"जिस्म की भूख इतनी बढ़ गई कि अनुराधा ने अपने दूसरे पति लक्ष्मण को छोड़ दिया। लेकिन लक्ष्मण भी कहां मानने वाला था, उसने पत्नी की तलाश में जमीन-आसमान को एक कर दिया। आखिर उसने अनुराधा को एक गैरमर्द के घर से ढूंढ निकाला और सब कुछ भूलकर दोबारा नए सिरे से जिंदगी की शुरूवात करने लगा। पर अनुराधा को पति का जिस्म एक नजर भी नहीं भाया और एक रात गांव छोड़कर भागने लगी, लेकिन इस बार लक्ष्मण ने उसके इरादे को भांप लिया और उसकी कुल्हाड़ी से निशंस हत्या कर दी...
मनोज राठौर
बैरसिया टीआई राकेश जैन छह अक्टूबर 2010 की सुबह साढ़े आठ बजे थाने पहुंचे ही थे, कि उनके पास तरवाली गांव निवासी कमल सिंह राजपूत आया। उसने श्री जैन को जो बताया, वह चौंकाने वाला था। दरअसल, कमल ने दबे स्वर में कहा था कि उसके भाई लक्ष्मण ने अपनी पत्नी अनुराधा की कुल्हाड़ी से हत्या कर दी। इसके बाद श्री जैन ने आनन-फानन में घटना की जानकारी मोबाइल फोन पर एसडीओपी महावीर सिंह मुजालदे को दी और तत्काल गाड़ियों से तरावली गांव पहुंच गए, जहां लक्ष्मण के घर से उसकी पत्नी की लाश बरामद कर उसे पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भेजा और मर्ग कायम कर मामले की जांच शुरू कर दी।
यह है अनुराधा की दास्ता:शमशाबाद निवासी करण सिंह राजपूत पत्नी शीला बाई की तीन बेटे और दो बेटियां हैं। उन्होंने सात साल पहले अपनी बड़ी बेटी अनुराधा की शादी गुलाबगंज के इमलाबता गांव निवासी संतोष से की थी। सालभर तक पति-पत्नी के बीच सबकुछ ठीक चला, लेकिन पारिवारिक अनबन के कारण अनुराधा ने पति को छोड़ दिया और मायके में रहने लगी। इधर, करण सिंह को बेटी के घर बैठने की चिंता सताने लगी और उन्होंने सालभर बाद ही अनुराधा की शादी तरावली गांव निवासी लक्ष्मण सिंह के साथ कर दी। लक्ष्मण तरवाली वाली माता मंदिर के पास मनहारी की दुकान लगाता था। उसके चार भाई खेती किसानी करते हैं।
लक्ष्मण अनुराधा के चाल-चलन से वाकिफ था, लेकिन वह उसके यौवन पर इस कदर फिदा था कि उसे छोड़ने को तैयार नहीं था। हालांकि, शादी के तीन साल तक पति-पत्नी के बीच आए दिन अनबन होती थी। इनकी ढाई साल की बेटी प्रिया भी है। जुलाई महीने में अनुराधा का लक्ष्मण से जोरदार झगड़ा हुआ है और वह गुस्से में मायके चली गई। मायके में सप्ताहभर रहने के बाद अनुराधा के पिता करण सिंह उसे ससुराल छोड़ने के लिए घर से रवाना हुए, लेकिन बैरसिया के पास अनुराधा ने पिता को घर लौटा दिया और अकेले सुसराल जाने की जिद की। इधर, करण अपने घर पहुंच गए, लेकिन उनकी बेटी ससुराल नहीं पहुंची। इस पर लक्ष्मण और उसके परिजन ने बहू की तलाश शुरू की, तो उन्हें करीब दो महीने बाद (सितंबर) अनुराधा भोपाल स्थित एक व्यक्ति के घर मिली। ससुराल पक्ष के गुस्से को शांत करने के लिए करण अपनी बेटी अनुराधा को लेकर शमशाबाद आ गए। इसके बाद मामला शांत होने पर एक अक्टूबर को लक्ष्मण का भाई ईश्वर भाभी को मायके से तरावली लेकर आ गया।
मैंने की हत्या...लक्ष्मण पुराने गिले-सिखवे भूलाकर अनुराधा को अपने साथ रखने के लिए तैयार हो गया था। लेकिन अनुराधा के मन में कुछ अलग की चल रहा था, वह दोबारा भोपाल भाग जाने की योजना बना रही थी, जिसके लिए वह अक्कसर लक्ष्मण से पैसे की मांग करती। छह अक्टूबर की रात लक्ष्मण सोयाबीन बेचकर घर पहुंचा। उस दिन वह पत्नी के लिए उसके द्वारा मांगाया गया सामान भी लेकर आया था। अनुराधा ने सामान तो खुशी-खुशी लिया, लेकिन वह पति से पैसे मांगने लगी। लक्ष्मण के पैसे नहीं देने पर अनुराधा घर छोड़कर भागने लगी। किसी तरह लक्ष्मण ने उसे मना तो लिया, लेकिन उसके इरादे नैक नहीं थे। उसने देर रात लक्ष्मण के साथ खाना खाया। इसके बाद लक्ष्मण सोने की तैयारी कर रहा था। इस दौरान अनुराधा ने उस पर कुल्हाड़ी से हमला कर दिया। मगर, यह उसकी जिंदगी की सबसे बड़ी गलती थी। किसी तरह लक्ष्मण ने खुद को बचाया और अनुराधा से कुल्हाड़ी छीनकर उस पर ताबड़-तोड़ बार कर लिए। पलटकर लक्ष्मण द्वारा किए गए हमले में अनुराधा की जान चली गई। पत्नी की हत्या करने के बाद लक्ष्मण गांव छोड़कर भाग गया। हालांकि, पुलिस ने उसे घटना के दूसरे दिन दबोच लिया था। उसने कबूल किया कि हर बार पत्नी से धोखा मिलने पर, उसने उसकी हत्या कर दी।
Thursday, July 14, 2011
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