6 जून 2010 की सुबह करीब 11 बजे भोपाल क्राइम ब्रांच एएसपी मोनिका शुक्ला आॅफिस में बैठकर फाइलें पलट रही थी। इस दौरान उनका फोन बजने लगा। उन्होंने फोन पर बात की, तो उनके मुखबिर ने सूचना दी कि सलामतपुर से बदमाशों ने एक इंडिका कार लूटी है। आरोपी कार लेकर शाहजहांनाबाद इलाके के टीबी अस्पताल के आसपास घूम रहे हैं। इधर, फोन रखने के तुरंत बाद एएसपी ने एसएसपी आदर्श कटियार और एसपी योगेश चौधरी को घटना की जानकारी दी। वरिष्ठ अधिकारियों की सलाह पर शाहजहांनाबाद थाना प्रभारी पंकज दीक्षित और क्राइम ब्रांच की संयुक्त टीम का गठन किया गया। इसके बाद टीम ने मौके पर जाकर घेराबंदी की और आरोपियों की कार को टीबी अस्पताल के पास रोक लिया। पुलिस को देख कार से उतर कर दो आरोपी भागने लगे, लेकिन पुलिस कर्मियों ने उन्हें भागने नहीं दिया। थोड़ी दूरी पर दोनों आरोपी को दबोच लिया गया। कार में चार लोग सवार थे। उनकी पहचान उज्जैन निवासी इकबाल उर्फ वाकर खान, न्यू आरिफ नगर निवासी भूरा पठान, करोंद पीपल चौराहा निवासी शेरू पठान और इंदौर सिंकदराबाद निवासी शरीफ के रूप में हुई। प्रारंभिक पूछताछ में सभी आरोपी पुलिस को गुमराह कर रहे थे, लेकिन सख्ती बरतने पर उन्हें लूट और चोरी की वारदातों का खुलासा किया। इस कार्रवाई में आरक्षक राजेश जामलिया, राघवेन्द्र पाण्डेय, निरीक्षक उमेश तिवारी, सउनि मेर सिंह चौधरी, विश्वनाथ शुक्ला, प्रधान आरक्षक गोविंद पटेल जयप्रकाश सिंह, हेमंत चौरे, मुरली कुमार, अनंत सोमवंशी, मुन्ना लाल, दुलीचंद, हरि बाबू, भवानी सिंह, संतोष प्रसाद, सुरेन्द्र सिंह , विश्वप्रताप सिंह, अजय वाजपेयी, जावेद खान, मोनिका ऐब्रियो, डिम्पल सिंह और पार्वती यादव ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उज्जैन निवासी इकबाल उर्फ वाकर गिरोह का सदस्य है। वह इंदौर के खजराना क्षेत्र स्थित ससुराल में रहता था। उसने इंदौर में 20 चोरी की वारदात को अंजाम देकर लाखों का माल उड़ाया। वह सूने घरों के ताले तोड़कर अकेले ही चोरी की वारदातों को अंजाम देता था। हालांकि, इंदौर पुलिस की निगरानी में आने के बाद वह पकड़ा जाने के डर से अपनी पत्नी के साथ भोपाल आ गया और करोंद स्थित विश्वकर्मा नगर में रहने लगा। लेकिन कहावत है कि कानून के हाथ लंबे होते हैं। इसके बाद क्या था, इंदौर पुलिस उसका सुराग लगाते हुए भोपाल पहुंची और उसे चोरी के मामलों में गिरफ्तार कर लिया। वर्ष 2007 में उसे अदालत ने दो साल सजा सुनाई। जेल में दो साल की सजा काटने के बाद वह वर्ष 2009 में रिहा हुआ। इसके बाद उसने भोपाल में एक नया गिरोह तैयार कर लिया। उसके गिरोह में भोपाल के न्यू आरिफ नगर निवासी भूरा पठान, करोंद पीपल चौराहा निवासी शेरू पठान और इंदौर, सिंकदराबाद निवासी शरीफ खान शामिल हुए। इसके बाद चार सदस्यीय गिरोह ने सलामतपुर से दो कार किराये पर ली। उन्होंने कार के चालक के हाथ-पैर बांधकर उसे सूनसान इलाके में फेंक दिया और कार लेकर भोपाल आ गए।
ऐसे करते थे चोरी:गिरोह के सदस्य दो टुकड़ियों में कार से शहर में घूमकर मल्टीप्लेक्स बिल्डिंगों के सूने घरों को अपना निशाना बनाते थे। वह पहले सूने घरों की दो दिनों तक निगरानी करते और बाद में घर का ताला तोड़कर वहां से जेवर और नकदी चोरी करते। गिरोह के सदस्य चोरी के माल को आपस में बराबर-बराबर बांटते थे। इस कारण उनके बीच कभी झगड़ा नहीं हुआ। मगर, कार लूट की वारदात के कारण वे भोपाल पुलिस के हत्थे चढ़ गए।
7 महीनों में 11 चोरी: आरोपियों ने सात महीनों में 11 चोरी की वारदात को अंजाम दिया। यह चोरी उन्होंने भोपाल के शाहजहांनाबाद, शाहपुरा, कोहेफिजा, बैरागढ़ और हबीबगंज इलाके के सूने घरों में की। वहीं गिरोह ने सलामतपुर से दो कार को लूटा था। रिमांड के दौरान पुलिस ने आरोपियों से ढ़ाई किलो चांदी, आधा किलो सोना, दो लूट की इंडिका कार, एक टीवी, मोबाइल फोन, हाथ घड़िया व आर्टिफिशियल जेवर समेत करीब 17 लाख रुपए का सामान बरामद कर लिया।
गिरोह का एक सदस्य पहले ही जेल में: इकबाल के गिरोह में इंदौर, ऋषि पैलेस निवासी मुन्ना लूनीया भी शामिल था, जो आबकारी के एक मामले में इंदौर जेल में सजा काट रहा है। आरोपी मुन्ना भोपाल में हुई चोरी की एक ही वारदात में शामिल था, जिसके बाद उसे आबकारी के एक मामले में सजा हो गई।
क्राइम ब्रांच और शाहजहांनाबाद पुलिस की संयुक्त कार्रवाई के द्वारा गिरोह का खुलासा हुआ है। गिरोह के सरगना ने भोपाल में रहकर गैंग बनाई। वह चोरी के सामान को आपस में बांट लेते थे। आरोपियों चोरी का ज्यादा माल खर्च नहीं कर पाए। उनसे करीब 17 लाख रुपए का सामान जब्त किया है।मोनिका शुक्ला, क्राइम ब्रांच एएसपी
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