जब दस साल बाद भी दिल से दहेज का जिन नहीं निकला, तो डोरीलाल और उसके बेटे चेतराम ने बातचीत के दौरान बहू किरण के चाचा चोखेलाल पर चाकू से हमला कर दिया। हमले में घायल चोखेलाल की मौके पर ही मौत हो गई। पुलिस ने आरोपी बाप-बेटे को गिरफ्तार कर उन्हें जेल भेज दिया है...
मनोज राठौर
19 अक्टूबर 2010 को बिलखिरिया स्थित ग्राम छावनी नाका निवासी किरण केवट पति श्रीराम की खुशी का ठिकाना नहीं था। जिस चाचा चोखेलाल केवट का हाथ उसने बचपन में खेलते समय छोड़ दिया था, वह करीब 25 साल बाद उसकी ससुराल लौट रहे थे। लेकिन उसकी यह खुशियां पलक झपकते ही आंखों से औझल हो गईं। हुआ यंू कि चोखेलाल दोपहर करीब तीन बजे छावनी पठार स्थित अपने बहनोई धनसिंह के घर पहुंचा। वहां शाम करीब छह बजे किरण का ननदोई डोरीलाल और उसका बेटा चेतराम आ गए। किरण की शादी में दहेज नहीं मिलने पर डोरीलाल ने धनसिंह से कहा कि अब, तो लड़की का चाचा भी आ गया है। जल्दी से शादी के दौरान किए गए अपने वादे को पूरा करो। इस बात को लेकर धनसिंह और डोरीलाल के बीच कहासुनी हो गई। विवाद बढ़ने पर डोरीलाल ने धनसिंह के गाल पर तमाचा मार दिया। जब चोखेलाल बीच-बचाव करने की कोशिश करने लगा, तो डोरीलाल व चेतराम ने मिलकर उसके साथ मारपीट शुरू कर दी। इस दौरान उस पर चाकू से हमला भी किया गया। हमले में चोखेलाल के सीने और पेट में गंभीर चोट आई थी। धनसिंह का बेटा गंगा घायल चोखेलाल को बाइक से अस्पताल ले जा रहा था। लेकिन रास्ते में ही चोखेलाल की सांसे रूक गई। घटना की सूचना मिलने के बाद मौके पर सीएसपी एचएन गुरू, थाना प्रभारी ललित डागुंर, एएसआई अयोध्या प्रसाद, हवलदार अमर सिंह और सिपाही संतोष कुमार पहुंचे। पुलिस ने घटना के दूसरे दिन आरोपी डोरीलाल और चेतराम पर हत्या का मामला दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया। सभी आरोपी जेल में सजा काट रहे हैं।
किरण की दुखभरी दास्तां-करीब 25 साल पहले उदयपुर, ग्राम तुखान निवासी चोखेलाल पुत्र दामोदर केवट (35) की एक गाय को गांव के व्यक्ति ने डंडे से पीटकर जख्मी कर दिया था। इस बात को लेकर चोखेलाल ने अपने बडेÞ भाई गोविंद व छोटे भाई के साथ मिलकर उस व्यक्ति की हत्या कर दी। हत्या के मामले में तीनों भाईयों को 20 साल की सजा हो गई। भाईयों के जेल जाने के बाद उनका पूरा परिवार बिखर गया। इधर, गोविंद के जेल जाने पर उसकी पत्नी अपनी दस साल की बेटी किरण को गांव में अकेला छोड़कर भाग गई। जब यह खबर चोखेलाल के बहन यशोदा बाई और बहनोई धनसिंह को लगी, तो वह किरण को अपने साथ छावनी पठार ले गए। जहां उन्होंने किरण की अपनी बेटी की तरह परवरिश की। जब किरण समझदार हो गई, तो धनसिंह ने उसकी शादी गांव से लगे छावनी नाका निवासी हरिचरण के बेटे श्रीराम से कर दी।
दशहरे पर हुआ था झगड़ा-दशहरे के दिन धनसिंह और डोरीलाल का परिवार जंबूरी मैदान स्थित दशहरा देखने के लिए गया था। इस दौरान किरण की शादी के दहेज की मांग को लेकर डोरी लाल और धनसिंह के बीच विवाद हो गया। विवाद बढ़ने पर दोनों के बीच मारपीट भी हुई, लेकिन परिवार के अन्य सदस्यों ने मौके पर ही मामले को शांत करा दिया था। इसके बाद उसने घटना की जानकारी चोखेलाल को दी और उसे जल्द ही गांव आने के लिए कहा। इस पर चोखेलाल श्रीराम के परिजन से बातचीत करने के लिए 19 अक्टूबर को धनसिंह के घर पहुंचा था।
भागने के फिराक में थे आरोपी बाप-बेटे-चोखेलाल की हत्या करने के बाद आरोपी डोरी लाल और चेतराम पिपरिया स्थित अपने रिश्तेदार के घर भाग गए थे। मुखबिर की सूचना पर पुलिस की एक टीम ने आरोपी चेतराम को पिपरिया से गिरफ्तार कर लिया, लेकिन डोरीलाल वहां से भाग निकला। इधर, घटना के दूसरे दिन जब हवलदार अमर सिंह बाइक से थाने की ओर जा रहा था, तो रास्ते में उसे एक बाइक पर डोरीलाल जाते हुए दिखा। इस पर श्री सिंह ने उसकी बाइक का पीछा किया और उसे दबोच लिया।
Tuesday, July 05, 2011
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