Thursday, February 11, 2010

विदेश में सुरक्षित नहीं है बिटिया

मनोज राठौर
विदेश में रहने वाली भारतीय बिटिया की सुरक्षा के लिए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय तथा राष्ट्रीय महिला आयोग की पहल अच्छी है। एनआरआई (अप्रवासी भारतीय) सेल के माध्यम से विदेशी पतियों की काली करतूत सामने आएगी। हालांकि, व्याप इंतजाम करने के बाद भी प्रताड़ना की शिकायत आना बं नहीं हुई। विदेशी कभी अपनी हरकत नहीं छोड़ते। हम भरोसा कर हर बार धोखा खाते है। चाहे वह पाकिस्तान या चीन का मामला हो। सबकुछ साफ-साफ नजर आता है। इसके बाद भी सबकुछ हजम कर लिया जाता है।
एनआरआई पतियों के जुल्मों की शिकार महिलाओं की संख्या में वृद्धि हुई है। राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा गठित की गई सेल का काम विवाह के बाद एनआरआई पतियों द्वारा छोड़ दी गई, उनके जुल्म या धोखाधड़ी की शिकार महिलाओं की मदद करना है। शिकायत प्राप्त होने पर आयोग उनकी सहायता करेगा। 27 अगस्त 2009 को एनआरआई सेल ने अपना काम करना शुरू किया। छह माह की अवधी में सेल के पास वैवाहिक अनबन जैसी 177 शिकायतें आ चुकी हैं यानी औसतन रोजाना एक शिकायत। सबसे अधिक शिकायत 130 अमेरिका, 44 बिट्रेन और 37 कनाडा की है। यह सेल का आंकड़ा है। मगर वास्तविक स्थिति कुछ ओर ही है। हर मामले की शिकायत सेल में आए, यह संभव नहीं है। जागरूकता और भय के कारण महिलाएं शिकायत करने से कतराती हैं। आयोग का तर्क है कि शादी की स्थिति में विवाह का पंजीकरण और दो पासपोर्ट महिला को न्याय दिलाने में मददगार साबित होगा। यह महिलाओं के लिए जीवन का सबसे दुखद पहलू होगा, जिसमें न्याय मिलना भी बेकार होता है। विधेयक की मांग में वैवाहिक अनबन, पत्नियों के लिए गुजारा भत्ता, बच्चों की अभिरक्षा, वैवाहिक संपत्ति के निपटारे पर कानून शामिल है। यह विधेयक विदेशी अदालतों के लिए एनआरआई व भारतीय नागरिकों के बीच मुकदमों के निपटारे में मदद करेगा। अभी तक विधेयक पारित नहीं हुआ। मतलब साफ है कि आयोग के चिंतन करने मात्र से समस्या का हल नहीं निकल जाता। सरकार भी सामने आए और जल्द ही गहरी नींद से जाग जाए। विदेशों में अधिकांश एनआरआई पति पत्नी को छोड़कर भाग जाते हैं। उनके इंतजार में महिलाओं की आंख का पानी सूख जाता है, लेकिन जाने वाला नहीं आता। वह दूसरी नांव में सवार होकर समुद्र की लहरों का मजा लेता है। समझना हमारी जिम्मेदारी है और समझना उनकी जबावदारी है। यह तर्क नहीं, सच है। बात को समझना ही समझदारी है।

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