Sunday, July 31, 2011

छात्र की मौत बनी रहस्य

मनोज राठौर
23 नवंबर 2009 को घड़ी की सुईयां दोपहर के एक बजा रही थी। अशोका गार्डन की सूरजा बाई को नहीं पता था कि वक्त दरवाजे पर आकर रूक जाएगा। उनकी भतीजी दुर्गा घबराई हुई घर में दाखिल हुई। वह कुछ कहना चाहती थी, लेकिन जुबान लड़खड़ा रही थी। यह देख सूरजा ने उसे एक गिलास पानी पिलाया। दुर्गा की आंखों से आंसू निकल रहे थे। उसने रोते-रोते बताया कि गौरीशंकर स्कूल में बेहोश हो गया है। यह सुनकर सूरजा के पैरों तले जमीन खिसक गई। वह घबराती हुई पड़ोसी के पास गई, लेकिन जब कोई मदद की आस नजर नहीं आई तो वह नंगे पांव स्कूल की ओर भागी। वहां जाकर पता चला कि गौरीशंकर को बेहोशी हालत में अस्पताल ले गए। इतना सुना ही था कि वह इलाके के पुष्कोम, वर्धमान और चरस अस्पताल पहुंची। लेकिन बेटे का कहीं पता नहीं चला। हारी-थकी सूरजा वापस स्कूल आई, जहां पड़ोसियों ने उसे बताया गौरीशंकर की मौत हो गई।
कहानी यह है कि अशोका गार्डन के शहंशाह गार्डन निवासी गौवर्धन का 15 वर्षीय बेटा गौरीशंकर लक्ष्मी मंडी शासकीय स्कूल में आठवीं कक्षा में पढ़ता था। उसने रोजाना की तरह 23 नंबर 2009 की सुबह करीब 11.30 बजे मां सूरजा के साथ खाना खाया। इसके बाद वह सायकल से अपने साथी फहजान के साथ स्कूल गया। गौरीशंकर स्कूल के मेन गेट के पास खड़ा होकर सहपाठियों से बातचीत कर रहा था। वहीं स्कूल परिसर में जा रही छात्रा दुर्गा की नजर जमीन पर पड़े गौरीशंकर पर पड़ी। दुर्गा ने उसे उठाने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं उठा। वह भागती हुई प्राचार्य एसके पाठक के पास पहुंची और गौरीशंकर के बारे में बताया। इस पर प्राचार्य और स्कूली बेहोशी की हालत में छात्र को क्लास में ले जाकर टेबल पर लेटा दिया। छात्र की ओर किसी का ध्यान नहीं था। प्रार्थना समाप्त होने के बाद सभी बच्चे अपनी-अपनी क्लास में चले गए। इसके बाद दुर्गा एक टीचक के साथ स्कूटी से गौरीशंकर के घर गई और उसकी मां का घटना की जानकारी देकर तुरंत टीचर के साथ स्कूल लौट आई। इधर, स्कूली स्टॉफ ने दुर्गा को सड़क पर आटो लेने के लिए भेजा। इस बीच करीब आधा घंटा गुजर चुका था। किसी तरह दुर्गा एक आटो वाले को लेकर स्कूल पहुंची। स्टॉफ गेट पर आटो का इंतजार कर रहा था। आटो के आने पर गौरीशंकर के साथ दुर्गा और छात्र इमरान को बैठाकर हमीदिया अस्पताल की ओर रवाना किया। पूरा स्टॉफ कुछ समय के लिए दंग रह गया था। मगर, आटो के रवाना होने के बाद क्लास शुरू हो गई। आटो में बच्चों को भेज कर प्राचार्य और एक शिक्षक बाइक से आटो के पीछे-पीछे गए। आटो अस्पताल के गेट के पास रूका। डॉक्टरों ने गौरीशंकर को चेक किया और बाहर आकर प्राचार्य से कहा कि आप गौरीशंकर को मृत अवस्था में लेकर आए हैं। यह खबर सुनकर दुर्गा और इमरान के आखों में आंसू भर आए। स्कूल से मिली सूचना के बाद सूरजा और पड़ोसी सूरेखा व अन्य लोग हमीदिया अस्पताल पहुंचे। वहां छात्रा ने सूरजा को बताया कि गौरीशंकर को सामने वाली बड़ी बिल्ंिडग में ले गए हैं। यह सूनकर सूरजा और पड़ोसी सुरेखा पोस्टमार्टम रूम की ओर दौड़ी। पोस्टमार्टम रूम देखकर सूरजा बेहोश हो गई। उसे नहीं पता था कि जो बेटा पढ़ने के लिए गया, वह शाम को घर लौट कर नहीं आएगा। स्थिति को काबू करने की कोशिश कर रही सूरेखा की आंख से आंसू नहीं रूके। मोहल्ले वालों को