालों से चोरी की वारदात को अंजाम दे रहा था। उसकी पत्नी को उसकी हर एक जानकारी रहती थी। उसे पता रहता था कि उसका पति आज कहां चोरी करेगा। दरअसल, पूछताछ में देवा ने बताया कि उसकी पत्नी अरेरा कॉलोनी क्षेत्र के कई घरों में साफ-सफाई का काम करती है। इस दौरान वह सूने घरों को जानकारी अपने पति देवा को देती थी। पत्नी के निशानदेही पर आरोपी देवा अपने साथियों के साथ मिलकर चोरी की वारदात को अंजाम देता था। इसके अलावा देवा के साथी भी शहर में दिनभर रेकी करने का काम करते थे। इस दौरान उनके निशाने पर ऐसे मकान होते थे, जहां काफी दिनों से साफ-सफाई नहीं हुई हो और वहां आंगन में सूखे पत्ते पड़े हों। आरोपी उस घर की दो बार रेकी करते थे और मौका पाकर वारदात को अंजाम देते थे।
अय्याशी में उड़ाते थे पैसे: अधिकांश आरोपियों की पत्नी घरों में साफ-सफाई करने का काम करती हैं। उनके पति उन्हें दो वक्त की रोटी भी कमाकर नहीं देते हैं। देवा और उसके साथी चोरी की वारदात को अंजाम देने के बाद सामान को औने-पौने दामों में ठिकाने लगा देता था। इसके बाद वह आपस में थोड़े-होत रूपए बांट लेते थे और बाकी को शराब और अय्याशी में उड़ाते थे। वे कुछ पैसे घर में देते थे, लेकिन इससे उनके महीनेभर का राशन भी नहीं आता था। गिरोह के सदस्य खोलेंगे राजआरोपियों से पूछताछ में पुलिस को पता चला है कि फरार रहमान, परमपाल, शंकर और जीतू का मिलकर एक अन्य गिरोह का संचालन करते हैं। वे कभी-कभी देवा और सलीम के साथ मिलकर चोरी की वारदात को अंजाम देते थे। पुलिस को यह भी जानकारी मिली है कि फरार आरोपियों ने शहर में लूट जैसी वारदात को अंजाम भी दिया है। फरार आरोपियों की तलाश में पुलिस ने तीन टीमें बनाई हैं, जो भोपाल सहित आसपास के जिलों में उनकी तलाश कर रही है।

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