मनोज राठौर
भोपाल की सबसे बड़ी चोरी
राजधानी के जवाहर चौक क्षेत्र में 12-13 अक्टूबर 2010 की दरमियानी रात माता के जयकारे गूंज रहे थे। माहौल था नवदुर्गों का। रात घनघोर होने के कारण जवाहर चौक रोड स्थित ईव मिरेकल ज्वेलर्स लिमिटेड कंपनी के आॅफिस में सन्नाटा पसरता जा रहा था। जयकारे की गूंज भी गहरे अंधेरे के कारण धीमी होने लगी। इस खामोशी का फायदा उठाकर पांच नकाबपोश चोर एक कार से आए और ईव मिरेकल के आॅफिस का शटर काटकर अंदर प्रवेश किया। उन्होंने सीसीटीवी कैमरों के सामने छतरी लगाई और सभी कनेक्शन काट दिए। इसके बाद अलमारी में रखी चॉबी निकालकर तिजौरी में रखे नकदी समेत दो करोड़ रुपए कीमत के सोने के जेवर चोरी कर ले गए। अगली सुबह कर्मचारी दफ्तर पहुंचे, तो उन्हें चोरी की घटना के बारे में पता चला। इसके बाद देखते ही देखते मौके पर आईजी डॉ. शैलेंद्र श्रीवास्तव, एसएसपी आदर्श कटियार, सीएसपी अमित सक्सेना समेत अन्य पुलिस अधिकारी पहुंच गए। पुलिस ने मामले जांच की, लेकिन महीनेभर बाद भी किसी नतीजे पर नहीं पहुंची।
ऐसे हुआ चोरी का खुलासा
घटना से करीब दो महीने बाद क्राइम ब्रांच के आरक्षक विश्वप्रताप सिंह भदौरिया व सुरेंद्र सिंह को सूचना मिली थी कि ईव मिरेकल की चोरी में पीजीबीटी कॉलेज स्थित कृष्ण कॉलोनी निवासी मुन्ने खुतरा उर्फ अब्दुल करीम का हाथ है। यह बात एएसपी मोनिका शुक्ला को पता चली, तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं था। उन्होंने तत्काल वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर पुलिस और क्राइम ब्रांच की संयुक्त टीम का गठन किया। इसके बाद टीम ने मुन्ना के घर पर दबिश देकर उसे हिरासत में लिया। क्राइम ब्रांच आॅफिस में की गई प्रारंभिक पूछताछ में मुन्ना आनाकानी करने लगा, लेकिन सख्ती से पेश आने पर उसने चोरी करना स्वीकार किया। उसने पुलिस को बताया कि गिरोह का सरगना पुराने शहर का निगरानीशुदा बदमाश फरहान उर्फ फईम बम है। गिरोह के अन्य सदस्य इब्राहिमपुरा निवासी जयप्रकाश जडिया व मनीष वर्मा और लखेरापुरा निवासी नीरज जैन हैं। पुलिस सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है, लेकिन सरगना फईम और मजहर टोपी फरार हो गए। फरार आरोपियों पर 25-25 हजार रुपए का ईनाम है। फईम के पास चोरी का सोना समेत 27 लाख रुपए है। पुलिस मुन्ना जयप्रकाश, मनीष, नीरज और जयप्रकाश व मुन्ना से 670 सोना खरीदने वाले विदिशा निवासी ज्वेलर्स विजय जाधव को गिरफ्तार कर चुकी है। कहानी लिखे जाने तक दोनों आरोपी फरार थे और पुलिस आरोपियों से चोरी में प्रयोग की गई कार (एमपी 04-5937) और करीब चार किलो सोना बरामद किया है।
ऐसे बनाया गिरोह
चोरी का मास्टर मांइड फईम है। वारदात से पहले वह ईव मिरेकल कंपनी का सदस्य बना। वह ढाई महीने से आॅफिस में वारदात करने की योजना बना रहा था, लेकिन उसे कोई भरोसेमंद आदमी नहीं मिला। फईम ने सीसीटीवी कैमरे से लेकर आॅफिस के चौकीदार तक की जानकारी एकत्र कर ली थी। इसके बाद उसने अपने पुराने साथी जयप्रकाश व पुराना शहर के शातिर चोर मुन्ना खुतरा से संपर्क किया। इस तरह जयप्रकाश ने भी अपने साथी नीरज व मनीष को गिरोह में शामिल कर लिया। जयप्रकाश व उसके साथी चौक बाजार स्थित ज्वेलर्स की शॉप पर नौकरी करते थे। सभी आरोपियों ने चोरी की घटना को अंजाम देने से एक दिन पहले रैकी की थी।
कर्जदार हैं चोर
आरोपी मुन्ना व फईम जुआ खेलने के आदी थे। दूसरी तरफ जयप्रकाश, नीरज और मनीष के ऊपर में भारी उधारी थी। सभी कर्जे में गले-गले तक डूबे हुए। एक दिन ऐसा नहीं गुजरता था कि उनके घर कोई व्यक्ति उधारी के पैसे लेने के लिए नहीं आए। कहते हैं कि मरता, क्या नहीं करता। और यही हुआ कि फईम की बातों में आकर जयप्रकाश, मुन्ना, नीरज व मनीष ने चोरी की वारदात को अंजाम दिया।
बीच में आया मजहर टोपी
बदमाश फईम व मुन्ना ने छाते की आड़ लेकर दफ्तर में लगे सीसीटीवी कैमरे के तार काट दिए थे, लेकिन तार काटने से पहले कुछ मिनटों के लिए वे कैमरे में कैद हो गए। पुलिस ने इन तस्वीरों को मीडिया के माध्यम से जारी कराया, जिन्हें देखकर कुख्यात बदमाश मजहर टोपी ने तार काटने वाले फईम और मुन्ना को पहचान लिया। उसने ये बात पुलिस को नहीं बताई, बल्कि खुद ही उन्हें ब्लैकमेल करने लगा। राज खुलने के डर से फईम और मुन्ना उसकी शर्त पर राजी हो गए और उन्होंने माल में से उसे एक किलो सोना दे दिया।
कट्टे की नोक पर हुआ बंटवारा
फईम ने सबसे पहले 27 लाख रुपए से भरा बैग भाई अजहर को दिया, फिर घर की छत पर चोरी के माल का बंटवारा किया। उसने खुद तीन किलो सोना और 8 हजार रुपए, मुन्ना को तीन किलो सोना व 10 हजार रुपए, नीरज, जयप्रकाश और मनीष को 600-600 ग्राम सोना व 5-5 हजार रुपए दिए। जब गिरोह के सदस्यों ने फईम से नोटों से भरे बैग व भेदभावपूर्ण बंटवारे को लेकर नाराजगी जताई, तो उसने कट्टा दिखाकर सभी की जुबान बंद करा दी।
पुलिस से हुई चूक
ईव मिराकल में चोरी के बाद मजहर टोपी को सबसे पहले हनुमानगंज पुलिस ने पूछताछ के लिए दो दिन तक थाने में बैठाकर रखा। इसके बाद उसे टीटी नगर पुलिस को सौंपा दिया गया। इतना ही नहीं क्राइम ब्रांच की टीम ने भी फईम से पूछताछ कर चुकी थी, लेकिन उसने जुबान नहीं खोली। पुलिस की लापरवाही का नतीजा है कि उस पर नजर नहीं रखी गई।
Sunday, May 29, 2011
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