Sunday, January 22, 2012

फरारी में पत्नी की हत्या

मनोज राठौर
17 नवंबर 2011 को भोपाल रेलवे स्टेशन पर जीआरपी रोजाना की तरफ यात्रियों की चेकिंग व्यवस्था में व्यस्त थी। इस दौरान उन्होंने एक संदिग्ध युवक को हिरासत में ले लिया। वह बिना किसी काम के रेलवे स्टेशन पर मौजूद था। उसके पास न ही यात्रा का टिकत और न ही प्लेटफार्म टिकट था। प्रारंभिक पूछताछ में वह आनाकानी करने लगा, लेकिन सख्ती से उसकी तलाशी ली गई, तो उसके पास से एक कट्टा और तीन जिंदा कारतूस मिले। इसके बाद जीआरपी के जवान उसे उठाकर थाने लेकर आ गए। जीआरपी की पूछताछ में उसने बताया कि उसका नाम मनोहर सिंह पुत्र रामदास कुशवाह है और वह ललितपुर स्थित तालबेट का रहने वाला है। उसका रिकार्ड खंगाला गया, तो जीआरपी के रोंगटे खड़े हो गए। जीआरपी को पता चला कि आठ महीने पहले जमीनी विवाद को लेकर मनोहर का झगड़ा पड़ोसी रमेश कुशवाह से हो गया। विवाद बढ़ने पर उसने, उसके पिता रामदास, भाई राजेश, ब्रजेश, अनोखी लाल सहित छह लोगों के साथ मिलकर रमेश से मारपीट की और उसकी गोली मारकर हत्या कर दी। घटना के कुछ दिनों के बाद स्थानीय पुलिस ने मनोहर के एक साथी को गिरफ्तार कर लिया था, जबकि मनोहर अपने पिता, पत्नी और भाईयों के साथ फरार हो गया।
पुणे में काट रहा था फरारी: मनोहर पुलिस की नजरों से बचने के लिए इधर-उधर छुपने लगा। वे पिता, पत्नी और भाईयों के साथ कई शहरों में रहा, लेकिन उसे कुछ समय पहले पुणे में स्थाई ठिकाना मिल गया। वे अपने परिवार के अन्य सदस्यों के साथ मिलकर मजदूरी करने लगा। पुणे में उसका काम ठीक-ठाक चल रहा था। मोहल्ले उसकी अच्छी पहचान हो गई थी और उसे सभी लोग जानने भी लगे। मनोहर स्थायी रूप से पुणे में जम गया और कभी-कभी चोरी-छुपे अपने स्थानीय गांव होकर भी आ जाता था। उसके पुणे में ठिकाने का पता किसी को नहीं था। उधर, स्थानीय पुलिस भी उसके हत्या के मामले को ठंडे बस्ते में डाल चुकी थी। इसलिए की पत्नी की हत्या: मनोहर के लिए पुणे फरारी काटने का सबसे बढ़िया स्थान साबित हुआ। वह जिस मोहल्ले में रहता था, वहां उसकी अच्छी-खासी चलने लगी और सभी उसे जानने भी लगे। हालांकि, उसकी पत्नी की एक गलती ने उसकी पोल खोलकर रख दी। हुआ यूं कि एक दिन मनोहर अपने पिता और भाईयों के साथ मजदूरी पर निकल गया। घर पर उसकी पत्नी अकेली थी, तभी उसका झगड़ा पड़ोसे से हो गया। उनके बीच बात इतनी बड़ी की, उसकी पत्नी ने मोहल्ले में अपनी धाक जमाने के लिए सबके सामने पति मनोहर द्वारा गांव में की गई रमेश की हत्या की पोल खोल दी। शाम को मनोहर घर पहुंचा, तो सभी मोहल्ले वाले उसे शक की निगाहों से देखकर देने लगे। इस पर उसे संदेह हुआ और उसने पत्नी से पूछा कि आज सभी मुझे शक की निगाहों से क्यों देख रहे हैं। पहले तो उसकी पत्नी लंबे समय तक चुप रही, लेकिन बाद में उसने पड़ोसी से हुए झगड़े की बात उसे बता दी। इसके बाद क्या था। मनोहर का खून खोल गया और उसने पत्नी की हत्या करने की योजना बनाई। उसे डर था कि यदि पुलिस को ये बात पता चल गई, तो वे और उसके पिता व भाई पकड़ा जाएंगे। इसके चलते ही उसने अपनी पत्नी का गला दबाया और उसकी हत्या कर दी। इसके बाद उसने पत्नी की लाश को पत्थर से बांधकर एक कुएं में फेंक दी। पत्नी की हत्या के बाद वह अपने परिवार के साथ दूसरे ठिकाने के लिए पुणे से निकल गया।
पिता और भाई भी हुए गिरफ्तार: जीआरपी की गिरफ्त में आए मनोहर को छुड़ाने के लिए उसके पिता रामदास और भाई थाने पहुंचे थे। वहां पड़ोसी की हत्या की पोल खुलने पर जीआरपी ने उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया।

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