मनोज राठौर
20 अक्टूबर 2010 की दोपहर एक बजे निशातपुरा थाना प्रभारी जीएल अहरवाल आॅफिस में बैठकर जरूरी काम निपटा रहे थे। तभी उनके मोबाइल पर एक फोन आया और सामने वाले व्यक्ति ने बताया कि टीआई साहब विश्वकर्मा नगर में एक व्यक्ति की हत्या हो गई है, जल्दी आ जाओ। इस पर तत्काल टीआई थाना स्टाफ के साथ घटना स्थल पर पहुंचे। वहां घर के पास खून से सनी हुई मुन्नालाल कुशवाह (35) की लाश पड़ी हुई थी। लाश के पास मृतक का पिता बैनी प्रसाद और अन्य परिवार के सदस्य खड़े हुए थे, लेकिन उनकी आंखों में न ही आंसू और न ही चेहरे पर शोक का भाव था। यह दृश्य देखकर श्री अहरवाल समझ गए कि मामले को सुलझाने में देरी नहीं लगेगी। सो, उन्होंने बैनी प्रसाद को बुलाया और बेटे की मौत के बारे में पूछताछ की। पूछताछ में श्री अहरवाल को पता चला कि मुन्नालाल को मारने वाला ओर कोई नहीं, उसका छोटा भाई कल्लू है। पुलिस ने बिना देरी किए निशातपुरा क्षेत्र में घेराबंदी कर आरोपी कल्लू को पकड़ लिया।
ऐसे हुई हत्या: विश्वकर्मा नगर निवासी बैनी प्रसाद कुशवाह के तीन बेटे मुन्नालाल, प्रेम व कल्लू और दो बेटियां हैं। मुन्नालाल घर में सबसे बड़ा था। वह एक बिल्डर के पास मुंशी का काम, छोटा भाई कल्लू मिस्त्री का काम और प्रेम मजदूरी करता। गत 20 अक्टूबर की दोपहर करीब एक बजे मुन्नालाल घर के पास शराब के नशे में धुत खड़ा हुआ था। इस बीच वहां से कल्लू काम पर से लौट रहा था। तभी उसे मुन्नालाल ने रोक लिया। दोनों भाईयों के बीच किसी बात को लेकर तू-तू मैं-मैं हुई। बाद में विवाद इतना अधिक बढ़ गया कि कल्लू ने झोले में रखा हथौड़ा निकालकर भाई के सिर पर ताबड़-तोड़ बार किए। हमले में मुन्नालाल अचेत होकर जमीन पर गिर गया और कल्लू वहां से भाग खड़ा हुआ। हादसा इतना दर्दनाक था कि उसकी मौके पर ही मौत हो गई। मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए हमीदिया अस्पताल भिजवा दिया और हत्या में इस्तेमाल किए गए हथौड़े बरामद कर लिया।
हरकतों से परेशान थे परिजन:मुन्नालाल आए दिन बाहरी औरतों को लेकर घर आता और छत पर जाकर खुलेआम परिजनों के सामने अय्याशी करता। इतना ही नहीं कभी-कभी शराब के नशे में वह अपनी मां-बहनों से भी अश्लीलता करने से नहीं चुकता। इस हरकत के चलते रोजाना कल्लू और मुन्नालाल के बीच झगड़ा होता और बात मारपीट तक पहुंच जाती। हर बार कल्लू ने ही मुन्नालाल का विरोध किया। लेकिन इससे पिता और भाई प्रेम को कोई मतलब नहीं था। घटना वाले दिन भी मुन्नालाल ने कल्लू से गाली-गलौज की और उसे घर से भागने के लिए कहा। इस बात को लेकर उसने भाई को मौत के घाट उतार दिया।
बाप-बेटे पीते थे शराब: बैनी के घर में हर कभी बेटों केसाथ शराब पीता था। इस दौरान नशा अधिक हो जाने पर बाप-बेटे आपस में झगड़ा भी करते। रोजाना के बाप-बेटों के बीच झगड़े से कॉलोनी के लोग भी परेशान थे घर के सामने ही जवान बेटे की लाश पड़ी हुई थी, लेकिन नशे में धुत बैनी प्रसाद का दिल नहीं पसीजा। उसकी आंखो में आंसू नहीं थे और वह आराम से सड़क किनारे खड़े होकर सिगरेट पी रहा था।
नहीं थी परिवार की चिंता: परिवार में सबसे बड़ा होने के बाद भी मुन्नालाल ने कभी अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई। वह पूरे पैसे शराब और अय्याशी में उड़ाता, जबकि उसके घर में दो जवान बहन थी, जो शादी की दहलीज पर पहुंच चुकी थी। हालांकि, घर के माहौल और भाईयों की हरकतों के कारण बहनों के लिए रिश्ते भी नहीं आ रहे थे। वहीं खुद मुन्नालाल और उसके दो भाईयों की शादी नहीं हुई थी।
No comments:
Post a Comment