जिसकी गुलाब तोड़ने की औकात नहीं वे दलदल में लगे कमल तक कैसे पहुंच पाएगा। बॉलीवुड की चाह और नौकरी की तलाश में आने वाली लड़कियां गिरोह के निशाने पर रहती हैं। उनको जाल में फंसाकर देह व्यापार के दल-दल में झोंक दिया जाता है। अपनी इज्जत गबा चूकी। इन बेवस लड़कियों के लिए देह व्यापार ही हाईप्रोफाइल नौकरी है। कईयों ने परिवार को बता रखा है कि वे दिल्ली में एक प्राइवेट कंपनी में 25 हजार रुपए महीने की जॉब कर रही हैं। मगर, पर्दा के पीछे क्या है, किसी को नहीं पता। मेट्रो सिटी में नौकरी की चाह देह व्यापार के रास्ते तक जाती हैं। अकसर लोगों को फंसाने वाले रावण अंत में आकर राम की भेंट चढ़ जाते हैं। ऐसा ही बाबा भीमानंद के साथ हुआ। फाइव स्टार होटलों की गरिमा बढ़ाने वाला पाखंडी समाज के नाम पर कलंक है। उसने जमीर के साथ, अपना इमान भी बेच दिया। कहने वाले ने सही कहा है कि ऊपर वाला जब भी देता है, छप्पर फाड़ कर देता है। ऐसा ही ढोंगी बाबा के साथ हुआ। एक हाथ से धर्म के नाम पर, दूसरे हाथ से पाप के नाम पर करोड़ों कमाएं। करोड़ों का मालिक बनने के बाद भी बाबा जेल में पत्थर फोड़ रहा है। बाबा का रूप एक, लेकिन नाम अनेक हैं। साहब को शिवा उर्फ राजीव, उर्फ करण उर्फ शिव मूर्ति, उर्फ शिव रूप उर्फ स्वामी के नाम से जाना जाता है। बाबा की काली महिमा के बारे में कोई नहीं समझ पाया। उनके भजन कीर्तन में सभी राजनीतिक दलों के बड़े-बड़े नेता शामिल हुए। देश की तमाम हिस्सों में प्रवचन के जलवे बिखरने वाले स्वामी जी के मंत्रियों ने भी चरण स्पर्श किए। यह सही है। दो नाकाब पोश एक दूसरे को कैसे पहचान पाएगें। एक सफेद कुर्ते वाला, तो दूसरा काली महिमा वाला। चलो जाने दो। जैसी करनी वैसी भरनी। जनता को तय करना है कि कौन बाबा है और कौन ढोंगी। ऐसे बाबा देश में ओर भी है, जो अश्लीलता और अवैधानिक गतिविधियों कों संचालित कर रहे हैं। उन्हें पहचान कर समाज के सामने नंगा करना होगा।
Monday, March 22, 2010
बाबा नहीं, समाज पर कलंक है...
जिसकी गुलाब तोड़ने की औकात नहीं वे दलदल में लगे कमल तक कैसे पहुंच पाएगा। बॉलीवुड की चाह और नौकरी की तलाश में आने वाली लड़कियां गिरोह के निशाने पर रहती हैं। उनको जाल में फंसाकर देह व्यापार के दल-दल में झोंक दिया जाता है। अपनी इज्जत गबा चूकी। इन बेवस लड़कियों के लिए देह व्यापार ही हाईप्रोफाइल नौकरी है। कईयों ने परिवार को बता रखा है कि वे दिल्ली में एक प्राइवेट कंपनी में 25 हजार रुपए महीने की जॉब कर रही हैं। मगर, पर्दा के पीछे क्या है, किसी को नहीं पता। मेट्रो सिटी में नौकरी की चाह देह व्यापार के रास्ते तक जाती हैं। अकसर लोगों को फंसाने वाले रावण अंत में आकर राम की भेंट चढ़ जाते हैं। ऐसा ही बाबा भीमानंद के साथ हुआ। फाइव स्टार होटलों की गरिमा बढ़ाने वाला पाखंडी समाज के नाम पर कलंक है। उसने जमीर के साथ, अपना इमान भी बेच दिया। कहने वाले ने सही कहा है कि ऊपर वाला जब भी देता है, छप्पर फाड़ कर देता है। ऐसा ही ढोंगी बाबा के साथ हुआ। एक हाथ से धर्म के नाम पर, दूसरे हाथ से पाप के नाम पर करोड़ों कमाएं। करोड़ों का मालिक बनने के बाद भी बाबा जेल में पत्थर फोड़ रहा है। बाबा का रूप एक, लेकिन नाम अनेक हैं। साहब को शिवा उर्फ राजीव, उर्फ करण उर्फ शिव मूर्ति, उर्फ शिव रूप उर्फ स्वामी के नाम से जाना जाता है। बाबा की काली महिमा के बारे में कोई नहीं समझ पाया। उनके भजन कीर्तन में सभी राजनीतिक दलों के बड़े-बड़े नेता शामिल हुए। देश की तमाम हिस्सों में प्रवचन के जलवे बिखरने वाले स्वामी जी के मंत्रियों ने भी चरण स्पर्श किए। यह सही है। दो नाकाब पोश एक दूसरे को कैसे पहचान पाएगें। एक सफेद कुर्ते वाला, तो दूसरा काली महिमा वाला। चलो जाने दो। जैसी करनी वैसी भरनी। जनता को तय करना है कि कौन बाबा है और कौन ढोंगी। ऐसे बाबा देश में ओर भी है, जो अश्लीलता और अवैधानिक गतिविधियों कों संचालित कर रहे हैं। उन्हें पहचान कर समाज के सामने नंगा करना होगा।
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धर्म की आड़ में देह व्यापार, वाकई समाज के लिए इस तरह के लोग कलंक हैं। भीमानंद जैसे लोगों ने ही धर्म की पवित्रता और विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा किया है।
ReplyDeleteaise babaon ne hi dharm men raslilayen chalayi hain.
ReplyDeleteaise baba aaj se nahin balki sada se hain.
aaj to inko pakad liya jata hai.
pehle inko puja jata tha.
aise na jane aur kitne baba abhi ujagar hone baki hai..
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