'ग्वालियर के एमआर को भोपाल में रहकर बच्चों से जिस्मानी शौक पूरा कराना महंगा पड़ा गया। यही बच्चे उनके लिए काल बन गए और एक दिन उनका गला घोंट कर हत्या कर दी। '
मनोज राठौरग्वालियर के लश्कर मोहल्ला निवासी उदय इंगले पुत्र एएस इंगले (47) एमआर (मेडिकल रिप्रजेंटेटिव) थे। वह दवाईयों की सप्लाई करने के सिलसिले में भोपाल आते-जाते रहते थे। वह पिछले दो-तीन सालों से भोपाल में आ रहे थे और लक्ष्मी टॉकीज स्थित आदर्श लॉज के कमरा नंबर 19 में रूकते थे। मगर, उनकी कुछ गलत हरकत ही उनकी मौत का कारण बन गई। गत 30 जून 2011को इंगले लॉज के कमरा नंबर-19 में रूके थे। उनका लेपटॉप तो उनके पास था, लेकिन दिमाग ओर कहीं था। वह शाम करीब पांच बजे मार्केट का काम निपटाने के बाद लॉज पहुंचे थे कि उनके पास एक युवक का फोन आया और उसने उनसे मिलने की इच्छा जाहिर की। इसके बाद क्या था, एक के बाद एक तीन युवक इंगले के पास पहुंचे और योजना के तहत उनकी गला दबाकर हत्या कर दी। इस घटना के बाद लक्ष्मी टॉकीज क्षेत्र में सनसनी फैल गई। मौके पर पहुंचे एएसपी संतोष सिंह गौर ने शव को देखकर अंदाजा लगा लिया कि इंगले की हत्या उनके किसी परिचित या फिर मिलने-जुलने वाले व्यक्ति ने की है।
मोबाइल से मिला सुराग - एएसपी गौर को इंगले के कमरे से एक लेपटॉप, पन्नी में रखी चाय और तीन डिस्पोजल, दो मोबाइल फोन, एक चाकू, पर्स, बेल्ट सहित अन्य सामान मिला। उन्होंने घटना के अगले दिन शव का पोस्टमार्टम कराने के बाद उसे ग्वालियर से आए इंगले के परिजन को सौंप दिया। इस दौरान हनुमानगंज पुलिस ने इंगले के परिजन से बातचीत की, लेकिन उन्होंने किसी पर शक जाहिर नहीं किया और न ही किसी से कोई व्यक्तिगत दुश्मनी होना बताई। यह कहानी दिन-व-दिन उलझती जा रही थी और एमआर हत्याकांड एएसपी के लिए चुनौती बन गया। मगर, पुलिस स्टाफ को इंगले के मोबाइल फोन की कॉल डिटेल से कुछ अहम सुराग मिल गए। यह बात एएसपी को पता चली, तो उन्होंने कॉल डिटेल को आधार बनाकर एक नए सिरे से मामले की जांच शुरू की। इस दौरान उन्हें पता चला कि घटना वाले दिन इंगले की आखरी बार बात दीप नामक युवक से हुई थी। इस पर दीप को प्रारंभिक पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया। वह पहले तो आनाकानी करने लगा, लेकिन सख्ती बरतने पर उसने एमआर की हत्या का राज खोल दिया।
क्या हुआ था घटना वाले दिन - घटना वाले दिन प्रोफेसर कॉलोनी निवासी दीप कुमार उर्फ दीपू के मोबाइल फोन से श्यामलाहिल्स में रहने वाले उसके दोस्त शाहरुख खान ने इंगले से बातचीत की। शाहरुख ने इंगले से कहा कि वह उससे मिलने चाहता है। इस पर इंगले ने उसे कमरे पर बुला लिया। वहां उनके बीच उधारी रुपए को लेकर कहासुनी हो गई। विवाद बढ़ने पर शाहरुख ने फोन कर दीपू और प्रोफेसर कॉलोनी में रहने वाले एक अन्य साथी शाहवर खान को बुला लिया। इसके बाद दीप कमरे के गेट पर पहरा देने लगा और शाहवर व शाहरुख ने इंगले पर चाकू से हमला किया, लेकिन चाकू दीवार से टकराकर तेढ़ा हो गया। इंगले दोनों छात्रों पर भारी पड़ रहे थे। इस दौरान शाहरुख ने हाथों से इंगले का गला और शाहवर ने मुंह दबा दिया। इंगले की हत्या करने के बाद घबराया शाहरुख कमरे की खिड़की से नीचे उतरते लगा, लेकिन पैर फिसलने से वह तीसरी मंजिल से नीचे गिर गया। कुछ देर के लिए वह सड़क पर बेहोशी की हालत में पड़ा रहा, लेकिन स्थानीय लोगों ने उसे पानी पिलाया, तो वह फुर्ती में जुमेराती मार्केट की ओर भाग निकला। वहीं उसके बाकी के साथी लॉज के रास्ते से नीचे उतरे और लक्ष्मी टॉकीज के पास खड़ी बाइक से भाग निकले।
यह शौक पड़ा महंगा - वैसे पुलिस अधिकारियों का कहना है कि वर्ल्ड कप के दौरान शाहरुख ने इंगले को 10 हजार रुपए उधार दिए थे। हालांकि, रुपए देने में इंगले आनाकानी कर रहा था। इसके चलते शाहरुख ने साथियों के साथ मिलकर उसकी हत्या कर दी। उधर, पुलिस इस बात से भी इंकार नहीं कर रही है कि इंगले समलैगिंग थे। पुलिस जांच में यह बात भी सामने आई है कि इंगले पिछले दो-तीन सालों से भोपाल आ रहे थे। वह महीनें में तीन-चार दिन लॉज में रूकते। इतना ही नहीं वह भोपाल आने से पहले लॉज मैनेजर बाबूखान को फोन कर कमरा बुक करवा लेते थे। इंगले रोजाना सुबह-सुबह बड़े और छोटे तालाब में नहाने के लिए जाते थे। यह नहाना, तो सिर्फ उनका एक बहाना था। इस दौरान उनकी नजर कम उम्र के बच्चों पर रहती। यदि कोई बच्चों उनके साथ चलने के लिए तैयार हो जाता, तो वह उसे लॉज में लेकर आते और उसे लेपटॉप में लोड अश्लील फिल्म दिखाते। इसके बाद वह उसके शरीर पर हाथ फेरने लगते और बच्चे से ऐसा काम करने के लिए बोलते, जिसके लिए उन्हें शादी का इंतजार करना पड़ता है। मगर, बच्चे पैसों के लालच में इंगले की वासना शांत कर देते। ऐसा ही कुछ हो रहा था, शारुख के साथ।
अच्छे परिवार से तालुक - आरोपी छात्रों का तालुक अच्छे परिवार से है। शाहरूख के पिता मोहम्मद सलीम और दीप के पिता गिरिजा शंकर पीडब्ल्यूडी तथा शाहवर का बड़ा भाई सोहेल अपने पिता स्व. सलीम खान की जगह पर बोर्ड आॅफिस नौकरी करते हैं। शाहरूख पढ़ाई के साथ अदालत परिसर की पार्किंग में काम भी करता था।
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