Sunday, May 29, 2011

डर के चलते दंपति की हत्या

मनोज राठौर
भोपाल का बहुचर्चित मेहता दंपति हत्याकांड
यह घटना आठ साल पुरानी है। हबीबगंज थाने से आधा कि.मी. दूरी स्थित अरेरा कॉलोनी ई-3, एमआईजी/19 निवासी सुरेंद्र मेहता उद्योगपति थे। वह घर पर पत्नी ऊषा के साथ रहते थे। उनका बेटा ज्वलंत मेहता पूना इंफोसिस कंपनी के काम से अमेरिका में रहता था। वहीं उनकी बेटी रौनक इंदौर एयरटेल कंपनी में कार्यरत थी, जो प्रतिदिन भोपाल अपने माता-पिता से फोन पर बातचीत कर हालचाल पूछती थी। गत 9-10 अक्टूबर, 2002 की रात श्री मेहता ने पत्नी के साथ खाना गया और घर के पास टहलने लगे। इस दौरान उन्हें अजीब से बैचेनी हो रही थी। उनकी यह बैचेनी बेटी से फोन पर बातचीत करने के बाद खत्म हुई। इसके बाद मेहता दंपति ने घर को अंदर से लॉक किया और सभी कमरों की लाइट बंद कर सो गए।
अगले दिन उनकी बेटी रौनक ने फोन पर माता-पिता से बातचीत करने की कोशिश, तो किसी ने फोन नहीं उठाया। रौनक ने कई बार नंबर लगाया, घंटी लगातार बच रही थी। इस पर रौनक को संदेह हुआ और उसने तत्काल साकेत नगर में रहने वाले रिश्तेदार विपुल कुमार जैन को फोन कर बताया कि मम्मी-पापा फोन रिसीव नहीं कर रहे हैं। पता नहीं क्या बात है, आप घर जाकर देख लीजिए। इस पर श्री जैन तत्काल मेहता दंपति के घर पहुंचे। उन्होंने मेन गेट पर लगी घंटी बार-बार बजाई, लेकिन न ही गेट खुला और न ही अंदर से कोई आवाज आया। दूसरी ओर सुबह का अखबर भी गेट के बाहर पड़ा हुआ था। इसके बाद वह किसी तरह मेन गेट को फांदकर अंदर पहुंचे, जहां घर का गेट खुला और कमरों का सामान बिखरा पड़ा हुआ था। यह स्थिति देखकर श्री जैन घबरा गए और मेहता दंपति के बेडरूम में आए, तो उनकी आंखे फटी के फटी रह गई। दरअसल, मेहता दंपति की लाश बिस्तर पर खून में लतपथ पड़ी हुई थी। इसके बाद श्री जैन ने घटना की जानकारी हबीबगंज पुलिस को दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने प्रारंभिक कार्रवाई कर हत्या का मामला दर्ज किया, लेकिन कई संदिग्धों से पूछताछ के बाद भी आरोपियों का सुराग नहीं लगा पाई।
ऐसे की हत्या: मेहता दंपति ने 2002, अक्टूबर महीने में ग्राम पुरानी बस्ती करेली, जिला नरसिंहपुर निवासी चंदन ओझा पुत्र आनंदीलाल (28) से घर की पुताई कराई थी। इस दौरान चंदन ने पूरे घर का मुआयना कर लिया था। उसे पता था कि मेहता दंपति अकेली रहती हैं और अलमारी में लाखों रुपए रखे होंगे। चोरी की नियत से 9-10 अक्टूबर 2002 की दरमियानी करीब 12 बजे चंदन मेहता दंपति के घर की खिड़की का कांच हटाकर ग्राम बिजावर, जिला छतरपुर निवासी सज्जू उर्फ सहजाद पुत्र मोहम्मद हनीफ (28), नयापुरा कोलार निवासी पप्पू उर्फ अजय पुत्र जवाहर लाल और ग्राम अंबार, जिला विदिशा निवासी गणेश उइके पुत्र कमल (28) के साथ अंदर प्रवेश किया। कमरे में रखी अलमारी को बलपूर्वक तोड़ते समय मेहता दंपति की नींद खुल गई। चंदन डर गया कि वे उसे पहचान लेगें। इसके चलते उसने साथियों के साथ मिलकर डंडे से उनकी नृशंस हत्या कर दी। इसके बाद वे अलमारी तोड़कर नकदी 23 हजार रुपए समेत सोने-चांदी के जेवर लूट ले गए। इसके बाद सभी आरोपी पुलिस से बचकर चोरी छुपे वारदात को अंजाम दे रहे थे। इस मामले में आरोपी पप्पू फरार चल रहा है।
हत्यारों का ऐसे लगा सुराग: इसी साल हबीबगंज पुलिस ने भोपाल के बरकतउल्ला विश्वविद्यालय (बीयू) में चोरी की वारदात को अंजाम देने वाले आरोपी चंदन ओझा को गिरफ्तार किया था। उसने बीयू में 21 चोरियों करना कबूली थी। रिमांड के दौरान चंदन ने आज से आठ साल पहले अपने दोस्त पप्पू, गणेश व सज्जू के साथ मिलकर मेहता दंपति की हत्या करना स्वीकार किया। पुलिस को एक आरोपी के फिंगर प्रिंट भी मिल गए हैं।
अपराध दर अपराध: आरोपी चंदन अपनी ससुराल ग्राम उकासघाट जिला नरसिंहपुर में रहता था, जो भोपाल आकर चोरी और लूटपाट की वारदात को अंजाम देता था। पुलिस अधीक्षक ने चंदन पर पांच हजार रुपए का ईनाम भी घोषित किया था। दूसरे आरोपी सज्जू कोलार में अपना नाम बदल कर रह रहा था, जिस पर चोरी समेत अन्य आपराधिक मामले दर्ज हैं। वहीं पप्पू पर भी चोरी व लूट के मामले दर्ज हैं। पुलिस ने आरोपियों से सोने की दो चेन, एक अंगूठी, एक जोड़ कान के टॉप्स, एक जोड चांदी की पायल, एक बाइक समेत करीब एक लाख 60 हजार रुपए का माल बरामद किया है।
इन्होंने लगाया हत्यारों का सुराग: मेहता दंपति की हत्या की गुत्थी सुलझाना राजधानी पुलिस के लिए चुनौती थी, लेकिन हबीबगंज सीएसपी राजेश भदौरिया, टीआई सुरेश दामले, एएसआई अशोक उपाध्याय व व्हीडी मिश्रा, एसआई व्हीएस चौहान, हवलदार मानसिंह और सिपाही रामविलास व देवेंद्र प्रजापति की विवेचना के चलते अंधे कत्ल का खुलासा हो गया।

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