(अशोका गार्डन में आॅनर किलिंग )
चाचा-चाची की बदसूलकी से तंग आकर रानी ने जहर खाकर खुदकुशी कर ली। रानी की मौत से दुखी भाई राजीव ने चाचा-चाची को सबक सिखाने के लिए उनके आंखों के तारे निकेत की नृशंस हत्या कर दी। पुलिस ने हत्या के आरोपी राजीव और उसके साथी अख्तर को सलाखों के पीछे भेज दिया है।
मनोज राठौर
चांदबड़ निवासी राजीव लखेरा (21) के सिर से पिता गौरीशंकर और मां का साया बचपन में ही उठ गया था। उसके माता-पिता की एक हादसे में मौत हो गई थी। इसके बाद राजीव व उसकी बहन रानी (परिवर्तित नाम) अपने चाचा सीताराम लखेरा के पास रहने लगे। सीताराम के दो बेटे में बड़ा चेतन (23) और छोटा निकेत उर्फ निक्की (20) थे, लेकिन घर में राजीव और रानी के आ जाने से उनकी जिम्मेदारी तीन बेटे और एक बेटी के प्रति हो गई। वह कपड़ा मिल पर नौकरी कर परिवार का भरण-पोषण करते थे। इधर, राजीव और रानी का बचपन का सफर हस्ते-हस्ते गुजर गया। जब रानी ने जवानी की दहलीज पर कदम रखा, तो उस पर तरह-तरह के आरोप लगने लगे। वह सुंदर और शांत स्वभाव की थी। सितंबर महीने में रानी के चाचा सीताराम और चाची ने उसके चरित्र पर छिंटाकसी और अभद्रता की। चाचा-चाची की इस हरकत से परेशान रानी ने सोचा कि यदि उसके माता-पिता मौजूद होते, तो शायद उसके साथ ऐसा व्यवहार कभी नहीं होता। उसके चरित्र पर गैरों ने नहीं, बल्कि अपनों ने ही उंगली उठाई थी। यह बात वह बर्दाश्त नहीं कर पाई और उसने जहरीला पदार्थ खा लिया। तबीयत खराब होने पर सीताराम और राजीव ने उसे एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया, जहां उसकी इलाज के दौरान मौत हो गई। बहन रानी की मौत के बाद राजीव को आस-पड़ोस वालों से पता चला कि जिस दिन रानी ने जहर खाया था, उस दिन उससे चाचा-चाची ने बुरा भला कहा था। यह पता होने के बाद राजीव के दिल में बदले की भावना पैदा हो गई और उसने ठान ली कि वह अपनी बहन का मौत का बदल लेगा।
निकेत को चाय के बहाने बुलाया :24 अक्टूबर 2010 की रात 10 बजे राजीव ने निकेत से कहा कि चलो, प्रभात चौराहे से चाय पीकर आते हैं। इस पर निकेत राजीव के साथ चलने को तैयार हो गया। राजीव के साथ उसका साथी अख्तर भी था। तीनों एक स्कूटर पर सवार होकर प्रभात चौराहे के लिए रवाना हुए, लेकिन रास्ते में अख्तर ने स्कूटर अशोका गार्डन इलाके की गलियों में डाल दी। इसके बाद एकतापुरी मैदान में जाकर उनकी स्कूटर रुकी और उन्होंने निकेत को नीचे उतारकर उस पर तलवार और चाकू से हमला कर दिया। हमले में निकेत की गर्दन और पेट में गंभीर चोट आई। घटना की सूचना मिलने के बाद मौके पर पहुंची अशोका गार्डन पुलिस ने उसे एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया, जहां उसकी अगले दिन इलाज के दौरान मौत हो गई। पुलिस ने घटना वाले दिन ही आरोपी राजीव और उसके साथी अख्तर को गिरफ्तार कर लिया था।
बोझ नहीं बनना चाहता था राजीव: राजीव चाचा-चाची पर बोझ नहीं बनना चाहता था, इसलिए उसने छोटी सी उम्र में ही काम करना शुरू कर दिया। वह दुकानों पर प्राइवेट नौकरी करता था।
रानी बनाती थी अख्तर को भाई: चांदबड़ निवासी अख्तर खान पैसे से मैकेनीक है और उसकी क्षेत्र में एक दुकान भी है। इस दुकान पर अक्कसर राजीव आता-जाता रहता था। थोड़े ही दिनों में अख्तर और राजीव में गहरी दोस्ती हो गई। अख्तर ने रक्षाबंधन के दिन रानी से राखी बंधवाई और उसे अपनी बहन माना। अख्तर ने भी रानी की मौत का बदला लेने की कसम खाई थी। इसके बाद उसने राजीव के साथ योजना बनाई कि जिस तरह से चाचा-चाचा ने उनकी एकलौती बहन को उनसे छीन लिया है, वैसे ही वह भी उनके घर के चिराग निकेत को छीन लेंगे।
Friday, July 08, 2011
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