भी घटना पर भरोसा नहीं हो रहा था। घटना के अगले दिन स्थानीय लोगों ने शव को प्रभात चौराहे पर रखकर स्कूल प्रबंधक के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। पुलिस की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में आया कि छात्र की मौत संदिग्ध जहरीला पदार्थ खाने से हुई है। बिसरा जांच के लिए सागर भेजा गया है, जिसकी रिपोर्ट अभी तक नहीं आई। इस कहानी का गुत्थी अभी तक नहीं झुलस पाई है। अब गौरीशंकर की मौत रहस्य बन गई है।
दुर्गा की आंखो देखी: स्कूल परिसर में दुर्गा ने देखा कि अरवाज और उसके साथी गौरीशंकर के साथ मारपीट कर रहे हैं। यह देख छात्र इमरान ने बीच-बचाव किया। झगड़े के बीच गौरीशंकर जमीन पर गिर गया। स्कूल आ रही दुर्गा ने जब जमीन पर गौरीशंकर को पड़ा देखा तो उसकी जानकारी प्राचार्य एसके पाठक को दी। स्टॉफ ने गौरीशंकर की ओर एक आंख भी नहीं देखा। इस बीच स्कूल की घंटी बजी। मगर, दुर्गा को गौरीशंकर की फिक्र सता रही थी। वह बार-बार क्लास की ओर टकटकी लगाकर देख रही थी। प्रार्थना समाप्त होने के बाद सभी बच्चे लाइन लगाकर अपनी-अपनी क्लास में चले गए। इसके बाद जाकर स्कूली स्टॉफ का जमीर जागा। उन्होंने स्वयं जिम्मेदारी नहीं समझी और दुर्गा को सड़क पर आटो लेने के लिए भेज दिया।
किसने की मारपीट: पुलिस की माने तो मृतक के साथ मारपीट नहीं हुई। उन्हें बिसरा जांच की रिपोर्ट का इंतजार है। शार्ट पीएम रिपोर्ट के अनुसार गौरीशंकर की मौत संदिग्ध जहरीला पदार्थ खाने से हुई है। पूरे घटना क्रम में 14 साल की मासूम दुर्गा क्या छूट बोल रही है? अरवाज कौन है? मां सूरज से झगड़े की शिकायत गौरीशंकर ने क्यों की? पोस्टमार्टम रिपोर्ट के लिए परिजनों का इंतजार स्कूल प्राचार्य ने क्यों नहीं किया? दुर्गा के बयान नहीं लिए गए? स्कूल की महिला कर्मचारी बयान से क्यों पलटी? दुर्गा और इमरान को आटो में क्यों भेजा? पोस्टमार्टम में जल्दबाजी क्यों? यह सभी सवाल पुलिस की कार्रवाई पर प्रश्न चिह्न लगा रहे हैं।
मारुति से अस्पताल पहुंचाया जा सकता था छात्र को: स्कूल परिसर में प्राचार्य समेत अन्य शिक्षकों की मारुति कार खड़ी थी, लेकिन गौरीशंकर को देखकर किसी का दिल नहीं पसीजा। उन्होंने एक आटो से छात्र को हमीदिया अस्पताल भेजा। वक्त रहते गौरीशंकर को अस्पताल पहुंचा दिया जाता तो शायद उसकी जान बच जाती।
शार्ट पीएम रिपोर्ट में बताया गया है कि बेटे की मौत जहर खाने से हुई है। जो खाना गौरीशंकर ने खाया था, वह मैंने और परिवार के अन्य सदस्यों ने भी खाया था। मगर परिवार में किसी भी सदस्य की मौत नहीं हुई है। सूरजा बाई, मृतक की माता
मेरे बेटे के साथ मारपीट हुई है। पुलिस बिसरा रिपोर्ट आने का कहकर बार-बार टालती है। पुलिस का आरोपी पक्ष से लेनदेन है। इस कारण वह कार्रवाई नहीं कर रही । अब पुलिस मामले को दबाने की कोशिश कर रही है। गौवर्धन, मृतक के पिता
गौरीशंकर मेरे बेटे जैसा था। वह कई दिनों से स्कूल नहीं आ रहा था। इस पर उसके परिजन को नोटिस भी दिया गया। हालांकि, उसकी मौत का दुख मुझे भी है। एसके पाठक, प्राचार्य
शार्ट पीएम रिपोर्ट में संदिग्ध जहर से मौत होना बताया गया है। बिसरा रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के कारणों का खुलासा होगा। एसएल सोलंकी, एएसआई जांचकर्ता

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