Thursday, October 13, 2011

एक तरफा प्यार में बना हैवान

गोविंदपुरा में कार से छात्रा को कुचलने का मामला

'एक तरफा प्यार में पागल इंजीनियरिंग छात्र महेंद्र यादव को प्यार में हर बार नाकामी हाथ लगी, तो उसने प्रेमिका को रास्ते से हटाने की योजना बनाई। उसने प्रेमिका सहित उसकी दो सहेलियों पर कार चढ़ा दी। इसमें एक छात्रा की मौत हो गई थी। पुलिस भी प्यार में हैवान बने महेंद्र को वांटेड घोषित कर चुकी है...

मनोज राठौर

करेली, नरसिंहपुर निवासी मोनिका (परिवर्तित नाम) आनंद नगर स्थित एक प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज में बीई सिक्स सेमेस्टर की छात्रा है। वह सहपाठी छात्रा राधिका और सरोज के साथ गोविंदपुरा के संकल्प हॉस्टल में रहती थी। तीनों छात्राएं पढ़ाने में तेज थी और एक साथ कॉलेज आती और जाती थी। उन्हें पूरी क्लास में सिर्फ छात्र महेंद्र यादव से डर लगता था। इसी वजह से तीनों छात्राएं हर बार उससे कन्नी काटती थी।

इधर, महेंद्र मोनिका को पसंद करता था। वह उसके एक तरफा प्यार में दिवाना बन गया। वह वर्ष 2010 से उसे परेशान कर रहा था। महेंद्र को पता था कि मोनिका अपनी सहेली राधिका और सरोज के साथ हॉस्टल आती-जाती हैं। इस पर उसने उनके साथ दोस्ती बढ़ने की कोशिश की, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी। वह एक तरफा प्यार में पागल हो गया था। सालभर में उसे हाव-भाव भी चेंज हो गए। उसने किसी तरह मोनिका को एक गुलाब का फूल देकर अपने प्यार का इजहार कर दिया, लेकिन मोनिका ने उसे समझाया कि वह नरसिंहपुर से पढ़ाई करने आई है। वह भी फालतू चीजों को छोड़कर अपनी पढ़ाई पर ध्यान दे। मगर, महेंद्र कहां मानने वाला था। इसके बाद वह मोनिका और उसकी सहेलियों को कुछ ज्यादा ही परेशान करने लगा। वह अक्सर उनका रास्ता रोकता और उनसे बात करने की कोशिश करता। आखिरकार महेंद्र की हरकतों से परेशान होकर मोनिका ने उसकी शिकायत कॉलेज प्रबंधन से कर दी। इस पर प्रबंधन ने सख्त रवैया अपनाते हुए उसे एक सेमेस्टर के लिए सस्पेंड कर दिया। यह बात महेंद्र ने अपने परिजन को नहीं बताई। उसने दोस्तों से कहा कि यदि मोनिका उसकी नहीं हो सकी, तो किसी की नहीं होगी और उसने मोनिका को रास्ते से हटाने की कसम खा ली।

महेंद्र की हैवानियत-महेंद्र मूल रूप से ग्वालियर का रहने वाला है। उसके पिता रेलवे विभाग में अधिकारी हैं। वह बागसेवनिया के शंकराचार्य नगर स्थित किराए के मकान में अपनी मां के साथ रहता था। महेंद्र ने योजना के तहत 6-7 जून 2011 को दुर्गेश बिहार निवासी ट्रेवल्स संचालक अमित सिंह के पास गया। उसने खुद को 10 वीं फेल बताते हुए उनसे ड्रायवर की नौकरी मांगी। इस पर श्री सिंह ने दया दिखाते हुए उसे नौकरी पर रख लिया। इसके बाद वह 9 जून को ट्रेवल्स की कार क्रमांक एमपी 04 सीई 7792 को लेकर कॉलेज गया और वहां से इंटर्नल एग्जाम देकर कॉलेज की बस से घर जा रही छात्रा मोनिका का पीछा किया। बस ने दोपहर करीब दो बजे मोनिका और उसकी सहपाठी राधिका व सरोज को शक्ति नगर कॉम्प्लेक्स के पास उतारा। वहां से तीनों छात्राएं पैदल हॉस्टल की ओर जाने लगी, तो एक तरफा प्यार में पागल महेंद्र ने डीआरएम आॅफिस के सामने मोनिका पर कार चढ़ाने की कोशिश की। इस दौरान मोनिका बाल-बाल बच गई, लेकिन उसकी दोनों सहेली कार की चपेट में आ गई। इसके बाद भी उसका दिल नहीं भराया, तो उसने कार को रिवर्स कर मोनिका और उसकी सहेलियों पर तीन बार गाड़ी चढ़ाई।

