राजधानी पुलिस ने ऐसे एक लुटेरे को दबोचा है, जो लोगों को चाकू से घायल कर लूटपाट करता था। लुटेरा 35 लूट के मामले में जेल की हवा भी खा चुका है। गत 31 जुलाई और 4 अगस्त को खजूरी सड़क पर उसने दो बिजली कर्मचारियों को लूटा था। उसे पकड़ने पर खजूरी पुलिस को काफी पापड़ बेलने पडे...
35 लूट की वारदात (खजूरी)
मनोज राठौर
खजूरी सड़क निवासी जगदीश सिंह लाइनमेन हैं। वह गत चार अगस्त की रात साढ़े नौ बजे अपना काम निपटाने के बाद घर जा रहे थे। इस बीच बकानिया गांव के पास उनकी बाइक को बदमाश रफीक काला और उसके साथी छोटू उर्फ माजिद ने रोक ली। रफीक काला ने पहले चाकू से हमला कर जगदीश को घायल कर दिया और उसे 17 हजार रुपए व एक मोबाइल फोन छीनकर अपनी बाइक से गांधी नगर बायपास की ओर भागने लगे। इसी तरह 31 जुलाई को आरोपियों ने खजूरी सड़क निवासी लाइनमेन चैन सिंह के साथ भी लूटपाट की थी।
ऐसे पकड़ाए आरोपी: जगदीश के साथ लूट करने के बाद भाग रहे रफीक को रास्ते में याद आया कि झूमाझटकी के दौरान उसका मोबाइल फोन घटना स्थल पर ही रह गया है। इस पर वह दोबारा छोटू के साथ घटना स्थल पर पहुंचा, जहां पहले से घायल जगदीश के पास बकानिया गांव निवासी विनोद खड़ा हुआ था। उसने आओ देखा न ताओ और विनोद को भी चाकू मारकर घायल कर दिया और अपना मोबाइल फोन लेकर रफूचक्कर हो गया। इधर, घायल विनोद व जगदीश किसी तरह बकानिया रेलवे फाटक पहुंचे। वहां से उन्होंने गेटमेन की सहायता से 108 एंबुलेंस को फोन लगाकर घटना की सूचना दी। मौके पर एंबुलेंस के साथ खजूरी थाना प्रभारी आलोक श्रीवास्तव, एएसआई स्वरूप सिंह व प्यारेलाल स्टाफ के साथ पहुंच गए थे। जगदीश द्वारा बताए गए आरोपियों के हुलिए और बाइक की जानकारी पुलिस ने तत्काल वायरलैस सेट पर शहर के सभी थाना को दे दी। इसके बाद पूरे शहर में पुलिस ने नाकेबंदी कर दी। रफीक की किस्मत खराब थी। उसकी बाइक बायपास स्थित गुरूद्वारे के पास पंचर हो गई। वहीं लूट की घटना के बाद बायपास पर पुलिस का मुवमेंट शुरू हो गया था। सड़क पर पुलिस की गाड़ियों को देखकर रफीक और छोटू बाइक को लेकर गुरूद्वारे के पीछे छुप गए। इसके बाद रफीक ने अपने मोबाइल फोन से जहांगीराबाद के पैंदीपुरा में रहने वाले जीजा अब्बदुल गफ्फार को बताया कि उसका बायपास स्थित गुरूद्वारे के पास एक्सीडेंट हो गया है। तत्काल दूसरी बाइक लेकर आ जाओ। जब गफ्फार अपने बेटे समीम के साथ मौके पर पहुंच गया। इसके बाद बायपास पर गफ्फार, रफीक, समीम और छोटू एक साथ खड़े होकर बातचीत कर रहे थे, तो उसकी समय अपनी ओर पुलिस की गाड़ी को आता देख सभी पैदल भागने लगे। इस दौरान पुलिस ने आरोपियों की बाइक और गफ्फार को दबोच लिया। वहीं रफीक व छोटू गफ्फार की बाइक लेकर भाग निकले थे।
गफ्फार से मिली जानकारी के अनुसार रफीक औबेदुल्लागंज का निगरानी शुदा बदमाश है। उसने इसी वर्ष वहां से एक बाइक भी खरीदी थी, जिसका उसने लूट की वारदात में प्रयोग किया था। पुलिस हिरासत से आजाद होने के बाद गफ्फार और रफीक के बीच मोबाइल फोन पर बातचीत हुई। इसके बाद गत 11 अगस्त को रफीक ने जहांगीराबाद स्थित शब्बन चौराहे पर जीजा से बुर्खा मंगाया था। इस पर उसका भांजा अनवर बुर्खा लेकर चौराहे पर पहुंचा, तो वहां सादे कपड़ों में तैनात पुलिस ने आरोपी छोटू को पकड़ लिया। आरोपी रफीक इतना शातिर था कि वह कपड़े लेने के लिए खुद नहीं आया था। जब रफीक ने कपड़ों के लिए छोटू से मोबाइल फोन पर संपर्क किया, तो वह उसे जिंसी चौराहे पर बुलाने लगा। हालांकि, जिंसी चौराहे पर भी उसने अपनी प्रेमिका कला बाई को आॅटो से भेज दिया, जहां से वह कपड़े लेकर एमपी नगर की ओर जाने लगी। तभी स्लाटर हाउस के पास छुपा रफीक अचानक बाहर निकला और आॅटो में बैठ गया। इधर, आॅटो का पीछा कर रही पुलिस ने घेराबंदी कर आरोपी रफीक को दबोच लिया। पूरे घटनाक्रम में रफीक को पुलिस से छुपाने में मदद करने वाली उसकी प्रेमी को भी आरोपी बनाया गया है।
क्यो बुलाया था बुर्खा: सात अगस्त को रफीक की भांजी की शादी थी, जिसमें शामिल होने के लिए वह 31 जुलाई को औबेदुल्लागंज से भोपाल आया था। पैसों की जरूरत होने पर उसने खजूरी सड़क पर 31 जुलाई की रात लाइन मेन चैन सिंह और जगदीश सिंह को लूटा था। वारदात करने के बाद वह अपनी भांजी से मिलना चाहता था, लेकिन पुलिस का पेहरा होने के कारण वह कला बाई के घर से निकल भी नहीं पा रहा था, इसलिए उसने जीजा गफ्फार से बुर्खा मांगाया था, जिसकी सहायता से वह भांजी से मिलना चाहता था।
रफीक ने 35 लूट कबूली: रफीक ने रायसेन, औबेदुल्लागंज, सीहोर होशंगाबाद, बैतूल और भोपाल में अलग-अलग साथियों के साथ मिलकर लोगों को घायल कर 35 लूट की वारदातों को अंजाम दिया है। पुलिस ने उस पर पांच हजार रुपए और उसके छोटू पर दो हजार रुपए का इनाम घोषित किया था। वह लूट के मामलों में सजा भी काट चुका है।
पुलिस पर कर चुका है हमला: वर्ष 1994 में रफीक ने हनुमानगंज थाने के आरक्षक महेन्द्र तिवारी पर चाकू से हमला कर दिया था। हमले में आरक्षक के सीने में गंभीर चोट आई थी। इस मामले में उसे जेल भी हो चुकी है।
रफीक काला शातिर लुटेरा है। उसको पकड़ने के लिए पुलिस को खासी मशक्कत करनी पड़ी, लेकिन खजूरी पुलिस की दिन-रात की मेहनत के कारण रफीक और उसका साथी छोटू पुलिस के हत्थे चढ़ पाए।
अभय सिंह, पुराना शहर एसपी
Sunday, July 17, 2011
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