मनोज राठौर
तेरा इरादा क्या है। हमे मालूम है। तू कुछ भी बाते करे। हमे समझाने की जरूरत नहीं है, क्योंकि भारत का हर नागरिक समझदार है। इस वाक्य को पाकिस्तान को समर्पित करना स्वाभिक है। पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने लंदन की मीडिया को मर्दानगी वाला बयान दिया है। उन्होंने कहा कि कश्मीर में लड़ाई के लिए पाकिस्तान ने आतंकवादी संगठन तैयार किए और उन्हें कश्मीर पर फतेह हासिल करने की ट्रैनिंग भी दी। इतना ही नहीं मुर्शरफ ने इशारों ही इशारों में राजनीति में आने की इच्छा भी जाहिर कर दी।
यह बात दूसरी है कि पाकिस्तान में जाना उनके लिए मौत के मुंह में जाने से कम नहीं है, क्योंकि वहां उनकी हत्या के लिए कोई ईनाम घोषित कर देता है, तो कोई उनको बम का हार पहनाने की तैयारी में है। उनका आने का इंतजार केवल एक विशेष वर्ग को हैं, जो उन्हें पसंद करते हैं। लेकिन अब पाकिस्तान की तस्वीर बदल गई है। लंदन में रहकर अपने ही मूल्क को आतंकवाद की धारा में लाने की बात कह देना किसी को अच्छा नहीं लगा। यह उनकी गलतफेमी है कि इस बयान से उनकी राजनीति पक्ष मजबूत होगा। यह मुगालता उनकी मौत का कारण भी बन सकती है। जब तक अंगे्रज का साया उन पर है, तब तक उनका कोई बाल भी वाका नहीं कर सकता है। मूल्क लौटने से पहले ही कई गिद्धों की उन पर निगाहें है, जो उनके कार्यकाल के समय का हिसाब अदा करना चाहते हैं।
यह स्थिति इसलिए निर्मित हो गई है, क्योंकि उनकी गैर मौजूदगी में विपक्ष ने उनके खिलाफ मौत का मोर्चा खोल दिया है। यह बात, तो उनके आने वाले कल ही है, लेकिन वर्तमान में इस तरह की बयानबाजी उन्हें शोभा नहीं देती। मुशर्रफ भी यह बात अच्छी तरह जानते हैं कि उनका बयान घर के अंदर का नहीं है, यह बाहर के दवाब का है, जो वह इन दिनों लंदन में झेल रहे हैं। इन दिनों मुशर्रफ लंदन की खुली वादियों में कैद की जिंदगी गुजर कर रहे हैं। वह पाकिस्तान में आने के लिए पिंजरे में कैद पक्षी की तरह फड़फड़ा रहे हैं। इधर, मुल्क से निकालने के बाद उनकी गद्दी का गिद्धों ने बुरी तरह नौंच दिया है और उनके लिए पाकिस्तान समेत राजनीति में आने के सारे रास्ते बंद कर दिए हैं। इतना सब कुछ झेलने वाले पाकिस्तान ने लंदन की मीडिया के सामने सच तो बोलने की हिम्मत की। मुशर्रफ को यह भी अच्छी तरह से पता है कि भारत को पाकिस्तान की आतंकवादी गतिविधियों के बारे में पता है और सबूत भी हैं। अब स्थिति है कि भारत को जातने की जरूरत नहीं है कि पाकिस्तान आतंकवाद का गढ़ है। भारत भी जनता जानती है, कि आतंकवाद की शुरूवात कहां से होती है, क्यों होती है और कौन करवाता है। इसके बावजूद मुशर्रफ लंदन में बैठकर आखिर क्या साबित करना चाहते हैं। यह भारत के लिए उनकी हमदर्दी तो नहीं या फिर लंदन सरकार का दबाव।
उनका बयान क्या हमें यह बताना चाहता है कि पाकिस्तान आतंकवादी देश है, या फिर भारत पाकिस्तान को जानता नहीं है, या उनका बयान भारत के लिए षड्यंत्र है। जो भी बात हो मुशर्रफ की, भारत विश्वास करने वाला नहीं है। क्योंकि उसे मुशर्रफ और पाकिस्तान की आदत पता है, जो गले लग कर गोली मारने से भी नहीं चुकते। पाकिस्तान के लोगों के विचार अलग-अलग हैं। मगर, इरादा एक है, जो हम समझते हैं और जानते भी हैं।
सतर्क हैं हम
बेसतर्क हो, तुम
मत दिखाना, आंख
हमारे भी नाखुन बड़े हो गए हैं....
Saturday, October 30, 2010
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