कार छोड़कर भाग निकाला-घायल छात्राओं की चीख सुनने के बाद कुछ लोग उनकी मदद के लिए आगे आने लगे। यह देख महेंद्र मौके पर कार छोड़कर पैदल भाग निकला। लोगों ने कार के नीचे फंसी छात्रा सरोज को बाहर निकाला और सभी को निजी वाहनों से एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया, जहां करीब तीन दिन के इलाज के बाद मोनिका और राधिका को छुट्टी दे दी गई। वहीं सरोज की हालत बिगड़ने पर डॉक्टरों ने उसे पुराने शहर के एक प्राइवेट अस्पताल में रेफर कर दिया। वहां उसकी 29 जून 2011को इलाज के दौरान मौत हो गई।

महेंद्र वांटेड घोषित-पुलिस की दर्जनभर पार्टियों ने फरार महेंद्र की तलाश ग्वालियर, इंदौर, दिल्ली सहित दूसरे राज्यों में की, लेकिन महीनेभर बाद भी उसका सुराग नहीं लगा पाई। पुलिस हत्यारे महेंद्र पर पहले ही 15 हजार रुपए का इनाम घोषित कर चुकी है। वहीं महेंद्र को पकड़ने में नाकाम पुलिस ने गत तीन जून को उसे वांटेड घोषित कर दिया। उसके पोस्टर बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन सहित सार्वजनिक स्थानों पर चस्पा कर दिए।क्या कसूर था मेरी बेटी का...अस्पताल में रीवा निवासी छात्रा सरोज के पिता रोते समय एक ही बात कह रहे थे कि मेरी बेटी आरती का क्या कसूर था, जो महेंद्र ने उसकी जान ले ली। वे तो अपनी सहेलियों के साथ कॉलेज से हॉस्टल लौट रही थी। उन्हें यकीन नहीं हो रहा था कि जिस बेटी को उन्होंने इंजीनियर बनाने के लिए भोपाल भेजा, आज उसकी लाश कंधों पर घर लेकर जाएंगे। अस्पताल में जिसने भी यह दृश्य देखा उसकी आंखे आंसूओं से भर आर्इं।

महेंद्र ने मां से छुपाई बात-तीनों छात्राओं को कार से रौंदने के बाद महेंद्र सीधा बागसेवनिया स्थित अपने किराए के कमरे पर पहुंचा। वहां उसने अपनी मां को बताया कि उसे पुलिस एक झूठे मामले में फंसाना चाहती है और उसे गिरफ्तार करने के लिए कभी-भी घर आ सकती है। इसके बाद वह मां को बाइक पर बैठाकर हबीबगंज रेलवे स्टेशन ले गया। उसने पार्किंग में बाइक पार्क की और ट्रेन से ग्वालियर चला गया। अगले दिन मीडिया में खबर देखकर उसके माता-पिता को बेटे की करतूत के बारे में पता चला। इससे पहले की महेंद्र के परिजन उसे डांट पाते, वह खुद ही घर छोड़कर कहीं फरार हो गया।

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